हर्ष का विलोम शब्द harsh ka vilom shabd

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शब्द (word) विलोम (vilom)
हर्षविषाद  
harshVishad
        

हर्ष का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌हर्ष का दूसरा नाम खुशी और प्रसन्नता होता है। जब आप किसी कार्य के अंदर आनन्द की स्थिति मे होते हैं तो यही हर्ष कहलता है। वैसे हर्षित कौन नहीं होना चाहता है ? क्योंकि हर्षित होने के लिए ही तो हम सब कुछ करते हैं। पढते हैं और अधिक से अधिक पैसा कमाने का प्रयास करते हैं ताकि खुशियों को ‌‌‌खरीदा जा सके । जिसके पास अधिक पैसा होता है वह आसानी से अधिक से अधिक साधन कार ,बंगले खरीद सकता है जिसे देखकर हमे यह लगता है कि वे बहुत अधिक खुश हैं। खैर हर्ष जीवन के लिए सबसे उपयोगी चीज है ।

हर्ष का विलोम शब्द और अर्थ

 इसके बिना कुछ नहीं हो सकता है। हर्ष है तभी तो आपको जीवन काफी अच्छा लगता है। आप और अधिक जीना चाहते ‌‌‌ हैं। यदि आपके जीवन से हर्ष को गायब कर दिया जाए तो कोई कारण नहीं है कि आप जीना चाहेंगे क्योंकि दुख की वजह से आप इतने अधिक परेशान हो जाएंगे कि पूछो मत ।

‌‌‌जब हम दुख की स्थिति मे होते हैं तो समय बहुत ही कठिन बितता है । एक एक मिनट एक एक साल के बराबर महसूस होती है और हर्ष मे होते हैं तो समय का पता भी नहीं चल पाता है।

‌‌‌विषाद का अर्थ

‌‌‌विषाद का मतलब होता है दुख ।विषाद होने की वजह से व्यक्ति काफी दुखी और चिंता के अंदर डूबा रहता है। एक तरह से यह एक मानसिक विकार होता है जोकि दिमागी होता है। और यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक विषाद का शिकार रहता है तो फिर वह सुसाइड तक कर लेता है। यदि आपको कोई ऐसा व्यक्ति नजर आता है ‌‌‌जो कि विषाद से परेशान है तो उसका इलाज करवाना चाहिए । विषाद ग्रस्त इंसान की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह किसी एक समस्या को पकड़ लेता है और उसके बाद यह उसी के उपर सोचता रहता है। और इतना अधिक दुखी होता रहता है कि उसके दुख की कोई सीमा नहीं रहती है।

‌‌‌और उस दुख का वैसे बाद मे कोई अर्थ नहीं रह जाता है लेकिन फिर भी वह दुखी होता जाता है। इस प्रकार के व्यक्ति को डॉक्टर दवाएं भी देता है और कई चीजों के बारे मे भी बताता है।

‌‌‌हर्ष की कहानी

प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर हर्ष नामक एक लकड़ी काटने वाला रहता था। लकड़हारा काफी गरीब था और उसकी शादी भी नहीं हुई थी। उसकी मां काफी बूढ़ी थी और वह हर्ष की शादी करना चाहती थी लेकिन उनको शादी के लिए कोई लड़की नहीं मिल रही थी।

‌‌‌एक बार हर्ष जंगल के अंदर जब लकड़ी काट रहा था तो उसे एक वहां पर एक लड़की देखी । हर्ष को समझ नहीं आया कि इस जंगल के अंदर लड़की कहां से आई ? उसने सोचा कि शायद कोई लड़की जंगल मे खो गई होगी । वह उसके पीछे गया तो उसने वहीं से छुपकर देखा कि यह लड़की एक बकरी चराने वाली है जो शायद पास के गांव से आई है।

‌‌‌हर्ष उसके पास गया और बोला …….तुम कहां से आई हो ?

उसने हर्ष को पहले ही देख लिया था। …….मेरे मां बाप नहीं हैं मैं बस कुछ बकरियों के साथ इस जंगल मे आती हूं । और इन बकरियों से ही अपना पेट पालती हूं ।

……..तुम्हारे माता पिता कहां चले गए ?

…….उनकी बीमारी से मौत हो गई है।

……ओहो ‌‌‌बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ।

…….और तुम यहां पर क्या करने आते हो ?

…….मैं बस लकड़ी काटने आता हूं । और लकड़ियों को  बेचकर अपना पेट भरता हूं ।

‌‌‌और आपका नाम क्या है ? लड़की ने पूछा

…..हर्ष और आपका ?

……मेरा नाम मोहिनी है ।

इस प्रकार से यह दिन हर्ष का काफी अच्छा गुजरा । वह काफी हंसमुख स्वाभाव का था। और दुख के अंदर भी हंस लेता था।‌‌‌और यही अदा मोहनी को हर्ष की पसंद आती थी। इसीप्रकार से मोहनी भी हर्ष से रोज मिलने के लिए आने लगी । जहां पर हर्ष लकड़ी काटता वहीं पर मोहनी अपनी बकरियां चराती । दोनो घंटो बैठे रहते और बाते करते । हालांकि हर्ष भी मन ही मन मोिहनी को प्रेम करने लगा था। लेकिन वह उसे कह नहीं पा रहा था। और मोहिनी ‌‌‌तो पहले से ही हर्ष को पसंद करती थी। और एक दिन मोहनी हर्ष से पहले आ गई थी और जब वह अपनी बकरियां चरा रही थी तो किसी जानवर ने उसे काट लिया और वह बेहोश होकर वहीं गिर गई । जब हर्ष वहां पर आया तो उसने देखा कि मोहिनी नहीं है लेकिन उसकी बकरियां वहीं पर खड़ी हैं।‌‌‌ हर्ष काफी परेशान हो गया और आवाज लगाता हुआ वह चारो ओर घूमा । फिर उसके बाद उसने मोहिनी को एक स्थान पर पड़े देखा । वह उसके पास गया तो देखा कि उसके पैर पर किसी जहरीले जानवर ने काट लिया है। और यदि वह उसे जल्दी ही किसी वैध के पास लेकर नहीं गया तो मर जाएगी ।

‌‌‌हर्ष ने मोहिनी को कंधे पर बैठाया फिर तेजी से दूसरे गांव के अंदर चला गया जहां पर एक वैध रहता था। उसके पास गया और बोला ….वैधजी आप इनका इलाज कर दीजिए ?

……यह आपकी कौन लगती है ?

……जी मेरी वैसे कुछ नहीं लगती है ?पर मैं इससे प्रेम करता हूं ।

और उसके बाद वैध ने मोहिनी को कुछ जड़ी बूटी ‌‌‌दी जिससे वह कुछ ही समय मे होश मे आ गई और कुछ दवा लेकर हर्ष के साथ चली गई। अब हर्ष की जरूरत मोहिनी को थी तो वह बोली …….हर्ष मैं जानती हूं कि तुम मुझसे प्रेम करते हो । यदि आज हम शादी कर लेते हैं तो कैसा रहेगा ?

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