metronidazole tablet uses in hindi and side effect

metronidazole tablet uses in hindi , metronidazole 400 mg tablet use in hindi   बैक्टीरियल संक्रमण, पेट में इन्फेक्शन, अमिबायसिस के अंदर metronidazole tablet  का यूज किया जाता है। आपको यह दवा डॉक्टर की अनुमति से ही लेनी चाहिए । जब डॉक्टर आपको इस दवा के बारे मे लिखकर देता है तो उसके बाद ही आपको इस दवा का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अधिक जरूरी होगा । ‌‌‌इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं लेकिन आपको इसके बारे मे चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। कारण यह है कि यह साइड इफेक्ट किसी भी तरह से स्थाई नहीं होते हैं। दवा के लेने के कुछ समय बाद यह दिखाई दे सकते हैं। लेकिन हर इंसान के अंदर यह दिखाई नहीं देते हैं। केवल कुछ इंसान होते हैं।

‌‌‌जिनके अंदर यह साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा जो इस दवा की खुराक होती है वह कई चीजों पर निर्भर करती है। जेसे की रोगी को कितनी समस्याएं हैं और रोगी की आयु और लिंग क्या है ?

metronidazole tablet uses in hindi

दोस्तों इस दवा को कई तरह की समस्यओं के उपचार के अंदर किया जाता है। उन सभी समस्याओं की लिस्ट हम आपको यहां पर दे रहे हैं। जिसकी मदद से आपको यह पता लग जाएगा कि दवा का उपचार किन किन बीमारी के अंदर किया जाता है।

  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • पेट में इन्फेक्शन
  • अमिबायसिस
  • जिआर्डिएसिस
  • दस्त
  • परजीवी संक्रमण
  • मस्तिष्क संक्रमण
  • स्किन इन्फेक्शन
  • प्रजनन प्रणाली संक्रमण
  • पेट में अल्सर
  • चेहरा लाल होने
  • अन्तर्हृद्शोथ
  • ल्यूकोरिया
  • मल में खून आना
  • दांत में दर्द
  • मसूड़ों से खून आना
  • पेचिश
  • बैक्टीरियल वेजिनोसिस
  • ट्राइकोमोनिएसिस
  • पेरिटोनाइटिस
  • निमोनिया
  • एच पाइलोरी

metronidazole tablet uses in hindi बैक्टीरियल संक्रमण के अंदर

metronidazole tablet uses in hindi

‌‌‌आपको यह जानकर हैरानी होगी की मानव शरीर के अंदर काफी अधिक बैक्टिरिया होते हैं। और यह आत्र के अंदर होते हैं। हालांकि इनमे से अधिकतर ऐसे होते हैं जोकि हमें किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।बैक्टीरियल संक्रमण गला, फेफड़े, त्वचा, आंत्र  आदि के अंदर हो सकते हैं। हालांकि कुछ संक्रमण ‌‌‌हल्के होते हैं जिनका ईलाज आसानी से हो जाता है। लेकिन कुछ बैक्टिरियल संक्रमण भयंकर रूप धारण कर सकते हैं। जिसकी वजह से काफी भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।बैक्टीरियल काफी अधिक संक्रामक होते हैं। यह कपड़े खांसने और छींकने से फैल सकते हैं।

  • सेल्युलाइटिस, फॉलिक्युलिटिस और इम्पेटिगो त्वचा के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। यदि इनका ईलाज करना है तो उसके बाद डॉक्टर आपको एंटिबायोटिक दवाएं देते हैं। जिससे कि संक्रमण को ठीक किया जा सकें ।
  • बैक्टीरियल  संक्रमण खाने की वजह से हो सकता है। यदि आप दूषित खाना खाते हैं तो इससे आपका पेट दर्द हो सकता है।उल्टी बुखार और ठंड लग सकती है।व पेट के अंदर दर्द हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा बैक्टिरियल संक्रमण यौन संबंधों से भी फैलने का काम करते हैं। इसलिए यदि आप हर किसी के साथ यौन संपर्क मे आते हैं तो आपको सुरक्षित साधन का प्रयोग करना काफी जरूरी हो जाता है।

बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण के बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । क्योंकि आप लक्षण की मदद से ही यह आसानी से पहचान कर सकते हैं कि बैक्टीरियल संक्रमण हुआ है या नहीं है तो हम आपको यहां पर कुछ लक्षण भी बता देते हैं।

  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से आपको बुखार हो सकती है। और आपको ठंड भी लग सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और दांत भी बज सकते हैं।
  • लिम्फ नोड्स की सूजन भी संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। यदि किसी को इस तरह की सूजन दिखाई देती है तो उसके बाद इसका ईलाज करवाना काफी जरूरी हो जाता है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से आपका गला खराब हो सकता है और निगलने मे कठिनाई हो सकती है। आप गले के अंदर कुछ अटका हुआ सा महसूस कर सकते हैं।
  • बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से निमोनिया हो सकती है। और सांस फूलने जैसे लक्षण इसके हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • बैक्टीरियल संक्रमण से यूरीन इन्फेक्सन हो सकता है जिससे कि पेशाब करते समय दर्द हो सकता है और बार बार पेशाब के त्याग करने की इच्छा हो सकती है।

‌‌‌यदि आप खुद को बैक्टीरियल संक्रमण से सैफ रखना चाहते हैं तो आप कई चीजों को कर सकते हैं। जिससे कि आप आसानी से बैक्टीरियल संक्रमण से खुद को सैफ रखने मे फायदे मे रहेंगे ।

  • जैसे कि खाना बनाते समय और खाना पकाते समय खुद के हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए ।
  • खराब हो चुके भोजन का सेवन ना करें ।
  • ‌‌‌बीमार हो चुके व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखना आपके लिए जरूरी है।
  • इसके अलावा अपने घर की अच्छी तरह से साफ सफाई रखें। जिससे कि संक्रमण नहीं फैल पाएगा ।

‌‌‌यदि किसी को बैक्टीरियल संक्रमण हो जाता है तो उसके बाद उस इंसान का ब्लड टेस्ट किया जाता है और फिर उसकी मदद से यह आसानी से पता चल जाता है कि बैक्टीरियल संक्रमण हो चुका है।इसके अलाव बुखार खांसी इस तरह के लक्षण भी रोगी के अंदर देखकर डॉक्टर पता लगा लेता है।

‌‌‌इसके अलावा डॉक्टर मूत्र के नमूनों को एकत्रित कर सकता है। और उसके बाद उसकी मदद से यह आसानी से पता लगा लेता है कि बैक्टिरीयल संक्रमण हो चुका है और उसके बाद ईलाज किया जाता है।

बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। लेकिन आपको बतादें कि बैक्टीरियल काफी तेजी से बदलने वाली चीज होती है। इस वजह से यदि अधिक मात्रा के अंदर एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है तो बैक्टीरिया इसके खिलाफ खुद के अंदर एक प्रकार की प्रतिरोधकता विकसित कर लेते हैं।

metronidazole tablet uses in hindi अमिबायसिस

अमिबायसिस  भी एक प्रकार का संक्रमण होता है जोकि प्रोटोजोएन एंटामीबा हिस्टोलिटिका से होती है। वैसे तो यह किसी को हो सकती है। यह खास कर उन लोगों को होती है जिनके यहां पर साफ सफाई अच्छी नहीं होती है।इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से भी यह संक्रमण फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना ‌‌‌ चाहिए ।

अमिबायसिस यदि किसी को हो जाता है तो बहुत से लोगों के अंदर इसके लक्षण ही प्रकट नहीं होते हैं। बस कुछ लोगों के अंदर इसके लक्षण दिखाई देते हैं। और उन कुछ लोगों के अंदर दस्त  खून आना उल्टी होना और पेट मे दर्द होना जैसे लक्षण हो सकते हैं।

