dexona tab use in hindi or side effect and use

‌‌‌ dexona tablet uses in hindi dexona tab use in hindi इस दवा का उपयोग एलर्जी, दमा, कैंसर  जैसी चीजों के अंदर किया जाता है। इसकी खुराक के बारे मे डॉक्टर के पूछना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है। उसका पालन आपको करना चाहिए।  इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा इसकी जो खुराक होती है वह उम्र और लिंग के आधार पर अलग अलग होती

‌‌‌ है। और यदि बीमारी गम्भीर होती है तो इसकी खुराक अलग हो सकती है।  त्वचा पर निशान पड़ना, खुश्की, खुजली या जलन इस दवा के साइड इफेक्ट हो सकती हैं । यदि आपको इस दवा को लेने के बाद किसी तरह के साइड इफेक्ट हो रहे हैं तो आपको इस दवा को लेना बंद कर देना चाहिए और उसके बाद अपने डॉक्टर से संपर्क करना ‌‌‌ चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

dexona tablet uses in hindi

dexona tablet का उपयोग कई तरह की समस्याओं के अंदर किया जाता है। इसके बारे मे हम आपको नीचे लिस्ट दे रहे हैं। और उस लिस्ट के हिसाब से आप देख सकते हैं कि आपको क्या करना है आपको क्या नहीं करना है। लेकिन डॉक्टर यदि यह दवा देता है उसके हिसाब से ही आपको इसका सेवन करना चाहिए ।

  • एलर्जी
  • दमा
  • कैंसर
  • चर्म रोग
  • आंखों की बीमारी
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम
  • इंफ्लेमेटरी डिजीज
  • गाउट
  • गठिया
  • एनाफ्लैटिक शॉक
  • अन्य लाभ
  • सूजन
  • लिम्फोमा
  • आईडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा
  • विषाक्त एपिडर्मल नेक्लोलिसिस
  • कान बहना
  • आंखों की सूजन
  • आंखों में जलन
  • यूवाइटिस
  • कुशिंग सिंड्रोम
  • आंतों में सूजन
  • सोरायसिस
  • मल्टीपल माइलोमा
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • लाइकेन प्लेनस
  • बर्साइटिस
  • ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • वाहिकाशोफ
  • एक्जिमा
  • डर्मेटाइटिस
  • आयराइटिस

dexona tablet uses in hindi ‌‌‌ एलर्जी मे

‌‌‌ dexona tablet uses in hindi dexona tab use in hindi

दोस्तों इस दवा का उपयोग एलर्जी मे भी किया जाता है। एलर्जी एक प्रकार की आम समस्या होती है। यह एक तरह से त्वचा प्रतिक्रिया होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।एलर्जी किसी भी पदार्थ की वजह से हो सकती है। जैसे कि खाने पीने की चीजों कि वजह से या फिर किसी जानवर के मल मूत्र ‌‌‌के संपर्क मे आने की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। आपको जिस भी चीज से एलर्जी होती है उससे आपको दूरी बनाए रखनी चाहिए । वरना यह आपके लिए काफी अधिक समस्या पैदा करती है।कुछ एलर्जी इस प्रकार की होती है कि वह छोटे बच्चों के अंदर होती हैं लेकिन बड़े होने के बाद अपने आप ही गायब हों जाती है। लेकिन ‌‌‌ कुछ एलर्जी इस प्रकार की होती है जोकि आसानी से दूर नहीं होती है और उसके बाद यह आपके जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों के अंदर काफी अधिक परेशानी पैदा करती है। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि हम एलर्जी के प्रकार की बात करें तो बहुत सारे पदार्थ होते हैं जिनकी वजह से आपको एलर्जी हो सकती है। हालांकि हर इंसान को अलग अलग पदार्थ से भी एलर्जी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

  • ड्रग एलर्जी के अंदर आमतौर पर किसी तरह की दवा की वजह से एलर्जी होती है। और यदि आपको किसी तरह की दवा की वजह से एलर्जी हो रही है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर को परामर्श करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
  • खाद्य पदार्थों से एलर्जी भी कुछ लोगों को होती है। इन विशेष प्रकार के खादृय पदार्थों का यदि आप सेवन करते हैं तो इसकी वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली का डेंजर रियक्सन मिलता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
  • कांटेक्ट डर्मेटाइटिस के अंदर एलर्जी तब होती है जब आप किसी खादय पदार्थ को छूते हैं तो इसकी वजह से आपको एलर्जी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। और आप समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
  • ‌‌‌मौसमी एलर्जी के अंदर  एक एलर्जी प्रतिक्रिया जो आंखों में पानी, खुजली, छीकें और इनसे जुड़ी अन्य चीजें पैदा करती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कुछ लोगों को जानवरों से एलर्जी होती है। जब वे जानवरों के संपर्क मे आते हैं तो उनके मल और मूत्र की वजह से एलर्जी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌अब यदि हम एलर्जी के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं और उन लक्षणों की वजह से आप एलर्जी को बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।आमतौर पर जब आप किसी एलर्जी वाले पदार्थ के संपर्क मे आते हैं। तो कुछ ही समय के बाद ‌‌‌ प्रतिक्रिया आना शूरू हो जाती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।और कई बार क्या होता है कि कुछ लक्षण धीरे धीरे कुछ घंटों के अंदर विकसित होते हैं। उसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और एलर्जी की वजह से कई बार दैनिक कार्यों के अंदर बांधा आने लग जाती है।

‌‌‌और आमतौर पर कई बार तो एलर्जी सामान्य होती है। लेकिन कई बार क्या होता है कि एलर्जी काफी भयंकर हो जाती है। और यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो फिर यह काफी बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌इसके अलावा एलर्जी पैदा करने वाला पदार्थ कई बार फेफड़ों के अंदर प्रवेश कर जाता है तो इसकी वजह से एलर्जी के लक्षण कुछ ही समय के अंदर प्रकट हो जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌एलर्जी के कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इसके अंदर कुछ लक्षण काफी हल्के होते हैं तो कुछ लक्षण काफी गम्भीर होते हैं आपको इसके लिए एक बार अपने डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • छींक आना
  • नाक बहना या रूकना
  • सिर दर्द
  • सांस लेने में परेशानी
  • घरघराहट
  • खाँसी
  • आंखों से पानी आना या खुजली होना
  • साइनस, गले, या कान के छिद्रों में खुजली
  • कान बंद होना
  • पोस्ट-नेजल ड्रेनेज
  • चक्कर आना
  • उलझन
  • त्वचा या होंठ नीले पड़ जाना
  • चेतना खोना या बेहोश होना
  • होंठ, जीभ, आँखों या चेहरे पर सूजन
  • पेट में दर्द, बीमार महसूस होना
  • मतली या उल्टी, दस्त
  • सूखी, लाल या रुखी त्वचा

‌‌‌यदि आपको उपर दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपको जो निर्देश मिलता है उसका पालन भी करना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अच्छी बात होगी और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌दोस्तों यदि हम एलर्जी के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। जिसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसके अंदर कई सारे पर्यावरणिय कारण होते हैं तो वंशागत कारण भी इसके अंदर हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌आपको बतादें कि हमारे शरीर के अंदर एंटिबॉडी होते हैं जोकि शरीर के अंदर किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का प्रवेश होता है तो उससे लड़ते हैं लेकिन जिस इंसान को एलर्जी हो जाती है उसकी बॉडी यह समझ नहीं पाती है कि सही तत्व क्या हैं और हानिकारक तत्व क्या हैं ?

