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‌‌‌‌‌द्रोपदी का पर्यायवाची शब्द ‌‌‌या समानार्थी शब्द

दोस्तो इस लेख मे हम द्रौपदी का पर्यायवाची शब्द draupadi ka paryayvachi shabd या द्रौपदी का समानार्थी शब्द draupadi ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे। इसके अलावा द्रौपदी कौन थी और इसके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलूओ के बारे में विस्तार से जानेगे तो इस लेख को देखे ।

द्रौपदी का पर्यायवाची शब्द या द्रौपदी का समानार्थी शब्द { draupadi ka paryayvachi shabd ya draupadi ka samanarthi shabd}

शब्द {shabd}पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd}
द्रौपदीद्रुपदसुता, कृष्णा, सैरिंघ्री, नित्ययौवना, याज्ञसेनी, वेदिजा, पांचाली, अग्निसुता
DraupadiDrupada Suta, Krishna, Singhi, Nityayouvana, Yagyaseni, Vedika, Panchali.
Draupadi in EnglishDrupada Suta, Krishna, Singhi, Nityayouvana, Yagyaseni, Vedika, Panchali.

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द्रोपदी का हिंदी मे अर्थ Meaning of Draupadi in hindi –

  • पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री यानि द्रौपदी ।
  • जिसका जन्म यज्ञकुण्ड में हुआ था ।
  • महाभारत में जिसके चीर हरण के बारे मे बताया गया है ।
  • जिसका विवाह अर्जुन के साथ हुआ था ।
  • जिसका पिता द्रुपद था ।

‌‌‌द्रोपदी के पर्यायवाची शब्द के वाक्य में प्रयोग, Use of Draupadi’s synonyms in a sentence

  • भरी सभा मे जब द्रोपदी का चिरहरण हुआ तो भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी की इज्जत बचाते हुए उसकी साडी लंबी करते जा रहे थे ।
  • सरला अपनी बहु से कहने लगकी एक बार द्रोपदी ने श्री कृष्ण के हाथो मे अपनी साडी फाड कर बांधी थी इसी कारण से श्री कृष्ण ने ‌‌‌द्रोपदी का चिरहरण को न होने दिया था ।
  • राजू अपनी मां से कहने लगा की द्रोपदी को पांचाली क्यो कहा जाता है तब उसकी मां ने समझाया की उसका विवाह तो अर्जुन के साथ हुआ था मगर उसने पांचो पाण्डवो को अपना पति माना था जिसके कारण से ही उसे पांचाली नाम दिया गया ।
  • किशोरी और रामीला आपस में बात कर रही ‌‌‌थी की अर्जुन या पांच पण्डवो की पत्नी द्रोपदी का जन्म राजा द्रुपद के घर हुआ था ।
  • रामू अपने दोस्त से बात करते हुए कह रहा था की द्रोपदी का विवाह पहले कर्ण के साथ होने वाला था मगर जब द्रोपदी को पता चला की कर्ण सुत पुत्र है तो द्रोपदी ने उसे अपमानीत करते हुए भरी सभा मे ‌‌‌सूतपूत्र कहा जिसके कारण ‌‌‌से द्रोपदी का विवाह कर्ण के साथ न हो सका ।
  • अर्जुन ‌‌‌ने मच्छली ‌‌‌की आंख मे तीर मार कर यह सिद्ध किया की वह सबसे अधिक लक्ष्यभेदी है तभी उसका विवाह द्रोपदी के साथ हुआ ।

‌‌‌ द्रौपदी के बारे मे रोचक तथ्य, Interesting facts about Draupadi

  • आपको जान कर हैरानी होगी की द्रौपदी ने शिव से वरदान मागा था की उसका विवाह ऐसे व्यक्ति से हो जिसमे सर्वसंपन्न गुण हो । इस तरह से द्रौपदी ने शिव से कुल पांच बार कहा था । जिसके कारण द्रौपदी के पांच पति थे और वरदान के अनुसार पांचो मे कुल मिलाकर गुण भी पूरे हो ग‌‌‌ए जो द्रौपदी चाहती थी ।
  • द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था मगर आपको जान कर हैरानी होगी की असल मे द्रौपदी अर्जुन से विवाह न कर कर कर्ण से करना चाहती थी । मगर द्रौपदी को कर्ण के बारे मे पता नही था । मगर एक दीन द्रौपदी को पता चला की कर्ण एक सूत पुत्र है । बस यही बात द्रौपदी को अच्छी नही लगी और उससे ‌‌‌कर्ण से विवाह न कर कर अर्जुन से कर लिया ।

