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स्थूल का विलोम शब्द Prakratik ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌स्थूल का विलोम शब्द या ‌‌‌स्थूल का विलोम , ‌‌‌स्थूल का उल्टा क्या होता है ? Sthul ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
‌‌‌स्थूल
कृश, सूक्ष्म
SthulKrash, Sukshm

‌‌‌स्थूल का विलोम शब्द और अर्थ

स्थूल शब्द का विलोम शब्द सूक्ष्म होता है। स्थूल का अर्थ भौतिक चीजों से है। इस संसार के अंदर जो कुछ भी आप आंखों से देख सकते हैं वह स्थूल है। जब पदार्थ के अधिक कण एक स्थान पर एकत्रित होकर वस्तु बनाते हैं तो उसको हम आंखों से देख सकते हैं।‌‌‌हमारे पास जो शरीर है वह भी स्थूल ही है।शरीर के बारे मे यह कहा जाता है कि यह पांच तत्वों से बना हुआ है। और जब इंसान की मौत हो जाती है तो उसकी बोडी को जला दिया जाता है। हालांकि इससे उसकी आत्मा की मौत नहीं होती है। स्थूल शरीर सूक्ष्म हो जाता है।

‌‌‌स्थूल शब्द के बारे मे आप अच्छी तरह से जान चुके होंगे ।स्थूल जगत के अंदर बदलाव काफी तेजी से होते हैं लेकिन सूक्ष्म जगत के अंदर बदलाव बहुत ही धीमी गति से होते हैं। आज आप जिस भौतिक चीज को जिस रूप मे देख रहे हैं कल वही भौतिक चीज बदली हुई मिलेगी ।‌‌‌क्योंकि वह एक स्थूल वस्तु है।इसलिए तो प्राचीन विद्धानों ने यह कहा है कि स्थूल पर इंसान को भरोशा नहीं करना चाहिए सूक्ष्म अधिक स्थाई है।

हम लोग सिर्फ उन चीजों पर भरोशा करते हैं जोकि आंखों से दिखाई देती है। उन चीजों पर भरोशा नहीं करते हैं जोकि आंखों से दिखाई नहीं देती हैं जो सूक्ष्म ‌‌‌ हैं। लेकिन असल मे आज वैज्ञानिक भी साबित कर चुके हैं कि सूक्ष्म चीजें होती हैं । भले ही हम इस बात पर यकीन ना करें लेकिन यह सच होता है।

‌‌‌इंसान की बुद्धि अभी इतनी अधिक विकसित नहीं हुई है कि वह प्रकृति के रहस्य को समझ सके ।अभी इंसान को इन सब चीजों को समझने मे काफी समय लगेगा ।

‌‌‌हम लोगों को यही पता है कि इस धरती पर ही एक लोक है।लेकिन जो लोग महाज्ञानी हैं उनको पता है कि धरती पर सिर्फ एक ही लोग नहीं है। वरन इसके अलावा भी बहुत सारे लोक इस दुनिया मे मौजूद हैं जहां पर सूक्ष्म शरीर धारी आत्माएं रहती हैं।

‌‌‌जिन ज्ञानी लोगों की द्रष्टि खुली हुई है वे देख सकते हैं।लेकिन जो लोग सदैव भोगविलास के अंदर लगे हुए हैं उनकी द्रष्टि मे बस यही एक दुनिया है मरने के बाद कुछ भी नहीं होता है।

‌‌‌लेकिन असल मे वैज्ञानिक भी यह साबित कर चुके हैं कि इस दुनियां से परे भी कोई दुनिया है । हलांकि मूर्ख लोग इन सब चीजों को नहीं मानते हैं। जानने की उनके अंदर क्षमता नहीं होती है और मानना वे चाहते नहीं हैं तो आप ऐसे लोगों को किसी भी तरह से नहीं समझा सकते हैं और ऐसे लोगों का आप कुछ कर भी नहीं ‌‌‌यदि आप ऐसे लोगों से बहस करने बैठ जाएंगे तो भी कुछ नहीं होगा क्योंकि यहलोग तर्क को नहीं समझ पाएंगे । यह बस आपके सामने कुर्तक करेंगे तो आप ऐसे लोगों को कभी भी नहीं समझा सकते हैं कि सूक्ष्म जगत नाम की कोई चीज होती है या नहीं ?

