Vardan ka vilom shabd वरदान का विलोम शब्द?

वरदान का विलोम शब्द, वरदान शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, वरदान का उल्टा Vardan ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
वरदानअभिशाप  
VardanAbhishap
            

‌‌‌वरदान का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों वरदान का विलोम शब्द अभिषाप होता है। असल मे वरदान का मतलब वचन होता है। वरदान शब्द के बारे मे हमने और आपने बहुत अधिक सुना ही होगा क्योंकि वरदान शब्द का उल्लेख प्राचीन काल से ही मिलता है। ‌‌‌कथा कहानियों और धर्म ग्रंथों के अंदर वरदान शब्द के बारे मे उल्लेख मिलता है।वरदान का मतलब होता है वचन देना । वरदान शब्द का प्रयोग देवताओं के लिए किया जाता है। क्योंकि राक्षसों के लिए कोई वरदान नहीं होता है। अक्सर राक्षस छल कपट वाले होते हैं। यह सिर्फ उस समय की ही बात नहीं है।

Vardan ka vilom shabd

आज भी ‌‌‌बहुत से इंसान राक्षसी गुण वाले होते हैं और छलकपटी होते हैं।उनके लिए कोई वरदान नहीं होता है ।क्योंकि वरदान देना उसकी क्षमता से बाहर की बात होती है।लेकिन देवता वरदान दे सकते हैं। यदि आप कहानियां पढ़ते हैं तो आपने पढ़ा होगा कि ‌‌‌रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था और उसके बाद उनसे यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका वध किसी भी तरह से नहीं हो पाएगा । इसी प्रकार से गुरू द्रोण को इच्छा म्रत्यु का वरदान प्राप्त था। हनुमानजी को वरदान था कि वे अमर होंगे । तभी तो हनुमानजी की मौत के बारे मे कहीं पर ‌‌‌भी उल्लेख नहीं मिलता है।

‌‌‌वैसे देखा जाए तो वरदान केवल सामर्थ्य वान ही दे सकते हैं वे दूसरों को क्या वरदान दे सकते हैं जोकि खुद भूखे हैं। यदि आप किसी राक्षस से वरदान की अपेक्षा करेंगे तो वह उल्टा आपको ही खा जाएगा । कोरोना काल के अंदर ऐसे राक्षस धरती पर सक्रिय हो चुके हैं।

‌‌‌इस प्रकार से वरदान केवल महान लोगों के द्धारा दिये जातें ।और अक्सर यह वरदान योगियों के द्धारा ही दिये जाते हैं। योगियों की वाणी के अंदर ऐसी ताकत आ जाती है कि वे जो कुछ भी बोलते हैं वही सिद्ध हो जाता है तंत्र की भाषा के अंदर इसको वाणी सिद्धी के नाम से जाना जाता है।

‌‌‌आपने सती सावित्री की कहानी के बारे मे तो सुना ही होगा ।जिसने अपनी बातों से यमराज को फंसाया और उनसे किसी भी तरह से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि उसके सौ पुत्र उत्पन्न हो और यमराज ने उनको वरदान प्रदान कर दिया ।

लेकिन बाद मे यमराज को अपनी गलती का एहसास हुआ तो यमराज ने उनके पति को दुबारा ‌‌‌जीवित कर दिया ।यमराज उनके पति को इसलिए जीवित कर सके क्योंकि वे खुद सामर्थ्य वान थे । यदि आप सामर्थ्य वान हैं तो आप वरदान दे सकते हैं लेकिन आप खुद भूखें हैं तो आप दूसरों को वरदान नहीं देते हैं।

