दुत्कार का विलोम शब्द dutkar ka vilom shabd
दुत्कार का विलोम शब्द ,dutkar ka vilom shabd , दुत्कार का विलोम के बारे मे आइए जानते हैं।
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
दुत्कार | दुलार |
Dutkar | Dular |
दुत्कार का विलोम शब्द और अर्थ (Misconduct )

दुत्कार का मतलब होता है लताड़ लगाना ।यदि कोई इंसान आपकी कमियों की वजह से आपको लताड़ लगाती है या आपको गलती की वजह से लताड़ पड़ती है। असल मे एक वर्ड प्रयोग मे लिया जाता है कि उस इंसान को दुत्कार कर भगा दिया जाता है।आपको यह भी पता होना चाहिए कि दुत्कार हमेशा अपने से नीचे इंसान के उपर लगायी जाती है। जैसे भिखारी किसी के घर के अंदर जाता है तो कुछ घरों के अंदर उसे भोजन मिलता है तो कुछ घरों के अंदर केवल दुत्कार ही मिलती है।
कुछ संदर्भ मे दुत्कार का मतलब अपमानित करना भी होता है। यदि आप कहीं पर कुछ मागने के लिए जाते हैं और वहां पर वह आपको कुछ देता नहीं है। वरन आपको दुत्कार कर भागा देता है।
दुलार का अर्थ(Careness)
दुलार का मतलब प्यार से होता है।जैसे माता अपने बच्चे के उपर बहुत अधिक दुलार लुटाती है। दुलार का मतलब होता है। एक तरह से प्यार देना । जैसे कुछ लोग एक गरीब भिखारी को बहुत ही दुलार पूर्वक दान देते हैं। इसका मतलब यह है कि वे स्नेह पूर्वक दान देते हैं।
दुलार करने वाले इंसान आजकल कम ही मिलते हैं।अधिकतर इंसानों को आप यही देखेंगे कि वें बस दुत्कार देने वाले होते हैं। अक्सर आपने यह देखा होगा कि जब एक इंसान अमीर बन जाता है तो उसके बाद वह अपने से दूसरों को काफी नीचा समझता है। और कुछ लोग तो इतने अधिक घमंडी समझने लग जाते हैं कि इंसान इंसान के अंदर भेद करने लग जातें हैं।इस प्रकार के लोग दुत्कार ही देते हैं। लेकिन इसके विपरित कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दुलार देते हैं। वे हर किसी को गलें से लगाना पसंद करते हैं। यहां तक कि यदि कोई दुश्मन भी उनकी शरण के अंदर आता है तो वे उसका भी स्वागत करते हैं।
- दुलार का प्रभाव दुत्कार से अधिक होता है।
- जो दूसरों का दुलार करता है उसका सब दुलार करते हैं।
- दुत्कार देने वाला यह भूल जाता है कि वह भी कभी दुत्कारने योग्य था।
- दुत्कार एक ऐसी धार है जो सीधा सीने के अंदर जाती है।
- भीख देना है तो दो लेकिन दुत्कार नहीं दो ।
दुत्कार का कमाल एक महान कहानी Amazing story in hindi
प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर एक भिखारी रहा करता था। वह जिस गांव के अंदर रहता था वहां पर ही भीख मांगता और अपना गुजारा करता था।एक बार गांव के अंदर सूखा पड़ा तो लोगों के पास अनाज कम हो गया । तो लोगों ने सोचा कि यदि हम भिखारी को अनाज देंगे तो खुद भूखे मर जाएंगे ।
उसी दिन उन लोगों ने यह निश्चिय कर लिया कि अब भिखारी को भीख नहीं देंगे। सुबह उठने के बाद भीखारी ने अपना कटोरा लिया और भीख मांगने के लिए निकल पड़ा ।जैसे ही वह पहले घर के अंदर गया । घरवालों ने दरवाजा बंद कर लिया और उसे भीख नहीं दी ।
उसके बाद भिखारी दूसरों के घर के अंदर गया लेकिन उसके बाद भी उसे वहां पर भीख नहीं मिली । इसी प्रकार से वह कई घरों के अंदर घूमा लेकिन उसे कहीं पर भी भीख नहीं मिली । कुछ जगहों पर लोग उसे दुत्कार कर भगा भी रहे थे ।
जब भिखारी सब जगह भीख के लिए घूमा और उसे कहीं पर भी भीख नहीं मिली तो वह निराश होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और उसके बाद सोचने लगा कि क्या करना चाहिए ?
