ofloxacin tablet uses in hindi 200 mg or side effect

ofloxacin tablet uses in hindi 200 mg , ofloxacin tablet uses in hindi ofloxacin tablet का उपयोग कई तरह की समस्यों के उपचार मे काम आती हैं। जैसे कि यह दवा यूरिन इन्फेक्शन, कान में संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण आदि के लिए यह दवा काम आती है।

ofloxacin tablet का उपयोग कई तरह की समस्याओं के उपचार मे किया जाता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। वैसे तो इस दवा के कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन यदि आप इस दवा को सेवन करते हैं तो आपको कई तरह के साइड इफेक्ट भी नजर आ सकते  हैं। ‌‌‌और अधिकतर केस के अंदर साइड इफेक्ट एक जैसे नहीं होते हैं और अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन यदि अपने आप ही ठीक नहीं होते हैं तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।

ofloxacin tablet कई तरह की समस्याओं के अंदर काम मे आती है । इसके बारे मे हम आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं इस तरह की कुछ समस्यओं के बारे मे विस्तार से और आप समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।

  • यूरिन इन्फेक्शन
  • कान में इन्फेक्शन
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • आंख का संक्रमण
  • सूजाक
  • स्किन इन्फेक्शन
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज
  • ब्रोंकाइटिस
  • प्रोस्टेटाइटिस
  • बहरापन
  • कान बजना
  • कान में दर्द
  • आंखों की सूजन
  • दस्त
  • बाहरी कान का संक्रमण
  • टाइफाइड

ofloxacin tablet uses in hindi ‌‌‌यूरिन इन्फेक्सन के अंदर

‌‌‌यदि हम यूरिन इन्फेक्सन की बात करें तो इसको हम हिंदी के अंदर मूत्र मार्ग के संक्रमण के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।यूरिन इन्फेक्सन आमतौर पर किसी वायरस या फिर फंगस से हो सकता है। इंसानों के अंदर यूरिन इन्फेक्सन का होना सबसे आम बात होती है। और ‌‌‌इस बीमारी का असानी से उपचार किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि बच्चों के अंदर यूरिन इन्फेक्सन काफी कम ही होता है लेकिन वयस्कों के अंदर यूरिन इन्फेक्सन के होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।  और महिलाओं के अंदर भी यूरिन इन्फेक्सन होने के चांस काफी अधिक होते हैं।

यूरिन इन्फेक्शन (यूटीआई) के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आप आसानी से यह पहचान सकते हैं कि आपको यूरिन संक्रमण हुआ है और आप अपने डॉक्टर के पास जा सकते हैं। मदद मांगने के लिए ।

  • मूत्राशय की परत में सूजन आ जाना।
  • पेशाब करते समय दर्द का होना
  • मूत्र करने की बार बार इच्छा का होना ।।
  • बदबूदार, और खूनी पेशाब होना
  • पेट के नीचले हिस्से के अंदर दर्द का होना ।।
  • काफी तेज बुखार (101 फ़ारेनहाइट से अधिक) आना।
  • ठंड से कंपकपी लगना।
  • जी मिचलाना।
  • उल्टी होना।
  • छोटे बच्चों में बुखार, पीलिया, उलटी, दस्त और चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं हो सकती हैं
  • इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को यूरिन के अंदर संक्रमण होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इसलिए बच्चे के जन्म के समय अंगों की जांच करवा लेना काफी अधिक जरूरी हो जाता है आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌अब यदि हम यूरिन संक्रमण के कारणों की बात करें तो इसके पीछे कई सारे कारण होते हैं लेकिन अधिकांश  यूटीआई संक्रमण ई-कोलाई की वजह से होते हैं जोकि एक प्रकार का बैक्टिरिया होता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा ।

  • शुगर (मधुमेह)।
  • अस्वच्छ रहने की आदत।
  • मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना।
  • दस्त आना
  • मूत्र का अवरुद्ध प्रवाह।
  • पथरी।
  • गर्भनिरोधक का उपयोग।
  • गर्भावस्था।
  • रजोनिवृत्ति।
  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली

‌‌‌यदि आपको इस तरह की समस्याएं हैं तो यूरिन संक्रमण के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं आपको सावधानी बरतनी होगी तभी आप इस संक्रमण को आसानी से रोक सकते हैं यदि आप सावधानी नहीं बरतते हैं तो यह संक्रमण काफी अधिक घातक साबित हो सकता है।

यूटीआई (यूरिन इन्फेक्शन) से बचाव के लिए आप क्या क्या कदम उठा सकते हैं ?

दोस्तों अब आपके दिमाग मे यह भी आता होगा कि यूरिन संक्रमण से बचाव के लिए क्या क्या कदम उठा सकते हैं ? तो इसके लिए आप कई उपाय को चुन सकते हैं। यदि आप नीचे दी गई बातों का ध्यान रखते हैं तो इसकी वजह से यूरिन संक्रमण को ‌‌‌ रोकने मे काफी अधिक समर्थ को सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

  • ‌‌‌सबसे पहली बात तो यह है कि आपको अधिक मात्रा के अंदर मूत्र त्याग करना चाहिए।  और इसके लिए आपको अधिक पानी पीना चाहिए । यदि आप अधिक पानी पीते हैं तो यूरिन संक्रमण के चांस काफी कम को जाते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए।
  • ‌‌‌कैफिन के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। चाय और कॉफी के अंदर कैफिन होता है। यदि आप इनका अधिक सेवन करते हैं तो इनका सेवन कम करना चाहिए । क्योंकि इससे मूत्र पथ के अंदर संक्रमण होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं।इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । वैसे कैफीन वास्तव में फोकस और एकाग्रता में मदद करने के लिए दिखाया गया है। यह लोगों को कार्य पर बने रहने और दिन भर काम करते रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा देता है। यह उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा है जो अपना वजन कम करने या अपने तनाव के स्तर को प्रबंधित करने की कोशिश कर रहे हैं
  • ‌‌‌यदि आप नहा रहे हैं तो बाथ टब का प्रयोग आपको नहीं करना चाहिए।  आपको चाहिए कि आप सामान्य तरीके से नहाएं । क्योंकि बाथ टब का प्रयोग करने से मूत्र पथ के अंदर संक्रमण होने का चांस काफी अधिक बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।
  • माहवारी के दौरान, टेम्पॉन की जगह सेनेटरी पैड या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करना चाहिए और इनको  समय समय पर बदलना बहुत की जरूरी हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।

ofloxacin tablet uses in hindi 200 mg ‌‌‌का उपयोग कान मे संक्रमण मे

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कान में संक्रमण  आमतौर पर कान के अंदर सूजन से जुड़ी एक बीमारी होती है। यह किसी तरह के जीवाणू या फिर वायरस से भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह अधिक धुंए के संपर्क मे आने से  वायरल ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण, धुंए या एलर्जी से संबंधित हो सकता है।न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा टीकाकरण ‌‌‌आप बच्चे का करवा सकते हैं जिससे कि उसे कान मे संक्रमण होने का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके अलावा यदि आप धुम्रपान करते हैं तो आपको कान का संक्रमण होने के चांस काफी अधिक हो जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

