सभ्य का विलोम शब्द क्या है Sabhy ka vilom shabd kya hai ?

सभ्य का विलोम शब्द या सभ्य का विलोम , सभ्य का उल्टा क्या होता है ? Sabhy  ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
सभ्यबर्बर
SabhyBarbar

‌‌‌सभ्य का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌सभ्य का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों सभ्य का विलोम शब्द होता है असभ्य । सभ्य का मतलब शालीन होता है। आपको यह पता होना चाहिए कि इंसान सदैव से ही ऐसे नहीं थे । एक समय ऐसा था जब हम लोग जंगली थे । और हम पूरी तरह से असभ्य थे । खैर धीरे धीरे लोगों के अंदर जानकारी बढ़ने लगी और सभ्य बनने लगे । ‌‌‌सभ्य का मतलब होता है अच्छे से रहना और अच्छे गुणों को अपनाना । जैसे कि हम कपड़े पहनते हैं सलिके से बोलते हैं और हर काम को सही ढंग से करते हैं तो यह सभ्य होने की निशानी है।

‌‌‌आज हम भले ही अपने शरीर के मिट्टी नहीं लगने देते हैं लेकिन एक समय ऐसा था।जब हम लोग रेत के अंदर रहते थे और लंबे समय तक नहाते भी नहीं थे । धीरे धीरे सब कुछ विकास हुआ है। आज हम पक्के घरों मे रहते हैं। हर घर के चारो ओर दीवार बना हुआ है। और सब कुछ सलीके से करते हैं।

‌‌‌सभ्य का मतलब ही यही है कि हमारे अंदर जो जंगली पन के गुण होते हैं।वे गुण समाप्त हो चुके हैं। लेकिन हकीकत तो यह है कि आज भी हम पूरी तरह से सभ्य नहीं हुए हैं। दुनिया के अंदर आज भी कई मानव प्रजातियां ऐसी हैं जोकि आज भी जंगलों के अंदर रहती हैं और ‌‌‌ना तो उनके खाने का कोई ढंग है और ना ही उनके पहनने का कोई ढंग है।वे लोग ऐसे ही घूमते हैं मांस खाते हैं और कच्चे घरों के अंदर रहते हैं।

‌‌‌आपको यह पता होना चाहिए कि इंसान सिर्फ एक दिन के अंदर ही सभ्य नहीं हुआ है।इंसान को सभ्य होने मे काफी समय लगा है। और इसके लिए न जाने कितने साल लग गए हैं।एक समय ऐसा था जब हम लोग कभी नहाते भी नहीं थे और आज का समय है कि हर इंसान दिन मे एक बार तो कम से कम नहाता ही है।

‌‌‌धीरे धीरे हमको यह पता चला कि न नहाने से शरीर बीमार हो जाता है। हालांकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। समय समय शरीर को साफ रखने से बीमारियों से बचा जा सकता है।

‌‌‌इसके अलावा हमने खाने पीने के सही तरीकों के बारे मे सीखा किन चीजों को हमे खाना चाहिए और किन चीजों को हमे नहीं खाना चाहिए इस बारे मे भी हमने विस्तार से जाना ।

‌‌‌और एक समय ऐसा था जब हमको पढ़ना लिखना भी नहीं आता था। शिक्षा जैसी कोई चीज नहीं थी । उसके बाद इंसानों ने कुछ संकेत विकसित किये और धीरे धीरे भाषा का निर्माण हुआ । आप समझ सकते हैं कि सब कुछ धीरे धीरे हुआ है और हम सभ्य बनते चले गए ।

‌‌‌आज भी विकास ज्यों का त्यों चल रहा है।हम खुद के रहन सहन को काफी तेजी से बदल रहे हैं। हम सब कुछ बदल रहे हैं जोकि सही नहीं है। विकास कभी भी समाप्त नहीं होता है। असल मे विकास को ही तो हम लोग सभ्यता की तरह देखते हैं। ‌‌‌पहले हमारे यहां पर धोती पहनते थे लेकिन लेकिन धीरे धीरे धोती समाप्त हो चुकी है। और उसके स्थान पर लोग पैंट पहनने लगें हैं तो यह सब सभ्यता की तरफ बढ़ रहे हैं। वैसे धोती कोई असभ्य नहीं है।

