katil aankhen shayari कातिल आंखों वाली शायरी के बारे मे हम आपको बता रहे हैं।ये शायरी आपको ले चलेगी ख़ूबसूरत, मोहब्बत और जुनून के सफ़र पर… तो तैयार हो जाइए “कातिल आँखें” की गज़लों और शायरी के दीवाने होने के लिए! “कातिल आँखों का जादू ऐसा, दिल को बना दे बेकरार…
हर नज़र में छुपा है रहस्य, प्यार भरा ये अंदाज़ प्यार!
कातिल आंखों वाली ,
मेरे दिल का कत्ल कर गई ,
जैसी चाहत थी उसको ,
कमीनी हाशिल कर गई ।
…….
कुछ कत्ल करती हैं आंखों से ,
तो कुछ करती हैं बातों से ,
और बार बार खेल जाती हैं
अपने जज्बातों से ।

……..
भरोशा मत करना कभी
कातिल निगाहों पर ,
वरना मरे हुए
मिलोगे बीच राहों पर ।
………..
निगाहें जब कत्ल करती हैं
तो आवाज भी नहीं होती ।

……….
सब कुछ लुट लिया
तेरी कातिल नजरों ने ,
हमको बेताब खूब किया
तेरे इन गजरों ने ।
……..
कातिल निगाहों मे कुछ राज हैं ,
कुछ कहो या मत कहो ,
मगर तेरे दिल मे कुछ अंदाज हैं।
……..
झुकी कातिल नजरें ,
तो हम प्यार समझ समझ बैठे ,
दिल लगा लिया तुझ से ,
और फिर तुझे अपना संसार समझ बैठे ।

……….
वह कातिल नजरों वाली
कब्र पर जाकर रोई ,
मुझे छोड़ने की बात करती थी ,
आज खूब शराब पीकर सोई ।
……….
दिल के कुछ ख्याल
कागज पर लिख लेते हैं ,
जब वह कातिल नजरें
पास नहीं होती ,
तो दर्द मे खूब चीख लेते हैं।

……….
हम हैं प्यार मे हारे हुए ,
आज भी याद हैं ,
उस कातिल नजरों वाली
के संग कुछ पल गुजारे हुए ।
…………
“वो कातिल निगाहें, वो मासूम अदाएँ,
दिल लूट लिया, छोड़ गई तन्हाएँ।”
………..
दिल मेरा लूट लिया उस
कातिल निगाहों वाली ने ,
खून का पानी बना दिया ,
उस क्वाली ने ।
……….
हम दिल का कत्ल करवाने
को तैयार हैं ,
बस तेरी कातिल निगाहें चाहिए ।

………
अगर निगाहें इतनी प्यारी हो ,
तो कत्ल करवाने मे कोई बुराई नहीं ।
………….
आंखों मे नशा और होंठो पर जाम है ,
खूबसूरत तो बहुत है ,
तभी तो आंखों का कत्ल करने का काम है ।
……….
खूबसूरती मे चांद जैसी ,
आंखों से उन्माद जैसी ,
कत्ल कर गई दिलका ,
आई वो इक सांझ जैसी ।

………
बेताबी का आलम था ,
नजरों का तीर
बड़ा जालिम था ।
………
दिलकश बड़ा यह नजरा है ,
वह आंखों से कत्ल करती है ,
जो बड़ा प्यारा है।
……….
जाम पे जाम पीये जा ,
और कुछ ना हो तो ना सही ,
बस कातिल नजरों संग जीये जा ।

………
मौसम कुछ खराब था ,
होंठों पर लगा शराब था ,
आंखों से कत्ल करने का
ढंग उसका लाजवाब था ।
………
ना दर्द हुआ सीने मे ,
ना दुख महसूस हुआ जीने मे ,
आंखों से कत्ल ही ऐसा किया ,
ना फिर मजा आया पीने मे ।
……….
क्या करें उसकी आंखों की तारीफें ,
कत्ल उसने हमारा किया ,
और हो रही हैं जनाब की आंखों से बारिशें ।
………..
ना तन्हाई मे जी सकते ,
ना उसके बिना पी सकते ,
आंखों ने जो दिल तोड़ा
फिर उसे ना सीं सकते ।