उस रात वह उसी पीपल के पेड़ के नीचें सो गया और जब उसकी सुबह आंख खुली तो वह एक रस्ते पर जमीन पर पड़ा था और उसे यह एहसास हो गया कि उसको किसी ने गांव के बाहर फेंक दिया है।
वह एक दूसरे गांव की तरफ निकला । उसने अपने बैग के अंदर पड़े संयासी के पूराने वस्त्रों को धारण किया और निकल गया ।उसे बहुत प्यास लगी थी तो एक गांव के एक टीले पर बैठा और वहीं पर ध्यान करने लगा ।क्योंकि वह एक योगी था और अपनी पहचान को छूपा रहा था ।ध्यान के अंदर उसको बैठे 13 दिन बीत गए । उसकी आंख तब खुली जब उसने देखा कि राजा उसके सामने माला लिए खड़ा है। और बहुत सारे लोग उसका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।
क्योंकि उसे साधना के लिए शरीर की जरूरत थी।तो उसने राजा से कहा ……. राजन मुझे स्वागत की जरूरत नहीं है।
……..लेकिन महाराज आपको हम क्या दे सकते हैं। आप तो सर्वज्ञ हैं।
…..राजन आप सिर्फ इतनी क्रपा करें कि मेरे रहने की व्यवस्था करें ।
संयासी की बात सुनकर राजा ने उनके लिए एक महल की व्यवस्था करदी । संयासी ऐसे ही वहां पर रहने लगा । एक दिन दूसरे गांव के लोग उस राजा के पास आए थे । जब गांव के लोगों ने देखा कि भिखारी तो संयासी के भेष मे राजा को मूर्ख बना रहा है तो वे राजा के पास गए और बोले ……..महाराज आपने किसी को महल के अंदर बैठा रखा है। यह तो संयासी के भेष मे छदम भिखारी है ?
……….नहीं यह एक महान तपस्वी है। मैंने खुद इसको आंखों से देखा है यह 13 दिन तक बिना कुछ खाए ध्यान मे थे।
…… नहीं यह बस इसकी चाल है। आप इसकी परीक्षा लेकर देखो महाराज ।
……..यदि यह असली संयासी हुआ तो …..?
…….तो हमारा सर कलम कर देना ।
उसके बाद राजा ने संयासी को बुलाया और बैठने को कहा । संयासी दरबार के अंदर एक तरफ बैठा और बोला महाराज क्या आप मुझे परीक्षा लेने के लिए बुलाया है ?
इस कथन से राजा चौंक गया और बोला ………… हां आपको पता कैसे चला ?
……..नहीं बस ऐसे ही अनुमान लगाया है। ?
राजा ने बोलना शूरू किया और कहा कि …….यदि तुम सच मे संयासी हो तो क्या तुम अपनी शक्ति को हमे दिखा सकते हो ?
………राजन शक्ति को मैं नहीं दिखाना चाहता ।
………लेकिन क्यों ?
……यह एक संयासी को शोभा नहीं देता है। ?
…….सैनिकों संयासी को पकड़लो ।
और उसके बाद संयासी को राजा ने पकड़ लिया और कहा ………यदि तुमने भागने की कोशिश की तो तुम्हारा सर कलम हो जाएगा ।
……….राजन तुम मेरा सर कलम नहीं कर सकते । यदि तुमने सैनिकों को मुझे छोड़ने का आदेश नहीं दिया तो मैं तुम्हारे सिंहासन को जला कर राख कर दूंगा ।
राजा ने इसको मात्र उपाहास समझा तो संयासी बोला ………जाओ अग्निी देव राजा के सिंहासन को जलादों । यह मेरा आदेश है। और उसके बाद राजा के सिंहासन पर आग लग गई राजा भाग कर संयासी के पैरों मे गिर गया और बोला …… सचमुच आप महान योगी हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूं आप हमे क्षमा करें ।
——-राजन दूसरे गांव के लोगों के साथ मिलकर जो साजिश तुमने करने की कोशिश की वह सब मुझे पता है।लेकिन मे तुम सबको क्षमा दान करता हूं । और उसके बाद संयासी वहां से चला गया ।
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