जय का विलोम शब्द Jay ka vilom shabd kya hai ?

जय का विलोम शब्द या जय का विलोम , जय का उल्टा क्या होता है ? Jay ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
जय    ‌‌‌पराजय
JayParajay

‌‌‌जय का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों जय के बारे मे आपने सुना ही होगा ।जय का विलोम शब्द होता है पराजय। जय का मतलब विजेता होता है। यदि आप एक विजेता हैं तो आपके लिए जय शब्द का प्रयोग किया जाएगा । जय का मतलब होता है जितने वाला या जो जीत दर्ज करता है उसको जय कहा जाता है।

जय का विलोम शब्द

‌‌‌जैसे कि 100 लोग एक दौड़ के अंदर हिस्सा ले रहे हैं और उस दौड़ मे एक व्यक्ति सबसे पहले आता है और तय समय मे बाकी भी आते हैं तो जो तय समय मे आता है । उसके लिए जय शब्द का प्रयोग किया जाता है। जय मतलब जो विजेता होता है।

‌‌‌आजकल आप जर जगह पर कम्पीटिशन को देख रहे हैं लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि आजकल दो चीजें सबसे अधिक चलती है। एक तो घूस और दूसरा टेलेंट । यदि आपके पास टेलेंट है तो आपके पास नौकरियों की लाइन होगी । लेकिन यदि आपके पास टैलेंट नहीं है तो फिर कुछ भी नहीं हो सकता है।  ‌‌‌बट यदि आपके पास घूस देने के लिए अच्छा पैसा और जैक है तो कोई समस्या नहीं है। आपको नौकरी मिल ही जाएगी । हमारे यहां पर एक मेडिकल कॉलेज खुली तो उसके अंदर नौकरी के फोर्म भरे गए । मेरे घरवालों ने कहा कि मुझे भी वहां पर अप्लाई करना चाहिए ।मैंने पहले ही मना कर दिया लेकिन जब घरवालों ने जोर देकर ‌‌‌कहा तो हमको उनकी बात को मानना पड़ा ।उसके बाद मैंने वहां पर फोर्म अप्लाई किया और फिर कुछ साल इंतजार किया फोर्म रिजेक्ट कर दिया और फिर अपने जैक वालों को भर्ति कर लिया । यह सिर्फ उस जगह की कहानी ही नहीं है। वरन यह और भी बहुत सारी जगह की कहानी है।

‌‌‌यदि आप कोई भी पराइवेट नौकरी भी करने के लिए जाते हैं तो भी आपको जैक लगाना होगा बिना जैक के कुछ भी नहीं हो पाएगा । क्योंकि यदि लोग आपको जानते ही नहीं हैं तो कौन अपने काम पर रखेगा ? खैर यदि बात जय की करें तो आप जय तभी होंगे जो दो उपर बताई चीजें आपके अंदर होगी । यदि उपर बताई चीजें आपके अंदर ‌‌‌ नहीं हैं तो फिर आपको विजेता बनने के लिए उन चीजों को हाशिल करना होगा ।आप किसी भी सफल इंसान के जीवन को उठाकर आप देख सकते हैं। वह विजेता इसलिए है क्योंकि उसने टेलेंट को हाशिल किया । यदि आप टैलेंट को हाशिल करने मे सफल होते हैं तो फिर आप विजेता ही होंगे । इसमे कोई भी शक नहीं है।

‌‌‌लेकिन यदि आप सोचते हैं कि बैठे बैठे ही सब कुछ मिल जाएगा तो आप गलत सोच रहे हैं। अक्सर ऐसा कभी भी नहीं होगा । वरन लोग आपके आगे चले जाएंगे और आप उनके पीछे चले जाएंगे । इसके सिवाय कुछ होगा भी नहीं ।

