विनाश का विलोम शब्द Vinash ka vilom shabd kya hai ?
विनाश का विलोम शब्द या विनाश का विलोम , विनाश का उल्टा क्या होता है ? Vinash ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
सुलभ | उत्पत्ति |
Vinash | Utpatti |
विनाश का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों विनाश के बारे मे तो आपने बहुत ही अच्छी तरह से सुना ही होगा ।क्योंकि विनाश शब्द के बारे मे सभी परिचित हैं। विनाश का विलोम शब्द होता है उत्पति । दोस्तों यदि हम विनाश के अर्थ की बात करें तो विनाश का अर्थ है समाप्त हो जाना । जैसे आपने कोई मकान खड़ा किया और उसके बाद मकान समाप्त हो गया तो उसको हम विनाश ही कहेंगे ।
आपको बतादें कि इस दुनिया के अंदर जितनी भी भौतिक चीजें होती हैं।उन सभी का विनाश होता है। इसमे कोई शक नहीं है। हां यह अलग बात है कि कुछ चीजों का विनाश जल्दी होता है तो कुछ का विनाश बहुत बाद मे होता है।
लेकिन इतना तय है कि विनाश तो होकर ही रहता है।वैसे हम सभी जिस शरीर के अंदर रहते हैं उस शरीर का भी विनाश होने वाला है। इसमे कोई भी शक नहीं है। जो पैदा होता है उसको मरना ही पड़ता है। यही विनाश है।
इस दुनिया मे कोई भी चीज ऐसी नहीं है जिसका विनाश नहीं होता है।इस दुनिया मे सारी चीजों का विनाश होता है। खैर बहुत से विनाश का कारण तो इंसान खुद ही होता है। और बहुत से विनाश का कारण नेचर होता है। इसी विनाश से बचने के लिए ही तो प्राचीन काल मे अमरत की खोज की जाती थी। और यह कहा जाता था कि यदि कोई अमरत को पी लेता है तो वह अमर हो जाता है।
विनाश हमारे जीवन का अंग है। और विनाश ही तो है जो इस धरती को सुचारू रूप से चलाने का काम करता है। यदि विनाश नहीं होगा तो फिर सब कुछ सुचारू रूप से कैसे चल पाएगा । क्योंकि बिना विनाश के जो कुछ भी उत्पन्न होगा वह बना ही रहेगा तो फिर धरती पर संसाधनों की भारी कमी हो जाएगी ।
इस धरती पर एक दिन मे जितना जीव पैदा होता है। उससे अधिक जीव एक दिन मे मर जाता है। कारण यही है कि विनाश और उत्पति का क्रम यहां पर चलता रहता है।
वैज्ञानिकों ने एक बार कहा था कि हर चीज उर्जा के रूप मे मौजूद होता है। उर्जा की संघनता उत्पति का कारण बनती है। इसका अर्थ यह भी है कि उर्जा सदैव बनी रहती है। लेकिन उस चीज की संघनता समाप्त हो जाती है।
इसी प्रकार से हमारे यहां पर आत्मा की अवधारण है। जिसके अंदर यह कहा गया है कि आत्मा अजर अमर है और उसका विनाश नहीं होता है। क्योंकि आत्मा की उत्पति ही नहीं होती है।
इसका मतलब यह है कि जब कोई चीज पैदा ही नहीं की जा सकती है तो फिर उसका विनाश संभव नहीं है। खैर अब तीसरा विश्व युद्ध होगा और पूरी दुनिया का विनाश हो जाएगा ।
इस मामले मे इंसान ही इंसान का विनाश करलेगा ।खैर हम कुछ नहीं कर सकते हैं। क्योंकि जो होना है वह होकर रहेगा । इसका कारण बहुत हद तक नैचर ही है। करने वाली नेचर है। हम खुद को फालतू मे कर्ता मानकर बंध रहे हैं।
