किसान पर शायरी kisan par shayari के बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे हैं। यदि आप एक किसान हैं , तो आपको यह चीजें काफी बेहतरीन तरीके से पसंद आने वाली हैं। किसान दिवश पर आप इन शायरी को शेयर कर सकते हैं। और अपने फ्रेंड आदि को भेज सकते हैं।
धतरी पुत्र है किसान ,
उसकी मेहतन से आती है ,
सबके अंदर जान ।
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किसानों को लूट रही सरकारें ,
कोई नहीं सुनता उनकी पुकारें ,
सीने मे दर्द होता है देखकर यह नजारे ।

…….
मैं भी एक किसान हूं ,
दिल से एक जवान हूं ,
खेती के लिए हर बार कुर्बान हूं ।
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किसानों की गरीबी कोई दूर कर नहीं पाया ,
दिन रात करते हैं मेहनत खेतों मे
फिर भी वो सर नहीं पाया ।
…….
मुल्क मे सबसे अधिक जो परेशान है ,
जिसकी जिदंगी खेत पर कुर्बान है ,
जो सबसे ईमानदार इस देश का किसान है।

……..
खेतों मे सबके लिए अन्न उगाता है ,
सर्दी गरीब बारिश हर वक्त वो
खुद को तड़पाता है ,
वो किसान ही है जो सबको खिलाता है।
……
भूमी मेरी माता है ,
मगर सरकार उसको
छीन लेना चाहता है।
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गरीब सबसे इस देश का किसान है ,
मेहनत करे वो
और फायदा उठाता हर इंसान है।
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कीमत तो खूब है शहरों मे धान की ,
मगर आज तक बिचौलियों की वजह से
गरीबी दूर ना हो सकी किसान की ।

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बेटी विदा ना हो सकी इक किसान की ,
कुछ होगा नहीं
जब तक बेठी है सरकार शैतान की ।
……..
नेता और अमीर हो गए ,
और किसान और गरीब हो गए ,
कैसे फूटे किसानों के तकदीर हो गए ।
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अगर किसान मिल कर चले ,
तो सरकारें हिला देंगे ,
अगर नहीं काम की सरकारें ,
तो पूरा सिस्टम जला देंगे ।
……..
संसद मे बैठ करके किसानों को नोच लिया ,
जमीन उनकी छीन रहे हैं ,
बदल देंगे किसान सरकारें ,
किसानों ने भी अब सोच लिया ।

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चीर के जमीन को बीज वो बोते हैं ,
हम किसान हैं यारों ,
चैन से कहा सोते हैं ।
……..
खूब मेहनत करने के बाद भी
दो वक्त की रोटी ना जुटा पाते ,
यही है असली विकास ,
चाहकर भी मौत को ना
गले लगा पाते ।
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यह सिस्टम इतना सड़ चुका है ,
कि बदलाव मांग रहा है ,
किसान इतना त्रस्त हो चुका है ,
कि इंसाफ मांग रहा है।

……
वेतन पर वेतन लगाये जा तू ,
सरकारी अधिकारियों की मौज कराये जा तू ,
कोई सुध नहीं है किसान की ,
बस खुद के लिए धन बनाये जा तू ।
……
अगर दंगा होगा तो
निर्दोष किसान मरेगा ,
जिस दिन संसद पर हमला होगा
फिर शैतान मरेगा ।
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रोड़ पर खड़े किसान इंसाफ मांग रहे हैं ,
सुनो ऐ लुटियन सरकारों ,
किसान अपना हिसाब मांग रहे हैं।
……
जिस दिन सारे नेता मर जाएंगे ,
उस दिन किसानों का राज होगा ,
और किसान सबसे आगे निकल जाएंगे ।
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किसानों की समस्या खत्म नहीं होती ,
किसानों की तरक्की ,
बेईमान सरकारों को हज्म नहीं होती ।
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हम मेहनत की खाने वाले हैं ,
हम सचाई को चाहने वाले हैं ,
दलाली नहीं करते किसी की ,
खुद उगाने वाले हैं।
……
देश भले ही आजाद हो गया ,
मर इस देश का किसान आज भी गुलाम है।