पेरासिटामोल, इबुप्रोफेन, बेन्जोकेन (कान का ड्रॉप) या ओपिओइड  आदि दवाएं होती हैं जोकि कान के संक्रमण के अंदर काम आती हैं। हालांकि इसके लिए एंटिबायोटिक दवाओं का भी प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन यह दवाएं तभी काम मे आती हैं जब कान का संक्रमण काफी गम्भीर हो गया हो ।यदि हम दुनिया भर मे कान ‌‌‌के संक्रमण के मामलों को देखें तो पता चलता है कि पूरी दुनिया के अंदर 11 फीसदी लोग कान संक्रमण से परेशान हैं और इसके अंदर आधे से अधिक मामले बच्चों के अंदर ही होते हैं आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।और अन्य आंकड़ों के अनुसार 2015 में 3,200 मौतें हुईं, जो वर्ष 1990 की तुलना (4,900) में काफी कम थी।

कान में संक्रमण (ओटाइटिस मीडिया) कान संक्रमण के प्रकार के बारे मे बात करें तो यह कई प्रकार का होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और समय रहते यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद स्थिति और अधिक गम्भीर हो सकती है।

  • एक्यूट ओटाइटिस मीडिया (एओएम)  एक इस प्रकार का संक्रमण होता है जोकि बच्चों के अंदर होता है। इसकी वजह से बच्चे के कान के अंदर काफी अधिक दर्द होता है और खुजली भी होती है। इसकी वजह से बच्चे ठीक से सो नहीं पाते हैं। और इसकी वजह से बच्चों के अंदर बुखार भी हो सकती है।
  • आवर्ती ओटाइटिस मीडिया (आरओएम)  कान संक्रमण आमतौर पर एक बार तो ठीक हो जाता है लेकिन उसके बाद फिर से हो जाता है। इस तरह के कान के संक्रमण को ईलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना बहुत ही जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • क्रोनिक सप्युरेटिव ओटाइटिस मीडिया (सीएसओएम) यह कान के अंदर के सूजन की स्थिति होती है। हालांकि इसके अंदर दर्द काफी कम होता है लेकिन सूजन लगातार बना रहता है और कान के अंदर से स्त्राव होता रहता है।आपको बतादें कि सभी तरह के जो कान के संक्रमण होते हैं उनकी वजह से बच्चों की सुनने की क्षमता प्रभावित ‌‌‌होती है। और यदि बच्चा पढ़ रहा है तो फिर उसके लिए और अधिक समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि वह जब चीजों को ठीक तरह से सुन नहीं पाऐगा तो फिर पढ़ेगा कैसे ?

‌‌‌अब हम कान मे संक्रमण के लक्षण की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप इसको पहचान सकते हैं।

  • बच्चे बार बार अपने कान को खुजलाते हैं। कान के अंदर खुजली हो सकती है। इसके अलावा यदि वे लेटते हैं तो उनके कान मे काफी अधिक दर्द होता है। इसकी वजह से उनको काफी परेशानी का सामना करना ‌‌‌ पड़ता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
  • टाइमपेनिक झिल्ली में हाल ही में हुए छिद्र या पहले से ही मौजूद टिम्पनोस्टोमी ट्यूब आदि से कान के अंदर से एक द्रव का स्त्राव हो सकता है। यह जों  समस्या होती है वह अक्सर उन लोगों के अंदर से देंखी जाती है जिनकी खोपड़ी के अंदर फक्चर हुआ हो हालांकि यह समस्या किसी दूसरे कारणों की वजह से भी हो सकती ‌‌‌ है। यह भी बताता है कि कान के अंदर संक्रमण हो चुका है और अब इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन बच्चों के अंदर कान का संक्रमण हों जाता है उनके अंदर बुखार भी हो जाता है। हालांकि सभी बच्चों के अंदर बुखार हो यह जरूरी नहीं होता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
  • चिड़चिड़ापन की समस्या भी बच्चों के अंदर काफी अधिक बढ़ जाती है तो यह भी किसी ना किसी समस्या कें  बारे मे एक तरह का संकेत होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌यदि कान के अंदर संक्रमण का समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो यह कान के अंदर कई तरह की समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना  चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते है। यही आपके लिए सही हो सकता  है।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि बच्चे के कान मे संक्रमण हो गया है तो उसका कान भी बज सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । कान बजना एक तरह से अच्छा संकेत नहीं होता है आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा कान के अंदर दर्द भी हो सकता है। यदि कान मे दर्द है तो फिर डॉक्टर को दिखाया जाना  चाहिए ताकि कान के दर्द की समस्या को बहुत ही आसानी से हल किया जा सकता है।
  • ‌‌‌यदि आपके कान के अंदर से तरल पदार्थ निकल रहा है तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाने मे किसी भी तरह की देर नहीं करनी चाहिए । यदि आप देर करते हैं तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • तेज़ बुखार हो, सिर दर्द या चक्कर आना आदि लक्षण यदि आपको दिखाई दे रहे हैं तो फिर आपको किसी तरह की देर नहीं करनी चाहिए। आपके कान के पीछे सूजन हो गयी हो, खासकर अगर आपके चेहरे के उस तरफ वाले हिस्से पर कमज़ोरी दिखाई दे और आप मांसपेशियों को हिलाने मे काफी समस्या महसूस कर रहे हैं तो फिर आपको जल्दी से अपने डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है आप समझ सकते हैं।
  • 24 से 48 घंटों में मे यदि आपकी समस्या के अंदर किसी तरह का कोई सुधार नहीं आता है तो इसका मतलब यह है कि आपके कान के लक्षण काफी गम्भीर हो चुके हैं आपको समझना होगा ।

ofloxacin tablet uses in hindi बैक्टिरियल संक्रमण

दोस्तों वैज्ञानिकों का यह दावा है कि मानव शरीर के अंदर कोशिकाओं से अधिक बैक्टिरिया होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।वैसे तो यह बैक्टिरिया हानिकारक नहीं होत हैं लेकिन कई बार यह किसी ना किसी बड़ी हानि के ‌‌‌कारण बन सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण गला, फेफड़े, त्वचा, आंत्र और कई अन्य भागों को प्रभावित कर सकते हैं। और यदि बैक्टिरियल संक्रमण हो जाता है तो उसके बाद आपको एंटिबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है हालांकि आपको यदि एंटिबायोटिक दवाओं का उपयोग करना है तो पहले डॉक्टर से परामर्श करना होगा तभी आपको इनका उपयोग ‌‌‌ करना चाहिए नहीं तो नुकसान हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण के प्रकार की यदि हम बात करें तो यह कई सारे प्रकार के होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

