श्मशान पर शायरी shamshan par shayari के बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे हैं। और आपको यह शायरी जरूर ही पसंद आएगी । श्मशान घाट की बेस्ट शायरी । आमतौर पर जब कोई इंसान मर जाता है , तो उसको श्मशान घाट लेकर जाया जाता है।
जब हम लेटे थे श्मशान मे ,
फिर भी वो आग लगा रही
थी दिल के अरमान मे ।
……
असली घर अपना श्मशान है ,
मौत के बाद यही एक पहचान है।
…….
मुर्दों का घर है श्मशान ,
जिदंगी का असली
सफर है श्मशान ।

……..
अगर मैं तुम्हें ना मिलूं
तो श्मशान मे आ जाना ,
बस एक बार श्मशान के मुर्दों
को मेरा नाम बता जाना ।
………
“शमशान में उड़ती राख से पूछो तो सही,
क्या वाकई ख़त्म हो जाती है मोहब्बत मरने के बाद…”
……..
दिल का हाल कोई जान नहीं पाया ,
श्मशान तक तो सब आए ,
मगर हमारे गम को कोई पहचान नहीं पाया ।

……
उसने धोखा देकर मारा हमें ,
सामने साली की औकात नहीं थी ,
मौका देखकर मार हमें ।
…….
दुनिया की सबसे शांत जगह श्मशान है ,
आ जाना अगर
किसी के दिल मे शांति का अरमान है।

………
शौक नहीं किसी को
आग मे जलने का ,
मगर क्या करें दर्द ही
जिदंगी इतना देती है ,
कि हर कोई इंतजार
करता है जिदंगी की सांझ ढलने का ।
……….
मेरा कत्ल करके हंस रही थी वह ,
जैसे खुद अमर हो ।
……..
ना गरीब देखता है ,
ना अमीर देखता है ,
यह श्मशान है जनाब ,
यह बस राख फेंकता है।

………
जल गया शरीर ,
जल गई लकड़ी ,
बहुत दुख भरी थी
लग रही थी यारो ,
वह श्मशान मे खड़ी ।
…….
ना किसी के मरने से
दुनिया रूकती है ,
ना किसी के जीने से ,
दो पल मे श्मशान मे
जला दिये जाओगे ,
कुछ नहीं होगा किसी का फ्रिक करने से ।
……….
दुनिया मेरी मौत का
तमाशा देखती रही ,
चिंता श्मशान मे जलती रही ,
और वह खुशी से चकहती रही ।
……….
कब्र जब अपनी श्मशान मे होगी ,
वह खूबसूरत परी ,
फिर किसी और के साथ आसमान मे होगी ।

……
मत आना तू मेरे जनाजे मे ,
आज भी बेवफाई है
तेरे इरादे मे ।
……
मरने के बाद भी
इस दिल को सकून नहीं ,
उसने हमें अपने हाथों से मारा था ,
और बोलती है कोई खून नहीं ।
……..
जो सामने से वार करे ,
उसे दुश्मन कहते हैं ,
जो पीठ पीछे से वार करे ,
उसे खुशमन कहते हैं।

………
श्मशान मे चिता मेरी जल रही थी ,
और कमिनी हंसते हुए चल रही थी ।
……..
सुनो बे मेरी कब्र पर रोने वालों ,
झूठे आंसू और हमदर्दी मुझे नहीं चाहिए ।
……..
श्मशान मुर्दों का महल ,
जहां आंखों से कुछ दिखता नहीं ,
मगर वहां बहुत चहलपहल है।
…….
सूरज तो हर रोज उगता है ,
मगर श्मशान मे वो जाता है ,
जिसका वक्त रूकता है।
………
टूटते हुए तारे को देखकर
विश वह मांग लेती है ,
उस पगली को क्या पता ,
श्मशान मे गए लोग
कभी लौट कर नहीं आते ।