‌‌‌और एलर्जी आमतौर पर तब पैदा होती है जब हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन चीजों को भी हानिकारक समझने लग जाती हैं जोकि हानिकारक नहीं होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे एलर्जी पैदा होने के सभी कारणों के बारे मे कोई जानकारी नहीं है लेकिन कुछ कारण है जिनके बारे मे हम यहां पर बात ‌‌‌ करने वाले हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

  • यदि आप पशुओं के संपर्क मे आते हैं उनके मल मूत्र से तो आपको एलर्जी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।  हालांकि सभी लोगों को पशुओं के संपर्क मे आने से एलर्जी नहीं होती है।
  • इसके अलावा किसी कीड़े के ‌‌‌काटने की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। यदि आपको कीड़े ने काट लिया है और किसी भी प्रकार का एलर्जी का लक्षण दिखाई दे रहा है तो फिर आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपकेा जो निर्देश देता है उसका पालन भी आपको करना चाहिए ।
  • नट्स, सीपदार मछली, और अनाज शामिल हैं। इनसे एलर्जी हो सकती है। जिस भी खाने पीने की चीज से आपको एलर्जी होती है आपको वह खाने पीने की चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
  • पेनिसिलिन या एस्पिरिन और अन्य किसी प्रकार की दवा का यदि आप सेवन करते हैं तो उसकी वजह से भी आपको एलर्जी हो सकती है। यदि आपको दवा से एलर्जी होती है तो फिर एक बार आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा धूल के कण यदि आपके शरीर के अंदर चले जाते हैं तो आपको काफी छींके आ सकती हैं और इसकी वजह से एलर्जी हो सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌और रही बात एलर्जी की रोकथाम की तो आपके पास मात्र इसका एक ही इलाज है कि जिस भी पदार्थ से आपको एलर्जी होती है आपको उस पदार्थ से दूरी बना लेनी चाहिए । यही आपके लिए सही होगा । और दवाएं भी हैं जो इसके प्रभाव को समाप्त कर सकती हैं। लेकिन इसके अलावा ऐसी कोई दवा नहीं है जोकि इसको समाप्त कर सके ।

‌‌‌इसके अलावा आप कुछ और उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि

  • आपको गीले कपड़े नहीं पहनने चाहिए ।
  • और घर के आंगन मे इस प्रकार के पौधे नहीं लगाएं जिससे कि आपको एलर्जी होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हों । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा घर के अंदर आपको कपड़े नहीं सुखाने चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आप मांस मीट खाते हैं या फिर सब्जी को लेकर आते हैं तो उनको कच्चा ना खाएं और अच्छी तरह पकाने के बाद ही उनको खाएं । कच्चे खाने वाली चीजों जैसे फलों आदि को अच्छी तरह से धोकर खाना चाहिए । जिससे कि एलर्जी होने के चांस को कम किया जा सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन स्थानों पर अधिक घास हो वहां पर आपको नहीं घूमना चाहिए क्योंकि ऐसे स्थानों पर कई तरह के कीड़े रहते हैं जोकि आपको काट सकते हैं और एलर्जी का कारण बन सकते हैं। यदि आपको घूमना ही है तो फिर साफ सुथरी जगहों पर आपको घूमना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप किसी सुगंधित चीजों जैसे इत्र आदि का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इससे बचना चाहिए क्योंकि यह अनेक तरह के कीटो को आकर्षित करते हैं जोकि आपके लिए एलर्जी का कारण बन सकते हैं
  • कुछ लोगों को मच्छर काटने से भी एलर्जी होती है तो रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और दूसरे ‌‌‌ किसी चीज का प्रयोग करें जोकि मच्छर को भगाने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

dexona tablet uses in hindi दमा (अस्थमा)

‌‌‌दमा एक प्रकार की फेफड़ों की बीमारी होती है जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने मे काफी अधिक परेशानी होती है। और इसकी वजह से किसी भी तरह की फिजिकल एक्टीविटी करने मे भी काफी परेशानी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌दमा भारत के अंदर एक बहुत ही आम समस्या बन चुकी है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। जब हम सांस लेते हैं तो हवा हमारे नाक से हमारे फेफड़ों तक पहुंचती हैं वहां पर छोटी छोटी नलिकाएं होती हैं।और यह जो नलिकाएं होती हैं वे कस जाती हैं जिसकी वजह से ‌‌‌ वहां पर बलगम बन जाता है और फिर सांस लेने मे काफी अधिक कठिनाई आती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि दमा के मरीज का सही समय पर कोई ईलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद उसकी मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।

ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत के 130 करोड़ लोगों में से लगभग 6% बच्चों और 2% वयस्कों को अस्थमा है । और भारत के अंदर इस बीमारी को अच्छा नहीं माना जाता है। कई लोग इस बीमारी को छुपाने का काम भी करते हैं। हालांकि कई लोग इस बीमारी का उपचार भी करवाते हैं जिसकी मदद से इसके लक्षणों को कम किया ‌‌‌ जा सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा में लक्षण कम से कम 20 वर्ष की आयु तक नहीं होते हैं। यदि हम दमा के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण देखने को मिलते हैं और दमा आमतौर पर आसानी से पहचाना जा सकता है। जिसके बाद यदि इसका समय पर ईलाज किया जाता है तो यह किसी तरह की समस्या पैदा नहीं करता है।

  • सीने में जकड़न
  • सांस फूलना
  • बात करने में कठिनाई
  • चिंता या घबराहट
  • थकान
  • और खांसी आना ।

‌‌‌इसके अलावा इसके अन्य कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। यदि आपको लगता है कि आपको दमा है तो फिर एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकता है जिससे कि इसका प्रभाव कम हो सकता है।

‌‌‌यदि हम दमा के कारणों के बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं। इसके बारे मे हम आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं दमा के कारणों के बारे विस्तार सें

  • यदि घर के सदस्य माता पिता आदि को दमा है तो फिर बच्चों को भी दमा होने के चांस अधिक होते हैं । इसलिए आपको सावधानी रहनी चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन लोगों को वायरल संक्रमण है उनको दमा होने के चांस अधिक होते हैं। यदि आपको किसी तरह का वायरल संक्रमण है तो फिर आप एक बार अपने डॉक्टर को परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकता है। लंबे समय तक चलने वाला वायरल संक्रमण दमा का कारण बन सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कुछ लोगों की बचपन मे ही इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। ऐसी स्थिति के अंदर उनको दमा होने के चांस काफी अधिक होते हैं। यदि लगातार प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है तो फिर दमें का चांस काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌अब हम बात करते हैं दमा के बचाव की तो दमा से बचने के लिए आप कई तरह के उपाय कर सकते हैं जोकि दमा से बचाने मे आपकी मदद करते हैं तो आइए जानते हैं इन उपाय के बारे मे विस्तार से ।