  • द्रौपदी ने किया कर्ण को अपमानति – बताया जाता है की द्रौपदी का विवाह कर्ण से होने वाला था और यह द्रौपदी भी चाहती थी मगर कर्ण के सूत पुत्र होने के कारण से द्रौपदी ने कर्ण को भरी सभा मे अपमानित कर दिया जिसके कारण से कर्ण ने द्रौपदी से विवाह नही ‌‌‌किया ।
  • आपको जान कर हैरानी होगी की द्रौपदी का जन्म नही हुआ था बल्की उनकी उत्पत्ति हुई थी और यह उत्पत्ति यज्ञकुण्ड में हुई जिसके कारण से ही द्रोपदी को यज्ञसेनी के नाम से जाना जाता है ।
  • द्रौपदी का चिरहरण का सबसे बडा करण यही था की दुर्योधन ने द्रोपदी को दांव मे जीता था और इसके अलावा भी एक ‌‌‌कारण यह भी रहा था की द्रौपदी ने एक बार दुर्योधन का अपमान करते हुए उसे अंधे का पूत्र अंधा कहा था । इसी बात के कारण से द्रौपदी का चिरहरण हो गया ।
  • कर्ण द्रौपदी को चाहते थे फिर भी उन्होने द्रौपदी का चिरहरण नही रोका क्योकी जिस तरह से दुर्योधन का अपमान हुआ था उसी तरह से द्रौपदी ने कर्ण ‌‌‌का भी अपनमान किया था ।
  • द्रौपदी का चिरहरण होने पर उनकी मदद किसी ने नही की तब जाकर द्रौपदी ने अपने मित्र श्रीकृष्ण को याद किया तब श्रीकृष्ण ने ही उनके चिरहरण न होने मे मदद की थी ।
  • दुशासन ने द्रौपदी का चिरहरण करना चाहा मगर श्री कृष्ण के चमतकार के आगे उनकी नही टिक सकी क्योकी साडी इतनी ‌‌‌अधिक लंबी हो रही थी की वह थक कर बैहोस हो गया ।

‌‌‌द्रौपदी का जन्म कैसे हुआ, How was Draupadi born?

‌‌‌द्रौपदी महाभारत के 5 पाण्डवो की पत्नी के रूप मे जानी जाती है । और वह राजा द्रुपद की पुत्र है । इसके जन्म के  बारे मे बताया जाता है की इसका जन्म नही हुआ बल्की द्रौपदी की उतपत्ति हुई थी और यह उत्पत्ति एक यज्ञकुण्ड से हुई ।

यज्ञकुण्ड से द्रौपदी की उत्पत्ति, Origin of Draupadi from Yajnakund

कथा के अनुसार बताया जाता है की द्रोणाचार्य एक बार राजा द्रुपद से मित्रता करने के लिए उनके महल मे गए थे । तब द्रोणाचार्य को राजा द्रुपद ने यह कह कर अपमानित कर दिया की मित्रता बराबर के लोगो मे होती है । यही बात द्रोणाचार्य को अच्छी नही लगी ।

क्योकी द्रोणाचार्य पांण्डवो और कोरवो का गुरू था तो उसने दोनो से दक्षिणा के रूप मे ‌‌‌राजा द्रुपद को बंदी बना कर उसका राज्य मागा । इसी बात के कारण से अर्जुन ने द्रुपद को बंदी बना लिया । इसके बाद मे द्रोणाचार्य ने द्रुपद को राज्य से निकाल दिया । यह देख कर राजा द्रुपद को बहुत बुरा लगा ।

इसके बाद मे एक दिन राजा द्रुपद कल्याणी नगरी मे पहुंच गए थे वहां पर काफी अधिक ब्रह्मण रहा ‌‌‌करते थे । अब राजा द्रुपद द्रोणाचार्य को मृत्यु के घाट उतारना चाहता था तब उसने इस बारे मे दो ब्रह्मणो से बात की याज तथा उपयाज से बात की थी । जो बहुत बडे ब्राह्मण थे ।

मगर इससे पहले राजा द्रुपद ने उनके घर मे रह कर उनकी कई दिनो तक सेवा की जिसके कारण से ब्राहमण प्रसन्न हो गए और राजा द्रुपद की ‌‌‌की बात मान गए । जिसके कारण से याज तथा उपयाज ने एक यज्ञ करने को कहा और कहा की इस यज्ञ से एक ऐसा पुत्र प्राप्त होगा जो आपकी मनोकामना पूरी कर देगा ।

