chugli shayari in english, chugli par shayari in hindi कुछ लोगों की आदत होती है चुगली करने की आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं। चुगली पर कुछ मजेदार शायरी यह आपको जरूर ही पसंद आने वाली है। आप इसको अपने दोस्तों को भेज सकते हैं। और आनन्द ले सकते हैं।
वह अपनी वाली बड़ी चुगलखोर है ,
पहले मौका देती है ,
फिर कहती है दिल मे कोई और है।
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चुगली करने वाले चुगलखोर कहलाते हैं ,
चोरी करने वाले चोर कहलाते हैं ,
प्यार करके धोखा करने वाले
राहमखोर कहलाते हैं।
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हम जानते हैं तू चुगली
करने मे माहिर है ,
बात पच नहीं सकती
तेरे पेट मे यह जगजाहिर है।

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अंदाज मौसम का क्या बदला ,
वो चुगलखोर बन गए है ,
और हम आदमखोर बन गए ।
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सच्चे आशिकों से दिल लगाया कर ,
करके चुगली ना हमको सताया कर ।
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अंधेरी रात का अंधेरा है तू ।
दिन का बसेरा है तू ,
और कुछ नहीं तो ,
चुगलखोरों का डेरा है तू ।

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हमारे सामने वो मुस्कुराती थी ,
और अपने दुश्मनों को ,
राज की बात बताती थी ।
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फिर सवेरा कभी आएगा नहीं ,
अगर आशिक चुगलखोर ना हो ,
तो जिदंगी मे कभी अंधेरा छाएगा नहीं ।

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बड़ी बड़ी थी उसकी ख्वाहिशें ,
पूरी ना कर सके हम उसकी फरमाइशें ,
जाना बाद मे हमने ,
वो चुगलखोर की थी पैदाइशें ।
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समय बड़ा रईस है ,
मौसम बड़ा ठीस है ,
चुगलखोर तो तू थी ,
फिर क्यों हमसे इनती टीस है।
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सूखी लकड़ियों मे आग
लगाया ना कर ,
करके चुगली
मर चुके प्यार को
फिर से जगाया ना कर ।

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उसने करके चुगली ,
दोस्तों को दुश्मन बना दिया ,
अच्छे खासे जी रहे थे ,
हाथ मे कटोरा थमा दिया ।
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सहने की भी एक हद होती है ,
कहने की भी एक हद होती है।
कितनी चुगली करेगी हमारी ,
ढहने की भी एक हद होती है।

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ना शस्त्र काट पाए
ना दिल बांट पाए ,
चुगलखोर तो बहुत थे जिदंगी मे ,
मगर कुछ ना चाट पाए ।
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लौहा लौहे को काटता है ,
चुगलखोर अपनों को बांटता है ।
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जिनकी जुबान पर मीठा, दिल में जहर हो।
ऐसे यारों की ना कभी किसी पर महर हो ।
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चुगली करने वाले तो मिलेंगे हर मोड़ पर।
मगर भरोसा अक्सर उनका होता है रोड़ पर ।

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दिखने मे वह बड़ी मासूम थी ,
आंखें उसकी महरून थी ,
मगर चुगली मे जनून थी ।
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हवाओं ने भी धोखा दिया ,
चुगली करके उस प्यार ने
दुश्मनों को मौका दिया ।
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दुनिया दहल जाती है ,
जब वों आंखें नीचे करते हैं ,
मगर चुगली करके ,
वार पीठ पीछे करते हैं।
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प्यार से अगर तू जान मागेंगी
तो देदेंगे ,
अगर अपनी बातें किसी को बताई ,
तो कसम से जान लेलेंगे ।

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सितारों को आसमान का साथ नहीं ,
खूबसूरत है तू परी जैसी ,
मगर चुगली जैसी तेरे मे कोई बात नहीं ।
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रूठी बेगम को मनाने आएं है ,
सुन बे चुगलखोर लड़की ,
तुझे दिल से अपना बनाने आएं हैं।
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भले ही हम चुगलखोर हैं ,
मगर धोखेबाज नहीं ,
कमियां बताते हैं आपकी ,
मगर दिल के राज नहीं ।

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खुदा से भी छीन लाएंगे तुझे ,
चुगली कर लेना फिर खूब हमारी ,
मगर ना कभी सताएंगे तुझे ।
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तू कहना ना किसी से ,
तू रहती है हमारे दिल मे ,
तेरी चुगली से रौनक
बनी रहती है महफिल मे ।