  • दोस्तों कई सारे बैक्टिरिया इस तरह के होते हैं जोकि आपकी त्वचा के उपर हमला करते हैं और त्वचा के अंदर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता ‌‌‌होना चाहिए और इन बैक्टिरिया का इलाज आमतौर पर एंटिबायोटिक दवाओं से किया जाता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा खाने से संबंधित भी पेट मे संक्रमण हो सकता है यह भी आमतौर पर बैक्टिरिया की वजह से ही होता है। इसके कई सारे लक्षण होते हैं जैसे कि दस्त, मतली और उल्टी, बुखार, ठण्ड लगना व पेट दर्द हो सकता है। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
  • बैक्टीरिया यौन संक्रमण का कारण भी बन सकते हैं। यह गुप्त पार्ट के अंदर संक्रमण कर सकते हैं। हालांकि कई बार संक्रमण के बारे मे पता भी नहीं चल पाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌अब हम बात करने वाले हैं कि बैक्टिरिया संक्रमण के लक्षण की बात करें तो इनके कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं जिसकी मदद से आप यह पहचान सकते हैं कि आपको बैक्टिरिया संक्रमण हुआ है और उसके बाद आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से बुखार आ सकता है दांत बज सकता है और ठंड लगने की समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • दूसरा हमारे शरीर के अंदर लिंफ नोडस होते हैं। यदि आपको बैक्टिरिया संक्रमण हुआ है तो लिंफ नोड़ के अंदर सूजन आ जाता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि बैक्टिरिया की वजह से गले के अंदर अंदर संक्रमण हो सकता है जिसकी वजह से गले मे दर्द हो सकता है और खाना पीना निगलने मे काफी अधिक कठिनाई हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि बैक्टिरिया संक्रमण हो जाता है तो निमोनिया भी हो सकता है और इसकी वजह से आपको सूखी खांसी आने की जो समस्याएं हैं वह काफी अधिक बढ़ जाती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा बैक्टिरिया की वजह से यूरीन इन्फेक्सन भी हो सकता है। हालांकि यदि यूरिन इन्फेक्सन होता है तो आपको इसके लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए तभी आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव की यदि हम बात करें तो इसके लिए हम कई तरह की सावधानियां रख सकते हैं। जिनकी मदद से हम संक्रमण से बच सकते हैं तो आइए जानते हैं बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के उपायों के बारे मे विस्तार से

  • ‌‌‌सबसे पहली बात आपको बार बार अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए । यदि आप कोई खाने पीने की चीज खाने वाले हैं तो उससे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना बहुत ही जरूरी हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा अपने घर और कार्यालय के अंदर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं को आपको साफ सुथरा रखना होगा तभी आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा यौन संबंध बनाते समय सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है नहीं तो बैक्टिरियल संक्रमण का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • वैजिनाइटिस के विकास के जोखिम को कम करने के लिए उपाय करें। और अपने पार्ट को अच्छी तरह से साफ सुथरा रखना बहुत ही जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • यदि आपके गले के अंदर दर्द है तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको निमोनिया के विकास के जोखिम को कम करने के बारे मे विचार करना चाहिए । यानि निमोनियां से बचने के लिए आपको उचित उपाय करने की बहुत अधिक जरूरत है।

‌‌‌अब यदि हम बैक्टिरियल संक्रमण के  उपचार की बात करें तो इसके लिए सबसे पहले डॉक्टर आपके लक्षणों को देखते हैं और इससे वे पता लगाने मे काफी कामयाब हो जाते हैं कि आपको बैक्टिरियल संक्रमण हुआ है। ऐसी स्थिति के अंदर आपके डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं। जिसके अंदर ‌‌‌एंटिबायोटिक दवाएं हो सकती हैं। और इसकी मदद से संक्रमण को ठीक किया जा सकता है। यह दवाएं कुछ इस प्रकार की होती हैं कि इनको अपनी मनमर्जी के अनुसार नहीं लेना चाहिए आपके डॉक्टर आपको जितना यह दवाएं देते हैं उतनी बार ही आपको यह लेना चाहिए नहीं तो नुकसान हो सकता है।

‌‌‌इन दवाओं के कई सारे साइड इफेक्ट होते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर आपको कम से कम दवाएं लेने के बारे मे विचार करना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।

ofloxacin tablet uses in hindi 200 mg ‌‌‌ आंख मे संक्रमण

‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि यह दवा आंख के अंदर संक्रमण मे भी काम आती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।बैक्टीरिया, वायरस या फिर फंगस की वजह से आंख के अंदर संक्रमण हो सकता है जिसकी वजह से आंख मे सूजन जलन और लालिमा हो सकती है।

‌‌‌यदि आप कुछ सावधानियां रखते हैं तो इसकी मदद से आंख के अंदर संक्रमण होने को रोका जा सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आपको चाहिए कि आप अपनी आंखों को गंदे हाथों से ना छुए और अपने आप को साफ सुथरा यदि आप रखते हैं तो संक्रमण से आसानी से बच सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी ‌‌‌ तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।वैसे यदि आंख के अंदर संक्रमण हो जाता है तो मार्केट के अंदर इसके लिए कई तरह के इलाज भी उपलब्ध हैं जैसे कि आंख मे डालने की दवा और कुछ एंटिबायोटिक ली जा सकती हैं लेकिन इन सभी का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के नहीं लेना चाहिए आप इस बात को समझ सकते ‌‌‌ हैं।

‌‌‌दोस्तों यदि हम आंख के संक्रमण के लक्षणों के बारे मे बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप यह पहचान सकते हैं कि आंख के अंदर संक्रमण हो चुका है। और आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे मे विस्तार से

