कान का पर्यायवाची शब्द या कान का समानार्थी शब्द (kan ka paryayvachi shabd / kan ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम बडे ही विस्तार से जानेगे । इसके साथ ही हम इस लेख में कान से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे । तो आपका स्वागत है हमारे www.paryayvachishabd.co.in ब्लोग में ।
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
कान | कर्ण, श्रुतिपुट, श्रवण, श्रुति, श्रोत्र, शब्दग्रह, श्रव, वचोग्रह, श्रुतिपटल, श्रवणेन्द्रिय । |
कान in Hindi | karn, shrutiput, shravan, shruti, shrotr, shabdagrah, shrav, vachograh, shrutipatal, shravanendriy . |
kan synonyms in English | ear, hypotenuse, diagonal, hearing, organ of hearing. |
मनुष्य और कुछ अन्य जीवो में पाया जाने वाला वह अंग जो की किसी भी तरह की ध्वनी का पता लगाने का काम करता है कान कहलाता है । इसे अनेक नामो से जाना जाता है जो की कान के अर्थ होते है जैसे –
मानव व अन्य स्तनधारी में पाया जाने वाला एक ऐसा अंग जो की किसी भी ध्वनी को सुनने का काम करता है कान कहलाता है ।
कान का मुख्य काम किसी भी ध्वनी को सुनने का होता है मगर इसके अलावा कान शरीर के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है । कान को मनुष्य बाहर से देख सकता है मगर जीतना दिखाई देता है केवल वही कान नही होता है बल्की इसका अधिकतर भाग मनुष्य की खोपडी के अंदर तक होता है ।
मगर दिखाई देने वाले भाग के लिए ही कान का प्रयोग होता है । मगर इसे वैज्ञानिक भाषा में बाह्यकर्ण कहा जाता है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की कान को संवेदनशील अंग का मुख्य हिस्से के रूप में जाना जाता है । और कहा जाता है की मानव जीवन में कान का बहुत ही उपयोग होता है । जहां मानव कान से सुनने का काम करता है वही इसके बहुत से कार्य होते है जिनमें से शरीर का संतुलन बनाए रखना भी एक होता है ।
असल में मानव केवल उसी को कान कहता है जो की नेत्रो के दोनो और दिखाई देने वाला बाहर का भाग होता है । जिसे बाह्यकर्ण कहा जाता है । मगर असल में केवल यही कान नही होता है बल्की कान का अधिकतर भाग अंदर होता है जिसके कारण से कान का विभाजन किया जाता है और कान को मुख्य रूप से तीन भागो में बाटा जाता है । जो है –
यह वह भाग होता है जो की मनुष्य के चेहरे के बाहर दिखाई देता देता है । जिसे कर्णपाली के नाम से भी जाना जाता है । इसका कार्य किसी भी तरह की ध्वनी को सुनने में महत्वपूर्ण योगदान देना होता है । क्योकी जब भी कोई ध्वनी फैलती है तो उस ध्वनी को एक जगह इंकट्ठा करने का काम केवल इसी भाग का होता है ।
जैसे हमारे आस पास कोई चिला रहा है जैसे विधालय में बच्चो का सोर गुंज रहा है । जिसे कर्णपली या बाह्यकर्ण अपनी ओर आने वाली ध्वनी को इकट्ठा करता है और कान कें अंदर के भाग तक पहुंचाने में मदद करता है । इस तरह से बाह्यकान का कार्य किसी भी ध्वनी को इकट्ठा करने का होता है ।
यह पर्दे और अन्त कर्ण की शंख के बिच का भाग होता है । दुसरा की कान का कुछ भाग हमारी नाक से जुडा होता है और इसमें वह स्टेशियन ट्यूब के साथ जुडता है । इस तरह से कान का जो भाग नाक से जुडा होता है उसी को मध्य कान कहा जाता है ।
स्टेशियन ट्यूब के जरीय कान का नाक से जुडने के पिछे भी एक बडा महत्व होता है । क्योकी आपने देखा होगा की हमारे आस पास बहुत सी ऐसी घटनाए होती रहती है । जिसके कारण से अचानक बहुत ही अधिक मात्रा में ध्वनी उत्पन्न हो जाती है ।
जैसे हम युद्ध क्षेत्र की बात करे तो वहां पर रहने वाले लोगो को अचानक बडे धमाके की आवाज सुनने को मिल जाती है । उसी तरह से आपने अधिक साउड वाले ध्वनी यंत्रो को देखा होगा जो की विवाह के मोके पर आज कल बजाए जाते है उनके पास जाने पर पता चलता है की ध्वनी अधिक है ।
यह दोनो तरह की ध्वनी इतनी अधिक होती है की हमारा कान इसे झेल नही पाता है और कान का पर्दा फट सकता है । अक्सर विस्फोट में लोगो के कान के पर्दें फटने की घटना होता है । और ऐसा न होने के लिए ही मध्य कान का नाक से जुडा होता है । क्योकी जब भी अधिक ध्वनी सुनाई देती है वह कान में प्रवेश करती है ।