  • रसायन, गंध, या उत्पादों से स्पष्ट स्टीयर अतीत में साँस लेने से आपको बचना चाहिए । यदि आप इन क्षेत्रों के अंदर लगातार काम करते हैं तो आपको चाहिए कि आप सुरक्षा के लिए मास्क वैगरह का प्रयोग करें तभी आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा और आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपको धूल के कणों से एलर्जी होती है तो आपको धूल के कणों से बचने के लिए प्रयास करना होगा नहीं तो आपको एलर्जी की समस्या काफी अधिक बढ़ जाएगी । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर है तो आपको अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छी तरह से बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए । इसके लिए आप गिलाये जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं जोकि आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से दवा ले सकते हैं और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए इससे समस्या से काफी जल्दी ही छूटकारा पाया जा सकता है।

‌‌‌अब यदि हम अस्थमा की जांच कैसे की जाती है। इसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। यदि आप अस्थमा का टेस्ट डॉक्टर से करवाने के लिए जाते हैं तो फिर डॉक्टर आपको कई तरह के टेस्ट करने के लिए कह सकता है । इसके अंदर डॉक्टर आपके फेफड़ों की कार्य क्षमता का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है।

श्वशन संक्रमण या सीओपीडी आदि, इनपर रोकथाम बनाए रखने के लिए डॉक्टर आपके शरीर के लक्षणों के बारे मे पूछ सकते हैं जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि आपको किस तरह की समस्या है। यदि लक्षण मिलते हैं तो आगे की जांच की जाती है।

  • स्पायरोमेट्री (Spirometry)  के अंदर आपको गहरी सांस लेने के लिए कहा जाता है और गहरी सांस को छोड़ने के लिए कहा जाता है। इसकी मदद से फेफड़ों की कार्य क्षमता के बारे मे पता लगाया जाता है कि फेफड़े कितने बेहतर तरीके से काम करते हैं। दमा मरीज के फेफड़े अच्छे से काम नहीं करते हैं।
  • पीक फ्लो (Peak flow) के अंदर देखा जाता है कि आप कितनी तेजी से सांस ले सकते हैं। और यहां पर एक मीटर होता है जिसके अंदर रीडिंग को नोट किया जाता है। यदि आपको दमा है तो मीटर की रीडिंग ठीक नहीं होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और डॉक्टर के पता चल जाता है।
  • फेंफड़ों के कार्य का परिक्षण (Lung function tests) के अंदर आपको डॉक्टर कुछ इस प्रकार की दवाएं देते हैं जिससे कि फेफड़ों का वायुमार्ग खुल जाता है। यदि दवा लेने के बाद सुधार होता है तो इसका मतलब यह है कि अस्थमा की समस्या है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • मेथाकोलिन चैलेंज (Methacholine challenge) को देखा जाता है इसकी वजह से नाक के वायुमार्ग के अंदर संकुचन आ जाता है। और इसकी वजह से डॉक्टर को यह पता चल जाता है कि आपको समस्या है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इमेजिंग टेस्ट के अंदर सीटी स्कैन किया जाता है। इसके अलावा फेफड़ों का अक्सरा भी किया जाता है और इसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि आपको अस्थमा की समस्या है या फिर नहीं है।
  • एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing)  के अंदर आपके खून की जांच की जाती है। इसके अलावा त्वचा की जांच की जाती है। और यदि त्वचा या फिर खून मे समस्या होती है तो इससे भी पता चलता है। इसके अलावा धूल के कण या फिर किसी अन्य तरह से एलर्जी होती है तो उसका भी पता लगाया जाता है।
  • ‌‌‌यदि हम अस्थमा के उपचार की बात करें तो यह दो तरह से किया जाता है। पहला होता है कि अस्थमा के अटैक से किस तरह से निजात मिल सकती है। और दूसरा अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए आप क्या कर सकते हैं। इसके लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं जिससे कि अस्थमा के अटैक से निजात मिल ‌‌‌ जाएगा । यदि आप समय पर दवा लेते हैं तो फिर इसके लक्षणों को भी बहुत ही आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • सूजन और जलन को कम करने वाली दवाएं और विशेष रूप से इन्हेल्ड स्टेरॉयड दी जाती हैं। यह वायुमार्ग के अंदर सूजन और जलन को कम करने के लिए उपयोगी होती हैं और यह दवाएं आमतौर पर लंबे समय तक सेवन करने से काफी भयंकर नुकसान होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं।

‌‌‌यदि हम अस्थमा के नुकसान की बात करें तो यह काफी भयंकर होता है। यदि किसी को अस्थमा अटैक हो जाता है तो उसके बाद उसको जल्दी से जल्दी उपचार यदि नहीं मिलता है तो उसके बाद समस्या होती है और मरीज की मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • ‌‌‌इसके अलावा यदि दमा अधिक बढ़ जाता है तो मरीज को काम पर से छूटी लेनी पड़ती है और कुछ समय के लिए घर पर बैठना पड़ सकता है।
  • यह आपके रोजमर्रा के कार्यों के अंदर काफी अधिक बाधा पहुंचाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा दमा को कंट्रोल करने के लिए यदि आप लंबे समय तक कोई दवा लेते हैं तो उसकी वजह से दुष्प्रभाव होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ब्रोकियल ट्यूबों का स्थायी रूप से पतला हो जाना जो सांस लेने में समस्या पैदा करता है।

dexona tablet uses in hindi चर्म रोग

‌‌‌जो रोग मानव त्वचा को अधिक प्रभावित करते हैं उनको चर्म रोग के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।चर्म रोग के लक्षण रोग प्रकार पर निर्भर करते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । चर्म रोग दर्द नाक भी हो सकता है। और नहीं भी ।कई बार यह रोग काफी गम्भीर रूप भी धारण कर लेता ‌‌‌ है। और कई बार इसका एहसास नहीं होता है।यदि हम चर्म रोग के प्रकार की बात करें तो कई सारे रोग होते हैं जिनको चर्म रोग के अंदर गिना जाता है। यदि किसी को चर्म रोग है तो उसे चर्म रोगी डॉक्टर को दिखाना चाहिए । वही इन रोगों को दूर कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • रूखी त्वचा
  • ऑयली त्वचा
  • चिकन पॉक्स
  • एक्जिमा
  • रोजेशिया
  • सिबोर्हिक डर्मेटाइटिस
  • छाल रोग
  • सफेद दाग
  • इंपटिगो
  • त्वचा का कैंसर
  • तिल
  • मुंहासे
  • मस्से
  • दाद
  • खाज
  • खुजली
  • फोड़े

‌‌‌अब यदि हम चर्म रोग के लक्षणों की बात करें तो हर रोग के अपने लक्षण होते हैं। आप इन लक्षणों के आधार पर ही यह पहचान सकते हैं कि आपको चर्म रोग हुआ है या फिर चर्म रोग नहीं हुआ है। आपको इसके लक्षणों के बारे मे भी बताना चाहते हैं।

  • लाल या सफेद रंग के उभार।
  • दर्दनाक या खुजली वाले चकत्ते।
  • त्वचा का खुरदुरापन।
  • त्वचा का छिलना।
  • अल्सर।
  • खुले घाव
  • सूखी व फटी त्वचा।
  • त्वचा पर फीके रंग के धब्बे।
  • मवाद।
  • छाले।
  • त्वचा की मोटाई और टूटना।
  • फीकी और दर्दनाक त्वचा।

