संसार का विलोम शब्द ‌‌‌क्या होगा ? sansar  ka vilom shabd

संसार का विलोम शब्द या संसार का विलोम शब्द, संसार का उल्टा क्या होता है ? sansar ka vilom shabd sansar ka vilom shabd kya hoga

शब्दविलोम शब्द
संसार‌‌‌परलोक
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संसार का विलोम शब्द

संसार का विलोम शब्द

दोस्तों यदि हम बात करें संसार के विलोम शब्द की तो संसार का विलोम शब्द होता है परलोक या जो संसार मे नहीं है उसे असंसारी कह सकते हैं। अब आपके दिमाग मे आता होगा कि संसार का मतलब क्या है ? तो आपको बतादें कि इस धरती पर भौतिक रूप से जो घटित हो रहा है वह संसार के अंदर ही  ‌‌‌ आता है।और आपको पता ही है कि संसार के अंदर भौतिक रूप से बहुत कुछ घटित हो रहा है। जैसे कि रसिया और यूक्रेन के अंदर युद्ध चल रहा है तो यह संसार के अंदर ही चला रहा है। इसके अलावा संसार के अंदर बहुत कुछ होता रहता है। आप समझ सकते हैं कि संसार के अंदर दो चीजें सबसे अधिक होती हैं।

‌‌‌इस संसार मे एक तो प्रलय और जन्म तो चलता ही रहता है। कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका जन्म हुआ है वह धीरे धीरे समाप्त हो रही हैं। यह बात अलग है कि कुछ चीजें जोकि समाप्त हो रही हैं वे आपकी नजर के अंदर आ जाती हैं। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जोकि समाप्त हो रही है लेकिन आपकी नजर के अंदर नहीं आती हैं।

‌‌‌जैसे कि आपने पत्थर की चट्टान भी देखी होगी । देखने मे वह आपको सदा ही वैसी ही दिखाई देती है। लेकिन असली बात तो यह है कि इसका भी विघटन हो रहा होता है। लेकिन हमारी उम्र इतनी कम है कि हम इस विघटन को अपनी आंखों से नोटिस नहीं कर सकत हैं।

‌‌‌वैसे इस संसार को संतों ने माया का नाम दिया है। इसका मतलब यह है कि यहां पर जो कुछ भी घटित हो रहा है। बस वह माया ही है। रियल मे यहां पर कुछ भी नहीं है। रियल के अंदर जो हो रहा है आप उसको अपनी साधारण आंखों से नहीं देख सकते हैं। रियल चीजों को देखने के लिए आपको विशेष आंखों की जरूरत होती है।

‌‌‌महाभारत का युद्ध तो आपको याद ही होगा । जिसके अंदर अर्जुन को भगवान ने अपना असली रूप दिखाया था और इसके लिए उसे दिव्य द्रष्टि प्रदान की थी । इस तरह से दोस्तों जो योगी होते हैं वे इस संसार के अंदर विश्वास नहीं करते हैं। वे आमतौर पर इसको बस एक माया की रचना समझते हैं। और

‌‌‌वैसे भी यह संसार माया की ही रचना है। क्योंकि यहां पर माया का प्रभाव इतना अधिक होता है कि जो भी इस संसार के अंदर जन्म लेता है। वह अपने आपको भूल जाता है। वह अपने अमर होने को भूल कर अपनी मौत पर शोक करने  लग जाता है। उसे यह पता नहीं होता है कि वह अमर है उसका कुछ नहीं हो सकता है।

‌‌‌इस दुनिया के अंदर यदि आप हैं तो आपका शरीर ही नष्ट हो जाता है। आप का कुछ नहीं होने वाला है। आप आत्मा के अंदर बसते हैं शरीर के अंदर नहीं यही जानकार आपको सुखी हो जाना चाहिए । वैसे आपको बतादें कि संसार दुखों का सागर है। और यहां पर इतने अधिक दुख हैं कि आप समझ ही नहीं सकते हैं। ‌‌‌आप हजारों दुख के अंदर सुख की तलास करते हैं।

