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जड़ का विलोम शब्द क्या है Jad ka vilom shabd kya hai ?

जड़का विलोम शब्द या जड़ का वियोग शब्द, जड़ का उल्टा क्या होता है ? Jad ka vilom shabd Jad ka opposite word kya hai

शब्दविलोम शब्द
जड़चेतन
JadChetan

‌‌‌जड़ का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों जड़ का विलोम शब्द होता है चेतन । दोस्तों जड़ का मतलब होता है जिसके अंदर प्राण नहीं होता है उसको जड़ पदार्थ के अंदर माना जाता है। जैसे कि जितनी भी चीजे हैं। जिनके अंदर प्राण नहीं है वे सारे जड़ पदार्थ होते हैं। इसके बारे मे आपको पता ही होगा । यह पुरी ‌‌‌दुनिया जड़ और चेतन के सहयोग से बनी हुई है।

यदि चेतन की बात करें तो सारे जीव और जंतु चेतन के अंदर आते हैं। दोस्तों जड़ पदार्थ को किसी भी तरह का एहसास नहीं होता है। जैसे इंसान मर जाता है तो वह जड़ बन जाता है। उसके बाद यदि आप उसकी बॉडी के साथ कुछ भी करेंगे तो उसे इसका एहसास नहीं होगा क्योंकि ‌‌‌उसके अंदर जो चेतन तत्व मौजूद था वह बाहर निकल चुका है जिसको हम आत्मा के नाम से जानते हैं वही कारण होता है इस जड़ शरीर को चलाने का जब वह चेतन तत्व नहीं रहता है तो शरीर जड़ हो जाता है।

‌‌‌दोस्तों चेतन तत्व के अंदर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आता है। वह हमेशा एक जैसा ही रहता है। लेकिन जो जड़ तत्व होता है उसके अंदर बदलाव आता रहता है। आप एक चट्टान को देखते हैं वह जड़ होती है। धीरे धीरे चट्टान नष्ट होती जाती है और वह किसी दूसरे रूप मे बदल जाती है। इसी तरह से जड़ तत्व के अंदर ‌‌‌बदलाव होता रहता है। लेकिन चेतन तत्व को अजर और अमर बताया गया है उसके अंदर किसी भी तरह का बदलाव नहीं होता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। खैर दोस्तों जड़ तत्व जो होता है वह इस पूरे ब्रह्रमांड के अंदर मौजूद है और चेतन भी मौजूद है जब जड़ की चेतन से क्रिया होती है तो उससे ही जीव की ‌‌‌ उत्पति होती है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लें। यह बात अलग है कि विज्ञान इस बात को कभी भी नहीं समझा पायेगा कि जीव की उत्पति कैसे होती है। और ना ही विज्ञान एक अलग प्रकार के जीव की उत्पति कर पाता है। लेकिन योगी लोग ऐसा कर पाते हैं। इस तरह का ज्ञान अब विलुप्त हो चुका है। या यह बहुत ‌‌‌ ही कम बचा है। दोस्तों जड़ ही तो समस्त दुखों का कारण होता है क्योंकि जड़ के अंदर सदैव बदलाव होते रहते हैं। हमारा शरीर भी एक तरह से जड़ ही है बस यह प्राण की वजह से चेतन हो जाता है। और इस शरीर के अंदर निरंतर बदलाव होते रहते हैं जिसकी वजह से हम दुखी होते जाते हैं।

‌‌‌बदलाव का मतलब यही है कि शरीर की कोशिकाएं मरती रहती हैं और उसके स्थान पर नयी कोशिकाएं आती रहती हैं । इस तरह से शरीर के अंदर बदलाव सदैव ही चलता रहता है। और एक समय ऐसा आता है जब शरीर उस चेतन तत्व को धारण करने मे सक्षम नहीं हो पाता है तो उसके बाद वह शरीर से अपने आप ही बाहर निकल जाता है। ‌‌‌उस स्थिति को हम मौत के नाम से जानते हैं। उसके बाद हमारा शरीर पूरी तरह से जड़ हो जाता है क्योंकि उसके अंदर किसी भी तरह का प्राण शेष नहीं रह जाता है। तो शरीर से प्राण का निकलना और उसके अंदर प्राण का प्रवेश करना भी एक नैचुरल क्रिया होती है।