‌‌‌यदि हम चर्म रोग के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से चर्म रोग होते हैं। हालांकि अधिकतर चर्म रोग वंशानुगत नहीं होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

  • ‌‌‌त्वचा के रोम छिद्रो के अंदर कई बार बैक्टिरियां फंस जाते हैं जोकि कई बार चर्म रोग पैदा करते हैं। इसलिए समय समय पर ठीक तरह से स्नान करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा
  • त्वचा पर रहने वाले कवक, परजीवी या सूक्ष्मजीव आदि रहते हैं। हालांकि यह अधिकतर केस के अंदर किसी तरह का नुकसान नहीं ‌‌‌ पहुंचाते हैं लेकिन कई बार यह आपकी त्वचा के लिए काफी घातक समस्या पैदा करते हैं।
  • ‌‌‌शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक कमजोर होती है तो इसकी वजह से भी चर्म रोगों का विकास हो सकता है। इसलिए आपको अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए यह बहुत ही जरूरी होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ‌‌‌अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आप गिलोय का सेवन कर सकते हैं। यह आपके शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी चीज होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा कई बार आपको त्वचा पर एलर्जी भी होती है यह भी एक तरह का चर्म रोग ही होता है जोकि किसी चीज के संपर्क मे आने से हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • थायरॉयड, प्रतिरक्षा प्रणाली, गुर्दे और अन्य शरीर प्रणालियों को प्रभावित करने वाली बीमारियों से ग्रस्त यदि आप हैं तो इसकी वजह से चर्म रोग पैदा हो सकते हैं।
  • फंगल संक्रमण भी त्वचा रोग पैदा करता है। जैसे कि यदि आप एक खिलाड़ी हैं तो एथिलिट फुट की समस्या आपको हो सकती है। यह एक प्रकार के फंगस की वजह से होती है। यदि आप समय पर इसका ईलाज करवाते हैं तो सब आसानी से ठीक हो जाता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कई बार क्या होता है कि बैक्टिरिया खुले घाव के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और यह त्वचा के संक्रमण को पैदा करते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌अब बात आती है कि त्वचा के संक्रमण से बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं ? तो आपको बतादें कि आप त्वचा के संक्रमण से बचाव करने के लिए कई सारे कदम उठा सकते हैं यदि आप कुछ सावधानियां बरतते हैं तो त्वचा संक्रमण से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं।

  • ‌‌‌अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से बार बार धोना चाहिए । खास कर यदि आप खाना खा रहे हैं उससे पहले ताकि किसी तरह का हानिकारक बैक्टिरिया आपके शरीर के अंदर प्रवेश ना कर पाएगा । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌अपने खाने पीने की चीजों को अन्य लोगों के साथ शैयर नहीं करना चाहिए आप बर्तन जिसके अंदर खाना खा रहे हैं किसी दूसरे के साथ आपको खाना नहीं खाना चाहिए । इससे संक्रमण फैल सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि किसी दूसरे को चर्म रोग की समस्या है तो वह आपको भी हो सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन लोगों को त्वचा संक्रमण है उनसे आपको दूरी बनाकर रखना चाहिए । आप उनके कपड़े इस्तेमाल करने से बचे और उनके साथ खाना खाने से आपको बचना चाहिए इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप किसी सर्वाजनिक स्थान पर जाते हैं तो उसके बाद वहां के उपकरणों को इस्तेमाल करने से पहले उनका साफ करना चाहिए हालांकि हम मे से अधिकतर लोग इसके उपर कभी भी ध्यान नहीं देते हैं।
  • व्यक्तिगत सामान, जैसे कि कंबल, कंघा या स्विमिंग सूट को लोगों के साथ शेयर न करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो किसी दूसरे का त्वचा संक्रमण आपको हो सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन लोगों को त्वचा का संक्रमण है उन लोगों के साथ आपको संबंध बनाने से बचना होगा । आपको अपने साथी से दूर बनानी चाहिए । जब तक कि संक्रमण ठीक नहीं हो जाता है। तब तक आपको ऐसा करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको खाने पीने पर अधिक अच्छे से ध्यान देना चाहिए । उन चीजों को ना खाएं जोकि सही नहीं हैं और अच्छा खाना खाएं जोकि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने का काम करते हैं।
  • संक्रामक त्वचा समस्याओं जैसे कि चिकन पॉक्स के लिए टीका लगवाएं।
  • इसके अलावा समय सयम पर अपनी जांच आप करवा सकते हैं यदि आपको किसी तरह की त्वचा की समस्या दिखाई देती है तो आप एक बार अपने डॉक्टर को संपर्क करें ।

dexona tablet uses in hindi आंखों की बीमारी

dexona tablet  आंखों की समस्या के लिए भी यूज किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

आंखों की समस्या आजकल हर आयुवर्ग के लोगों को देखने को मिलती है।मोतियाबिंद, मधुमेह रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा आदि आते हैं। एम्बलियोपिया(amblyopia) और स्ट्रैबिस्मस (strabismus)  आदि समस्याएं काफी तेजी से  ‌‌‌बढ़ रही हैं।आज कल आप देख रहे हैं कि छोटे से छोटे बच्चे को चश्मा लग रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण जो है वह यह है कि आजकल लोग अपने मोबाइल और टीवी से अपनी आंखें फोड़ रहे हैं

 इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप लंबे समय तक टीवी और मोबाइल का यूज करते हैं तो फिर आपकी आंखों पर इसका बुरा असर  ‌‌‌ पड़ता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । आज से 80 साल पहले के जीवन को आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बुजुर्ग लोग आज भी बिना चश्मा के देख सकते हैं। एक तो इतना अधिक प्रदूषण हो गया है कि मत पूछों इस प्रदूषण के अंदर सब कुछ खराब हो जाता है बात सिर्फ आंखों की ही नहीं है। आप इसके बारे मे ‌‌‌आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌यदि आपको अपनी आंखों मे किसी तरह की कोई समस्या महसूस होती है जैसे कि आपकी आंखों मे सूजन आना आंखों मे जलन होना । और आंखों से कम दिखाई देना आदि । समस्याएं हो सकती हैं यदि ऐसा है तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से परामर्श करें ।

‌‌‌दोस्तों आंखों की जो समस्याएं होती हैं वे बड़ी उम्र होने के बाद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । बच्चों के अंदर इस प्रकार की समस्याएं काफी कम होती है। इसलिए यदि आपकी आंखें कमजोर हो चुकी हैं तो फिर अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको चश्मा दे सकता है। ‌‌‌और आप उस चश्मे की वजह से आसानी से अपनी आंखों को कमजोर होने से बचा सकत हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

