Naash ka vilom shabd नाश का विलोम शब्द ?

नाश का विलोम शब्द, नाश शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, नाश का उल्टा Naash ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
नाश निर्माण
NaashNirman
            

‌‌‌नाश का विलोम शब्द

नाश का विलोम शब्द

दोस्तों नाश का विलोम शब्द होता है निर्माण । असल मे नाश का मतलब नष्ट हो जाना । जब इंसान का शरीर मर जाता है तो उसके बाद वह तेजी से नष्ट होने लग जाता है। और यदि वह कुछ ही समय ऐसा पड़े रहे तो शरीर के अंदर से बदबू आने लग जाती है। इसी वजह से काफी तेजी से मौत के बाद शरीर को ‌‌‌जला दिया जाता है।माना जाता है कि जब तक शरीर के अंदर चेतना होती है। या चेतना तत्व होता है तब तक ही वह कार्य करता है। हालांकि शरीर के नाश का क्रम पहले से ही चल रहा होता है लेकिन वह मात्र नियंत्रित होता है।

‌‌‌यदि हम बात करें नाश की तो इस धरती पर जो पैदा हुआ है।उसका अंत होता है। आपका शरीर और मेरा शरीर और कोई भी वस्तु जिसको पैदा किया गया है उसका विनाश होता है। और विनाश की प्रक्रिया चलती ही रहती है। ऐसा माना जाता है कि विनाश का क्रम कभी भी रूकता ही नहीं है।

‌‌‌नाश का क्रम आज भी जारी है तो यह हजारों सालों पहले भी वैसे ही जारी रहा था।हालांकि नाश को हम इंसानी शरीर के अंदर भूल जाते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि एक दिन हमें भी मरना ही है। तो इस दुनिया को छोड़कर जाना है।

‌‌‌आपका शरीर इस धरती से एकत्रित किया गया एकमात्र कचरे के सिवाए कुछ नहीं है। जो आपको इस धरती को लौटाना होगा । आप चाह कर भी इसको अपने साथ नहीं लेकर जा सकते हैं। यह सब नाश ही तो है। आपने देखा कि जब किसी की मौत होती है तो हम रोने लग जाते हैं। असल मे नाश को बुरा माना जाता है लेकिन यह ‌‌‌आपके लिए बुरा है। प्रक्रति के लिए इसमे कोई भी बुरा नहीं है।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि जो चीज जितनी भौतिक होती है वह उतनी तेजी से नष्ट होकर सूक्ष्म की तरफ चली जाती है और सूक्ष्म संरचनाएं जुड़कर भौतिक बन जाती हैं। यह बात हजारों सालों पहले हिंदु धर्म के अंदर बतायी जा चुकी हैं। और विज्ञान भी आज इसको सिद्ध कर चुका है कि ‌‌‌यहां पर आपको जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह बस सूक्ष्म चीजों की संघनता ही है। एक वस्तु कई सारे इलेक्ट्रोन और प्रोटोनें से बनती है। और जब उसके अंदर मौजूद चीजें बिखर जाती हैं तो फिर आपको वह उस स्वरूप के अंदर नहीं दिखाई देती है।

‌‌‌इस प्रकार से आपको यह पता होना चाहिए  कि किसी भी चीज का स्वरूप बदलता है जिसको नाश हम कहते हैं लेकिन पूर्ण नाश संभव नहीं है। यदि आप लकड़ी को जलाते हैं तो आप लकड़ी के स्वरूप को बदल देते हैं। उससे राख बन जाती है। लेकिन आप लकड़ी को पूरी तरह से नाश नहीं कर सकते हैं। ‌‌‌यही बात हर संदर्भ मे लागू होती है।तो आप समझ सकते हैं कि नाश का मतलब क्या होता है ?

‌‌‌निर्माण का अर्थ और मतलब

दोस्तों निर्माण के बारे मे तो आप जानते ही हैं।निर्माण का मतलब होता है। रचना करना । रचना का अर्थ बनाना । यदि कोई मकान है और आप उसको ईंट और पत्थर को जोड़कर बनाते हैं तो उसे निर्माण करना ही कहेंगे। आपने देखा होगा कि आपके आस पास बहुत सारे मकान काफी तेजी से खड़े हो रहे ‌‌‌यह सब निर्माण ही तो है।

तो आप निर्माण का मतलब समझ चुके होंगे। जो भी नई नई चीजें बनाई जा रही हैं वह निर्माण के अंदर आती हैं। आप खुद का भी निर्माण हुआ है लेकिन इसका निर्माण प्रकृति ने किया है।

‌‌‌नाश की कहानी

दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक राज्य के अंदर एक बहुत ही अत्याचारी राजा रहता था। वह पूरे राज्ये से कड़े कर की वसूली करता था और पूरे दिन सुंदरियों के साथ ऐश करता था। यदि कोई उसके खिलाफ विद्रोह कर देता तो उसको गाजर मूली की तरह काट कर फिंकवादेता था।‌‌‌इस राजा के शासन काल के अंदर सभी दुखी थे ।और चाहते थे कि इस राजा का विनाश हो । राजा कई प्रकार के बीमारियों का शिकार था। वह शराब करता और गांजा ,भांग का भी सेवन करता था। कुल मिलाकर वह एक घटिया किस्म का राजा था।

‌‌‌उस राजा का एक करीबी मंत्री था जो काफी अच्छा इंसान भी था। मंत्री को राजा पसंद नहीं था। कुछ साल वह ऐसे ही देखता रहा और एक दिन मौका पाकर राजा को मंत्री ने ही जहर देदिया । जिससे राजा मरा नहीं लेकिन अपंग हो गया ।

‌‌‌और मंत्री खुद राजा बन गया । मंत्री काफी चालाक था। वह जानता था कि राजा के विश्वासी लोग विद्रोह कर सकते हैं तो उसने राज्य के कई लोगों से बचाने की विनती की ।

 समय पर जब पता चला कि राजा को जहर देदिया गया है तो राजा के विश्वासी सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और मंत्री को मारने का प्रयास किया ‌‌‌लेकिन इतने मे बहुत सारे राज्य के लोग तलवार और अन्य लड़ाई के सामान लेकर मंत्री को बचाने के लिए  आ गए । बड़ी संख्या मे आते लोगों को देख राजा के कुछ विद्रोही सैनिक काफी डर गये और उन्होंने क्षमा मांग लिया ।

‌‌‌उधर राजा को यह यकीन नहीं था कि उसका मंत्री ही धोखा दे सकता है। राजा ने मंत्री को बुलाया और पूछा तुमने मुझे मारने की कोशिश क्योंकि ………इस प्रकार के इंसान को जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है जो सच मे इंसानियत का दुश्मन हो ।

……..लेकिन तुमने राज्य के लिए मुझे मारा ।

…..नहीं मुझे ‌‌‌राज्य का शौक नहीं है। मैंने सिर्फ मानवता के लिए ही तुमको मारने की कोशिश की थी। क्योंकि तू इंसानों का दुश्मन है।

‌‌‌इस प्रकार से इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है कि इंसान चाहे कितना भी तकतवर क्योंना हो एक ना एक दिन उसकी ताकत छिन ही जाती है। और उसके बाद उसे बिना ताकत के रहना पड़ता है।‌‌‌जो लोग अपनी ताकत के उपर घमंड करते हैं उनको यह समझना चाहिए कि एक ना एक दिन उनका भी अंत होगा । आज दूसरों का अंत करके खुश होने वाले क्या एक दिन अपने अंत पर भी जश्न मनाने के लिए तैयार हैं क्या ।

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