Pragati ka vilom shabd प्रगति का विलोम शब्द?

प्रगति का विलोम शब्द, प्रगति शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, प्रगति का उल्टा , Pragati  ka vilom shabd
शब्द (word) विलोम (vilom)
प्रगतिविनाश/अप्रगति  
PragatiVinash
    Progress      Destruction      

‌‌‌प्रगति का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों प्रगति का मतलब होता है तरक्की करना । जब कोई इंसान किसी कार्य के अंदर सक्सेस होता है तो उसके लिए यह कहा जाता है कि उसने प्रगति की है। वैसे प्रगति सारे कार्यों के लिए लागू होती है। यदि आप पहले की तुलना मे अपनी आर्थिक या सामाजिक स्थिति को सुधार ‌‌‌रहे हैं

Pragati  ka vilom shabd

तो आपको लिए यह कहा जा सकता है कि आपने प्रगति की है।अक्सर जब हम किसी बिजनेस के उपर काम करते हैं। और अपनी गलतियों को सुधारते हुए आगे बढ़ते जाते हैं तो उसके बाद हम अपनी प्रगति का काफी एहसास होने लग जाता है।‌‌‌इस प्रकार से प्रगति का मतलब तरक्की से होता है।जैसे पहले आपके पड़ोसी के पास खाने तक के पैसे नहीं थे और आज उसके पास कार और दूसरी बाकी चीजें हैं। इसका अर्थ यह है कि उसने तरक्की की है। या उसने प्रगति की है।

‌‌‌वैसे हर कोई प्रगति करना चाहता है और प्रगति के लिए प्रयास भी करता है लेकिन बहुत सारी समस्याओं की वजह से प्रगति कर नहीं पाता है। और उसके बाद निराश होना पड़ता है। हालांकि प्रगति नहीं होने की वजह यह होती है कि वे अपने लिए सही कार्य को नहीं चुन पाते हैं।‌‌‌वैसे भी भारत के अंदर देखा देखी अधिक चलती है।यदि आप किसी एक कार्य के अंदर 1 लाख महिना कमाते हैं तो दूसरा इंसान आपकी सक्सेस को देखकर ईष्या कर सकता है और वही करने की कोशिश करता है जोकि आप कर रहे हैं।‌‌‌ और यदि उसके अंदर टेलेंट नहीं है तो फिर आपकी प्रगति कैसे हो सकती है ?

अप्रगति का अर्थ

दोस्तों प्रगति का विलोम अप्रगति होता है।प्रगति का मतलब जहां उपर उठना होता है वहीं पर अप्रगति का मतलब स्थिर रहना होता है। जैसे आज आपके घर की स्थिति है 2 साल बाद भी वही रहती है तो यह अप्रगति का संकेत होता है।‌‌‌अप्रगति आपके जीवन के अंदर मौजूद स्थिरता को दर्शाती है। लोग आपको देखकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि पीछले 5 सालों के अंदर आपने प्रगति की या नहीं की । यदि आपने प्रगति नहीं की है तो यही अप्रगति कहलाती है।

‌‌‌लेकिन यदि हम बात करें विनाश की तो विनाश एक अलग अर्थ को व्यक्त करता है। इसका मतलब नष्ट होना है। अप्रगति का मतलब नष्ट होना नहीं होता है।

‌‌‌प्रगति और अहंकार की कहानी

प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर रोजा और मोहन नाम के दो भाई रहते थे रोजा काफी पढ़ा लिखा था और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। लेकिन मोहन पढ़ा लिखा नहीं था। और वह बस खेती करता था और उसी से अपना काम चलाता था।‌‌‌लेकिन रोजा पढ़ा लिखा था और उसका खेती के अंदर कोई इंटरेस्ट नहीं था। वह बस तैयारी करके सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहा था। एक दिन इसी प्रकार से तैयारी करते हुए । उसका सरकारी नौकरी के अंदर नंबर आ गया और शहर के अंदर डयूटी लग गई।

‌‌‌मोहन सीधा सिंपल आदमी था। और उसके बाद रोजा ने अपने लिए एक सुंदर लड़की देखी और उससे शादी करली लेकिन रोजा नौकरी लगने के बाद काफी अहंकारी हो गया ।और उसने अपनी शादी के अंदर मोहन को भी नहीं बुलाया ।‌‌‌शादी के कुछ दिन बाद मोहन को पता चला तो वह रोजा के पास गया और बोला ………भइया आपने मेरे को शादी के अंदर क्यों नहीं बुलाया ?