  • ‌‌‌अपनी आंखों की पलकों को छूकर देखें । यदि पलकों को छूने पर दर्द महसूस हो रहा है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपकी आंखों के अंदर संक्रमण हो चुका है और आपको इस संक्रमण के इलाज के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत हो सकती है आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा कांच के सामने आप खड़े होकर देख सकते हैं कि आपकी पलकों के अंदर सूजन या लालिमा तो नहीं है। यदि ऐसा है तो इसका मतलब यह है कि आपकी आंखों के अंदर संक्रमण हो चुका है आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा सुबह उठने के बाद आंखों के पलकों के पास पपड़ी दिखाई देती है तो यह आंखों के अंदर संक्रमण का संकेत हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा आंखों से किचड़ का आना
  • धुंधला दिखाई देना ।
  • पलकों के पीछे या पलकों के बालों में गांठ बनना
  • ऐसा महसूस होना जैसे आंख में कुछ घुस गया है
  • तेज रोशनी में आंख में दर्द होना

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि आंखों के अंदर यदि संक्रमण हो चुका है तो यह घरेलू उपचार से कम नहीं होंगे और आपको इसको लेकर अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । क्योंकि यदि आप देरी करते हैं तो इससे आपको ही नुकसान होता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • ‌‌‌अब यदि हम आंखों के संक्रमण के कारणों की बात करें तो इसके पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। जैसे आंख में फुन्सी एक प्रकार का आंख का संक्रमण होता है जो आंख के बाहरी हिस्से पर होता है। हालांकि अधिकतर केस के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है आपको दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • कोर्नियल अल्सर आमतौर पर उन लोगों के अंदर सबसे अधिक होता है जोकि आंखों के अंदर लैंस का इस्तेमाल करते हैं यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद काफी गम्भीर खतरा पैदा कर सकता है और इसकी वजह से आपकी आंख भी जा सकती है। इसलिए आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है।
  • रोहे (Trachoma) एक आम प्रकार का आंख का संक्रमण होता है और यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो इसकी वजह से अंधापन भी आ सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
  • ऑर्बिटल सेलुलाइटिस एक प्रकार का गम्भीर रोग होता है यह पलकों के आस पास के उत्तकों को क्षतिग्रस्त करने का काम करता है। ऐसी स्थिति के अंदर यदि इसका समय पर कोई इलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद यह बड़ी समस्या पैदा कर सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • आंख आना (कंजक्टिवाइटिस) जिसके बारे मे आपने भी सुना होगा । यह आमतौर पर बैक्टिरिया या फिर किसी तरह के वायरस की वजह से होता है और यह काफी संक्रामक भी होता है। यदि किसी को यह रोग है तो यह दूसरे के अंदर भी फैल सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • आंख में फंगल संक्रमण काफी भयानक होता है आमतौर पर यदि आंख के अंदर किसी तरह की चोट लग जाती है तो उसकी वजह से यह संक्रमण हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जो लोग आंख के अंदर लैंस पहनते हैं उनके अंदर यह संक्रमण सबसे आम होता है। और यह काफी गम्भीर समस्या का कारण बन सकता है।
  • एंडोफ्थैल्माइटिस (Endophthalmitis) एक प्रकार का काफी भयंकर रोग होता है और यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह आंख के अंधेपन का कारण बन सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं यही आपके लिए काफी अधिक सही हो सकता है।
  • डेक्रियोसिस्टाइटिस (Dacryocystitis ) एक खास प्रकार का संक्रमण होता है जोकि आंखों के आंसू छोड़ने वाली प्रणाली के अंदर होता है जिसकी वजह से आंसू छोड़ने वाली नसों के अंदर सूजन और लालिमा हो जाती है।

‌‌‌अब हम आपको बताने वाले हैं कि आंखों के अंदर संक्रमण का खतरा कब अधिक बढ़ जाता है ? तो कुछ स्थितियां होती हैं जिसकी वजह से आंख के अंदर संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

ofloxacin tablet uses in hindi 200 mg टाइफाइड

टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन या पानी से हो सकता है। इसके अलावा आपको बतादें कि यह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मे आप आते हैं तो उसकी वजह से भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌भारत के अंदर टाइफाइड को मियादी बुखार के नाम से जाना जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हालांकि भारत के अंदर 2 करोड़ लोग से अधिक लोग इसके शिकार होते हैं। और आपको बतादें कि इस रोग का उपचार एंटीबायोटिक  की मदद स किया जाता है। हालांकि यह पूरी तरह से प्रभावी नहीं होता है आप इस बात को ‌‌‌समझ सकते हैं और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌दोस्तों यदि हम टाइफाइड बुखार के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से यह बुखार का पता चल जाता है तो आइए जानते हैं इस तरह के कुछ लक्षणों के बारे मे विस्तार से

  • सिरदर्द
  • कमजोरी और थकान
  • मांसपेशियों में दर्द
  • पसीना आना
  • सूखी खांसी
  • भूख न लगना
  • पेट में दर्द
  • दस्त या कब्ज
  • चकत्ते
  • पेट में अत्यधिक सूजन

‌‌‌यदि आपको इस तरह के लक्षण आपके अंदर या आपके परिवार के किसी भी सदस्य के अंदर नजर आते हैं तो फिर आपको सतर्क हो जाना चाहिए और उस इंसान को जितना जल्दी हो सके अपने डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए । यदि इस रोग का समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो उसके बाद यह काफी घातक बन जाता है।

टाइफाइड के यदि हम फैलने के तरीकों के बारे मे बात करें तो यह जीव आमतौर पर मनुष्य के मल से फैलता है। और यह किसी संक्रमित इंसान से दूसरे संक्रमित इंसान के अंदर फैल सकता है। इसके अलावा आपको बतादें कि यह कभी भी जानवरों से इंसान के अंदर नहीं फैलता है।

‌‌‌यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो 4 मे से एक इंसान की इससे मौत हो जाती है। इसलिए जिस किसी के अंदर टाइफाइड नजर आता है तो उसे अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इसका समय पर इलाज करवाना चाहिए नहीं तो काफी अधिक समस्या हो सकती है। यह काफी घातक सिद्ध हो सकता है।

साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया आमतौर पर आपके मुंह के अंदर से प्रवेश कर जाता है। और कुछ समय के लिए यह आपकी आंतों के अंदर रहता है और उसके बाद आपके खून के अंदर चला जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर इससे लड़ नहीं सकती है। और इसकी वजह से यह बहुत ही आसानी से सुरक्षित बचा रहता है।