……..
हम विकास की बात करते हैं ,
मगर कहां विकास है ,
किसान तो आज भी आत्महत्या करते हैं।
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अगर एक किसान मर जाए ,
तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा ,
अगर देश का नेता मर जाए ,
तो मिडिया वाले आसमान सर पर उठा
लेते हैं।
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अपने खून पसीने की कमाई खाते हैं हम ,
दूसरों के लिए भी खेत मे अनाज उगाते हैं हम ।
……..
जमीन हमारी बंजर हो गई है ,
सरकारें सारी सो गई है ,
कोई परवाह नहीं करता हमारी
हद हो गई है ।
…..
जिस दिन निकलेंगे सड़कों पर एक होकर ,
हम किसान है लाला ,
सिस्टम सारा फाड़देंगे ।

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पैसा सारा अमीरों ने लूट लिया ,
सरकारों ने किसानों का खून चूस लिया ।
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किसानों को लुटने का
सिलसिला यूंही चलता रहेगा ,
सिस्टम यह किसान को
यूं ही छलता रहेगा ।
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अगर नहीं बरसे बादल समय पर
तो हम बरबाद हो जाएंगे ,
मदद के लिए फिर एक एक
हाथ जो जाएंगे ।
……..
छत टपकती है उसकी ,
नींद नहीं आती रातों को
बस आंखे झपकती उसकी ,
खेतों की रखवाली करते करते
यूं ही जिदंगी खपकती है उसकी ।

……..
किसानों पर लाठियां बरसाती सरकारें ,
करें तो हम क्या करें
नहीं होते हमारे गुजारे ।
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दिल से अच्छा एक इंसान हूं
दर्द मेरा बस इतना है
कि मैं एक किसान हूं ।
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रोज मरते हैं कर्ज से
दबे किसान बेचारे ,
किसी काम के नहीं हैं
यह सिस्टम और सरकारें ।
……..
एक दिन किसानों की सरकार
जरूर आएगी ,
फिर भाग जाएंगे यह पूंजीपति
और किसानों के चेहरे पर
बाहर जरूर आएगी ।
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करेप्ट सिस्टम
करेप्ट सरकारें ,
क्या करें किसान बेचारे ।

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जमीन किसानों की लूट रहे ,
यह लुटियन दलाल
किसानों को घोट रहे ।
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किसानों की हाय
कभी खाली नहीं जाती ,
जिसने किया किसानों को परेशान ,
उसकी कब्र मे मिट्टी भी डाली नहीं जाती ।
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जवान मर रहा है सीमा पर ,
और किसान मर रहे हैं खेतों मे ,
यह सरकार मस्त है अपने वोटो मे ।
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आंगन मे कभी कलियां
खिली नहीं ।
धान की सही कीमत
कभी किसानों को मिली नहीं ।

