अनाथ का विलोम शब्द क्या है Anath ka vilom shabd kya hai ?

अनाथ का विलोम शब्द या अनाथ का विलोम , अनाथ का अनाथ क्या होता है ? Anath ka vilom shabd , Anath ka vilom shabd kya hai

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‌‌‌अनाथ का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों अनाथ का विलोम शब्द सनाथ होता है। वैसे यदि हम बात करें अनाथ के अर्थ की तो अनाथ का मतलब होता है जिसका कोई भी नहीं होता है। हमारे यहां पर इसका मतलब होता है जिसके माता पिता नहीं हो उसके लिए यह शब्द प्रयोग मे लिया जाता है कि अमुक अनाथ है।

‌‌‌कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके माता पिता उनके जन्म देने के बाद ही मर जाते हैं और उसके बाद उनको उनके रिश्तेदार पालते हैं।हालांकि यदि हम सही मायेने मे अनाथ की बात करें तो यह अनाथ ‌‌‌वे होते हैं जिनका कोई नहीं होता है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनके ना तो माता का पता होता है और ना ही जिनके पिता का पता होता ही है।

Anath ka vilom shabd

‌‌‌इस तरह के लोगों अनाथ के नाम से जाना जाता है।और यह लोग या तो किसी अनाथालय के अंदर रहते हैं या फिर अपने घर मे अकेले ही रहते हैं।

‌‌‌जो लोग अनाथ होते हैं वे असल मे खुद को काफी दुर्भाग्य वाले समझतें हैं। कई अनाथ बच्चे तो ऐसे होते हैं जिनको जन्म देने के बाद फुटपाथ पर छोड़ दिया जाता है और उसके बाद उनका पालन पोषण कोई और ही करता है। उनको ना तो अपने माता पिता का पता ही होता है और ना ही वे अपने घर के बारे मे जानते ही हैं।

एक अरब आबादी वाला भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है जिसमें बच्चों की आबादी 40 करोड़ के करीब है।और यहां पर बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जो आज भी सड़कों के किनारे रहते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां की सरकारें भी अनाथ बच्चों के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।

‌‌‌क्योंकि सरकार को तो अपनी कुर्सी से मतलब होता है जो चीजें उसकी कुर्सी को बचाने मे काफी मददगार होती हैं सरकार वहीं काम करती हैं। भारत की बढ़ती आबादी की वजह से सबको रोजगार नहीं मिल पा रहा है। 

‌‌‌ऐसी स्थिति के अंदर जो बच्चे अनाथ हैं ।उनकी हालत तो बहुत अधिक खराब है। भारत के अंदर ऐसे लाखों बच्चे हैं जोकि पुटपाथ पर सोते हैं और उनकी सुध लेने वाला भी कोई भी नहीं है।

‌‌‌खैर यह बच्चे जो अनाथ हैं । अपने जीवन को कभी भी उंचा नहीं उठा सकते हैं। कारण यह है कि वे बचपन से ही पढ़ लिख पाते नहीं है। इस वजह से वे अपनी पुरी उम्र या तो मांगते हुए बीता देते हैं या फिर यह किसी के यहां पर कम मजदूरी के अंदर काम करते रह जाते हैं।

‌‌‌इनके पास रहने को मकान भी नहीं होता है तो फिर यह रात को या तो किसी रेल्वे स्टेशन पर या फिर सड़क के किनारे बीता देते हैं। हालांकि भारत के अंदर अनेक तरह के अनाथआलय भी चलते हैं लेकिन उनके अंदर भर्ती बहुत ही कम होती है।

‌‌‌हालांकि भारत के जिन इलाकों के अंदर बहुत अधिक गरीबी होती है । उन इलाकों मे बच्चे जब कमाने लायक हो जाते हैं तो घर छोड़ देते हैं और उसके बाद इधर उधर कमाने लग जाते हैं।

‌‌‌और थोड़े बहुत पैसों के चक्कर मे बस वे अपने घर कभी जाना भी पसंद नहीं करते हैं। बहुत से लोग तो अकेले रहने लग जाते हैं। ‌‌‌हालांकि भारत के अंदर अनाथ बच्चों की स्थिति बहुत अधिक दनिय है। उनको किसी तरह का कोई भी लाभ नहीं मिल पाता है। जिससे वे और अधिक गरीब होते जाते हैं।

सनाथ का अर्थ और मतलब

दोस्तों सनाथ का मतलब होता है जोकि अनाथ नहीं है।या जिसके पास सब कुछ है उसे हम सनाथ कह सकते हैं।वैसे आपको रियल मे बतादे कि यह सब कुछ समझने पर भी निर्भर करता है। कुछ लोग आपको ऐसे भी मिल सकते हैं जिनके पास सब कुछ होता है लेकिन उसके बाद भी वे खुद को अकेला समझते हैं तो इस तरह ‌‌‌के लोग दुनिया के सामने अनाथ नहीं होते हैं लेकिन रियल लाइफ के अंदर यह अनाथ होते हैं। एक प्राचीन कहावत है कि जैसा इंसान खुद को समझता है वह वैसा ही बन जाता है।

‌‌‌यदि आप खुद को अनाथ समझते हैं तो आप अनाथ ही बन जाएंगे या आप अनाथ की तरह ही व्यवहार करने लग जाएंगे । ‌‌‌और यदि कोई खुद को सनाथ समझता है तो वह खुद को भी सनाथ समझने लग जाता है। खैर जो इंसान यह समझते हैं कि उनके पास सब कुछ है । भले ही उनके पास कुछ भी ना हो लेकिन वे फालतू की चिंता नहीं करते हैं ।

‌‌‌उनके मन मे सदैव के लिए शांति ही बनी रहती है।प्राचीन काल के अंदर राजा दशरत की एक कथा आती है। राजा दशरथ अपने कुछ लोगों के साथ चर्चा कर रहे होते हैं तो इतने मे वहां पर एक सैनिक आता है और बोलता है कि राजा महल जल रहा है।

राजा दशरथ ने उसे कहा कि वह अभी बीजी है बाद मे आना । उसके बाद एक अन्य सैनिक आया और बोला कि महल मे आग पूरी तरह से लग चुकी है और वह आप तक पहुंचने वाली है लेकिन राजा दशरथ ने उसे भी भगा दिया ।

‌‌‌उसके बाद किसी ने आकर कहा कि सन्यासियों के कपड़े जल रहें हैं इतनी देर  मे सभा मे बैठे संयासी भाग खड़े हुए । उसके बाद राजा दशरथ ने कहा कि तुम एक कपड़े के लिए इतने बैचेन हो रहे हो । मेरा तो महल ही जल गया है लेकिन मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है।

‌‌‌मैं महल की वजह से नहीं हूं ।वरन महल मेरी वजह से था। और मैं सदैव पूर्ण ही था । मुझे किसी से कोई भी खतरा नहीं है। और ना ही चिंता करने की कोई जरूरत है।

‌‌‌यह कहानी यही बताती है कि राजा दशरथ के पास सब कुछ होते हुए भी वे खुद को अकेला ही समझते थे । लेकिन संयासियों के पास कुछ भी नहीं था लेकिन उसके बाद भी उनका किसी से जुड़ाव हो गया तो दोस्तों आप समझ सकते हैं कि  ‌‌‌अनाथ और सनाथ दो ऐसी चीजें हैं जिनके बारे मे सही सही कोई भी नहीं जान पाया है।अब आप खुद यह तय करें कि आप अनाथ हैं ? या आप सनाथ हैं ?

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