टाइफाइड फैलने का जो सबसे बड़ा कारण होता है वह गंदगी ही होता है। यदि आप मल त्याग करते हैं और उसके बाद अपने हाथों को ठीक तरह से नहीं धोते हैं और उसी हाथों से भोजन करते हैं तो फिर यह आपके अंदर चला जाता है। या फिर यदि कोई इंसान पहले से ही इससे संक्रमित है तो उसके बाद उसका जूठा कोई ‌‌‌ भोजन करता है या फिर उसके साथ कोई भोजन करता है तो यह बैक्टिरिया उसके अंदर भी चला जाता है।इसके अलावा दूषित नदी नाले या फिर तालाब के अंदर का पानी आप पीते हैं जिसके अंदर मल मूत्र रहता है तो उसकी वजह से भी यह बैक्टिरिया आपके शरीर के अंदर चला जाता है और आपको बीमार बना देता है।

‌‌‌इसके अलावा दूषित पानी के अंदर यदि कोई सब्जी वैगरह उगाता है और आप उस सब्जी का सेवन करते हैं मतलब उसे कच्चा ही खाते हैं तो इसकी वजह से भी बैक्टिरिया आपके अंदर फैल सकता है।

इसके अलावा यदि कोई इंसान टाइफाइड से संक्रमित है और आप उसके साथ संबंध बनाते हैं तो इसकी वजह से भी यह बैक्टिरिया फैल ‌‌‌ सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌अब बात आती है कि टाइफाइड से बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं ? तो दोस्तों इससे बचने के लिए आप कई तरह की सावधानियों को बरत सकते हैं और इसकी मदद से टाइफाइड से बच सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌जैसा कि आपको पता ही होगा कि टाइफाइड विकासशील देशों के अंदर सबसे अधिक होता है। इसलिए आपको इससे बचने के लिए साफ सफाई रखना बहुत ही जरूरी होता है। यदि आप साफ सफाई नहीं रखते हैं तो फिर समस्या हो सकती है। ‌‌‌इसके अलावा इसके इलाज के लिए अच्छी मेडिकल व्यवस्था होना भी बहुत ही जरूरी होता है। इसके अलावा भी टाइफाइड के इलाज के लिए कई सारे उपचार उपलब्ध हैं जिसकी मदद आप ले सकते हैं तो आइए जानते हैं इन उपचारों के बारे मे ।

  • टाइफाइड की वैक्सीन आज के समय मे उपलब्ध है। आजकल यह बच्चों को भी लगाया जाता है। यह 6 महिने के बच्चों से लेकर 45 वर्ष तक के लोगों को दिया जा सकता है। वैसे इन वैक्सीन को छोटे बच्चों को लगाना बहुत ही जरूरी होता है। यह बच्चों को टाइफाइड से सुरक्षित करने का सबसे अधिक प्रभावी तरीका है।
  • ‌‌‌सिर्फ इतना ही नहीं है। यदि आप टाइफाइड से बचना चाहते हैं तो आपको कई तरह की सावधानियेां को अपनाना होगा तभी आप इससे बच सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यदि आप टायलेट का उपयोग कर रहे हैं तो अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए । इसके अलावा यदि आप खाना खा रहे हैं तो भी आपको अपने ‌‌‌ हाथों को अच्छी तरह से धोना जरूरी होता है। क्योंकि हो सकता है कि यह बैक्टीरिया आपके शरीर के अंदर चला जाए और आपके लिए नुकसान का कारण बनें  तो इसके बारे मे भी आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा दूषित पानी की वजह से भी यह बैक्टिरिया फैल सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए आपको चाहिए कि आप दूषित पानी का सेवन किसी भी हाल मे ना करें। यदि आप दूषित पानी का सेवन करते हैं तो उसके बाद आपको काफी अधिक समस्या होगी । ‌‌‌यदि आप पानी से स्नान कर रहे हैं तो आपको इस तरह के पानी से स्नान नहीं करना चाहिए जोकि दूषित हो । और हो यदि ऐसा है तो पानी को अपने मुंह के अंदर नहीं जाने देना चाहिए आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

प्रोस्टेटाइटिस ofloxacin tablet uses in hindi

प्रोस्टेट की सूजन को प्रोस्टेटाइटिस कहा जाता है। आपको बतादें कि यह पुरूषों के अंदर एक प्रकार की ग्रंथि होती है जोकि वी ..र्य के उत्पादन के लिए जानी जाती है।प्रोस्टेटाइटिस  की वजह से काफी तेज दर्द हो सकता है और पेशाब करने मे काफी कठिनाई होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । कमर दर्द, पेडू में दर्द या जननांगों में दर्द और कभी-कभी फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।वैसे तो यह समस्या किसी भी उम्र के अंदर हो सकती है। लेकिन यह समस्या आमतौर पर 50 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌यह जो समस्या होती है वह कई कारणों की वजह से हो सकती है। यह किसी तरह के जीवाणू संक्रमण की वजह से हो सकती है या फिर यह अधिक एंटिबायोटिक दवाओं के सेवन की वजह से हो सकती है। हालांकि कई बार इस समस्या के पैदा होने के कारण सही तरह से पता नहीं चल पाता है।

प्रोस्टेट आमतौर पर धीरे धीरे हो सकता है और कई बार अचानक भी हो सकता है। हालांकि यह कई बार अचानक से ठीक भी हो सकता है और कई बार लंबे समय तक बना रहता है। यदि आपको इस तरह की समस्या है तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना ‌‌‌चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌प्रोस्टेट के लक्षणों की बात करें तो इसके अंदर कई तरह के लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप इसको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। तो आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे मे पूरे विस्तार से ।

थोड़ी-थोड़ी देर में पेशाब करने की तेज इच्छा, कभी-कभी पेशाब में खून भी आ सकता है।

इसके अलावा बूखार या मतली हो सकती है।

पेशाब मे दर्द की समस्या हो सकती है। पेशाब कम आना भी है।

इसके अलावा मलाशय के अंदर दर्द होना आम है।

‌‌‌यदि आपको इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसके बाद आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आप उसका पालन कर सकते हैं। यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।

प्रोस्टेट में सूजन का निदान और उपचार  की यदि हम बात करें तो इसके लिए कई तरह के तरीकों का उपयोग किया जाता है यह रोग पर निर्भर करता है कि इसका  उपचार किस तरह से किया जाए ।

  • डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन के अंदर पेट के नीचले हिस्से की सही से जांच की जाती है कि इसके अंदर किसी भी तरह की समस्या तो ‌‌‌ नहीं है। यदि समस्या आती है तो उसकी जांच की जाती है और उसके बाद दवाएं दी जाती हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि मूत्र पथ के अंदर यदि संक्रमण हुआ है तो यूरीन टेस्ट किया जाता है और समस्या को हल करने का प्रयास किया जाता है।
  • ‌‌‌यदि सूजन काफी अधिक मात्रा मे दिखाई देता है तो इसके लिए ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड  किया जाता है और एक तरह की छवि बनाई जाती है और उसका अध्ययन किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • प्रोस्टेट से ऊतकों का नमूना लेकर सूजन की उपस्थिति जानने के लिए लेब मे भेजा जा सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
  • प्रोस्टेटाइटिस का यदि आप समय पर इलाज करवाते हैं तो इसका इलाज हो सकता है। इसके अंदर आपको एंटिबायोटिक दवाएं दी जा सकती है। इसके अलावा आपके दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामेल दी जात सकती है। और आपको गर्म पानी मे नहाने के बारे मे सुझाव दिया जा सकता है।

ofloxacin tablet uses in hindi ब्रोंकाइटिस

ब्रोंकाइटिस के अंदर सांसनली के मार्ग जो नाक और फेफड़ों के बीच होते हैं उनके अंदर सूजन आ जाती है।जिसकी वजह से फेफड़ों की हवा के अंदर ऑक्सीजन को लेने की क्षमता काफी कम हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह सूजन वायरस, बैक्टीरिया, धूम्रपान करने या रासायनिक प्रदूषण या धूल की वजह से हो सकता ‌‌‌ है। और इसकी वजह से उत्तक काफी अधिक उत्तेजित हो जाते हैं।सिलिया जोकि शरीर के अंदर जाने वाले दूषित पदार्थों को रोकने का काम करते हैं वे काम करना बंद कर देते हैं।इसकी वजह से इस तरह के लोगों को गहर बलगम वाली खांसी हो सकती है।

‌‌‌और यदि किसी के अंदर यह रोग दिखाई देता है तो उसे चाहिए कि वह अपने डॉक्टर को परामर्श करें और उसका डॉक्टर जो निर्देश देता है उसका पालन किया जाना चाहिए आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा ।

  • एक्यूट ब्रोंकाइटिस एक इसका ही प्रकार होता है। इसके अंदर होता यह है कि इसके अंदर गले के पीछले हिस्से के अंदर एक तरह की उत्तेजन होती है और काफी थूक भी आता है।यह कई तरह से हो सकता है जैसे कि श्वासन नली के अंदर संक्रमण होने या फिर बैक्टिरिया की वजह से हो सकता है या फिर यदि आप ‌‌‌धुम्रपान वैगरह करते हैं तो भी आपको यह समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ‌‌‌इसके अंदर आपको हल्का बुखार भी हो सकता है। इसके अलावा सूखी खांसी भी हो सकती है जोकि कई दिनों तक चल सकती है। और कई बार यह जल्दी भी ठीक हो जाती है। अधिकतर केस के अंदर एक लंबी जुकाम की वजह से यह समस्या देखने को मिलती है।
  • क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस एक प्रकार का गम्भीर रोग होता है जिसके अंदर मरीज को सांस नली मे संक्रमण हो सकता है। और मरीज को सांस लेने मे काफी अधिक कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा शारिरिक थकावट भी हो सकती है और सांस लेने मे समस्या हो सकती है और कृत्रिम सांस की जरूरत भी हो सकती है। ‌‌‌और यदि आपको अधिक समय तक खांसी रहती है तो उसके बाद आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

ofloxacin tablet uses in hindi ‌‌‌कान का बजना

‌‌‌कान बजने की जो समस्या होती है वह अक्सर कुछ लोगों के अंदर देखने को मिलती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अंदर आमतौर पर बाहर किसी तरह का शौर ना होने के बाद भी कानों के अंदर घंटी सी सुनाई देने लग जाती है। यह एक प्रकार की समस्या ही होती है।

‌‌‌इसकी वजह से इंसान की सुनने की क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। यह इंसान के एक कान के अंदर हो सकती है या फिर उसके दोनों कानों के अंदर भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।वैसे कान बजने की जो समस्या होती है वह कभी भी हो सकती है और कई बार यह अपने आप ही ठीक हो जाती है तो कई बार ‌‌‌इसको ठीक होने मे काफी अधिक समय लगता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌अब यदि हम कान बजने के लक्षणों के बारे मे बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिससे कि आपको कान बजने की समस्या का पता चल सकता है।

  • ‌‌‌इसके अंदर होता यह है कि आपके कानों के अंदर घंटियों की आवाज सुनाई दे सकती है और इसकी वजह से सिरदर्द की समस्या भी कई बार हो सकती है।
  • इसके अलावा कानो के अंदर झनझनाहट होती है और तेज ध्वनी भी समस्या पैदा कर सकती है।
  • इसके अलावा आवाज की तीव्रता कम या अधिक हो सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कई बार कान बजने का शौर इतना अधिक तेज होता है कि वह समस्या पैदा कर सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आपको कान बजने की समस्या होती है तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है। यदि कान के अंदर दर्द हो रहा है और कान बह रहा है तो फिर डॉक्टर के पास जाने मे परहेज नहीं करना चाहिए ।इसके अलावा कान बजने के साथ चक्र आ रहे हैं तो डॉक्टर के पास जाना जरूरी होता है।

‌‌‌यदि हम अब कान बजने के कारणों की बात करें तो इसके स्पष्ट कारण अभी तक सामने नहीं आएं हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि कान बजने की समस्या जो होती है वह धीरे धीरे विकसित होती है। और इसके कई कारण हो सकते हैं। जिनमे से कुछ के बारे मे हम बात करने वाले हैं।

  • ‌‌‌आयु अधिक होने से कान बजने की समस्या हो सकती है
  • यदि आप लगातार तेज आवाज के अंदर रहते हैं तो इससे भी कान बजने की समस्या हो सकती है।
  • इसके अलावा यदि कान मे मैल जम गया है तो आपको यह समस्या हो सकती है।
  • कान के अंदर किसी तरह का संक्रमण होने से भी हो सकता है।
  • ‌‌‌कान के अंदर पस निकलने पर
  • और कान की अंदर ही हड्डी के बढ़ने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि सिर के अंदर किसी तरह की चोट लग जाती है तो उसकी वजह से भी कान बजने की समस्या हो सकती है। इसके लिए आपको एक बार अपने डॉक्टर से इलाज करवाने की जरूरत हो सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि शरीर के अंदर लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या काफी कम हो गई है तो इसकी वजह से भी कान बज सकते हैं।
  • कीमोथेरेपी की दवाएं, एंटीबायोटिक और एस्पिरिन (उच्च मात्रा में) का सेवन  करने की वजह से भी कान बजने की समस्या को देखा गया है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कान बजने की समस्या अधिक सक्रिय थायराइड ग्रंथि की वजह से भी हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • कान में धूल या किसी वस्तु को कान में डालने पर यह समस्या कई बार देखने को मिलती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌अब आते हैं हम इसके उपचार पर तो इसके लिए आप कई तरीके अपना सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जैसे कि कान के अंदर यदि आप इयर फोन वैगरह लगाते हैं तो उनकी आवाज को आपको कम करके रखना होगा यदि आप किसी अधिक शौर वाले स्थानों पर काम करते हैं तो इसके लिए ‌‌‌आपको अपने कानों के अंदर इयर प्लग का उपयोग करना चाहिए । जिससे कि अधिक आवाज से कान को किसी तरह का नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है।