‌‌‌अक्सर क्या होता है कि जो लोग समय के साथ नहीं चल पाते हैं ।वह एक दिन पीछे छूट जाते हैं और जो समय के साथ थे वे एक दिन आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन यदि बात करें सच्चे विजेता की तो इस दुनिया मे सच्चा विजेता वह है जो अपने मन को जीत लेता है। उसे वश मे कर लेता है। ऐसे इंसान को दुनिया जिनते की ‌‌‌ कोई भी जरूरत नहीं होती है। क्योंकि मन ही तो वह कारण है जिससे दुनिया जीतने की जरूरत अनुभव होती है।

‌‌‌पराजय का अर्थ

दोस्तों एक होती है जय और दूसरी होती पराजय ।पराजय का मतलब होता है। हार जाना । या फैल होना । जैसे कि आप परीक्षा देने के लिए जाते हैं और आप उस परीक्षा मे फैल हो जाते हैं  यही आपकी पराजय होती है।

‌‌‌वैसे पराजय अलग अलग किस्म की होती है।बस फर्क इतना होता है कि कुछ पराजय का महत्व अधिक होता है तो कुछ को हम इग्नोर कर देते हैं। कारण यही है कि उसका महत्व आपके लिए अधिक नहीं होता है। जैसे कि यदि आप अपने दुश्मन से पराजित होते हैं तो उसका महत्व अधिक है लेकिन यदि आप अपनी बीवी से पराजित ‌‌‌ होते हैं तो फिर उसमे आप अपनी हार नहीं समझते हैं। वैसे दोस्तों जीवन के अंदर हार और जीत का सिसिला लगा ही रहता है। क्योंकि हार के बाद ही जीत आती है। जो हार को झेल लेता है वही तो जीत का स्वाद चख पाता है। लेकिन यदि आप हार को नहीं झेल पाते हैं तो फिर ‌‌‌आप जीत का स्वाद कैसे चख पाएंगे ।

यदि आप हारना जानते हैं । हार के बारे मे आप सब कुछ जानते हैं तो आपको जीत का स्वाद चखने से कोई रोक नहीं सकता है।आपको बतादें कि एक हारा हुआ या पराजित हुआ इंसान ही तो जीत दर्ज करता है।

‌‌‌इसलिए आप हारना सीखीए । यदि आप हारना अच्छी तरह से सीख चुके हैं तो आप जीत पाएंगे । क्योंकि जितने के लिए आपको हार के कारणों का अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यदि आप पराजय के बारे मे ठीक से नहीं जानते हैं तो फिर आप जीत भी कैसे सकते हैं ?

‌‌‌लेकिन एक इंसान के रूप मे हम आपको सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि आप चिंता ना करें । हार और जीत की क्योंकि जय और पराजय तो प्रकृति के गुण हैं । और यह सब चलता रहता है। इंसान को दोनों के अंदर ही सम रहना चाहिए । उसे ना तो पराजय पर शौक ही व्यक्त करना चाहिए और ना ही जीत पर खुश होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आप महाज्ञानियों की बात करेंगे तो आप देखेंगे कि महाज्ञानी इंसानों ने राक्षसों को मारने के लिए युद्ध किये । लेकिन उन्हें ना जय की चिंता था तो ना ही पराजय की क्योंकि वे जीवन के सत्य को अच्छी तरह से जानते थे । वे यह भी जानते थे कि यह जीवन वैसे भी समाप्त होने वाला है। लेकिन वे कभी ‌‌‌ भी समाप्त नहीं होगे ।इसलिए वे हमेशा निडर होकर युद्ध लड़ते थे । लेकिन अफसोस ऐसे महाज्ञानी इंसान अक्सर समाज के अंदर कम ही देखने को मिलते हैं। और अधिकतर लोग योगी के रूप मे जीवन बिताते हैं जोकि दुनिया के सामने भी नहीं आते हैं।

‌‌‌क्योंकि ज्ञान होने के बाद कम लोग ही दुनिया के सामने आना पसंद करते हैं।वे बस अपनी ही दुनिया मे व्यस्थ रहते हैं । बाहर की दुनिया से वे पूरी तरह से कट जाते हैं।

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