‌‌‌चेतन का अर्थ और मतलब

दोस्तों चेतन शब्द के बारे मे जानते ही हैं। चेतना का मतलब होता है जिसके अंदर प्राण होता है उसके लिए चेतन शब्द का यूज किया जाता है। जैसे कि हर जीव जंतु के अंदर प्राण होता है तो उनको चेतन नाम से जाना जाता है। दोस्तों यह प्राण ही होता है जोकि शरीर को चेतन बनाने का काम ‌‌‌ करता है। यदि शरीर के अंदर से प्राण निकल जाता है तो उसके बाद शरीर चेतन नहीं रह जाता है वह जड़ के अंदर बदल जाता है।

आयुर्वेद, तन्त्र इत्यादि में पाँच प्रकार के प्राण बताये गये हैं:

  1. प्राण
  2. अपान
  3. उदान
  4. समान
  5. व्यान

‌‌‌दोस्तों जो योगी लोग होते हैं वे प्राणों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। और उसके बाद वे खुद  प्राणों की क्रिया को रोकने मे सक्षम होते हैं। यहां तक कि वे अपने हर्ट की धड़कन को भी रोक सकते हैं। आपके लिए यह आश्चर्य की बात हो सकती है लेकिन हकीकत मे ऐसा हो सकता है। जो योगी अपने प्राणों को एकत्रित ‌‌‌कर पाते हैं इस तरह के महायोगी दुर्लभ होते हैं और बाद मे वे अपने शरीर से बाहर निकल जाते हैं जिसको हम अशरीरी यात्रा कहते हैं। माना जाता है कि वे इसकी मदद से किसी भी देश की यात्रा कर सकते हैं। दोस्तों प्राण की यह यात्रा और इसके रहस्य को विज्ञान कभी भी नहीं समझ सकता है। यह  क्रिया करने के लिए ‌‌‌उच्च कोटी की साधना करनी पड़ती है और आपको तो पता ही है कि हर कोई इंसान इस तरह की साधना हो नहीं कर सकता है। क्योंकि इसके अंदर बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है और इस क्रिया को सिखाने वाले गुरू की भी भारी कमी है जिसके चलते यह क्रिया सीखना भी संभव नहीं है।

‌‌‌प्राणों को अपने शरीर से बाहर निकाल कर अपने शरीर को वे लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और कई जगहों पर हमने यह पढ़ा है कि ऐसे योगी दूर तक पहुंच सकते हैं। यह सब क्रियाएं अपने आप मे एक रहस्य ही हैं। दोस्तों इतना ही नहीं यह योगी अपनी शक्ति की मदद से अपने प्राण को किसी दूसरे शरीर के अंदर ‌‌‌ प्रवेश करा सकते हैं इस क्रिया को परकाया प्रवेश के नाम से जाना जाता है। हालांकि हर इंसान के पास इस तरह की सिद्धि नहीं होती है। इंटरनेट के उपर इन सभी क्रियाओं के बारे मे बहुत अधिक पढ़ा और लिखा जाता है लेकिन सही सही तरीकें को सीखाने वाले लगभग ना के बराबर होते हैं।

‌‌‌आमतौर पर जो महायोगी होते हैं वेही यह सब काम करते हैं एक आम इंसान के लिए यह सब क्रियाएं नहीं होती हैं। इनके रहस्य के बारे मे हम भी आपको नहीं बता सकते हैं। क्योंकि हमें भी इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं है। यदि आप किसी ऐसे महायोगी को जाने ते हैं तो आप उनसे इसके बारे मे पूछ सकते हैं।

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