pasand ka vilom shabd ‌‌‌

‌‌‌पंसद का विलोम शब्द क्या होता है ? पसंद का उल्टा ,पंसद का विपरित शब्द क्या होता है ? pasand ka vilom shabd

शब्द (word)विलोम(apposition)
पसन्दनापसन्द
PasandNapasand

‌‌‌पसंद का विलोम शब्द और अर्थ Antonyms and meanings of choice

‌‌‌पसंद का मतलब होता है जो चीज आपके मन को भा जाए जैसे कि आप किसी जगह पर जूते खरीदने के लिए जाते हैं और वहां पर कोई जूतों की जोड़ी आपके मन को सबसे अधिक अच्छी लगती है तो वह आपकी पसंद होती है।इसी प्रकार से यदि कोई कपड़ा आपको अच्छा लगता है तो वह भी आपकी पसंद होती है। वैस आपको बतादें कि इंसान की ‌‌‌पंसद कभी भी स्थिर नहीं रहती है। वह हमेशा बदलती रहती है। जैसे आप किसी दुकान पर गए वहां पर आपने एक कपड़ा देखा जो पसंद किया लेकिन आप किसी दूसरी दुकान पर गये । वहां पर आपने कोई और कपड़ा देखा तो वह आपको अधिक अच्छा लगा तो वह भी आपको पसंद आ गया । ‌‌‌इस प्रकार से एक ही चीज के अंदर पसंद के कई सारे स्तर मौजूद होते हैं।आमतौर पर हर इंसान की इच्छा होती है कि वह उंचे स्तर की पसंद वाली वस्तु का चुनाव करे । और यही ठीक रहता है।

Vilom Shabd of Pasand

‌‌‌वैसे पसंद वर्ड बहुत अधिक व्यापक होता है।दुनिया के अंदर जितनी भी चीजें हैं सब के अंदर पंसद और ना पसंद होती है। एक छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी चीज तक पसंद और ना पसंद मौजूद होती है।

‌‌‌नापसंद का अर्थ और मतलब Meaning of Dislike

दोस्तों ना पसंद का अर्थ होता है जो आपके मन को मोह ना कर सके वह आपकी ना पसंद होती है। जैसे कि आप कहीं पर लड़की देखने के लिए जाते हैं और वहां पर आपको वह लड़की पसंद नहीं आती है तो हम उसे आपकी नापसंद ही तो कहेंगे।

‌‌‌जिस प्रकार से पसंद होती हैं उसी प्रकार से ना पसंद भी होती हैं।लेकिन आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि एक इंसान की ना पसंद हमेशा पसंद कि तुलना मे अधिक होती हैं। कारण यह है कि दुनिया के अंदर अधिकतर चीजें ना पसंद ही होती हैं। पसंद वह होती हैं जो हमसे जुड़ी हैं और प्रिय भी हैं।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि नापसंद के भी स्तर होते हैं।जैसे कि कुछ चीजों को हम बहुत अधिक नापसंद करते हैं तो कुछ चीजों को सामान्य रूप से नापसंद करते हैं तो कुछ चीजों के प्रति उदासीन होते हैं वो भी एक तरह से ना पसंद वाली ही होती हैं।

‌‌‌पसंद और ना पसंद दो बहनों की कहानी

दोस्तों  प्राचीन काल की बात है एक गांव के अंदर दो बहने रहा करती थी ।इनका नाम पसंद और नापसंद था। दोनों का व्यवहार और शक्ल एक दूसरे के विपरित थी। पसंद जहां अच्छी शक्ल वाली थी तो नापसंद खराब और काले रंग की थी। जब दोनों विवाह योग्य हुई तो पिता ने आनन फानन ‌‌‌लड़के देखना शूरू कर दिया ।

कई लड़के दोनों बहनों को देखने के लिए आए लेकिन नापसंद बहन किसी को भी पसंद नहीं आती थी । जबकि पसंद को हर कोई पसंद कर लेता था। उसके बाद अंत मे एक लड़के को नापसंद भी पसंद आ गई । बाप ने धूमधाम से दोनो की शादी करदी ।