‌‌‌इसके अलावा तनाव को दूर करने के बारे मे आपको विचार करना चाहिए ।

यदि आप अधिक धुम्रपान वैगरह करते हैं तो इससे आपको बचना होगा । ताकि कान बजने की समस्या काफी कम हो जाए ।

इसके अलावा नींद भी इसके लिए जरूरी चीज है। अच्छी तरह से नींद लें । एक इंसान को कम से कम 8 घंटे रोजाना सोना चाहिए ।

‌‌‌यदि आपके कान बजने की समस्या काफी गम्भीर होती जा रही है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए।  आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कुछ निर्देश दे सकता है और आपके कान की जांच कर सकता है ।

‌‌‌जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि आपके कान बजने की जो समस्या है वह किस वजह से हो रही है।

कान, सिर, गर्दन, और धड़  आदि का आपके डॉक्टर पूरा परीक्षण करते हैं जिससे कि यह पता चल सके कि कान बजने की जो समस्या है वह किस वजह से हो रही हैं।इसके अलावा डॉक्टर आपके रक्त का परीक्षण कर सकता है जिससे कि पता चल सके कि कान बजने की समस्या किस वजह से हो रही है।

ofloxacin tablet uses in hindi दस्त (डायरिया)

 

‌‌‌दोस्तों आप डायरिया के बारे मे अच्छी तरह से जानते हैं। दस्त के नाम से भी इसको जाना जाता है। और इसके अंदर मल काफी पतला हो जाता है। और बार बार मल त्याग करने की जरूरत होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌यदि हम दस्त के कारणों की बात करें तो इसके अंदर कई तरह के कारण होते हैं। यह पेट के अंदर किसी तरह का इन्फेक्सन होने की वजह से भी हो सकता है। इसके अलावा यदि आपको अपच की समस्या होती है तो फिर उसकी वजह से भी दस्त की समस्या हो सकती है।

‌‌‌अब यदि हम दस्त के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आपको पता चल जाता है कि आपको दस्त हो चुका है। और आप इसके इलाज के लिए उचित कदम उठा सकते हैं तो आइए जानते हैं। इसके कुछ लक्षणों के बारे मे ।

  • ‌‌‌इसकी वजह से आपको उल्टी हो सकती है या फिर मतली हो सकती है।
  • इसकी वजह से आपको पेट के अंदर दर्द हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा बार बार शौचालय जाने की इच्छा हो सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा गम्भीर मामलों के अंदर सिरदर्द की समस्या और बुखार की समस्या देखी जा सकती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा शरीर के अंदर काफी अधिक कमजोरी महसूस हो सकती है।

‌‌‌यदि आपको उपर दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो फिर आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । तभी आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌यदि हम दस्त के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि आप एक डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर सबसे पहले इन कारणों के बारे मे चर्चा करता है और उसके बाद ही डॉक्टर आपको कुछ दवाएं लिखकर देता है।

  • फूड एलर्जी
  • दवा से रिएक्शन
  • वायरल संक्रमण
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • आंत्र संक्रमण
  • परजीवी संक्रमण
  • पेट या पित्ताशय की थैली की सर्जरी

‌‌‌अब हम बात करने वाले हैं दस्त से बचाव की तो आप दस्त से बचने के लिए कई तरीके आजमा सकते हैं। और उसके बाद दस्त से आप बच सकते हैं तो आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे मे जिससे कि आप दस्त से आप काफी आसानी से बच सकते हैं।

  • ‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि यदि आप रात का भोजन खाते हैं तो उससे आपका पेट खराब होने और दस्त लगने का चांस काफी अधिक हो जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि आपको रात का भोजन नहीं करना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको बतादें कि यदि आप सही तरह से कम से कम 8 घंटे तक रोजाना नहीं सोते हैं तो उसकी वजह से भी आपका पेट खराब हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । एक इंसान को कम से कम 8 घंटे रोजाना सेना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आप बचे हुए भोजन को आपको फ्रीज के अंदर रखना चाहिए क्योंकि यदि ऐसे ही भोजन पड़ा रहता है तो उसके बाद भोजन खराब हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आपको बैक्टिरिया फिर किसी तरह के वायरल की वजह से दस्त हुआ है तो फिर आपको चाहिए कि आप अपने हाथों को बार बार धोएं तभी आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌अब यदि दोस्तों हम बात करें इसके परीक्षण की तो जब आप डॉक्टर के पास दस्त की समस्या को लेकर जाते हैं तो डॉक्टर कई तरह के परीक्षण करता है और उसकी मदद से यह पता लगाने की कोशिश करता है कि आपको समस्या क्या है ?

  • ‌‌‌सबसे पहले डॉक्टर आपके खून का परीक्षण कर सकता है। और इसकी मदद से उसे यह पता चलता है कि खून के अंदर किसी तरह का बैक्टिरिया तो नहीं है।
  • इसके अलावा आपका डॉक्टर आपके दस्त की जांच कर सकता है और यह पता करने की कोशिश करता है कि दस्त के अंदर किसी तरह का कोई परजीवी तो नहीं है।

‌‌‌वैसे हम दस्त के इलाज की बात करें तो समय पर दस्त का इलाज करना बहुत ही जरूरी होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि समय पर दस्त का इलाज नहीं किया जाता है तो शरीर के अंदर पानी की कमी हो सकती है।

‌‌‌और उसकी वजह से काफी अधिक नुकसान होने के चांस होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस)  आपको आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यह मरीज को दिया जा सकता है ताकि पानी की कमी शरीर के अंदर ना हो । यह आपको आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर पर मिल जाएगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।

ओटीसी एंटीडाएरीयल दवाएं आती हैं। इनके बारे मे आपको डॉक्टर लिखकर देताहै आप यह दवाएं मरीज को दे सकते हैं जिससे कि दस्त को रोका जा सकता है। बिना डॉक्टरी सलाह पर आपको इन दवओं का सेवन नहीं करना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌इसके अलावा मरीज को आप फलों का जूस दे सकते हैं। मरीज को फलों का जूस देना काफी फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ को आप मरीज को दे सकते हैं। यह दस्त के अंदर काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

घुलनशील फाइबर युक्त आहार खाएं, जैसे कि केले, चावल, दलिया आदि को आपको सेवन करना चाहिए । यह आपकी दस्त के अंदर काफी अधिक फायदेमंद होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

ofloxacin tablet से क्या गर्भवती महिलाओं को दुष्प्रभाव हो सकता है ?

