सांड को रोटी खिलाने से मिलते हैं यह फायदे

सांड को रोटी खिलाने से क्या होता है हिंदु धर्म के अंदर गाय को माता माना जाता है। और गाय की पूजा करने की परम्परा है। उसी तरह से सांड के बारे मे यह कहा जाता है , कि उसके अंदर नंदी जी का वास होता है। नंदी जी को भगवान शिव का वाहन माना जाता है। इसलिए सांड को रोटी खिलाने की पम्परा है। अक्सर आपने कुछ लोगों को देखा होगा , जोकि सांड को रोटी खिलाते हैं। या फिर सांड को गुड़ भी खिलाते हैं। सांड को रोटी खिलाने के अनेक फायदे होते हैं। आज हम इसके बारे मे बताने वाले हैं।

भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

सांड को रोटी खिलाने से क्या होता है

जैसा कि आपको पता ही है , कि नंदी को भगवान शिव से जोड़ा जाता है। इसलिए यदि कोई सांड को रोटी खिलाता है , तो इससे नंदी की सेवा माना जाता है। और जो नंदी की सेवा करता है। भगवान शिव उससे प्रसन्न होते हैं। यदि आप भी भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं । तो फिर आपको नंदी की सेवा जरूर ही करना चाहिए ।

मन को शांति मिलती है

चाहे सांड को रोटी खिलाना हो या फिर गाय को रोटी खिलाना हो यह सभी धार्मिक कार्य होते हैं। इंसान अपने पूरे जीवन के अंदर अपने लिए तो काम करता ही है। मगर इंसान को संतुष्टि तभी मिलती है , जब वह जीवों की सेवा करता है। इसलिए यदि आप भी अपने मन को शांत करना चाहते हैं। एक असली खुशी को हाशिल करना चाहते हैं , तो सांड को दो रोटी गुड़ के साथ रोजाना सुबह खिला सकते हैं।

कार्य के अंदर तरक्की प्राप्त करने के लिए

दोस्तों यदि आपका कोई बिजनेस है , और वह बिजनेस चल नहीं रहा है , तो आप यह उपाय कर सकते हैं। आप सांड को रोजाना गुड़ और रोटी खिलाएं । ऐसा करने से आपकी तरक्की होगी । और आपका बिजनेस काफी अच्छी तरह से चलेगा । आपके बिजनेस के अंदर जो बाधाएं आ रही हैं , भी दूर हो जाएंगी ।

class="wp-block-heading">सांड को रोटी खिलाने से पुण्य प्राप्त होता है

दोस्तों सांड की सेवा करना भी एक तरह से पुण्य का काम होता है। और इस पुण्य के काम को अक्सर वे लोग करते हैं , जो पुण्य कमाना चाहते हैं। यह माना जाता है कि जब इंसान मरता है , तो उसके साथ और कुछ भी नहीं जाता है। उसने अपने जीवन के अंदर जो अच्छा बुरा कर्म किया हुआ होता है , बस वही साथ जाता है। जो अच्छा कर्म करता है , उसको अच्छे लोकों के अंदर जगह प्राप्त होती है। और जो बुरा कर्म करता है , उसे नर्क प्राप्त होता है।

आपकी मनोकामना पूर्ण होती है

ऐसा माना जाता है कि यदि आप सांड को गुड़ रोटी खिलाते हैं , तो ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। यदि आपकी कोई मनोकामना है , और वह पूर्ण नहीं हो रही है , तो सांड को रोजाना गुड़ रोटी खिलाएं और अपनी मनोकामना को बैल के कान मे बोल दें । ऐसा करने से  आपके उपर कृपा प्राप्त होगी ।

मिलता है भगवान शिव का आशीर्वाद

कहा जाता है , कि जब समुद्रमंथन हुआ तो विष की कुछ बूंदे धरती के उपर गिर गई । जिसको नंदी ने चाट लिया । जिससे कि भगवान शिव बहुत अधिक प्रसन्न हुए और नंदी को भगवान शिव ने अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि प्रदान की । और कहा कि जो नंदी की सेवा करेगा । उसके उपर मेरा आशीर्वाद सदा ही बना रहेगा । इसलिए भी नंदी की सेवा की जाती है।

यह कार्य आपको अंदर से अच्छा बनाता है

दोस्तों सांड को रोटी देना हो या फिर भगवान की पूजा करना हो । यह सभी कार्य आपको धार्मिकता की तरफ लेकर जाते हैं। और जब इंसान धार्मिक होता है , तो वह अधिक से अधिक बुराई का प्रतिकार करता है। और अच्छाई की तरफ आता है। इस तरह से सांड को रोटी देना आपके अंदर की बुराई को दूर करने का काम करता है। और अच्छाई को बढ़ाता है।

घर मे सुख समृद्धि बनी रहती है

यह माना जाता है , कि जिस घर के अंदर नंदी की सेवा की जाती है। वहां पर कभी भी दुख नहीं आता है। और हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है। यदि आप भी अपने घर के अंदर सुख समृद्धि को चाहते हैं , तो रोजाना नंदी की सेवा करें । दो रोटी और गुड़ उनको खिलाएं । आपको फायदा जरूर ही देखने को मिलेगा ।

आपको बतादें कि पुराणों के अंदर नंदी के बारे मे एक दिलचस्प कहानी का उल्लेख ​भी मिलता है। उसके बारे मे भी बात करलेते हैं।

ब्रह्मचारी शिलाद ऋषि के बारे मे एक कहानी पुराणों के अंदर उल्लेख मिलती है। इस कहानी के अनुसार ब्रह्मचारी शिलाद ऋषि ने अपने वंश को आगे बढ़ाने के बारे मे सोचा । इसलिए वे एक बच्चे को गोद लेना चाहते थे । लेकिन वे एक ऐसे बच्चे को गोद लेने का विचार कर रहें थे , जोकि भगवान शिव का प्रिय हो ।ऋषि ने कठोर तप किया और उसके बाद नंदी को पुत्र के रूप मे पाया । उसके बाद नंदी बड़ा हुआ तो उन्होंने कहा कि पिताजी आपने मुझे भगवान शिव की कृपा से पाया है , तो मेरी रक्षा भी भगवान शिव करें । उसके बाद नंदी भी तपस्या के अंदर लीन हो गए । और उसके बाद भगवान शिव ने नंदी को बैल का मुख दिया और अपना प्रिय वाहन बनाया । नंदी भगवान शिव के सबसे प्रिय वाहन बने और समाज में उन्हें पूजनीय स्थान भी मिला।

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