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यह चांद तेरे नाम करदूं ।
यह सितारे तेरे नाम करदूं ,
मेरे दिल की दुनिया है तू
चुगलखोर कहके कैसे तुझे
बदनाम करदूं ।
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बुराई मे अच्छाई नहीं होती ,
बिन मुहब्बत अंगडाई नहीं होती ,
बिना चुगली के
जिदंगी कभी शाही नहीं होती ।
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कुछ चुगली करके कमाते हैं ,
तो कुछ दिल लगाकर सताते हैं ,
एक वो हैं जो प्यार हमसे करते हैं ,
मगर ना कभी यह बताते हैं।
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आंखों से अपना बताकर ,
दिल मे घर बनाकर ,
उड़ा दिया हमें उस चुगली
ने सपना बनाकर ।
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तेरी दुनिया मे हम राज करेंगे ,
और कुछ नहीं तो ,
चुगली करके तुझे बरबाद करेंगे ।
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पैदा नहीं हुए हमें बरबाद करने वाले ,
चुगलखोर कब से होने लगे ,
दिलों को आबाद करने वाले ।
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यूं तो वह इक मस्त नगीना थी ,
मगर चुगली करने वाली हसीना थी ।
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फ़िक्र नहीं है सच या झूठ की उसे,
बस चाय के साथ मसाला चाहिए ज़रा-सा!
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म से मस्त कलंदर होता है ,
स से समंदर होता है ,
चुगली जो करे ,
वो सच मे मीठा खंजर होता है।
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आज तो तेरी चुगली ने हद
करदी ।
सेरेराह निलाम हमारी इज्जत करदी ।
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तीर आंखों से चलाया ना कर ,
दिल के राज किसी को बताया ना कर ,
तू दिल की बहुत अच्छी है ,
चुगलखोर खुद को बनाया ना कर ।
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कहता हूँ मैं – “ग़लत है ये सब करना,”
पर वो सुनती कहाँ है, बंद करना?
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मजबूरी है उसकी, शौक़ है पुराना,
“चुगली बिना, बेरंग लगता है उसे जमाना ।
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दिल करे तो आ जाया कर ,
मर चुगली किसी की हमसे
ना करवाया कर ।
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डाटूँ भी तो मन माने नहीं,
बिना चुगली के ,जमाना
तुझे जाने नहीं ।
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फूल है तू गुलाब सा ,
मौसम है तू ख्वाब सा ,
यह चुगली सेट नहीं होती तुझ पर ,
लगती है खराब सा ।
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हम दीवाने हैं तेरे ,
हम अफसाने हैं तेरे ,
मत किया कर हमारी चुगली ,
हम तो परवाने हैं तेरे ।
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जितनी तेरी चुगली, उतनी ही तेरी फजीहत,
हर बात का जवाब मिलेगा, बस थोड़ा इंतज़ार कर!
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तू बोलता रह, हवा में उड़ाता रह,
खुद इसी तरह शर्मींदा कराता रह।
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दिल का भेद किसी को दिया ना करो ,
बेवफाओं से यारो मुहब्बत किया ना करो ।
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आजकल हर तरफ बेवफाई है ,
फिर इस चुगलखोर मे
इतनी वफा कहां से आई है।
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लबा लब भरा पानी का तालाब ,
तलाब भी सूख गया ,
जब एक चुगलखोर ने दिया जवाब ।
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तेरी चुगली सुनकर मौत को भी शर्म आ जाए ,
क्यों बरबाद करती हो जिदंगी किसी की ,
काश एक दिन तुझे भी मर्म आ जाए ।
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बिन बुलाए तेरे दर पर आएंगे नहीं ,
चुगली कितनी भी करले हमारी तू ,
मगर तुझे अब अपनाएंगे नहीं ।
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जो मां बाप की नहीं हुई ,
वो किसकी होगी ,
ऐसी चुगलखोर के संग ,
जिदंगी गुजारनी बड़ी रिस्की होगी ।
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जिसकी जुबां पर चुगली का स्वाद,
वह कर देता है सब कुछ बरबाद ।
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बरसात का कोई ठिकाना नहीं ,
चुगली करने वालों को ,
दिल की बात कभी बताना नहीं ।
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रात की रानी है वह ,
दिल मे शैतान है उसके ,
बस सामने इंसानी है वह ।