……..
सोने से जड़े महलों मे रहते हैं वो ,
और किसान के सामने ईमानदारी
की बात करते हैं।
……..
नहीं सुनी अगर किसानों की
तो सिस्टम हिला देंगे ,
सुनों ऐ सरकारों ,
एक दिन तुमको जरूर मिट्टी मे मिला देंगे ।
……..
किसान यूं ही मरते जा रहे हैं ,
और यह भ्रष्ट लोग
अपनी जेंबे भरते जा रहे हैं।
……..
यह लोकतंत्र नहीं किसानों का काल है ,
इसमे सबसे ज्यादा किसान ही बेहाल है।
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कर्ज के बोझ तले दबे किसान है ,
और यू नेता लोग तो करोड़ों मे
खेलते हैं ,
फिर क्यूं भला यह परेशान हैं।
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वोट मांगने के लिए तो
हर कोई आ जाता है ,
किसानों के कर्ज माफ की बात करो ,
तो सन्नाटा सा छा जाता है।
……
खेत मे सुबह उठकर चल देते हैं ,
शाम को घर आते हैं ,
वो किसान ही हैं ,
जो अन्न बरसाते हैं।
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अक्सर मानसून की बाट तकते हैं ,
आस नहीं है किसी और से ,
बस खुदा का साथ तकते हैं।
……..
ना खुद भूखा रहता हूं ,
ना किसी को भूखा रहने दूंगा ,
किसान हूं मैं ,
अपनी धरती माता को ना
प्रदूषित होने दूंगा ।
……..
भ्रष्ट तंत्र को मिटाना
किसानों का लक्ष्य है ,
यह बेकार सिस्टम ही
सारा किसानों का भक्ष्य है।
……
किसानों का हाल बेहाल रहता है ,
सरकार चाहे किसी की भी हो ,
किसान हमेशा फटेहाल रहता है।
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ना अब अच्छी फसल होती ,
ना समय पर बारिश ,
हमारी भी सुध लेले कोई ,
यही है सरकार से गुजारिश ।
……
किसान ही भारत देश की शान हैं ,
किसान हैं तो इस देश मे जान है ।
……
किसानों की गरीबी को जो ना मिटा सका ,
किसान अपने दम पर
खुद को ना टिका सका ।
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किसानों का दर्द को बांटने वाला नहीं ,
नेताओं को तो पैसों की भूख है ,
कोई किसानों को चाहने वाला नहीं ।
……..
धूप और बारिश मे
वो अकेले लड़ेंगे ,
यह भ्रष्ट तंत्र
बस किसानों को
बरबाद करेंगे ।
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किसानों की बरबादी का नाम विकास है ,
जमीने उनकी छीन ली जाती हैं ,
यही हर सरकार का काम खास है।
……..
जिस दिन पलट जाएगी किसानों की तकदीर ,
उस दिन बदल जाएगी भारत की तस्वीर ।
……..
देकर लहू जिगर का
फैसल हम पालते हैं ,
और एक तरफ सरकारें ,
किसानों को बारबाद
करने वाले लोग पालते हैं।
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किसान का हक कभी उसे मिलता नहीं ,
कुछ हद से ज्यादा अमीर होते जाते हैं ,
और किसान के घर मे कभी फूल खिलता नहीं ।
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अनाज महंगा क्या हुआ ,
सरकारें महंगाई महंगाई चिल्लाने लगी ।
……..
खुद मेहनत करते हैं लाला ,
सरकारी लोगों की तरह
हराम की नहीं खाते ।
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खेतों मे अब कुछ उगता नहीं ,
यह किसान ही है ,
जो सब कुछ सहने के बाद
भी झुकता नहीं ।
……..
सरकारें हर बार वादा कर जाती हैं ,
मगर जीतने के बाद ,
किसानों को बारबाद करने का
इरादा कर जाती हैं।
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कभी विकास के नाम पर
तो कभी लाश के नाम पर
कभी सांस के नाम पर ,
बस किसान ही लुटे जाते हैं।
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टेक्स है इस देश का अमीरका जैसा ,
और सुविधा है
अफ्रिका जैसी ।
……..
अगर इस सिस्टम मे