‌‌‌परलोक का अर्थ और मतलब

दोस्तों परलोक का नाम तो आपने सुना ही होगा परलोक का मतलब होता है। एक अलग प्रकार का लोक । दोस्तों ऐसा माना जाता है। कि इस दुनिया के अंदर अनेक लोक और लोकांतर हैं। जिनके अंदर प्राणी रहते हैं। हालांकि वे हमारी शरीर की तरह भौतिक शरीर धारी नहीं हैं।‌‌‌उनका शरीर सूक्ष्म होता है वे सूक्ष्म शरीर धारी होते हैं तो आप मतलब समझ चुके हैं हमारे शरीर के अंदर एक और शरीर होता है। जिसको सूक्ष्म शरीर के नाम से जाना जाता है। आप इसके बारे मे समझ ही चुके हैं। असल मे इस तरह के 7 शरीर माने गए हैं।

‌‌‌आपको बतादें कि आत्मा पर 7 शरीरों या 7 परतों का आवरण होता है। इंसान की मौत होती है तो इसके अंदर सिर्फ उसके शरीर की मौत होती है। असल मे उस इंसान की मौत नहीं होती है। मरने वाला शरीर होता है। इस वजह से इंसान को मौत के उपर आंसू नहीं बहाना चाहिए । आप इसके बारे मे समझ गए होंगे ।

‌‌‌और मरने के बाद इंसान का जो सूक्ष्म शरीर होता है वह अलग अलग लोक की यात्रा पर जा सकता है। यह उसके कर्मों पर निर्भर करता है। यदि उसने अच्छा कर्म किया है तो उसके बाद उसे स्वर्ग लोक मिलता है। और यदि उसने बुरा कर्म किया है तो उसके बाद उसे नर्क लोक मिलता है।

‌‌‌और इन परलोक के अंदर भी इंसान एक निश्चित समय तक रहता है और उसके बाद जब उसके कर्मफल समाप्त हो जाते हैं या फिर वह किये गए कर्मों का भोग कर लेता है तो उसके बाद वह वापस धरती पर जन्म लेता है। और फिर से वही दूसरे कर्म करने लग जाता है। यह कर्म का जो चक्र होता है वह चलता ही रहता है। वह रूकता नहीं ‌‌‌ । बहुत से लोग सोचते हैं कि परलोक के अंदर क्या होता है तो इसके बारे मे पता लगाना कोई आसान काम नहीं है कि परलोक के अंदर क्या होता है। यह तो जाने के बाद ही पता चलता है कि वहां पर क्या होता है ? लेकिन ऐसा है जरूर । परलोक होता है और वहां पर इंसान रहते हैं। भूत प्रेत का नाम तो आपने सुना ही होगा।‌‌‌ भूत प्रेत का भी एक लोक होता है। और उस लोक के अंदर भूत प्रेत रहते हैं। खैर आपको पता होना चाहिए कि भूत प्रेत काफी दुखी रहते हैं। उनका लोक इसी तरीके से बना होता है कि वे अपने बुरे कर्मों का काफी अच्छे तरीके से दंड को भुगतते हैं।

‌‌‌इस तरह से आप समझ सकते हैं कि परलोक भी एक जगह होती है। आपने देवताओं का नाम तो सुना ही होगा देवताओं के लिए भी लोक होते हैं वे अपने लोक के अंदर रहते हैं। यह आज भी एक रहस्य है कि देवता वहां पर किस तरह से रहते हैं ? और क्या क्या करते हैं।‌‌‌लेकिन यह जो अवस्था होती है वह सुसुप्त अवस्था होती है। मतलब सोई हुई अवस्था होती है। इंसान का जीवन सबसे बेस्ट होता है क्योंकि आप यहां पर अपनी यादों को जोड़ सकते हैं। लेकिन जो परलोक होता है वहां पर आप नई यादें कम ही बना पाते हैं या फिर उनके अंदर एक सीमा तक बदलाव कर सकते हैं। लेकिन धरती पर ‌‌‌ आप पूरी तरह से बदलाव कर पाने मे सक्षम होते हैं।

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