……..
जब श्मशान मे हमें
जलाया जा रहा था ,
एक तरफ वह खूब रो रही थी ,
जब जमाने को हंसाया जा रहा था ।
……….
जब आप श्मशान मे होते हैं ,
तो लोग आपकी अच्छाई के लिए रोते हैं ।
…….
“चिताओं की आग में जलकर भी बची है एक आस,
खूबसूरत तू भले ही नहीं थी ,
मगर फिर आज भी तू हमारे लिए है खास ।

………
मुर्दे इश्क नहीं किया करते ,
जो श्मशान मे जल चुके हैं ,
वो अपनों के संग नहीं जीया करते ।
………
ऐ बंदे जोर मत कर जवानी का ,
यह श्मशान घाट ही आखरी
पड़ाव है तेरी कहानी का ।
…….
यहाँ जलती हैं चिताएँ रोज़, मिट्टी में मिल जाता है कोई,
फिर तारा बनके आसमां मे खिल जाता है कोई ।

…….
श्मशान मे चिता जब मेरी जल रही थी ,
मगर वह इतराकर आज भी चल रही थी ।
………
श्मशान मे बैठकर भूतों के साथ बीड़ी पीएंगे ,
यही है असली जिदंगी यारो ,
बस इसी तरह अब जीएंगे ।
……..
ना कर एतबार किसी पर ,
ना कर एतराज किसी पर ,
तुझे भी एक दिन श्मशान जाना है ,
ना कर बेवजह वार किसी पर ।
………
सूरज का साथ बस शाम तक है ,
अपनी दोस्ती बस श्मशान तक है ।
………
जब जल गया शरीर श्मशान मे ,
ना कोई दोस्त रहा ,
ना कोई दुश्मन ।

……..
हम शमशान मे बैठकर तुझे याद करते हैं ,
आज पता चला ,कैसे अपने ही
अपनों को बरबाद करते हैं।
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वादे सारे तूने तोड़ दिये ,
हंसकर शव सारे जामने
ने श्मशान मे ही छोड़ दिये ।
……….
श्मशान की राख को
कभी चखना मत ,
गहरी दुश्मनी कभी किसी
से रखना मत।
चिता मे तो शरीर जलता है ,
फिर दिल मे आग लगाकर रखना मत ।
……..
जल गए श्मशान मे
बड़े बड़े राजा ।
जी ले दो जिदंगी,
फिर अपने संग आजा ।
……..
असली घर तो अपना
श्मशान था ,
और यह बेरहम जमाना
कोठियां खड़ी करता रहा ,
सत्य से साला अनजान था ।

……..
ढल गया हो जिसका सूरज ,
उसे कोई बचा नहीं पाया ,
मरने के बाद श्मशान तक
कोई खुद आ नहीं पाया ।
…….
रहते हैं हम श्मशान मे ,
मस्त जीते हैं इस विरान मे ,
ना कुछ पाने की आशा ,
ना कोई निराशा ,
सब कुछ मिल जाता है दिल
के अरमान मे ।
……..
ना कोई दर्द था ,
ना कोई सर्द था ,
सब कुछ बस श्मशान
का गर्द था ।

………
वक्त किसी का गुलाम नहीं होता ,
तुम शरीर नहीं आत्मा हो ,
और आत्मा का कोई नाम नहीं होता ।
………
श्मशान के भूतों से डरते हैं लोग ,
मगर फिर भी खुद
भूतों वाले काम करते हैं लोग ।
………
मौत जिसकी टल गई ,
वो श्मशान नहीं आएगा ,
मगर आई जिसकी मौत ,
उसपर किसी का एहसान नहीं आएगा ।