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दिल मे और दिमाग मे
बस तेरा ही नाम है ,
अच्छा किसी को नहीं लगता ,
चुगली करना तेरा जो काम है।
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जो खुद की छाया से डरते हैं,
वो ही दूसरों की चुगली करते हैं।
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सच की नाव डूबती नहीं।
चुगली अगर सामने करो ,
तो वह चुभती नहीं ।
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नजरे ना मिलाया कर सितारों से ,
तू बेहया हो गई है , हजारों से ।
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दोस्ती का दिखावा, मगर दिल में खोट,
ऐसे चुगलखोर अक्सर करते हैं दिल पर चोट ।
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मीठी जुबां, मगर जहर भरी बातें,
दिन का तो कहना ही क्या ,
बरबाद करदेती हैं रातें ।
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पीठ पीछे खंजर ना चलाया कर ,
तू प्यार है पुराना अपना ,
बेकार सा यूं मुंह ना बनाया कर ।
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दर्द दिल का कहा नहीं जाता ,
हम से चुगली किये बिना रहा नहीं जाता ।
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चुगली की तलवार ने किया वार ऐ दोस्त,
दिल पे गहरा ज़ख्म, मगर नहीं दिखता ख़ून।
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जिसने साथ निभाने की कसम खाई थी ,
वही चुगली करने मेरी ,
अपने दुश्मनों के पास आई थी ।
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दोस्तों ने दोस्ती के नाम पे लुटा ,
दुश्मनों ने हर मुकाम पे लुटा ।
भरोसा था अपने प्यार पर ,
मगर उसने हमें कह दिया झुठा ।
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चुगली करके ना चलाया कर रिश्तों मे खंजर ,
कुछ नहीं मिलेगा इसमे तुझे ,
इक दिन हो जाएगी तू भी बंजर ।
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दुश्मन हर मुकाम पे मिलेंगे ,
मगर सावधान रहना चुगलखोरों से ,
वो अक्सर दोस्ती के नाम पर मिलेंगे ।
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दिल की अच्छी थी तू ,
फिर भी हमारी इज्जत उछाल दी ,
हमने भी अब ,
तेरी हर याद दिल से निकाल दी ।
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तेरी गली मे अपना आना जाना था ,
तुझे अपना समझ बैठे ,
तू चुगलखोर निकली ,
दोस्ती तो बस इक बहाना था ।
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चुगली की आग में जलकर भी सच नहीं मरता,
जो सच्चा है , उसका कोई बाल
भी बांका नहीं करता ।
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जो जान देते हैं सच्चाई के लिए ,
चुगली करने वाले ,
भी तरसते हैं उस अच्छाई के लिए ।
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प्यार सबको सोने बरका चाहिए ,
खुद भले ही चुगलखोर हो ।
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झूठ पे झूठ वह बोलती रही ,
हमारी वफा को चुगली से तोलती रही ,
हम तो छोड़कर निकल गए आगे
और वह जिदंगी मे अकेली डोलती रही ।
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अच्छाई को देखने के लिए ,
खुद अच्छा होना जरूरी है ,
बुरे का साथ देना अक्सर
चुगलखोरों की मजबूरी है।
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चूहे और बिल्ली मे
कभी दोस्ती हो नहीं सकती ,
चुगलखोर और अच्छे लोगों मे
कभी बोलती हो नहीं सकती ।
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पानी और आग
कभी एक हो नहीं सकते ,
अच्छे और बुरे
अक्सर एक साथ सो नहीं सकते ।
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चुगली करने वाले तो हर मोड़ पर मिल जाएंगे,
पर वफादार लोग ना तुझे हर रोड़ पर मिलेंगे ।
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अच्छी खासी कश्तियां भी डूब जाती हैं
जब वक्त खराब होता है।
जो चुगली करके खुश होता है,
उनका खुदा के यहाँ उसका हिसाब होता है।
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पत्थर रखकर दिल पर
तुझे मिलने को आए थे ,
हमें क्या पता था ,
वो बैर ही खट्टे हैं ,
जो हमने लगाए थे ।
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साथ नहीं होता जब कुदरत का ,
तो चुगली करके फायदा उठा जाते हैं
लोग अपनी जरूरत का ।
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चुगली बिक जाती है बाज़ारों में आसानी से,
अच्छाई कोई देखना नहीं चाहता हमारी ,
नफरत हो गई ऐसी जिदंगानी ।
………..