दम होता तो किसान यूं मरते नहीं ,
वो एक दिन बदल देंगे इस सड़े हुए सिस्टम को
किसान किसी से यूं डरते नहीं ।
………
जितना लूटना है लूट लो किसानों को ,
जितना मरवाना है मरवादों जवानों को ,
जिस दिन वक्त बदलेगा बतादेंगे ।
…….
यह लोकतंत्र नहीं
किसानों की बरबादी है ,
दिन रात मेहनत करो
फिर भी जीने की ना आजादी है।
……..
वो हल चलाता है, पसीना बहाता है,
मगर अनाज के दामों पे रोता है किसान।
ज़मीन उसकी, फसल परायी,
ये कैसा इन्साफ़ है, बताओ भगवान!
………
हर साल उम्मीद लेकर बोता हूँ,
पर कभी बारिश, कभी क़र्ज़ा डुबोता हूँ।
मेरे खेत सूखे, दिल भी सूखा,
फिर भी हौसला नहीं छोड़ता हूँ।
………
“हे मालिक! मेरी मेहनत रंग लाए,
मेरे अनाज का सही दाम मिल जाए।
ना कोई भूखा सोए, ना कोई रोए,
बस इतनी सी दुआ कबुल हो जाए ।
……..
जिदंगी मे एहसास अभी बाकी है ,
जीने की आस अभी बाकी है ,
किसान हैं हम यारों
मेहनत नहीं छोड़ेंगे
सांस जब तक बाकी है।
…….
शरीर सारा दर्द करता रहा ,
पल पल किसान मरता रहा ,
विकास के नाम पर
किसान को यह सिस्टम छलता रहा ।
……
दो गज जमीन के लिए
मर मिटने को तैयार हैं ,
अपनी मां का सौदा
आखिर कोई कैसे कर सकता है।
…….
लिए आंखों मे आंसू
आसमान की तरफ देख रहे ,
दो बूंद बरसा रे बदलवा ,
वरना खाली हमारे खेत रहे ।
…….
दिल का दर्द किसी को
सुनाया नहीं करते ,
किसानों को लुटने वाले
अक्सर सरकार बनाया नहीं करते ।
……..
खुद हल चला रहे हैं अपनी जमीन पर ,
ना कोई चारपाई ना कोई बेड़
यूं ही खेत मे सोते हैं कालीन पर ।
……..
हर दर्द को हंसके सह लेते हैं ,
वो किसान है यारो
अपने नेता नहीं
इसलिए बिना धन के रह लेते हैं।
………
60 की उम्र मे अकड़ वही है ,
मूच्छों की पकड़ वही है ,
असली किसानों की जिदंगी
यही है।
……
इस सिस्टम ने कैंसर के सिवाय
कुछ दिया नहीं ,
बजंर हो गई जमीने सारे ,
और इस बेकार सरकार ने
कुछ किया नहीं ।
………
जिस वक्त नहीं होती बारिश ,
किसान की जिदंगी हो जाती है
खारिश ।
…….
पेड़ सारे विकास के
नाम पर काटे ,
किसान सारे
झूठे विश्वास के नाम
पर काटे ।
…….
विकास वो नहीं
जो सबको बरबाद करदे ,
विकास वो है ,
जो गरीब किसानों को भी आबाद करदे ।
…….
कभी विकास के नाम पर घर तोड़ दो ,
कभी विकास के नाम पर मंदिर तोड़ दो ,
और किसानों से कहत हैं ,
तुम अपनी जमीनें छोड़ दो ।
……..
मां पर भी टेक्स ,
बहन पर भी टेक्स ,
और सड़कों पर करते हैं
साले से क् स ।
…..
कुर्सी से बड़ा
इनको कोई प्यारा नहीं ,
कुर्सी के लिए यह
अपने बाप को बेच दें
किसान क्या चीज है।
………
यह देश आज भी गुलाम है ,
गरीब किसान के नाम पर
यह दुनिया मे बदनाम है।
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अधिकारी और अफसर मौज उड़ाते हैं ,
किसान तिल तिल कर मरते जाते हैं ,
और यह नेता लोग पैसों के बोरे
यूं ही भरते जाते हैं।
……
अगर यह इतने धार्मिक ही
होते तो कोई मंदिर तोड़ते नहीं ,
किेसान तो दूर की बात है ,
यह अपनों को भी छोड़ते नहीं ।
…….
तुम अपनी जमीन देकर
विकास करवाओ ,
यही राम राज्य है ,
झूठे एहसास करवाओ ।
…….
मंदिरों को तोड़ कर ,
गरीब किसानों को
अकेला छोड़कर ,
यह गुण तो रावण मे थे ,
और बता रहे हैं खुद
को राम से जोड़कर ,
……
मुझे नफरत है दोगले लोगों से ,
पता नहीं देश को कब छूटकारा
मिलेगा ऐसे रोगों से ।
………
ना इन्हें किसान की परवाह ,
ना इन्हें गरीब की चिंता ,
,खुद मस्त होकर घूमते हैं ,
और हमें जला रहे जिंदा ।
…….
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