……..
दिल से अगर भगवान हो ,
तो श्मशान मे भी मजा है ,
दिल अगर राक्षस हो ,
तो जिदंगी भी एक सजा है।
……..
क्या उखाड़ लिया 100 साल जीकर ,
अगर जिदंगी के मर्म को नहीं जान पाए ,
तो क्या फर्क है तुम्मे और उनमे ,
जो पड़े हैं श्मशान मे पीकर ।
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कोई भरोशा नहीं है इस जिदंगी का ,
खात्मा नहीं होता श्मशान मे जाकर
भी इंसान जैसी गदंगी का ।
………
जान से ज्यादा चाहने वाली ने
हमारे दिल को हिला दिया ।
शराब पीकर पड़े थे श्मशान मे
किसी ने मुर्दा समझ कर जला दिया ।
……..
वह नदी ही क्या
जिसका कोई किनारा ना हो ,
वह श्मशान ही क्या ,
जिसमे मुर्दे आवारा ना हो ।
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सुन बे महलो मे रहने वाले ,
बोल भी नहीं सकते हैं ,
श्मशान मे जलने वाले ।
…….
दर्द फिर कभी होता है ,
कुछ वक्त के बाद कोई रोता नहीं ,
जल गया जो श्मशान मे ,
फिर वो किसी और का होता नहीं ।
………
दर्द दिल का छुपाया तुमने ,
जान से ज्यादा चहाया तुमने ,
फिर भी हमको मरते दम
तक सताया तुमने ।
…….
यहां एक कतरा भी नहीं बचा है खाने का ,
अब तो कोई रस्ता देदे मुझे श्मशान तक जाने का ।
………
लोग कहते हैं
इस जिदंगी मे बहुत मजा है ,
मगर मुझे लगता है ,
यह जिदंगी ही सबसे बड़ी सजा है।
………
श्मशान मे राख हो जाती है ,
जब जिदंगी ,
फिर कोई काम नहीं आती है बदंगी ।
……….
जीकर भी क्या करेंगे तेरे बिना ,
हम तो जल चुके हैं श्मशान मे ,
अब तुझे मालूम होगा ,मेरे बिना ।
…….
अपनी मुहब्बत ने ही
अपना कत्ल किया था ,
दूसरों से शिकायत
ही क्या करते ।
………
श्मशान मे आग
उसने लगाई ,
जिसने मेरी मौत
करवाई ।
……..
जल जाता है शरीर
रह जाती हैं यादें ,
श्मशान मे जाने के बाद
फिर नहीं होती कभी
मुलाकातें।
………
शहर के शहर जल गए ,
जो नहीं जाने थे वो भी चल गए ,
वो अब कैसे आ सकते हैं पगली ,
जो श्मशान मे जल गए ।
……
अनोखी है हर श्मशान की कहानी ,
किसी के इरादे खत्म हो गए ,
तो किसी की यादें ।
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“चिता की आग में जल गया जिस्म,
ख़ाक हो गई सारी हस्ती।
पर न जलेगा वो नाम उसका,
जिसने छोड़ी हो दुनिया में कस्ती।”
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जो समंदर से भी रास्ता बना लेते हैं ,
जो पत्थर को भी भगवान की तरह चाह लेते हैं ,
ऐसे लोग अगर कहीं मिलते हैं ,
तो उन्हें अपना बना लेते हैं।
……..
राक्षस तो हर युग मे मिलेंगे ,
मगर असली फूल वो होंगे ,
जो कांटों के साथ खिलेंगे ।
……..
कोई पा नहीं सका इस जग की माया को ,
श्मशान की आग से कोई बचा
नहीं सका इस काया को ।
……..
हमारी मौत जब होगी ,
तो फूल बरसा देना ,
इस बेरहम जिदंगी से अच्छा है ,
श्मशान मे खुद को छुपा देना ।
…….
दोगली दुनिया है सारी ,
सब अकड़ धरी रह जाएगी ,
जब आएगी श्मशान ले जाने की बारी ।
…….
मिट जाएगा इतिहास तेरा ,
जला देगी श्मशान की आग
हर एहसास तेरा ,
जब रूक जाएगा सांस तेरा ।
…….
टूट जाती है श्मशान मे हर रिश्ते की जंजीर ।