तो उसे अधिक मात्रा में ध्वनी को कान से नाक में भेज कर बाहर निकाल दिया जाता है ताकी पर्दें पर अधिक दबाव न बन सके और पर्दें को किसी तरह की हानि न हो । यही कारण होता है की कान नाक से जुडा होता है ।
यह कान मनुष्य के चेहरे कें अंदर पाया जाता है और वैज्ञानिको के आधार पर इसका आकार एक शंकु के समान होता है जिसके कारण से इसे शंखनुमा सरचना कहा जाता है । इस कान को एक अन्य नाम से भी जाना जाता है जो की लैबरंथ है । जब ध्वनी आंतरिक कान में प्रवेश करती है तो शंखनुमा सरचना में प्रेवश करती है जहां पर ध्वनी को कुछ द्रव देखने को मिलता है । और यही ध्वनी को संकेतो में बदल कर मस्तिष्क तक भेज देती है ।
इस तरह से हमारा आंतरीक कान होता है ।
इसके अलावा आंतरिक कान का एक मजेदार भी तथ्य होता है की यह कान में प्रवेश करने वाली विभिन्न तरह की ध्वनी को बडे ही आसानी से समझ लेती है । जैसे अधिक तेज उत्पन्न होने वाली विस्फोट की ध्वनी । विवाह में उपयोग होने वाले साउड की ध्वनी आदी तरह की ध्वनी सामान्य रूप से अलग होती है ।
जिसे समझना आसान नही होता है मगर आंतरिक कान इसे बडे ही आराम से समझ लेता है । और इसका संकेत मस्तिष्क के पास भेज देता है । यह क्रिया अधिक तेजी से होती है ।
इस तरह से कान के कुल तीन भाग होते है जिनका अलग अलग महत्व होता है।
दोस्तो कान मानव का ही नही बल्की विभिन्न तरह के जीवो का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जिससे वह किसी भी तरह की ध्वनी को सुन कर समझता है । मगर इस तरह से किसी भी ध्वनी को सुनने और समझने की इसी प्रक्रिया को कान का कार्य कहते है यानि कान ध्वनी सुनने पर कैसे कार्य करता है कहा जाता है। मगर इसमें कान के तीनो प्रकारो की भूमिका रहती है। जैसे –
दोस्तो जैसा की हमने बताया की बाहरी कान का केवल यही काम होता है की यह किसी भी तरह की ध्वनी को इकट्ठा करने का काम करती है । जिसके कारण से ध्वनी को फिर बाहरी कान और झिल्ली के बिच की एक नली तक पहुंचा दिया जाता है । जिसे श्रवण नली के नाम से जानते है ।
इस नली का उपयोग ध्वनी को सही तरह से पर्दें तक लेकर जाना जाता है । जहां पर कंपनी होता है । जिसके कारण से इस पर्दें पर कंपन्न होता है और ध्वनी को आगे की और भेज दिया जाता है ।
जैसा की हमने बताया की मध्य कान पर्दें के बाद आने वाला कान होता है । जो की एक खोल की तरह होता है । जब भी पर्दें पर किसी तरह का कंपन्न होता है तो उसे आगे स्थानांतरित करने के लिए मालियस, स्टेप्स और इंकस नामक तीन हड्डी पाई जाती है जो की मध्य कान में ही पाई जाती है ।
इनकी मदद से ही ध्वनी को आंतरिक कान तक पहुंचाया जाता है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की यह हड्डी बहुत ही नाजूक व छोटी होती है । जो की पर्दें पर लगी होती है और इसी कंपन्न को आगे की और स्थानांतरित करती है ।
आंतरिक कान मध्य कान से आने वाले कंपन्न को कुछ तंत्रिकाओं में बदल देता है और इस सुचना को मस्तिष्क तक पहुचा देता है । इस तरह से कान काम करता है ।
मगर आपकी जानकारी के लिए बता दे की कान में अनेक तरह की हड्डिया पाई जाती है जिनका अलग अलग कार्य होता है और उन सभी से मिलकर ही कान से सुनने की प्रक्रिया पूरी होती है । जैसे हमने बात की कान के पेर्दें की तो यह ध्वनी को कंपन में बदलने का काम करता है ।
उसी तरह से हमने मध्य कान में पाई जाने वाली तीन हड्डियो की बात की तो वे ध्वनी को आंतरिक कान में ले जाने का काम करती है । इसके अलावा भी कान में अनेक तरह की प्रक्रिया होती है । जिसके बाद ही कान से सुनाई देता है ।
इस तरह से हमने कान के पर्यायवाची शब्द या कान के सामानार्थी शब्द के बारे में बडे ही विस्तार से जान लिया है ।
क्या आपने कभी कान के पर्यायवाची शब्दो का उपयोग किया है बताना न भूले ।
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