‌‌‌और आपको डॉक्टर ने जो चश्मा दिया है समय समय पर उसका टेस्ट करवाते रहें । यदि आपकी आंखों के अंदर किसी तरह की कोई समस्या आती है तो फिर आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए और समय समय पर चश्मा को बदलवाने की जरूरत हो सकती है। चश्मे का नंबर नहीं बढ़ना चाहिए ।

dexona tablet uses in hindi  नेफ्रोटिक सिंड्रोम – Nephrotic Syndrome

dexona tablet  का उपयोग इस रोग के अंदर भी किया जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप बात को समझ सकते हैं।यह समस्या एक प्रकार का गुदा विकार होता है। यह आपके शरीर के अंदर बहुत अधिक प्रोटीन पैदा होने की वजह से होता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम आम तौर पर आपके गुर्दे में छोटे रक्त वाहिकाओं के समूहों को नुकसान पहुंचाता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम की वजह से आपके पैर और टखनों के अंदर विशेष तौर पर सूजन हो जाता है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आप इसको रोकना चाहते हैं तो एक बार अपने डॉक्टर को परामर्श करें आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए यह सबसे अधिक जरूरी है।

dexona tablet uses in hindi  इंफ्लेमेटरी डिजीज

इंफ्लेमेटरी डिजीज भी एक प्रकार की समस्या होती है। यह समस्या आमतौर पर तब होती है जब किसी वजह से शरीर के अंदर किसी तरह की क्षति होती है जिससे कि सूजन और दर्द की समस्या देखने को मिल सकती है। यह सिर्फ आंतरिक  कारणों की वजह से होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

ऑटोइम्यूनिटी (autoimmunity) के नाम से भी इसको जाना जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । जब गठिया होता है तो इसके अंदर  ऊतकों में सूजन हो जाती है और इसमें से निकलने वाले द्रव में बढ़ोतरी होना शुरू हो जाती है और इसकी वजह से जोड़ों मे सूजन और दर्द होने लग जाता है। गुर्दे के कार्यों में वृद्धि और नुकसान और रक्तवाहिनियों मे सूजन इसी तरह की कुछ समस्याएं होती हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

गाउट dexona tablet uses in hindi 

गाउट एक प्रकार का रोग होता है जोकि शरीर के अंदर यूरिक ऐसिड की मात्रा के बढ़ने की वजह से होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह आमतौर पर पैरों को प्रभावित करता है इसकी वजह से पैरों के जोड़ों मे सूजन और दर्द होने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना ‌‌‌ चाहिए ।आपको बतादें कि जिस मरीज को गाउट की समस्या होती है उसे रात के अंदर अचानक से तेज दर्द होता है और कंबल भी असहनिय हो जाता है। ।और यदि किसी को गाउट की समस्या है तो दवाओं से इसका ईलाज किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।

गाउट, गठिया का एक जटिल रूप होता है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। और यह पुरूषों को अधिक होने की संभावना होती है। रात के अंदर कई बार अचानक से नींद खुल जाती है और ऐसा महसूस होता है कि आपके पैर जल रहे हैं।और उस जगह को छूना भी काफी कठिन हो जाता है जहां पर गाउट की समस्या होती है आप समझ सकते हैं।

‌‌‌हालांकि यदि गाउट का सही तरह से उपचार किया जाता है तो उसके बाद इसकी समस्या को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

गाउट के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप इसको आसानी से पहचान सकते हैं तो आइए जानते हैं गाउट के बारे मे ।

  • किसी एक या अधिक जोड़ों में गंभीर दर्द होना।
  • जोड़ों में जलन होना और नरम हो जाना।
  • प्रभावित जोड़ों में और उनके आसपास सूजन होना।
  • इसके लक्षण काफी तेजी से बढ़ते हैं और यह सीधे तौर पर पैर की बड़ी उंगली को प्रभावित करते हैं और रात मे अक्सर दर्द शूरू हो जाता है।
  • गाउट से परेशान अधिकतर लोगों को एक साल के अंदर अंदर ही इसके और अटैक आते हैं।
  • जोड़ लाल चमकदार हो जाता है और इसकी खाल उतरने लग जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि इसका ईलाज समय पर नहीं होता है तो इसके लक्षण काफी तेजी से बढ़ते जाते हैं इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌गाउट के जोखिम को बढ़ाने वाले कारण के बारे मे जानते हैं। दोस्तों कुछ ऐसी चीजें होती हैं जोकि गाउट के जोखिम को बढ़ा देती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं इन चीजों के बारे मे विस्तार से ।

  • ‌‌‌दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया गाउट शरीर के अंदर यूरिक ऐसिड के स्तर के अंदर बढ़ोतरी होने की वजह से पैदा होता है और यह हमारे शरीर के अंदर प्रोटीन के टूटने से बनता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आप एक अधिक मोटे इंसान हैं तो फिर आपको गाउट होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाएंगे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ड्यूरेटिक दवाओं (मूत्रवर्धक) दवाएं यदि आप लंबे समय तक इस्तेमाल करती हैं तो आपको गाउट होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।
  • आइवी कॉन्ट्रास्ट डाई का उपयोग करना
  • सर्जरी
  • कोई गंभीर चोट
  • निर्जलीकरण
  • भूखे रहना
  • ‌‌‌वैसे आपको बतादें कि पुरूषों के अंदर गाउट होने की संभावना काफी अधिक होती है। क्योंकि उनके अंदर यूरिक ऐसिड का स्तर काफी अधिक होता है। लेकिन महिलाओं के अंदर गाउट होने की संभावना कम होती है। इसका कारण यह है कि उनके अंदर यूरिक एसिड का स्तर काफी कम होता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा जो लोग अधिक शराब का सेवन करते हैं उनके अंदर गाउट होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इस वजह से शराब का सेवन कम करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आपको लोग बीपी है और आप हाई बीपी की दवाएं ले रहे हैं तो इसकी वजह से भी यूरिक ऐसिड का स्तर आपके अंदर बढ़ सकता है। तो इसकी वजह से भी गाउट होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • कीमोथेरेपी की वजह से भी गाउट हो सकता है। क्योंकि इसके अंदर कई तरह की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं क्योंकि यह यूरिक एसिड बनाने का काम करती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • भोजन में लाल मांस, समुद्री आहार का सेवन करना और अधिक मीठी चीजों को यदि आप खाते हैं तो इसकी वजह से भी गाउट होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌अब आती है बात गाउट से बचाव की तो गाउट से बचाव के लिए आप कई तरह के कदम उठा सकते हैं और कुछ सावधानियां रख सकते हैं जिसकी मदद से आप गाउट से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • लाल मांस, बासी खाना, तेल से बनी हुई मछली, समुद्री भोजन आदि का सेवन आपको कम करना चाहिए । क्योंकि यह आपके शरीर के अंदर यूरिक ऐसिड को बढ़ाने का काम करती हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • इसके अलावा शक्कर से युक्त चीजों का सेवन ना करें । यह आपके शरीर मे गाउट को पैदा कर ‌‌‌ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको अपने शरीर के जरूरी वजन को बनाए रखना होगा और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए । जिससे की गाउट होने का खतरा काफी कम हो जाएगा इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • नियमित व्यायाम करें ऐसा करने से गाउट की समस्या से कुछ हद तक छूटकारा पाया जा सकता है।
  • इसके अलावा यदि आप पानी कम पीते हैं तो आपको अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए । पानी आपकी सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

dexona tablet uses in hindi  गठिया (आर्थराइटिस)

