बबूल के प्रेत की साधना करने के दमदार तरीके और सावधानियां जाने

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बबूल के प्रेत की साधना के बारे मे हम बात करने वाले हैं। babul ke ped ki sadhna – दोस्तों ऐसा माना जाता है कि देसी बबूल के अंदर प्रेत रहता है। और यदि कोई इसको सिद्व कर लेता है तो किस्मत चमक जाती है। लेकिन यह सत्य नहीं है। यदि आप देसी बबूल को सिद्व करलेंगे तों आपकी किस्मत चमकने की कोई गारंटी नहीं है। लेकिन हम इतना जरूर बतादेते हैं कि इससे आपके जीवन के अंदर कई प्रकार ‌‌‌की समस्याएं आ सकती हैं। कई जगह पर मैंने यह पढ़ा है कि लोग देशी बबूल के भूत को सिद्व करने के लिए टोटका बिना किसी ज्ञान के करने लग जाते हैं।और अंत मे उनको बहुत अधिक पछताना भी पड़ता है।

‌‌‌एक दिन एक यूजर का मेरे पास ई मेल आया कि सर मैंने बबूल के अंदर 21 दिन तक पानी डाला उसके बाद भी कूछ नहीं हुआ । इस संबंध मैं में इतना ही कहना चाहूंगा कि यह टोटका ना करें । वरना आपकी जान भी जा सकती है। ‌‌‌यदि आप तंत्र मंत्र के अंदर रूचि रखते हैं तो पहले गुरू अवश्य ही बनाएं सारे काम उसी की देखरेख के अंदर करें ।

babul ke ped ki sadhna  बबूल के पेड़ का 21 दिन का टोटका

‌‌‌आमतौर पर बबूल का पेड़ घर से थोड़ा दूर देखना होता है। इस साधना के अंदर आपको बोतल लेकर शाम को 7 बजे या अंधेरा हो जाए तो उस बबूल के पास शौच के लिए जाना होता है।

 और शौच को सच मे ही करना होता है। ‌‌‌शौच मे से कुछ पानी बचाने के बाद उसको बबूल के पेड़ की जड़ों के अंदर डाल देना होता है।पानी डालने से पहले यह बोलना होता है कि हे दानव देवता मैं आपको सद्वि करना चाहता हूं आप मेरी कमजोरियों को दूर करें । ‌‌‌यह अमावस्या की रात से शूरू करना होगा ।

बबूल के पेड़ का 21 दिन का टोटका

बबूल के प्रेत की साधना

‌‌‌उसके बाद 10 दिन तक तो कुछ नहीं होगा लेकिन उसके बाद अनुभव होना चालू हो जाएगा । ऐसा कुछ पंड़ित बताते हैं। और जैसे ही 21 वां दिन आएगा । एक दानव आपके सामने आएगा ।उसका रूप बहुत ही भयंकर होगा और उससे आपको बिल्कुल भी डरना नहीं है। ‌‌‌यदि आप उससे डर गए तो समझो मर गए ।

उसके बाद आपको वहीं खड़ा रहना है। फिर दानव आपसे पूछेगा कि आपको क्या चाहिए । आपको कुछ मांगना नहीं है । वरन आपको बोलना होता है कि जब भी मेरे को आपकी जरूरत होगी आपको मेरी समस्या समाधान करना होगा ।

‌‌‌फिर दानव भी आपसे वचन लेगा कि आपने मुझे जो सिद्व किया है उसको किसी को बताना नहीं है। यदि आपने किसी को बतादिया तो आपकी मौत निश्चित है। ‌‌‌कहा तो यहां तक जाता है कि यदि कोई उसके वचन को तोड़ देता है तो उसकी मदद से वह जितना भी पैसा कमाता है।वह सारा चला जाएगा ।

‌‌‌बबूल की साधना मे पोटी आना अनिवार्य

प्रेत की साधना के बारे मे यह बताया गया है कि 21 दिन तक आपको पोटी आना अनिवार्य है। यदि पोटी नहीं आएगी तो समझो आपकी साधना पूर्ण नहीं होगी । इस वजह से साधना करने से पहले अभियास करना जरूरी होता है।

होने लगता है अनुभव

‌‌‌एक यूजर ने लिखा की उसने बबूल के पेड़ की साधना की थी। तो उसे एक सर्प रोज दिखाई देता था। और जैसे ही वह उस पेड़ के पास जाता था तो उसके रोंगटे खड़े होने लग जाते थे । अब उसे बहुत अधिक डर लग रहा है।

‌‌‌वैसे इसके बारे मे मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। क्योंकि हम किसी भी प्रकार की सिद्वी नहीं करते हैं। लेकिन कई यूजर यह बताते हैं कि इस प्रकार की सिद्वी का वैसे तो कोई दुष्ट परिणाम नहीं होता है लेकिन अधिकतर केस के अंदर कोई ना कोई गलती हो ही जाती है। जिसकी वजह से ‌‌‌कई प्रकार की समस्या आ सकती है। जैसे डर लग सकता है और सर के अंदर दर्द हो सकता है। इसके अलावा नींद के अंदर समस्या आ सकती है।

‌‌‌अंतिम दिन क्या करना है ?