‌‌‌यदि आपको झूठा वरदान देखना है तो आप देखना चाहते हैं तो आप आजकल के नेता के बारे मे देख सकते हैं। वे 1000 वरदान या वादें करेंगे लेकिन उसके बाद एक भी पूरा नहीं करेंगे । और फिर जैसे ही वोट का समय आएगा । वही मुंह लेकर फिर वापस आ जाएंगे । यही चलता रहेगा । ‌‌‌वैसे तो नेताओं को अपनी कुर्सी की चिंता रहती है।और वे इस कुर्सी के लिए अपने धर्म ,मान सम्मान सबको बेच देते हैं। इसमे दोष नेताओं का भी नहीं है। असल मे जैसे लोग होते है। नेता वैसा ही चुना जाता है। यदि आप एक गधे को वोट डालने के लिए कहोगे तो वह गधे को ही चुनेगा । किसी शेर को चुनना उसके लिए  ‌‌‌संभव नहीं है क्योंकि वह शेर उसके लिए काफी घातक साबित हो सकता है।

‌‌‌अभिशाप का अर्थ

अभिशाप का मतलब बुराई या गलत होना ‌‌‌इसके अलावा अभिशाप का मतलब लांछन होना या बड़ा पाप होना होता है। आपने देखा होगा कि भारत के अंदर बेटियों का पैदा होना आज भी महापाप या अभिशाप माना जाता है। हमारी सरकारें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का अभियान चलाती हैं लेकिन एक भी बेटी को सुरक्षित करने मे असक्षम होती हैं। प्राचीन काल के अंदर एक प्रथा ‌‌‌प्रचलित हुआ करती थी कि बेटी पैदा होते ही उसे मार देते थे। क्योंकि बेटी राजाओं के लिए एक बड़ी मुश्बित हुआ करती थी। जब युद्ध होता था तो दूश्मनों के हाथ लुटने से बचने के लिए महिलाएं जिंदा ही आग के अंदर कूद जाया करती थी इसको जौहर कहा जाता था।

‌‌‌वरदान की कहानी

प्राचीन काल की बात है।देवों और राक्षसों ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की देवताओं और राक्षसों की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए  और उसके बाद देवताओं के सामने भगवान शिव प्रकट हुए और पूछा मांगों क्या वर मांगते हो ? देवताओं ने जगत के कल्याण के लिए वर्षा को मांग लिया ताकि  ‌‌‌हर जगह वर्षा हो सके । और धरती के कल्याण के लिए कार्य कर सकें। शिव ने देवताओं को वरदान दिया और उसके बाद गायब हो गए । फिर बारी आई राक्षसों की तो राक्षसों ने देवताओं से मांगा की वे जहां चाहें वहां पर आग लगा सकें। भगवान शिव ने वर दिया और चले गए ।

‌‌‌अब देवताओं ने अपनी शक्ति के बल पर धरती पर हर जगह आग लगाना शूरू कर दिया । जिससे धरती पर रहने वाले मानव काफी अधिक परेशान हो गए । और इस बात का पता जैसे ही देवों को चला वे काफी दुखी हुई ।

‌‌‌अब राक्षस जहां पर भी आग लगाते देवता वहां पर वर्षा करवाते और आग को बुझा देते । इस प्रकार से यह काफी समय तक चलता रहा । एक बार देवों ने नश्चिय कर लिया जो राक्षस इस वरदान को प्राप्त है उसे ही खत्म कर देते हैं।

‌‌‌इस प्रकार एक देवता सुंदर स्त्री बनकर राक्षस के सामने गया राक्षस उसके उपर मोहित हो गया और बोला …….मैं तुम से शादी करना चाहती हूं ।

………लेकिन मेरा नाम गयिका है और मुझे जो गाना गाकर सुनाएगा मैं उसी से शादी करूंगी ।

‌‌‌…….मुझे गाना नहीं आता है। तो मैं चाहता हूं कि आप मुझे गाना सिखाएं ।

गयिका ने इसे स्वीकार किया और वह खुद आगे गाति रही । इंसान के दुश्मन जो है वह जल जाए मैं कहता हूं कि मैं जल जाउं

जैसे ही राक्षस ने इन बातों को बोला वह जलने लगा । राक्षस को अपनी गलती का एहसास होगया ।  ‌‌‌वह यह जान चुका था कि देवों ने उनके साथ छल किया है।लेकिन अब तक सब कुछ नष्ट हो चुका था । और देर हो चुकी थी।

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