‌‌‌सुक्ष्म का अर्थ और मतलब

उपर हमने स्थूल के बारे मे जाना । यह जगत जो आंखों से दिखाई देता है वह स्थूल है। और दूसरा जगत जो आंखों की रेंज से परे है वह सूक्ष्म जगत के अंदर आता है। सूक्ष्म जगत के रहस्य के बारे मे कोई भी पूरे तरीके से नहीं जानता है। आज तक वैज्ञानिकों के पास इसका कोई जवाब नहीं है।‌‌‌जिन भूत प्रेतों के बारे मे आप हमेशा से किताबों मे पढ़ते आए हैं वे भी सूक्ष्म जगत का हिस्सा होते हैं।सूक्ष्म जगत एक रहस्य होता है। माना जाता है कि जिस इंसान की द्रष्टि खुल जाती है वह यहां पर बैठा बैठा ही सूक्ष्म जगत के बारे मे जानकारी हाशिल कर लेता है।

‌‌‌हर किसी के बस की बात नहीं होती है सूक्ष्म जगत की यात्रा करना ।सूक्ष्म जगत की यात्रा करने के लिए आपको योगी होना पड़ेगा और अपने चक्रों को जाग्रत करना होगा । यदि एक बार आपके चक्र जाग्रत हो जाते हैं तो उसके बाद आप आसानी से अपनी आत्मा को बाहर निकाल कर सूक्ष्म जगत की यात्रा कर सकते हैं।‌‌‌सबसे अधिक सूक्ष्म आत्मा को माना गया है।आत्मा ही वह पदार्थ है जिससे कि सब कुछ बना हुआ है। उसका कभी भी विनाश नहीं होता है। ऐसा माना जाता है। हालांकि आत्मा को हर कोई नहीं देख सकता है। इसे देखने के लिए क्षमता होनी चाहिए ।

‌‌‌सूक्ष्म जगत के बारे मे यह कहा जाता है कि यह भौतिक जगत से कहीं अधिक विशाल है।इतने बड़े ब्रह्रमांड के अंदर असंख्य लोक और लोकांतर हैं। जिनके अंदर सूक्ष्म आत्माएं रहती हैं।

‌‌‌जब कोई इंसान मर जाता है तो रियल मे वह मरता नहीं है।वरन उसकी आत्मा बस शरीर को छोड़ देती है। जिसके बाद हमे वह दिखाई देना बंद हो जाती है। वह पहले की तुलना मे सूक्ष्म हो जाती है।

‌‌‌उसके बाद वह अपने कर्मों के अनुसार यात्रा पर निकलती है।जिस प्रकार के कर्म उसने किये होते हैं वह उसी प्रकार के लोक को प्राप्त करती है। यदि उसने अपने जन्म काल के दौरान अच्छे कर्म किये होते हैं तो अच्छे लोकों को प्राप्त होती है। यदि बेकार कर्म किये होते हैं तो उसकी तरह के लोकों को प्राप्त ‌‌‌ होती है।यह हमेशा से झूठ फैलाया जाता है कि इंसान मर जाता है। असल मे इंसान कभी भी नहीं मरता है मरता सिर्फ शरीर है। बहुत से लोग यह सोचते हैं कि हम सर्वे सर्वा हैं हम जो भी कर्म करते हैं उसकी सजा हमे नहीं मिलती है लेकिन यह गलत है। नैचर अपने आप ही सजा देती है।

‌‌‌मरने के बाद जो लोग भूत प्रेत आदि बनकर घूमते हैं यह उनके कर्मों की वजह से ही होता है। यदि वे अपने जीवन काल मे अच्छे कर्म करते तो उनको भूत प्रेत बनने की जरूरत नहीं होती ।

‌‌‌इस प्रकार से सूक्ष्म जगत के बारे मे आप अच्छी तरह से जान चुके हैं।यह जो कुछ दिख रहा है वह संघनन रूप है। यदि यही टूटकर बिखर जाए तो सूक्ष्म हो जाता है।

स्थूल का विलोम शब्द या ‌‌‌स्थूल का विलोम , ‌‌‌स्थूल का उल्टा क्या होता है ? Sthul ka vilom shabd

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