गठिया जोड़ों का सूजन होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और जोड़ों के सूजन की वजह से जोड़ों मे काफी अधिक दर्द होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।गठिया आमतौर पर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों मे होता है। हालांकि यह इससे कम उम्र मे लोगों ‌‌‌मे भी हो सकता है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं करवाया जाता है तो उसके बाद यह काफी अधिक घातक साबित हो सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌वैसे यदि आपको बताएं तो पुरूषों की तुलना मे महिलाओं के अंदर गठिया होने के चांस काफी अधिक होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन  होता है और प्रभावित अंग लाल पड़ सकते हैं और चलने फिरने मे काफी अधिक परेशानी होती है। इसके बारे मे आपको पता ‌‌‌होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। घुटने, कूल्हे, कंधे, हाथ  आदि किसी भी तरह के जोड़ के अंदर यह समस्या हो सकती है। और इसकी वजह से आपको थकान हो सकती है और चलने फिरने मे काफी परेशानी हो सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌और यह जो गठिया का प्रभाव है वह सुबह के समय काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।  इसकी वजह से आपको खून की कमी हो सकती है और काफी दर्द हो सकता है। गठिया रोग में हाथों-पैरो में गांठे बन जाती है  और यदि ईलाज मे देरी होती है तो इसकी वजह से ‌‌‌समस्या और अधिक गम्भीर रूप लेलेती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपको गठिया का पता चल जाता है तो जितना जल्दी हो सके उपचार करवाना चाहिए नहीं तो समस्या काफी अधिक बढ़ सकती है और बाद मे ईलाज मे काफी परेशानी आ सकती है आप समझ ही गए होंगे ।

‌‌‌गठिया के कारण की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। आमतौर पर कार्टिलेज  एक प्रकार का उत्तक होता है जोकि जोड़ों के बीच होता है। और यह जोड़ों के झटकों को अवशोषित करता है। और इसकी वजह से ही हडियां बची रहती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ऑस्टियोआर्थराइटिस  के कई कारण हो सकते हैं।

‌‌‌यदि किसी तरह की सामान्य चोट हो जाती है तो इसकी वजह से भी जोड़ों के अंदर गठिया हो सकती है। इसके अलावा जोड़ों मे यदि सूजन हो जाता है तो उसकी वजह से भी गठिया हो सकता है। जोड़ों मे संक्रमण गठिया का कारण बनता है। इसके अलावा यदि परिवार के किसी सदस्य को गठिया की समस्या है तो भी यह दूसरे ‌‌‌इंसान को हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

रुमेटी आर्थराइटिस भी एक प्रकार का गठिया का ही रूप होता है जिसके अंदर होता यह है कि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता ही शरीर पर हमला कर देती है। हालांकि यह सब क्यों होता है ? इसके कारणों के बारे मे अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

गठिया (आर्थराइटिस) से बचाव की बात करें तो आप कुछ चीजें अपना सकते हैं। वैसे आपको बतादें कि गठिया एक प्रकार की काफी गम्भीर बीमारी होती है। इसके लिए आप संतुलित आहार का सेवन करें। ऐसा करने से आप इस बीमारी से बच सकते हैं। हालांकि यह सब करना आसान नहीं है।यूरिक ऐसिड शरीर के अंदर अधिक होना भी ‌‌‌ गठिया को जन्म दे सकता है। इसलिए शरीर के अंदर यूरिक एसिड को कम करने का प्रयास आपको करना चाहिए। यदि हम गठिया के ईलाज की बात करें तो इसका बस एक ही ईलाज है कि आप उचित खान पान करें। यदि आप अच्छा खान पान करते हैं तो गठिया से बहुत ही आसानी से आप बच सकते हैं।

‌‌‌यदि अब हम गठिया के परीक्षण की बात करें तो जब आपको गठिया की समस्या होती है तो आप डॉक्टर के पास जाते हैं और उसके बाद डॉक्टर आपको कई तरह के परीक्षण करने के लिए कह सकता है। जिसकी मदद से गठिया की गम्भीरता के बारे मे पता लगाया जाता है।

  • ‌‌‌एक्सरे के अंदर कार्टिलेज के पतन, हड्डी में चोट और हड्डी बढ़ने का पता चल सकता है ।लेकिन यदि गठिया शूरूआती स्टेज के अंदर है तो आपको किसी तरह की जानकारी एक्सरे से नहीं चलेगी ।
  • सीटी स्कैन  की मदद से भी उत्तकों के बारे मे यह पता  चलता है कि उत्तकों को किसी तरह की समस्या है या फिर नहीं है ?
  • एमआरआई भी एक प्रकार का टेस्ट होता है। इसकी मदद से भी गठिया के बारे मे पता लगाया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

dexona tablet uses in hindi  लिम्फोमा

लिम्फोमा एक प्रकार का कैंसर होता है जोकि प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने वाली कोशिकाओं के अंदर शूरू होता है। जिसकी वजह से इनका आकार काफी तेजी से बढ़ने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।लिम्फ नोड्स (Lymph nodes), प्लीहा (Spleen), थाइमस (Thymus), अस्थि मज्जा आदि कोशिकाओं के अंदर यह शूरू ‌‌‌ होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि हम भारत की बात करें तो भारत के अंदर यह मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।लिम्फोमा के कई सारे चरण होते हैं। और यदि पहले ही चरण के अंदर इसको पकड़ लिया जाता है तो शायद इसका उपचार हो सकता है। वरना बाद मे यह शरीर ‌‌‌ के अन्य अंगों के अंदर फैलना शूरू कर देता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और बाद मे आपको पता ही है कि क्या क्या हो सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि इसका जल्दी से जल्दी उपचार करवाया जाना चाहिए ।

  • लसीका तंत्र (Lymphatic system) के बाहर शरीर के किसी एक अंग में शुरू हुआ है  और यह बस किसी एक ही अंग के अंदर मौजूद होता है। और यही इसका पहला चरण होता है। हालांकि इस चरण के अंदर इसकी पहचान करना बहुत ही कठिन होता है।
  • लिम्फ नोड्स  इसके अंदर दो या दो से अधिक समूहों के अंदर मौजूद होता है और यह आपके ‌‌‌ लिए काफी अधिक समस्या पैदा कर सकता है। यह शरीर के अंदर कहीं पर भी हो सकता है।
  • लिम्फोमा के तीसरे चरण का मतलब है कि डायाफ्राम के दोनों तरफ लिम्फोमा वाले लिम्फ नोड्स मौजूद हैं।
  • लिम्फोमा के अंदर यह शरीर के कम से कम एक अंग के अंदर फैल चुकी हैं। और यदि इसका समय पर ईलाज नहीं होता है तो यह डेंजर हो सकता है। इसके अंदर यह शरीर के किसी एक अंग जैसे फेफड़े, लीवर, अस्थि मज्जा या हड्डियां। प्लीहा (Spleen) और थायमस

लिम्फोमा के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको नीचे दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।

  • गरदन
  • छाती का ऊपरी भाग
  • बगल
  • पेट
  • पेट और जांध के बीच का भाग
  • हड्डी में दर्द
  • खांसी
  • थकान
  • प्लीहा (spleen) का बढ़ना
  • बुखार
  • रात को पसीना आना
  • शराब पीते समय दर्द होना
  • चकत्ते
  • सांस फूलना
  • त्वचा पर खुजली होना

लिम्फोमा के कारण और जोखिम कारक की यदि बात करें तो इसके होने के कारण अभी भी किसी को पता नहीं चल पाए हैं। तो एक अनुमान लगाये जाते हैं जिसके बारे मे हम भी आपको यहां पर बतादेंते हैं।