……
ना मौसम मे बेताबी है ,
ना तेरी आंखों मे कोई खराबी है ,
बस हमारा दिल ही साला शराबी है।
………
कभी कातिल आंखों को
भी पढ़ लिया करो ,
प्यार हम तुम से करते हैं ,
कभी हमारे संग भी बढ़ लिया करो ।
………
जब तेरी कातिल आंखों ने शरारत की ,
फिर मेरे दिल ने मुझे बगावत की ।
………
दिल बड़ा उसका शरीफ था ,
बस आंखें ही कातिलाना थी ।
……….
छोड़ दो कातिल आंखों की तारीफें करना ,
अक्सर उनको आता है ,
बिन बादल बारिशें करना ।
………
उसकी बड़ी थी ख्वाइशें ,
पूरी नहीं कर सके उसकी फरमाइशें ,
वह आंखों से कत्ल करके चली गई ,
और हम करते रहे गुजारिशें ।

……….
दो पल का इश्क है ,
दो पल का फसाना ,
ऐ मेरे दोस्त
कभी उसकी कातिल
आंखों से मत टकराना ।
………
दुश्मन बनी बैठी है यह
शहर भर की इमारते,
फिर भी तू कर रही है ,
इन कातिल आंखों से शरारतें ।
………
अदा भी कातिलाना है ,
आंखें भी कातिलाना ,
ऐसे मे देखकर है ,
बस दिल को तड़पाना ।

………
आंखे जब गली मे लड़ी ,
कत्ल कर कर दिल के चैन का ,
और वह तारे गिन रही है ,
छत पर पड़ी ।
………
काजल आंखों का गहरा था ,
उसी का कत्ल कर दिया उसने ,
सर पर जिसके सेहरा था ।
………
अरे प्यार नहीं करना
तो मत करो ,
धोखा देकर कत्ल क्यों करती हो ।
……….
हम नहीं समझ पाए ,
उसकी कातिल आंखों को ,
आज चूम रहे हैं ,
बस लौहे की सलाखों को ।