‌‌‌बर्बर का अर्थ और मतलब

दोस्तों बर्बर शब्द आपने बहुत ही बार सुना होगा ।बर्बर इंसान का मतलब होता है अत्याचारी इंसान । एक ऐसा इंसान जोकि अत्याचार करता है उसके लिए यह शब्द प्रयोग किया जाता है।

‌‌‌बर्बरता असल मे जानवरों मे तो होती ही है। एक बार मे एक विडियो देख रहा था जिसके अंदर एक शेर एक जीवित हिरण को खा रहा था । और वह हिरण दर्द से तड़प रहा था। यही बर्बरता है। ऐसा नहीं है कि शेर के अंदर ही बर्बरता है असल मे इंसानों के अंदर तो शेर से भी गंदी बर्बरता होती है।

‌‌‌ऐसा नहीं है कि इंसानों को पता नहीं होता है । शेर को चलो मान लेते हैं कि उसे पता नहीं है। लेकिन इंसानों को तो पता ही है उसके बाद भी ऐसा करते हैं। आपने आज तक न जाने कितने विडियो देखे होंगे । जिसके अंदर कुछ इंसान किसी दूसरे इंसान को पीट पीट कर मार रहे होते हैं।

‌‌‌और मारने के बाद यह लोग उस लास को कहीं पर फेंक कर भाग जाते हैं और उसके बाद पुलिस उनके पीछे होती है। और उनको तलास करती है कोर्ट मे पैस करती है और उसके बाद वे छूट जाते हैं। बस यही नाटक चलता रहता है।

‌‌‌बर्बरता से बचने का एक ही तरीका होता है और वह किसी तरह की कोर्ट कचहरी नहीं होता है वरन खुद का बदला खुद लेना । आपको यह याद होना चाहिए कि आप कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है। यदि आप सचमुच एक महान भारत की धरती मे पैदा हुए हैं और भारत के महान लोगों और संतो को फोलो करते हैं तो आपको पता होगा कि ‌‌‌इस धरती पर पैदा होने वाले राम जैसे महान लोग अपने दुश्मन रावण से कभी भी घृणा नहीं करते हैं। क्योंकि उनका लक्ष्य रावण नहीं बुराई थी। और वे महा ज्ञानी इंसान सब कुछ जानते थे ।

‌‌‌आज आप देख रहे हैं कि कि हर तरफ हिंदु धर्म की आलोचना हो रही है। हिंदु धर्म की आलोचना हो रही है वह तो ठीक है लेकिन उस चक्कर मे लोग बुरी चीजों से चिपकते जा रहे हैं। और उनकी तर्क और बुद्धि नष्ट हो चुकी है। इसी तरह से एक दिन सही लोग आपस मे ही लड़कर नष्ट हो जाएंगे । और इस धरती को बरबाद ‌‌‌ कर देंगे । लेकिन असल मे असल मे सच्चाई को हम झूठला सकते हैं लेकिन उसको दुनिया की कोई ताकत नहीं मिटा सकती है। एक ना एक दिन यही सच्चाई सामने आएगी ।

‌‌‌दोस्तों आपको यह पता होना चाहिए कि आप जब अपने कर्मों को करते हैं तो उसकी छाप आपके मन मे अंकित होती है। यह धर्म नहीं विज्ञान है। और यह सिस्टम ही ऐसा है। और जब आप बर्बर होते हैं तो आपके अंदर वैसे ही संस्कार पड़ जाते हैं जो आपको मरने के बाद भी परेशान करते हैं।

‌‌‌यही वजह है कि अच्छे अच्छे प्रभावशाली लोग मरने के बाद भूत प्रेत बनकर तड़पते रहते हैं वहां पर वे अपने अच्छे वकील नहीं खड़े कर पाते हैं। इसलिए कर्मों की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी । और उपर ऐसे लोगों की कोई मदद नहीं करता है। ‌‌‌मदद सिर्फ अच्छे लोगों की होती है।

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