  • ‌‌‌यदि आपकी उम्र काफी बढ़ रही है तो इसके साथ इसके होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा पुरूषों के अंदर इसका खतरा महिलाओं की तुलना मे अधिक होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • एचआईवी-एड्स होना।
  • आहार में मांस और फैट की उच्च मात्रा लेना।
  • कीटनाशकों के संपर्क में आना।

लिम्फोमा से बचाव की यदि हम बात करें तो इसके लिए आपको बतादें कि इसका कोई भी उपचार अभी नहीं है। इसके कारणों के बारे मे भी किसी को पता नहीं है। लेकिन यदि आपको यह समस्या होती है तो एक बार अपने डॉक्टर से बात करें और हो सकता है कि आपका डॉक्टर आपकी समस्या पर अधिक ध्यान दें ।

लिम्फोमा होने का जोखिम यदि आपको नजर आता है तो आप एक बार अपने डॉक्टर को बताएं । यदि आपके घर के अंदर किसी को यह पहले से है तो भी आप एक बार अपने डॉक्टर को बता सकते हैं। और इसके लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ परीक्षण करने के लिए भी दे सकता है। ‌‌‌और उस परीक्षण की मदद से आपको यह पता चल जाएगा कि यह लिम्फोमा है या फिर किसी और तरह की समस्या है ? इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आप समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।

इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (आईटीपी)dexona tablet uses in hindi 

इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा एक अलग ही किस्म की बीमारी होती है। जिसके अंदर होता यह है कि प्लेटलेटस की संख्या मे काफी कमी आ जाती है।यह खून के अंदर पाये जाने वाली एक प्रकार की कोशिका होती है जोकि खून के थक्के को बनाने के लिए जिम्मेदार होती है।जब चोट लगती है तो यह खून के बहाव को ‌‌‌रोकने मे काफी मदद करती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (आईटीपी) की यदि कमी हो जाती है तो इसके कई सारे लक्षण आपको दिखाई देने लग जाते हैं। जैसे कि यदि चोट लग जाती है तो उसके बाद खून का बहाव रूकता नहीं है। इसके अलावा नाक से खून आ सकता है।मासिक धर्म मे अधिक खून आ सकता है। मसूड़ों मे अधिक खून आ सकता है।

अस्थि मज्जा के विकार की वजह से भी शरीर के अंदर प्लेटलेटस की संख्या मे कमी हो जाती है। इसलिए इसका इलाज समय पर करवाना बहुत ही जरूरी होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा के निदान के लिए आप यदि डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपका परीक्षण करते हैं और उसके बाद आपको सलाह देते हैं कि आपको क्या करना है। वह कुछ दवाएं भी लिखकर दे सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

प्लेटलेट्स का ईलाज इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गम्भीर है। यदि प्लेटलेट्स  की संख्या काफी अधिक कम हो गई तो उसके बाद ईलाज की आवश्यकता पड़ती है। अन्यथा यह प्लेटलेट्स  की निगरानी करते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

  • खून व प्लेटलेट्स चढ़ाना
  • प्लेटलेट्स को कम करने वाली दवाएं बदलना
  • इम्युन ग्लोबुलिन
  • प्लेटलेट्स एंटीबॉडीज़ को रोकने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड्स

‌‌‌आदि आपके डॉक्टर कर सकते हैं। और यदि समस्या है तो वह सही उपचार के बाद ठीक हो जाती है। बाकि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

Toxic Epidermal Necrolysis in Hindi

Toxic Epidermal Necrolysis एक प्रकार का दुर्लभ त्वचा का विकार होता है जोकि केवल कुछ ही लोगों के अंदर देखने को मिलता है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो इसकी वजह से इंसान की मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसकी वजह से त्वचा ‌‌‌काफी अधिक छिल जाती है और त्वचा जो मर चुकी है वह हटने लग जाती है। और इसकी वजह से त्वचा के अंदर काफी अधिक जलन होने लग जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह जो विकार होता है वह किसी भी समय पर हो सकता है। यह बच्चों से लेकर बड़ों के अंदर तक हो सकता है। इसका समय पर ईलाज बहुत अधिक जरूरी ‌‌‌ होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

dexona tablet uses in hindi  कान का बहना

लोगों को कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद हो सकता है। यदि ऐसा है तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । यही सबसे अधिक जरूरी चीज है आप इसको समझ सकते हैं।

दोस्तों कान बहने के अंदर कान के अंदर से एक प्रकार के तरल पदार्थ निकलता है जिसको ओटोरिया  के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कान के अंदर का पर्दा यदि कई बार किसी चोट की वजह से फट जाता है तो ‌‌‌इसकी वजह से कान के अंदर से एक तरल पदार्थ का रिसाव होता है। और खून भी आ सकता है। यदि समय पर इसका ईलाज नहीं किया जाता है तो समस्या अधिक गम्भीर हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌आपको बतादें कि कान कई तरह से बह सकता है। कान बहने के प्रकार के आधार पर ही इसका ईलाज किया जाता है तो आइए जानते हैं कान बहने के प्रकार के बारे मे विस्तार से आप समझ सकते हैं।

  • पस या धुंधला द्रव यदि कान के अंदर से निकल रहा है तो इसका मतलब यह है कि कान मे संक्रमण हुआ है और इसका कारण बैक्टिरिया होता है। यदि ऐसा है तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए ।
  • ‌‌‌कई बार क्या होता है कि जिन लोगों को कान मे संक्रमण होता है उनके कान मे एक प्रकार की टयूब डाली जाती है। कई बार यह टयूब बंद हो जाती है जिसकी वजह से कान के अंदर एक प्रकार के पदार्थ का रिसाव हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • वैक्स हल्के भूरे, गहरे भूरे या नारंगी भूरे रंग का होता है जो हर इंसान के कान के अंदर होता है। कई बार पानी वैगरह से यदि यह गीला हो जाता है तो यह रिसाव कर सकता है। हालांकि यह कोई समस्या नहीं है।
  • ‌‌‌यदि कान के अंदर किसी तरह की छोटी भी चोट लगती है तो इसकी वजह से कान के अंदर खून आ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और खून आने की वजह से आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर के पास जाना चाहिए ।
  • स्विमर्स ईयर्स रिसाव के अंदर खान मे काफी अधिक खुजली होती है और इसकी वजह से कान मे काफी अधिक रिसाव हो सकता है यह जो पदार्थ होता है वह सफेद पानी की तरह ही होता है। इसलिए इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा कई बार क्या होता है कि छोटे बच्चे कान के अंदर कोई वस्तु डाल सकते हैं जिससे कान से पस निकल सकता है और यदि वस्तु नुकिली है तो इसकी वजह से कान मे खून भी आ सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

कान बहने के लक्षण की बात करें तो यदि आपका कान बहता है तो इसके अंदर से सफेद या मवाद या फिर खून आ सकता है। इसके लिए नीचे लक्षण दिये गए हैं

  • कान में दर्द
  • बुखार
  • खुजली
  • वर्टिगो
  • कान बजना
  • इसके अलावा सुनाई देना बंद हो सकता है।

