उत्थान का विलोम शब्द है uthane ka vilom shabd

उत्थान का विलोम शब्द, उत्थान शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मूर्ख का उल्टा , uthane ka vilom shabd,

शब्द (word) विलोम (vilom)
उत्थान‌‌‌पतन  
UtthanPatan
Upliftment    The fall    

‌‌‌उत्थान का विलोम शब्द और अर्थ Upliftment

दोस्तों उत्थान का विलोम शब्द पतन होता है।उत्थान का अर्थ होता है उपर उठना । यदि आप अपने किसी कार्य के अंदर प्रगति करते हैं तो उसको हम उत्थान कहते हैं। जैसे आप कोई बिजनेस चला रहे हैं और उसके अंदर आपकी प्रगति होती है। जैसे बिजनेस आगे बढ़ता है ‌‌‌तो इसको उत्थान कहा जाता है।उत्थान हर कोई चाहता है। क्योंकि उत्थान ही वह चीज है जो अधिक सुख को बनाए रख सकते है। वैसे भी उत्थान तो होता ही है लेकिन उसके बाद पतन भी होता है। इसी प्रकार से उत्थान और पतन का चक्र चलता रहता है।‌‌‌ जब उत्थान होता है तो हम खुश होते हैं क्योंकि हमे अपनी प्रगति का मजा मिलता है। लेकिन जब पतन होता है तो हम काफी दुखी हो जाते हैं।

उत्थान का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌पतन का अर्थ और मतलब fall

दोस्तों पतन का अर्थ होता है नीचे गिरना ।‌‌‌जैसे आप अपने बिजनेस से 1 लाख रूपये महिना कमा रहे हैं तो अचानक से यदि आप 80 हजार रूपये कमाने लग जाते हैं तो यह आपका पतन होगा । पतन सिर्फ बिजनेस के अंदर ही नहीं होता है। पतन समाज का भी होता है। पतन चरित्र का भी होता है। पतन शब्द कई अर्थों के अंदर या कई प्रकार का होता है।

‌‌‌बात करें यदि चरित्र पतन की तो आज इंसानों का जितना चरित्र पतन हुआ है। उतना कभी नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि समाज के अंदर वह शिक्षा ही नहीं बची है जो इंसान के चरित्र को बनाए रख सके । यही कारण है कि रिश्तों के अंदर भी अब अविश्वास बन चुका है। आपने देखा होगा कि भाई बहन तक आपस मे शादी ‌‌‌ करते हुए देखे गए है।

‌‌‌और मोर्डन युग के बारे मे तो आप जानते ही हैं।अंग पर्दशन करना एक फैसन बन चुका है। आप यदि बड़ी बड़ी सीटी के अंदर जाएंगी तो लड़कियां अंग्रेज बनकर घूम रही हैं जोकि काफी बेहतरी सोच को दर्शा रहा है।

‌‌‌इसके अलावा सामाजिक पतन का मतलब यह है कि अब समाज का ताना बाना पूरी तरह से बिखर चुका है। एक भाई दूसरे को पसंद नहीं करता है। और दोनों जमीन को धन के लिए झगड़ते हैं। 

‌‌‌उत्थान और पतन की कहानी

प्राचीन काल की बात है एक गांव के अंदर उत्थान और पतन दो भाई रहा करते थे । उत्थान अपने नाम के अनुसार ही उपर की ओर अग्रसर होता जा रहा था। वही पतन अपने नाम के अनुसार ही पतन की तरफ जा रहा था। दोंनो भाइयों की दिसा एक दूसरे के विपरित थी।

‌‌‌उत्थान समय समय पर खुद के अंदर सुधार करता और गुरू की हर आज्ञा का पालन करता था।जबकि पतन गुरू की आज्ञा का कभी भी सही ढंग से पालन नहीं करता था और कुछ भी सीखने के अंदर रूचि नहीं दिखाता था।‌‌‌इसी प्रकार से समय बीतता चला गया और दोनों भाइयों ने अपनी शिक्षा को पूरा कर लिया । उसके बाद जब गुरूकुल से जाने का समय आया तो गुरू ने दोनों को बुलाया और कहा ……..मैं तुम दोनों की परीक्षा लेना चाहता हूं । और उसके बाद ही मैं यह तय कर पाउंगा कि तुम कितना सीख पाए हो ?