दोस्तों ofloxacin tablet का सेवन यदि कोई गर्भवती महिला करती है तो इसका दुष्प्रभाव हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसका मतलब यह है कि यदि कोई गर्भवती महिला इसका सेवन करती है तो इससे पहले उसे एक बार अपने ‌‌‌डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

ofloxacin tablet का सेवन करना क्या स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है ?

ofloxacin tablet  का सेवन करने से स्तनपान करने वाली महिलाएं इसक दुष्प्रभाव को महसूस कर सकती है। यदि वे इसके बारे मे पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करती हैं तो यह और अधिक फायदेमंद हो सकता है। या यदि वे पहले से कोई दवा ‌‌‌ ले रही हैं तो फिर आपको उन दवाओं के बारे मे भी एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए तभी आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा।

ofloxacin tablet का सेवन करने से गुर्दे पर क्या असर पड़ सकता है ?

दोस्तों यदि आप ofloxacin tablet   का सेवन करते हैं तो इससे आपके गुर्दे पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन यदि आपको गुर्दे की किसी और तरह की समस्या है तो इस दवा को लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श ‌‌‌ करना भी बहुत जरूरी होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

ofloxacin tablet का सेवन करने से लिवर पर क्या असर पड़ता है ?

ofloxacin tablet   का सेवन करने से लिवर पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं पड़ता है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । मतलब यही है कि यदि आप इस दवा का सेवन कर रहे हैं और आपको पहले से ही लिवर से जुड़ी कोई समस्या है तो फिर ‌‌‌आपको इस दवा का सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए । यही सबसे अच्छी बात होगी । वरना आपके लिए काफी अधिक समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

ofloxacin tablet का सेवन करने से हर्ट के उपर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

ofloxacin tablet  का यदि आप सेवन करते हैं तो आपके हर्ट पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं पड़ेगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लेकिन यदि आपको पहले से ही किसी तरह की हर्ट की समस्या है तो फिर ‌‌‌ आप अपने डॉक्टर को परामर्श कर सकते हैं। और दवा लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर को परामर्श करें और आपको जो निर्देश दिया जाता है उसका पालन करें यही आपके लिए सही होगा ।

ofloxacin tablet का सेवन करने से क्या आपको लत लग सकती है ?

ofloxacin tablet  का सेवन करने से आपको किसी भी तरह की लत नहीं लगती है। यह दवाआमतौर पर काफी अच्छी होती है। और इसके अंदर नशे जैसी कोई चीज नहीं होती है। इस वजह से इसकी लत नहीं लगती है।

ofloxacin tablet का सेवन करने के बाद गाड़ी चला सकते हैं ?

ofloxacin tablet  का सेवन यदि आप कर रहे हैं तो इसको लेने के बाद दिमागी सक्रियता के अंदर काफी कमी हो जाती है। और इसका असर भी देखने को मिलता है। इसलिए यदि आपने यह दवा ली है तो फिर आपको संभल जाना चाहिए और गाड़ी नहीं चलानी चाहिए । इसके

‌‌‌अलावा यदि आप किसी तरह की भारी मशीनरी पर काम करते हैं तो फिर वह भी आपको नहीं करना चाहिए । वरना दुर्घटना होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

ofloxacin tablet का सेवन करना कितना सुरक्षित होता है ?

ofloxacin tablet  का सेवन यदि आप कर रहे हैं तो यह काफी सुरक्षित दवा है लेकिन तभी जब आप इसको डॉक्टर के परामर्श से लेते हैं तभी यह फायदेमंद होती है। यदि आप डॉक्टर के परामर्श से इसको नहीं लेते हैं तो यह फायदेमंद नहीं होगी आप इस बात को समझ ‌‌‌ सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।

ofloxacin tablet किसी मनोविकार के अंदर ली जा सकती है ?

नहीं इस दवा को किसी भी तरह के मनोविकार के अंदर नहीं लेना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आप इस दवा को किसी भी तरह के मनोविकार के अंदर लेते हैं तो फिर समस्या हो सकती है। ‌‌‌क्योंकि यह दिमागी बीमारी के लिए उपयोगी नहीं है।

ofloxacin tablet की यदि हम डोज भूल जाते हैं तो क्या करें

दोस्तों यदि आप ofloxacin tablet  की डोज को भूल जाते हैं तो आपको दो डोज को एक साथ कभी भी नहीं लेना  चाहिए । क्योंकि यदि आप दो डोज को एक साथ लेते हैं तो समस्या हो सकती है।

‌‌‌इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि दूसरी डोज का समय हो रहा है तो फिर आपको पहली वाली डोज को नहीं लेना चाहिए ।

ofloxacin tablet का अधिक सेवन करने के बाद क्या करें ?

दोस्तों यदि हम बात करें ofloxacin tablet  की तो इसका मतलब यह है कि यदि आप इसका अधिक सेवन कर लेते हैं तो इसकी वजह से कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। और  दवा का सेवन आपके लिए काफी डेंजर हो सकता है।

‌‌‌और यदि अधिक दवा के सेवन करने के बाद आपको किसी तरह का साइड इफेक्ट दिखाई देता है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको पालन करना चाहिए ।

ofloxacin tablet को किस तरह से रखना चाहिए

ofloxacin tablet  को आपको सही तरह से रखना होगा । यदि आप इस दवा को सही तरह से नहीं रखते हैं तो यह खराब हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ofloxacin tablet को कभी भी धूप मे नहीं रखना चाहिए । ‌‌‌यदि आप इस दवा को धूप मे रखते हैं तो यह खराब हो सकती है। इसके अलावा दवा को फ्रीज के अंदर नहीं रखना चाहिए । यदि आप फ्रीज के अंदर रखते हैं तो उससे भी यह दवा खराब हो सकती है। इसके अलावा यदि आप दवा को बच्चों के पहुंच मे रख देते हैं तो नुकसान हो सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।

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