‌‌‌अब यदि हम कान बहने के कारणों की बात करें तो इसके लिए कई सारे कारण होते हैं जिसकी वजह से कान बह सकता है। कुछ गम्भीर समस्या होने का संकेत देता है तो कुछ छोटी मोटी समस्या होने के बारे मे संकेत देते हैं । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • ‌‌‌दोस्तों संक्रमण की वजह से भी कान बह सकता है। यदि कान के अंदर किसी भी प्रकार का संक्रमण हुआ है तो उसकी वजह से कान बह सकता है।जीवाणु या फिर वायरल संक्रमण कान को प्रभावित कर सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌कई बार क्या होता है कि हम कान को खुजलाने के लिए कोई वस्तु कान के अंदर डाल देते हैं और उसकी वजह से कान मे चोट लग जाती है और इसकी वजह से भी कान बह सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए
  • स्विमर्स ईयर्स के प्रारंभिक लक्षण में कान में खुजली होती है और उसके बाद कान के अंदर से पदार्थ का रिसाव होता है तो इसका मतलब यही है कि बाहरी कान मे संक्रमण हुआ है। इस वजह से ऐसा हो रहा है आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।
  • मध्य कान का संक्रमण की वजह से भी कान बह सकता है। बैक्टिरिया मध्य कान मे संक्रमण कर सकता है। और इसकी वजह से कान मे सूजन हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
  • सिर की चोट यदि लग जाती है तो उसकी वजह से कान के अंदर खून आ सकता है। और आपको बतादें कि सिर की चोट को काफी गम्भीर माना जाता है यदि सिर मे चोट लगी है तो उसके बाद डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जोभी निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि कान के पर्दे को किसी तरह का नुकसान हुआ है तो इसकी वजह से भी कान बह सकता है। इसलिए जल्दी से जल्दी आपको डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।

‌‌‌कान बहने से बचाव आप किस तरह से कर सकते हैं तो इसके लिए आप कुछ चीजों की सावधानी बरत सकते हैं जिससे कि कान बहने से आप बच सकते हैं।

  • यदि आप कान मे संक्रमण से बचना चाहते हैं तो जिन लोगों को पहले से किसी तरह का संक्रमण है उनसे आपको दूरी बनानी होगी क्योंकि यदि आप उनके संपर्क मे आते हैं तो ‌‌‌ आपको भी उसी तरह के संक्रमण होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि बच्चा है तो उसे मां का दूध अवश्य ही पिलाया जाना चाहिए क्योंकि उस दूध के अंदर एंटीबॉडी  होती है जोकि कान के संक्रमण और दूसरी तरह की बीमारियों से लड़ने मे सुरक्षा देती है। जिन बच्चों को मां का दूध नहीं मिलता है वे काफी अधिक बीमार पड़ते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌किसी भी नुकीली वस्तु को कान मे देने का प्रयास ना करें। यदि आप किसी भी नुकीली वस्तु को कान मे देने का प्रयास करते हैं तो इससे कान का पर्दा फट सकता है और आपके लिए काफी अधिक समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आप अधिक शौर वाले स्थानों पर काम करते हैं तो फिर आपको अपने कान को एयर प्लग से ढकना चाहिए ताकि अधिक शौर आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सके । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

आंखों की सूजन dexona tablet uses in hindi 

दोस्तों आंखों मे सूजन के अंदर भी dexona tablet uses किया जाता है। आंखों के आस पास की जो त्वचा होती है वह काफी संवेदनशील होती है। और आंखें मे अधिक थकान और सही से नींद नहीं लेने और एलर्जी की वजह से सूजन आ जाती है।इसके अलावा कई बार द्रव आपकी आंखों के आस ‌‌‌ एकत्रित हो जाता है जिसकी वजह से आंखों के अंदर सूजन आ जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

यदि हम आंखों के सूजन के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप आंखों के सूजन के बारे मे पता लगा सकते हैं तो आइए जानते हैं आंखों के सूजन के लक्षणों के बारे मे विस्तार से

  • अत्यधिक आंसू आना
  • देखने में मुश्किल होना
  • आंखें लाल होना और सूजन आना
  • आंखों की पलकों में लालिमा आना
  • आंख मे खुजली होना और जलन
  • आंख के अंदर से किचड़ का निकलना
  • दर्द होना
  • सूजन होना ।
  • ‌‌‌आंखों के आस पास काले घेरे का बन जाना आदि हो सकता है।

‌‌‌इसके अलावा भी आंखों के सूजन के साथ अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो यह किसी और बीमारी के संकेत हो सकते हैं । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • सिर दर्द
  • वजन बढ़ना या घटना
  • शरीर के अन्य भागों में चकत्ते
  • चेहरे पर सूजन का होना
  • ठंड लगना
  • मितली आना
  • सांस लेने मे तकलीफ
  • चेहरे और गर्दन में सूजन
  • ठंड लगना
  • आंख के चारों ओर लाली
  • लंबे समय तक आंखों में सूजन रहना

‌‌‌उपर दिये गए सभी लक्षण किसी गम्भीर समस्या के बारे मे संकेत देते हैं तो यदि यह लक्षण आपको दिखते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उना सभी निर्देश का पालन करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि हम आंखों मे सूजन के कारणों की बात करें तो यह कई कारणों की वजह से हो सकती है। जैसे कि किसी तरह की एलर्जी होने की वजह से हार्मोन तरल पदार्थ के जमने या फिर किसी अन्य समस्या की वजह से हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌इसके अलावा कई बार किसी वजह से अधिक रोना पड़ता है। अधिक रोने की वजह से भी आंखों मे सूजन आ जाती है। इसके अलावा यदि आप समय पर सोते नहीं हैं तो भी आंखों को सूजन का सामना करना पड़ता है।इसके अलावा अधिक मात्रा मे शराब पीने की वजह से भी आंखों मे सूजन की समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना ‌‌‌ चाहिए ।

  • उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया
  • त्वचा के विकार जैसे डर्मेटाइटिस
  • सोडियम का अत्याधिक सेवन करना
  • चश्मे व लेंस की वजह से
  • एलर्जी होना
  • आंख आना
  • शराब का अधिक सेवन करने से ।
  • ‌‌‌आंखों मे संक्रमण का होना ।

‌‌‌अब बात आती है कि आंखों मे सूजन का आप किस तरह से बचाव कर सकते हैं तो इसके लिए आपके पास कई सारे तरीकें होते हैं जिसकी मदद से आप आंखों मे सूजन से बचाव कर सकते हैं तो आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे मे विस्तार से ।

  • ‌‌‌धुंआ और प्रदूषण से आपको अपनी आंखों को बचना चाहिए नहीं तो नुकसान हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा अपने खाने पीने के अंदर विटामिन ए का सेवन बढ़ाया जाना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आंखों मे सूजन आ गई है तो बर्फ आपको रखना चाहिए । जिससे कि आंखों की सूजन कम हो जाएगी ।
  • आंखों की सूजन को कम करने के लिए खीरा, टी बैग या अन्य खाने की चीजों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इनसे संक्रमण होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं।
  • उन सभी पदार्थों से आपको दूरी बनानी होगी जोकि एलर्जी को पैदा करते हैं। वरना समस्या हो सकती है।

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