……..अरे शादी के अंदर बुलाता तो मेरी इज्जत नहीं चली जाती और लोग कहते कि ‌‌‌रोजा का भाई पुराने ख्यालातों का है।मैं चाहता हूं कि तू मेरे साथ सारे संबंधों को तोड़ ले और आज के बाद यहां पर मत आना । और उसके बाद रोजा ने अपने ही भाई को घर से बाहर निकाल दिया ।‌‌‌उस वक्त मोहन काफी उदास था।लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। धीमे धीमे कदमों से चलते हुए घर आ गया । घर आने के बाद पत्नी को सारी बात बताई तो पत्नी भी काफी गुस्सा हो गई और बोली …..जी आपको ही पड़ी है अपने भाई की और आपका भाई तो आप चिंता ही नहीं करता ।

——–‌‌‌क्यां करें भाई जो रहा ।वह खुद ही अंहकार के अंदर काफी अंधा हो चुका है। लेकिन एक दिन अपने कियों पर पछतावा होगा।

‌‌‌इस दिन मोहन काफी थका हुआ था तो बिस्तर पर लैटते ही उसको नींद आ गई । इस प्रकार से मोहन के दिन पहले जैसे ही कटने लगे आज भी उसके जीवन मे कोई भी प्रगति नहीं हुई थी। वह बस वैसे ही जी तोड़ मेहनत करता और आपने लिए खाना जुटाता ।

‌‌‌एक दिन मोहन को पता लगा कि रोजा उसका भाई बहुत बीमार है और अस्पताल मे भर्ती है। उसकी देख रेख करने वाला कोई नहीं है।तो मोहन ने अपनी पत्नी से पूछा तो पत्नी ने मना कर दिया । लेकिन मोहन ने किसी तरह से पत्नी को समझाया और शहर के लिए निकल पड़ा ।‌‌‌शाम को वह पैदल ही चलते हुए शहर पहुंचा  और उसके बाद किसी से अस्पताल का पता पूछा ।

 वहां पर पहुंचा तो देखा कि उसका भाई रोजा अकेला पड़ा है। उसके पास कोई भी नहीं है। वह अपने भाई के पास गया और बोला ……..अरे क्या हुआ भाई और भाभी कहां पर है ?

…….मुझे माफ करदे भाई तुम्हारी भाभी ने मेरे उपर देहज

‌‌‌का झूंठा मुकदमा दर्ज करवा दिया था।और उस मुकदमे की वजह से मुझे जेल हो गई और उसके बाद मेरी नौकरी भी छुट गई मैं क्या करता । उसके बाद जब जेल से बाहर आया तो शराबी हो गई और अब मुझे कैंसर हो चुका है।‌‌‌अब मुझे भगवान भी नहीं बचा सकता है। और उसके बाद वह रोने लगा ।

………तू चिंता ना कर सब ठीक हो जाएगा । अब मैं आ गया हूं । मोहन ने कहा था।

……..तूने सही कहा था कि इंसान व्यर्थ की चीजों पर घमंड करता है। मैंने जो प्रगति की थी वह सब नष्ट हो गई लेकिन तेरे पास आज भी तेरा सब कुछ है।‌‌‌किसी ने सही ही कहा है कि अहंकार एक ना एक दिन इंसान को ले डूबता है। यदि मैं अपनी प्रगति मे अहंकारी नहीं होता तो आज मैं भी एक सुखी जीवन जी रहा होता है।

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