‌‌‌दोनों बहनो का ससुराल दूर दूर था।पसंद बहन इतनी अच्छी थी कि ससुराल जाते ही सब का दिल जीत लिया और सारे काम बहुत ही अच्छे तरीके से करती थी। उसका पति भी उसे बहुत अधिक पसंद करता था। उसके कुछ समय बाद पति तो विदेश चला गया और पसंद को एक बेटा भी हुआ । वह भी उसके जैसा ही था।

‌‌‌इस प्रकार से पसंद अपना जीवन काफी खुशी से जी रही थी लेकिन पसंद के पति की मौत विदेश के अंदर ही हो गई थी। उसके बाद पसंद के बुरे दिन शूरू हो गए ।हालांकि घर वाले पसंद को किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देते थे लेकिन उसको अपने पति की बहुत अधिक याद आती थी। ‌‌‌ अपने पति कि याद के अंदर वह सूखती ही चली गई और अंत मे बिस्तर पकड़ लिया ।

एक बार उसकी बहन नापसंद उसे मिलने के लिए आई तो बोली …….बहना तू अपनी कैसी हालत बना रखी है। आज मैं पसंद हो गई हूं और तू ना पसंद होती जा रही है। यह कैसा खेल है। आज से कुछ साल पहले जब मेरी शादी होकर आई थी तो मैं सबके ‌‌‌लिए अपने नाम के अनुसार ही नापसंद थी लेकिन अब समय बदल चुका है।मैं पसंद हो चुकी हूं और तुमको मैं देख रही हूं कि तुम्हारे पति की मौत होने के बाद तुम्हारी कोई कद्र नहीं कर रहा है।

‌‌‌…….क्या करूं बहना अब मेरा समय आ चुका है। पसंद रोते हुए बोली

……….नहीं अभी तो तुम्हें अपने बच्चे के लिए जीना है।

…….नहीं मैं अब जिंदा नहीं रह सकती हूं । कल मेरी सास कह  रही थी कि मैं अब सबके उपर बोझ हूं इसलिए वह मेरे को अपने पिहर भेजना चाहती है जबकि तू तो जानती ही है कि ‌‌‌पिहर के अंदर कोई भी नहीं है।भाई भाभी को हमारी कोई कद्र नहीं है।

‌‌‌………ठीक है बहना खुद को जिंदा रखने की कोशिश कर ।समय का चक्र ऐसा होता है कि वह शेर को भी चूहा बनाने के लिए विवश कर देता है। कल तक तुझे अपने रूप पर घमंड था लेकिन आज तेरा वह रूप न जाने कहां खो चुका है। तुझे भी इस बात का एहसास हुआ होगा ।

—- ‌‌‌सब जान चुकी हूं कि इस दुनिया के अंदर कुछ भी स्थाई नहीं है। यहां पर सब कुछ बदलता रहता है। पहले मैं सोचा करती थी कि सब खुशियां ऐसे ही रहेंगी लेकिन आज पता चला कि सुख के बाद तो दुख आना तय ही होता है वो बात अलग है कि हम दुख को सुख के जैसे जीते हैं तो हम जीना सीख गए हैं।

‌‌‌और उसके बाद पसंद नें वहीं पर अपने प्राण त्याग दिये । कल तक जो सबकी पसंद थी आज उसकी मौत पर कोई भी रोया ही नहीं था क्योंकि अब वह सबकी ना पसंद बन चुकी थी। यदि आप ना पसंद हैं तो पसंद बनने के लिए भी आपको तैयार रहना होगा ।

पसंद का विलोम शब्द Vilom Shabd of Pasand लेख के अंदर हमने पसंद और ना पसंद के बारे मे विस्तार से जाना । इसके अलावा एक कहानी के माध्यम से भी पसंद और ना पसंद को विस्तार से बताया गया कि किस प्रकार से जीवन मे पसंद और ना पसंद आती रहती हैं।

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