udar ka vilom shabd उदार का विलोम शब्द क्या होगा ?

उदार का विलोम शब्द, उदार शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, उदार का उल्टा , udar ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
उदारअनुदार  
udarAnudar, Krapan
  Generous        Conservative      

‌‌‌उदार का विलोम शब्द और अर्थ

उदार का विलोम शब्द क्या होगा

‌‌‌उदार का विलोम शब्द अनुदार होता है।उदार का दूसरा नाम दयालू होता है। जो दूसरों पर दया करता है वही उदार कहलाता है।वैसे अक्सर जो सही इंसान है वही तो उदार होगा ।जो इंसान के वेश मे जानवर है वह कभी भी उदार नहीं हो सकता है।

‌‌‌उदारता बहुत बड़ा गुण होता है।क्योंकि इंसान होने के बाद भी यदि किसी के अंदर उदारता नहीं है तो फिर वह इंसान नहीं है। उदारता ही तो इंसानियत की पहचान है। यदि आप उदार हैं तो फिर आप किसी भी जीव की हत्या करने से कतराएंगे ।‌‌‌

और यदि आपके हाथों से हत्या हो भी जाती है तो भी आपको इसका अफसोस होगा लेकिन क्योंकि इंसान की भी कुछ मजबूरियां होती हैं जिनको पूरा करना होता है। एक महान इंसान की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि वह हमेशा दयालू होता है।

दया करने वाला होता है। गरीबों की मदद करने वाला होता है।‌‌‌तो आप समझ सकते हैं।‌‌‌कि उदारता का मतलब होता है जो दया करता हो जैसे यदि कोई आपकी शरण के अंदर आता है तो आपका यह कर्त्तव्य बनता है कि आप उसकी रक्षा करें । यदि आप उसकी रक्षा करने मे समर्थ हैं तो फिर आपको उसकी रक्षा करनी ही चाहिए ।‌‌‌एक उदार इंसान की आवाज ही आपको बता देती है कि वह कितना उदार इंसान है। क्योंकि जो उदार होता है उसकी वाणी से भी हमेशा उदारता ही झलकती है।

‌‌‌अनुदार का अर्थ और मतलब

जिसके अंदर उदारता नहीं है वही अनुदार होगा ।जिसके अंदर दया जैसे गुण नहीं हैं वह अनुदार होता है। अक्सर इस दुनिया के अंदर बहुत सारे लोग अनुदार होते हैं। अक्सर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जानवरों को तड़पा तड़पा कर मारते हैं। क्योंकि उनकेा इसी के अंदर मजा आता है।‌‌‌यही अनुदारता का प्रमाण ही तो है।

‌‌‌अनुदारता बहुत ही बेकार होती है।जब आपके अंदर उदारता नहीं होती है तो आप एक भयंकर इंसान बन जाते हैं और फिर आप काफी हिंसक भी हो सकते हैं। अक्सर न्यूज के अंदर आता है कि छोटी सी बात पर किसी ने किसी का खून कर दिया । यह सब अनुदारता की वजह से पैदा होता है।‌‌‌यदि आप उदार नहीं होंगे तो आप इंसानियत के पक्ष मे नहीं सोच पाएंगे और इसका परिणाम यह होगा कि आप हिंसक बन जाएंगे । यह काफी भयंकर स्थिति होती है। धर्म एक ऐसी चीज है जो इंसान को उदारता सीखाता है लेकिन धर्म से दूर होते लोगों मे उदारता और अच्छाई का आना कठिन है।

‌‌‌और आप तो जानते ही हैं कि भारत के अंदर धर्म की शिक्षा सरकार नहीं देती है। वरन खुद ही लेना पड़ता है। आज आप देख रहे हैं कि 90 साल के लोगों को भी धर्म मे काई दिलचस्पी नहीं है। बस पैसों के अंदर दिलचस्पी है यह दिखाता है कि धर्म कमजोर हो गया है।

‌‌‌उदारता का फायदा कहानी

‌‌‌रत्नाकर देश के अंदर रणदेव नामक राजा राज्य करता था।रणदेव की उदारता दूर दूर तक प्रसिद्ध थी। और उसके बारे मे यह कहा जाता था कि वह सुबह भगवान शिव के मंदिर मे जाने के बाद पूजा करता है और उसके बाद उससे जो मांगता है उसे वही दे देता है लेकिन मनोकामना शुभ होनी चाहिए ?