दोस्तों अंतिम दिन प्रेत को पानी ना दें और ऐसे ही जानें लगें तो वह प्रेत प्रकट होकर आपसे पानी मांगेगा । उसके बाद आप उससे कुछ वचन ले सकते हैं। और प्रेत वचन देदे उसके बाद आप बबूल के पेड़ के अंदर पानी डाल दें  ।आपकों क्या वचन लेना हैं ? किस बात का ध्यान रखना है? इस ‌‌‌बारे मे अपने गुरू से बात करें ।

बबूल के पेड़ की सिद्धि दूसरी विधि

babul ke ped ki sadhna

वैसे तो उपर बताई गई विधि बहुत ही सरल है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बबूल के पेड़ से भूत को वश मे करने की एक विधि आपको और बता देते हैं।यह विधि आपको 41 दिन तक करनी होती है। ‌‌‌यह प्रयोग आपको अमावस्या की रात से करना होगा । रात्री 12 बजे आपको बबूल के पेड़ के नीचे जाना होगा और वहां पर जाते समय एक लौटा पानी का लेकर जाना होगा आप बोतल भी ले जा सकते हैं। उसके बाद दक्षिण दिशा मे बैठकर उसके नीचे निचे दिये हुए मंत्र का जाप करना होता है।

‌‌‌यह मंत्र आपको 108 बार जाप करना होता है।मंत्र जप हो जाने के बाद बबूल के पेड़ के अंदर पानी डाल देना है। ऐसा आपको 14 दिन तक करना होगा । उसके बाद 41 दिन बाद आपको प्रेत सिद्व हो जाएगा और वह प्रसन्न हो जाएगा ।

‌‌‌वह मंत्र इस प्रकार से है।

ऊँ भूतेश्वरी मम  वश्यं कुरू कुरू स्वाहा

‌‌‌इस प्रयेाग के अंदर भी आपको निर्भय रहना होगा । वरना आप यह काम नहीं कर पाएंगे । एक बार प्रेत सिद्व हो जाने के बाद यह आपके अनेक काम को आसानी से कर देगा ।

सुरक्षा कवच का प्रयोग जरूर ही करें ।

देखिए दोस्तों किसी भी तरह की साधना को करने के लिए सुरक्षा कवच का प्रयोग करना बहुत अधिक जरूरी होता है। यदि आपसे कोई गलती हो जाती है , तो उसकी कीमत आपको अपनी जान देकर ना चुकानी पड़े । आपको पहले सुरक्षा कवच मंत्र को सिद्ध करना होता है। यदि आप इसको एक बार सिद्ध कर लेते हैं , तो उसके बाद आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। किस तरह से आपको इसको सिद्ध करना है ? और कौनसा मंत्र प्रयोग मे आपको लेना चाहिए । यह आपको अपने गुरू से परामर्श करना चाहिए ।

वचन नहीं ले पाए तो हो जाओगे बरबाद ।

यदि आप इस साधना के अंदर वचन लेने मे गलती करते हैं। या ठीक तरह से वचन नहीं ले पाए , तो उसके बाद आप बरबाद हो जाएंगे ।यह वचन कुछ इस तरह के होते हैं , ताकि इनकी मदद से प्रेत को बांधा जाता है। वरना बाद मे क्या होता है , कि प्रेत आपका ही बुरा कर देता है। और बाद मे उससे छुटकारा पाना और अधिक कठिन हो जाता है।

बबूल के प्रेत साधना से क्या नुकसान हो सकते हैं।

देखिए यह एक प्रकार की ता​मसिक साधना होती है। और इस तरह की साधना यदि आप सही तरह से करते हैं , तो कुछ समय के लिए हो सकता है , कि आपको फायदा मिले । मगर अंत मे आपको नुकसान ही मिलेगा । उच्च कोटी के साधक इस तरह की साधना को कंट्रोल कर सकते हैं। पागलपन और मौत जैसे परिणाम इसके हो सकते हैं। यदि आपको साधना करनी है , तो कोई भी अच्छी साधना को कर सकते हैं। इससे आपको किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा । और आप परमगति को भी प्राप्त होंगे । तामसिक साधनाओं से आपको बचने की सलाह दी जाती है।

बबूल की प्रेत साधना वो करे जो डरता नहीं है। भूत प्रेत और दूसरी किसी तरह की साधनाओं को करने के लिए आपके अंदर किसी तरह का डर नहीं होना चाहिए । यदि आपके अंदर किसी ना किसी तरह का डर है , तो उसके बाद आप किसी भी साधना को पूरा नहीं कर पाएंगे । आप डर के मारे उसको बीच के अंदर ही छोड़कर जा सकते हैं। इसलिए इस तरह की साधना को करने से पहले अपने डर पर आपको काबू करना होगा । तभी आप साधना के क्षेत्र के अंदर कुछ आगे बढ़ सकते हैं।

यह लेख जानकारी के लिए है। यदि आप इसका किसी भी तरह से गलत प्रयोग करते हैं , तो इससे नुकसान आपका ही होगा । और जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी । इसलिए अपने गुरू से परामर्श किये बिना कोई भी साधना मे ना उतरे ।

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