वक्त के साथ मिट जाता है शरीर ।
……..
खुदा ने अगर यह दुनिया
बनाई तो खुदा गुनाहगार है ।
भरोशा करें तो किस पर करें ,
बेवफा यह सरकार है।
…….
अपने फायदे के लिए दूसरों
का गला काटने वाले ,
धर्म के लिए खुद को बांट वाले ,
श्मशान की राख एक जैसी होती है ,
भले ही तू है रक्त चाटने वाले ।
…….
उसको जिंदा होने की खबर थी मेरी ,
वह उसे नहीं जानती थी ,
जिस कब्रिस्तान मे कब्र थी मेरी ।
……
जब आती हैं रातें अंधेरी ,
कुछ दिखाई नहीं देता ,
लेटे हो अगर श्मशान मे
तो फिर कुछ भी सुनाई नहीं देता ।
……
मेरी कब्र से वह प्यार का
इजहार कर रही थी ,
मरने के बाद पता चला ,
कितना वह मुझसे प्यार कर रही थी ।
……..
जो आज तुम्हारी है ,
वो कल किसी और की होगी ,
लेट जाओगे जिस दिन श्मशान मे
दुनिया बस बोर की होगी ।
………
कितना भी छुपालो सच कभी छुपता नहीं ,
जो एक बार गया श्मशान मे ,
फिर वो कभी उठता नहीं ।
…….
जिनको शौक है ,
श्मशान मे मरने का ,
वो जल्दी मर जाएं ,
यहां क्यों समय खराब करने का ।
………
हक किसने दिया तुझे ,
मुझे बरबाद करने का ,
ऐ खुदा सुन ,
कितना लेगा ,
मुझे कब्र से आजाद करने का ।
………
श्मशान जैसी शांति कहीं होती नहीं ,
जिदंगी यूं ही श्मशान जाने के लिए रोती नहीं ।
……..
कब्रिस्तान मे वह कब्र पर फूल चढ़ाने आई ,
हम तो मर ही चुके हैं ,
क्यों तू मुर्दे का फिर से दिल धड़काने आई ।
……..
जिदंगी मे कभी अमन नसीब नहीं हुआ ,
दिल से कोई कभी गरीब नहीं हुआ ,
जाना सबको है श्मशान मे ,
मेरे साथ भी कुछ अजीब नहीं हुआ ।
…….
जिदंगी भले ही दर्द देती है ,
मगर श्मशान हर दर्द को खत्म कर देता है।
………
मत किया कर मेरी कब्र के पास उजाला ,
अक्सर मुर्दों को उजाले से डर लगता है।
……..
जिस दिन श्मशान मे दिवाली मनाना सीख जाओगे ,
उस दिन जिदंगी से प्यारी मौत लगेगी ।
……..
जिदंगी भर जलील किया उसने ,
कहीं वापस ना आ जाएं हम ,
इस तरह से कब्र को सील किया उसने ।
…….
मरने के बाद भी तेरी याद,
मिट्टी में महक जाएगी,
जब कोई मेरी कब्र पे आएगा,
तेरे नाम की हवा चल जाएगी।
………
खाक का है शरीर ,
एक दिन खाक मे मिल जाए ,
किस्सा तेरी प्यार मुहब्बत का ,
एक दिन यूं ही श्मशान की ,
राख मे मिल जाएगा ।
……..
तू जिसको चाहता है ,
वो भी एक दिन यहीं सोएगी ,
फिक्र मत कर उसकी ,
तेरे मरने के बाद वो खूब रोएगी ।
……….
मेरी कब्र पर दुश्मनों ने पेशाब किया ,
जैसे वो जीत गए ,
ऐसा उन्होंने एहसास किया ।
……….
दुश्मन को भी श्मशान मे
जलाकर खुश मत होना कभी ,
यहां कोई अमर नहीं है ,
खाक हो जाएंगे एक दिन सभी ।
………
मरने के बाद मेरी कब्र पर
गुलाब चढ़ा देना ,
एक बेवफा के लिए शहीद हो गए ,
यह लिखा देना ।
………
क्यों रोती हो कब्र पर आकर मेरी ,
श्मशान मे तो चैन से जी लेने दो ।
……
प्यार करना है
तो श्मशान से करो ,
दोस्ती करनी है ,
तो दिल के विरान से ।
…..
हर अच्छा काम शान से करो ,
अगर मुहब्बत करनी है ,
तो भगवान से करो ।
……..
मेरी जिदंगी है श्मशान का विरना ,
पता देना अगर कोई पता पूछे ,
तो श्मशान का ठिकाना ।
……..