——-‌‌‌तुम दोनों यहां से जाओ और दुनिया की सबसे सुंदर स्त्री के साथ शादी करके लाओ ?

गुरू की आज्ञा थी तो दोनों को वहां से जाना पड़ा दोनों दो दिसाओं के अंदर निकल पड़े और उसके बाद ‌‌‌ उत्थान चलते हुए एक राज्य के अंदर पहुंचा ।उसने वहां के राजा का नाम पूछा और वहीं पर एक कुटिया के अंदर रहने लगा अपने जीवन यापन के लिए लोगों को ज्ञान के उपदेश देता था। बहुत से लोग उसके ज्ञान से प्रभावित होकर उसके शिष्य बन गए ।‌‌‌ लेकिन अभी तक उसे वह महिला नहीं मिली थी जिससे वह शादी कर सके ।एक बार एक महिला आश्रम के अंदर रोते हुए आई और बोली …….महाराज मेरे उपर कृपा कीजिए और मुझसे शादी कर लिजिए मैं विधवा हूं और सब लोग मुझे बुरी नजर से देखते हैं। लेकिन मैं एक सम्मान जनक जीवन जीना चाहती हूं ।

‌‌‌उत्थान ने उस महिला से कई सवाल पूछे तो महिला ने ठीक ठीक उत्तर दिये । इससे उत्थान को वह महिला पसंद आ गई और वह उत्थान के साथ उनकी कुटिया के अंदर रहने लगी ।

‌‌‌उधर पतन भी एक राज्य के अंदर पहुंचा और अपनी तांत्रिक ताकतों का गलत प्रयोग करके महल को छीन कर उसी के अंदर रहने लगा । वह अपनी तंत्र क्रिया का प्रयोग करता और कई चमत्कार दिखाता । उसके चमत्कार की वजह से लोग उसके बहुत अधिक धन देने लगे ।‌‌‌उस धनी को देखकर कई स्ति्रयों ने उससे शादी का प्रस्ताव रखा । वह एक के बाद एक स्त्री से शादी करता रहा । और उसके बाद वह भोग विलास मे इतना अधिक डूब गया कि उसे याद नहीं रहा कि गुरू ने क्या कहा था। इसी प्रकार से समय बीतता चला गया ।

‌‌‌उधर उत्थान अपने गुरू के पास पहुंचा और बोला ………आपके कहे अनुसार मैंने इस स्त्री को अपनी पत्नी बनाया है।

……….लेकिन यह तो विधवा है ?

………लेकिन महाराज यही बस मुझे मेरे योग्य लगी थी।

…….ठीक है तुमने बहुत उत्थान किया है। लेकिन मैं अपनी द्रष्टि से देख रहा हूं कि ‌‌‌ तुम्हारा भाई तो पतन की तरफ जा रहा है।और उसने कई स्त्री से शादी की है जो उसके जैसी ही हैं वे बस भोग विलास के अंदर विश्वास रखती हैं। तुम्हारे भाई का पतन दिन ब दिन होता जा रहा है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो उसके मरने के बाद उसका जन्म नीच योनियों मे होगा ।

———–‌‌‌लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं उसके पशु संस्कार बहुत अधिक प्रबल हैं।‌‌‌मैंने भी उसको बहुत अधिक समझाने का प्रयास किया लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आया । आज वह पहले की तुलना मे अधिक पतन के मार्ग पर जा चुका है। और यह मार्ग बस विनाश की ओर जाता है। क्योंकि इंसान की वासनाएं कभी भी पूरी नहीं हो सकती हैं। जितना भोग करोगे उतनी ही कामना बढ़ती जाएगी ।‌‌‌ और वह एक ऐसी कामना होगा जो कभी शांत नहीं होगी ।

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