उत्पति का अर्थ और मतलब
दोस्तों उम्पति का मतलब पैदा होना होता है। जैसे इंसानी शरीर की उत्पति हुई है। या कहें कि इस धरती पर जितनी भी चीजें होती हैं। उन सभी की उत्पति हुई है। उत्पति से ही सब कुछ बना हुआ है। इस दुनिया मे बस आत्मा ही एक ऐसी चीज है जिसकी उत्पति नहीं मानी गई है। बाकी सब चीजों की उत्पति मानी गई है।इसलिए जो कुछ भी आप देख रहे हैं उसकी उत्पति हुई है। और जो चीजें उत्पन्न होती हैं उनका विनाश भी होता है इसमे कोई शक नहीं है।
क्या आप जानते हैं कि यहां पर चीजें क्यों उत्पन्न होती हैं ? इसका कारण यह है कि इस संसार मे एक क्रिया से दूसरी प्रतिक्रिया पैदा होती है और उसी के फलस्वरूप ही तो सब चीजें उत्पन्न होती हैं। क्या आप जानते हैं कि इंसान की उत्पति कैसे हुई ? यह बात भगवान कृष्ण ने हजारों साल पहले ही बता दी थी कि इस संसार मे वैज्ञानिक ढंग से सब कुछ पैदा हुआ है। हालांकि डार्विन ने यही बात कई अन्य तरीकों से समझाया था। खैर इंसान सीधा ही पैदा नहीं हुआ है। पहले जीवन पानी मे पैदा हुआ । उसके बाद जीवन का विकास होता रहा और उसके बाद हम जैसे जीव पैदा होने मे करोड़ों साल लग गए ।
बहुत से लोगों को यह लगता है कि भगवान आए और जीवों को उत्पन्न करके चले गए लेकिन असल मे ऐसा नहीं हुआ । भगवान ने किसी को पैदा नहीं किया है। सब कुछ अपने आप ही हो रहा है। हालांकि गुरू घंटाल हजार तरह की बातें करते हैं लेकिन तर्कसंगत बात कुछ ही लोग करते हैं वे बस अपनी रोटी सेकने के लिए काम करते हैं।
असल मे मिडिया वाले अंधविश्वास चिल्लाते हैं। यह बहुत अधिक चिल्लाते हैं। जब विदेशी लोग सुसांत की आत्मा को बुलाते हैं तो उनको कभी अंधविश्वास नजर नहीं आता है। खैर यही बात यदि इंडियन बोलता है तो उनको अंधविश्वास नजर आने लग जाता है। असल मे भारत के मिडिया की उत्पति ही पैसा खाकर गुणगान करने के लिए हुई है। आप किसी भी मिडिया चैनल पर भरोशा ना करें । क्योंकि खबर अधिकतर एक पक्ष ही दिखाते हैं।
खैर जो चीजें उत्पन्न हुई हैं।उनका विनाश होना तय है। इसमे कोई भी किंतु परंतु नहीं है। खैर ऐसा नहीं है कि इस धरती पर बुराई की उत्पति अधिक हो गई है तो उसका विनाश नहीं होगा । आपको यह याद रखना चाहिए कि जब इंसान जीवों पर दया करना बंद कर देता है तो फिर वह इंसानों पर भी दया कैसे कर सकता है ?
आप इस प्रकार के इंसान से अच्छाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।लेकिन आपको चिंता किसी की नहीं करनी है ना तो आप इस धरती पर बढ़ती हुई बुराई की चिंता करें और ना ही आप इस धरती पर बढ़ती अच्छाई की चिंता करें क्योंकि अच्छाई के बाद बुराई और बुराई के बाद अच्छाई का आना इसका गुण है।इसलिए ज्यादा सोच विचार ना करें । जो कुछ हो रहा है बस देखते चलें जाएं । सब कुछ सही हो जाएगा अपने कर्तव्यों को पूरा करना ना भूलें।