इस तरह से याज तथा उपयाज की बात मान कर राजा ने यज्ञ करवाया । जिससे द्रोपदी नाम ‌‌‌पुत्री की उत्पत्ति हुई । इसके साथ ही एक पुत्र की उत्पत्ति हुई‌‌‌ जिसका नाम धृष्टघ्युमन था । ‌‌‌इस तरह से पता चलता है की द्रौपदी का जन्म नही हुआ था बल्की उसकी उत्पत्ति हुई थी ।

द्रौपदी का स्वयंवर, Draupadi’s Swayamvara

प्राचीन समय में जब भी राजा महाराजा अपनी बेटी का विवाह करते थे तो एक स्वयंवर का आयोजन करते थे । जिसमे आस पास के राजा महाराजाओ के अलावा और भी बहुत ‌‌‌लोग आते थे । और राजा अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए एक ऐसी कठिन परिक्षा रखता था जो हर कोई उसे पूरा नही कर पाता था । मगर, अगर कोई उसे ‌‌‌पूरा कर देता है तो उसका विवाह अपनी बेटी से करना पडता है । चाहे फिर सामने वाला कोई राजा या राजकुमार हो या नही ।

‌‌‌किस तरह से हुआ द्रौपदी का स्वयंवर, How did Draupadi’s swayamvara happen?

जिस तरह से राम और सिता का स्वयंवर हुआ था उसकी तरह से द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था । और इस स्वयंवर मे द्रोपदी का पिता राजा द्रुपद ने पानी मे देखते हुए मछली की तीर पर निशाना लगाने की ‌‌‌ ‌‌‌शर्त रखी । अब यह शर्त तो आसान लग रही है मगर इसके साथ ही एक बात और रही थी की मछली चारो और घूम रही थी ।

यानी घूमती हुई मछली को पानी में देख कर निशाना लगाना था । जिसे हर कोई पूरा नही कर सकता था । इसे तो एक धनुधारी ही पूरा कर सकता है । महाभारत मे अर्जुन को सबसे बडा धनूधारी बताया जाता है और उसने ही इस शर्त को ‌‌‌पूरा किया और फिर द्रौपदी से विवाह किया था ।

अर्जुन और द्रौपदी के विवाह के लिए कठिन शर्त, Tough condition for Arjun and Draupadi’s marriage

अर्जुन और उसके चारो भाई एक ब्राह्मण के भेष मे अपनी माता के साथ रहते थे । तब उनके पास द्रौपदी के स्वयंवर की सुचना पहुंची तो अर्जुन भी एक ब्राह्मण के भेष मे राजा द्रुपद के राज्य जाकर स्वयंवर को देखने लगा था । इसके साथ ही कुछ जगहो पर बताया जाता है की वेदव्यास ने अर्जुन और उसके भाइयो को आदेश देकर राजा द्रुपद की बेटी से विवाह करने के लिए भेजा था ।

जब अर्जुन एक ब्राह्मण के भेष मे राजा द्रुपद के महल मे गया तो उसने देखा की वहां पर श्री कृष्ण, कर्ण और दुर्यो‌‌‌धन के अलावा अनेक प्रकार के राजा थे । मगर श्री कृष्ण द्रौपदी के सका के रूप मे थे यह अर्जुन को पता था । अर्जुन चुप चाप ब्राह्मणो के स्थान पर बैठ गया । देखते ही देखते द्रौपदी वहां पर एक माला के साथ पधारी ।

जिसके साथ ही स्वयंवर की शर्त को पूरी करने का कार्य शुरू किया गया । शुरू होते ही एक एक करते ‌‌‌हुए सभी राजा मछली को निशाना बनाने की कोशिश करने के लिए चले गए । मगर इसके साथ शर्त यह भी थी 5 तीरो से अधिक एक व्यक्ति नही चला सकता है । और सभी राजाओ से 5 तीरो मे एक भी तीर मछली की आंख पर नही लगी ।

अब दुर्योधन भी इस शर्त को पूरा करना चाहता था मगर उसे लगा की वह इसे पूरा नही कर पाएगा तो वह नही ‌‌‌गया । कुछ समय के बाद मे कर्ण आगे की और बढे क्योकी कर्ण द्रौपदी से प्रेम करते थे और वे इस शर्त को आसानी से पूरा कर सकते थे । मगर द्रौपदी को पता चला की कर्ण एक सूत पुत्र है जिसके कारण से द्रौपदी ने भरी सभा मे कह दिया की मैं इस सूत पूत्र से विवाह नही करना चाहती हूं ।