……….
कभी ना टूटेगी यह खुमारी अपनी ,
जिदंगी मस्त चलेगी सारी अपनी ,
आंखों से कत्ल मत कर देना ,
वरना बिखर जाएगी ,
सारी बेकरारी अपनी ।
……..
देखकर कातिल आंखों को ,
मैं राहें भूल गया ,
चला जा रहा हूं पता नहीं कहां ,
जिदंगी की सारी फिजाएं भूल गया ।
……….
तू खुद को सजाए रखती हैं ,
यह कातिल आंखें हमें बचाए रखती है ,
ना चैन से जीने देती ,
ना चैन से मरने देती ,
कुछ इस तरह हमे सताए रखती है।
………..
दिल मे एक दरिया सा रूका है ,
दो कातिल आंखें दिखी ,
जब अपना महबूब झुका है।
……..
कातिल आंखों से शूरू हुआ इश्क,
और आंखों पर ही खत्म हो गया ,
ना जान हम पाए ,
ना पहचान हम पाए ,
पता नहीं कैसा वो शनम हो गया ।
………..
पता नहीं चलता कभी
आंखों से वफाओं का ,
चेहरा देखकर बता देते हैं ,
अंत मे क्या हाल होता होगा
इन बेवफाओं का ।
……….
चेहरा उसका चांद चकोर था ,
दिल क्या लगाते उससे ,
कातिलाना आंखों मे बस
अंधकार घोर था ।
………
वो आंखें से हर रोज कत्ल-ए-आम करते हैं।
और वो हम ही कमीने आशिक हैं ,
जो हर सुबह शाम उनके नाम करते हैं।
………..
तेरे होंठो ने हर बात को छुपाया ,
तेरी कातिल आंखों ने दिल बहुत दुखाया ।
आज मेरे मरने के बाद ,
फिर क्या लेने तू मेरी कब्र पर आया ।
…………
यह सदाबाहर जिदंगी थी ,
जब किसी से न बदंगी थी ।
हमे क्या पता था ,
वो कातिल आंखों वाली बस एक गदंगी थी ।
………..
कुछ आशिक आम होते हैं ,
कुछ आशिक बेईमान होते हैं ,
और जो आंखों से कत्ल करे ,
वो सचमुच प्यारे इंसान होते हैं।
………
प्यार ना करो किसी की सूरत से ,
क्या पता वो मुहब्बत करता हो ,
अपनी ही जरूरत से ।
………..
दिल का भी कत्ल किया ,
और हमारा थी ,
फिर भी लोग कहते हैं ,
कि वह आप से प्यार करती थी ।
……….
गुल से गुलाब जैसी हो ,
श से शराब जैसी हो ,
हो अगर कातिल आंखें ,
तो आप जैसी हो ।
—–
अब दिल मे नहीं है सब्र ,
तेरी कातिल नजरों के सामने
आना चाहते हैं ,
भले ही हमारी बन जाए कब्र ।
…….
कुछ अल्फाज दिल मे रह जाते हैं ,
मगर कातिल निगाहों वाले ,
आंखों से ही कुछ कह जाते हैं।
………
काजल आंखों मे बहुत गहरा है ,
मेरे दिल मे ऐ कातिल निगाहों वाली
बसेरा है।
……
गुमनामी मे तू बस जीये जा ,
निगहें बना ले अपनी कातिल ,
फिर हर किसी के दिल मे
छेद तू किये जा ।
……….
जुबान पर आप पाबंदी लगा सकते हैं ,
मगर कातिल निगाहों पर नहीं ।
……..
देखकर तेरी कातिल निगाहों को हम भूल ,
राहें गए ,
अक्सर याद आती हैं हमें तेरी फिजाएं ।
………
दिल मे न सकून है ,
न जीने मे जनून है ,
यह कातिल निगाहें
और कुछ नहीं ,
मेरे दिल का खून है।
……..
ना सांस चैन से आती है ,
ना तू कभी ट्रेन से आती है ,
कातिल निगाहों वाली ,
अक्सर देखने देर से आती है।
………
हमें किसी बात का खेद नहीं ,
चाहे निगाहें तेरी कातिल हो ,
फिर भी तू दिल का देती भेद नहीं ।
……….
हमेशा खुद को तो सजाये रखती है।
यह अपनी कातिल निगाहों से ,
आशिकों को जलाये रखती है।
……….
तेरी कातिल आंखों का चढ़ा नशा ,
तो बिन बादल होने लगी बरसा ।
……..
तू तो सोने पे सुहागा है ,
आंखे कातिल हैं तेरी ,
फिर भी यह दिल अभागा है।
………..
तेरी कातिल आंखों ने खेल किया ,
न जाने कितनों को शैल किया ।
……….
मुहब्बत का पाठ हमें न पढ़ाया कर ,
ये कातिल आंखें लेकर ,
हमें न सताया कर ।
……….
कुछ फैसले सलाखें करती हैं ,
कुछ फैसले तेरी यह कातिल आंखें करती हैं।
…………
बिखरेगा जब तेरे गालों पर
कातिल आंखों का पानी ,
उस दिन याद आएगी ,
तुझे मेरी कहानी ।
……….
यूं बरबाद न कर अपनी जवानी ,
इन कातिल आंखों के संग ,
बन जा मेरे दिल की रानी ।
………..
कातिल आंखें दिल का अरमान लेगई ,
हम तो नींद मे सोये थे ,
दुनिया हमें मुर्दा समझ
श्मशान ले गई ।
……….
खुशियों की गहराई
कोई नाप नहीं पाया ,
तेरी कातिल आंखों की
तन्हाई कोई भांप नहीं पाया ।
……….
मुर्दे को जिंदा कर देती हैं ,
बुढ़ापें मे जवानी भर देती हैं ,
यह वो कातिल आंखें हैं ,
जो दिल की हल हर
परेशानी कर देती हैं।
……….
इक गहरा हुस्न का जाम है तू ,
कातिल आंखों से तमाम है तू ।
आशिकों की मौत का इंतजाम है तू।
………
चख ली हमने शराब सारी ,
तेरी आंखों के आगे ,
लगी खराब शारी ।
……..
दिल यह बड़ा बेताब है ,
कातिल आंखों से
देखने का तरीका उसका
बेहिसाब है।
………