‌‌‌यह बात उड़ते हुए सोनू और मोनू नाम चोर के पास पहुंची तो वे काफी खुश हुए । और उन्होंने रणदेव के बारे मे और अधिक पताकिया तो सारी बातें सच निकली ।फिर एक दिन सोनू और मोनू इस पर विचार करने लगे । और दोनों ने राजा को लुटने का निश्चय किया ।

‌‌‌उन्होंने एक एक बैलगाड़ी ली और उस पर सवार हो कर चल पड़े यह 2 दिन का सफर था और इन दोनों ने बहुत ही अच्छे तरीके से प्लानिंग बनाई थी। 2 दिन दिन और रात का सफर करके यह उस राज्य मे पहुंचे और फिर खुद को एक साधु का वेश मे बांधा और उस मंदिर का पता किया

‌‌‌जिस पर राज रणदेव रोजाना पूजा करने के लिए आते थे । सुबह सोनू और मोनू ने देखा कि बहुत से लोग आकर मंदिर के बाहर आकर लाइन लगा रहे हैं।वे दोनों भी लाइन के अंदर खड़े हो गए । तभी उनको राजा का रथ आते दिखा वे काफी खुश थे ।

‌‌‌राजा ने मंदिर के पास रथ रोका और खुद मंदिर के अंदर पूजा करने के लिए गए ।कुछ समय राजा ने पूजा की उसके बाद बाहर आए और सब गरीबों को सोने के सिक्के बांटे । हालांकि वहां पर कोई भी मांग नहीं रहा था। 

‌‌‌जब सोनू की बारी आई तो सोनू को राजा ने एक सोने का सिक्का दिया ।

……महाराज एक सिक्के से कुछ नहीं होगा मुझे और दें ।

………राजा ने और अधिक सिक्के उसे दिया ।

……महाराज मुझे बहुत सारा धन चाहिए ।

………..लेकिन तुम तो संत हो तुम्हें धन क्यों चाहिए ?

……महाराज एक मंदिर  ‌‌‌के लिए

‌‌‌और राजा ने उसे और सोने के सिक्के दिये । लेकिन सोनू संतुष्ट नहीं हुआ तो फिर अंत मे राजा ने कहा कि …….तुम इतने सोने के सिक्कों में मंदिर बना सकते हो लेकिन फिर भी अधिक सोने के सिक्के चाहिए तो मेरे साथ चलो । सोनू राजा के साथ चलने के लिए तैयार हो गया । जब मोनू की बारी आई तो उसने ‌‌‌भी वही किया और सोनू और मोनू राजा के साथ गए । राजा उनको लेकर पहाड़ों के अंदर गया और वहां पर एक गुफा के पास लेकर उनको गया ……..इस गुफा मे हजारों टन सोना है। तुम चाहो उतना निकाल सकते हो लेकिन गलत इरादे की वजह से यदि तुम ऐसा कर रहे हो तो नहीं कर पाओगे । और उसके बाद राजा चला गया ।

‌‌‌उधर सोनू और मोनू काफी खुशी से गुफा के अंदर गए और कुछ दूर जाने के बाद सोने के भंडार उनको मिले वे काफी खुश हुए और दोनों ने एक बोरी सोने को भरा और जैसे ही बाहर की तरफ चलने लगे उनको बहुत सारे विषैले सांप दिखे जोकि ‌‌‌धन की रक्षा कर रहे थे ।तभी वे दोनों काफी डर गए और सोना लेकर भागे लेकिन तभी सोनू को एक सांप ने काट लिया और वह वहीं पर मर गया तो मोनू काफी डर गया और सारे सोने को वहीं छोड़कर गुफा से बाहर आ गया और चुपके से निकल गया ।

‌‌‌अब मोनू जान चुका था कि किसी की उदारता का नाजायज फायदा उठाने वाले लालची लोगों को उनका ही लालची पन ले डूबता है। जितना जरूरत है उतना ही धन काफी होता है।

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