बस हो क्या सकता था जब कर्ण ‌‌‌ने यह सुना तो उसे अपना अपमान महसुस हुआ और वे स्वयं ही इस शर्त को पूरा करने के लिए पिछे हठ गए । जब सभी हार गए थे तो अर्जुन आगे बडे । मगर अर्जुन का भेष एक ब्राह्मण के रूप मे होने के कारण से सभी को लगा की यह क्या कर लेगा । सभी सोच रहे थे की इस शर्त को बडे बडे राजा महाराजा नही कर सकते तो यह एक ‌‌‌ब्राह्मण है ।

यह देखने के बाद मे अर्जुन को किसी ने नही रोका । तब अर्जुन ने जैसे ही धनुष पर तीर चढाई और पानी मे देखा तो मछली घूम रही थी । तब अर्जुन ने आंखे बंद की और अपना ध्यान एकत्रित करते हुए एक तीर चला दिया । यह तीर सिधा मछली के आंख मे लगा । जिसे देख कर सभी हैरान हो गए ।

यहां तक की ‌‌‌द्रौपदी भी हैरान हो गई क्योकी उसे भी यकिन नही हो रहा था की एक ब्राह्मण इतना अच्छा तीर निशाना लगा सकता है । अब शर्त के मुताबित अर्जुन का विवाह द्रौपदी से हो गया । जिसके बाद मे अर्जुन द्रौपदी के साथ अपनी माता के पास पहुंचा । मगर माता ने देखे बिना ही कह दिया की आपस मे बाट लो । इसी कारण से‌‌‌ द्रौपदी पांच पाण्डवो की पत्नी के रूप मे जानी जाती है। मगर असल मे द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था । इस तरह से द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था ।

‌‌‌द्रौपदी का विवाह पांच पाण्डव से क्यो हुआ, Why was Draupadi married to five Pandavas?

द्रौपदी का पिछला जन्म इस बात से जुडा हुआ है क्योकी बताया जाता है की द्रौपदी ने अपने पिछले जन्म में एक बार भगवान शिव की इतनी कठोर तपस्या की जिसके कारण से शिव प्रसन्न हो गए और द्रौपदी को वर देने के लिए आ गए । तब वर के रूप मे उसने शिव से ‌‌‌ऐसे पति की कामना की जो सर्वगुण संपन्न हो ।

मगर द्रौपदी ने भूल के कारण से इस शब्द को 5 बार बोल दिया था । और भोलेनाथ का क्या था उन्होने वरदान दे दिया । जिसके चलते अगले जन्म में उसके पांच पति हो गए । और पांचो में मिलकार वे सर्वगुण संपन्न होते है । इस तरह से शिव का वरदान पूरा होता है । ‌‌‌

इसके अलावा किसी एक व्यक्ति में सभी गुण हो यह बहुत ही कठिन होता है यह भोलेनाथ को भी पता था मगर द्रौपदी के पांच बार कहने के कारण से पांच पति से विवाह होने का वरदान मिल गया । इसके साथ ही बताया जाता है की पांच पण्डवो को भी श्राप दिया गया था की उनका अगले जन्म मे धरती पर विवाह एक ही कन्या ‌‌‌से होगा ।

यही कारण है की द्रौपदी का विवाह पांच पाण्डवो से हुआ था। मगर अर्जुन से द्रौपदी का विवाह हुआ था और विवाह के पश्चात अर्जुन और द्रौपदी ‌‌‌अर्जुन की माता के पास मिलने के लिए गए तो अर्जुन की माता को लगा की बेटा भिक्षा लेकर आया है यह सोच कर उसने कहा की पांचो भाई आपस मे बाट लो । अपनी माता की ‌‌‌बात मानते हुए द्रौपदी का विवाह पांचो भाईयो से हुआ । 

क्या द्रौपदी मानव के लिए उपयोगी है, Is Draupadi useful to humans

वैसे दोस्तो द्रौपदी के बारे मे हम सभी को पता है । हालाकी अगर हम इनके मानव जीवन में उपयोग होने के बारे में बात की जाए तो यह सभी का एक अपनी सोच हो सकती है । क्योकी कुछ लोग इन्हे एक देवी के रूप में मान सकते है और कुछ लोग इन्हे केवल स्त्री मानते है ।

तो इसके बारे में नही कहा जा सकता है की मानव के लिए द्रौपदी उपयोगी है की नही । वैसे आपको एक बात बता दे की द्रौपदी जो होती है वह असल मे श्री कृष्ण की सखी रह चुकी है ।

इस तरह से हमने इस लेख मे जाना की द्रौपदी का पर्यायवाची शब्द क्या होते है और द्रौपदी शब्द का अर्थ क्या है इसके अलावा सपूर्ण लेख मे हमने द्रौपदी के जीवन के बारे मे विश्तार से जाना है । मगर लेख मे महत्वपूर्ण द्रौपदी का पर्यायवाची था ।  

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