अमिबायसिस के बारे मे आपको पता होना चाहिए । यह दुर्लभ मामलों के अंदर बड़ी आंत के अंदर रहता है। और यह कई बार बड़ी आंत को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।आपको बतादें कि यह जो समस्या होती है वह दुनियाभर के अंदर किसी को भी हो सकती है।

पेट में इन्फेक्शन के अंदर metronidazole tablet uses in hindi

पेट में इन्फेक्शन एक प्रकार की समस्या होती है जिसकी वजह से कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। जैसे कि उल्टी हो सकती है या फिर पेट के अंदर भी दर्द हो सकता है। यह बैक्टीरिया, परजीवी और दूषित भोजन से उत्पन्न बीमारियों के कारण भी हो सकता है।और यह वायरस की वजह से भी हो सकता है।

‌‌‌आपको बतादें कि इस रोग से जो ग्रस्ति होता है। वह किसी दूसरे इंसान के अंदर भी इन्फेक्सन को ट्रांसफर कर सकता है। खास कर यदि व्यक्ति मल के हाथों को ठीक तरह से नहीं धोता है तो उसके बाद यह समस्या काफी अधिक देखने को मिलती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌पेट के अंदर जो इन्फेक्सन होता है उसकी वजह से उल्टी और दस्त हो सकते हैं। और इस स्थिति के अंदर अधिकांश लोग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों को इसको ठीक करने के लिए काफी अधिक लंबी दवाएं लेनी पड़ती हैं।जिससे कि शरीर के अंदर कमजोरी आ सकती है।

 ‌‌‌आमतौर पर यदि लंबे समय से उल्टी दस्त हो रहा है तो इसका सही ईलाज करना जरूरी होता है। यदि सही तरीके से ईलाज नहीं किया गया तो शरीर के अंदर पानी की कमी हो सकती है। और यह समस्या काफी अधिक गम्भीर रूप को धारण कर सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

बैक्टीरियल गैस्ट्रोएन्टराइटिस एक प्रकार की समस्या होती है। यह तब होता है जब आप स्वच्छता पर ठीक तरह से ध्यान नहीं देते हैं। यदि आप ठीक तरह से ध्यान नहीं देते हैं तो उसके बाद यह समस्या काफी अधिक परेशान कर सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

वायरल गैस्ट्रोएन्टराइटिस अनेक प्रकार के वायरस के कारण पेट और आंतों में होने वाली सूजन है । और यह एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है जिसकी वजह से इंसान के संपर्क मे आने वाले दूसरे किसी इंसान को यह हो सकती है।

पेट में इन्फेक्शन के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसकी वजह से पेट के अंदर कई सारे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए पेट के इन्फेक्सन के जो कॉमन लक्षण होते हैं उनके अंदर उल्टी और दस्त होते हैं। लेकिन इसकी वजह से पेट के अंदर मरोड़ भी हो सकती है।

बुखार, थकान, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द वायरल संक्रमण के आम लक्षण  इसके आपको दिखाई दे सकते हैं इसके अलावा कुछ संक्रमण के अंदर पेट के अंदर काफी गम्भीर दर्द हो सकता है। रोटावायरस से संक्रमित बच्चे आमतौर पर तीन से आठ दिनों के भीतर पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं

‌‌‌इन सभी तरह के संक्रमण से बचने का एक अच्छा तरीका यही है कि आपको साफ सुथरे तरीके से रहना चाहिए यदि आप साफ सुथरे तरीके से रहते हैं तो उसके बाद किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है।

‌‌‌आमतौर पर यदि लक्षणों के अंदर 2 से 3 दिन के अंदर किसी भी तरह से सुधार नहीं होता है तो आपको चाहिए कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका आपको पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌यदि बच्चों के अंदर लंबे समय से उल्टी दस्त हो रही है तो फिर आपको देरी नहीं करनी चाहिए और जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी आपको अपने डॉक्टरों से परामर्श करना जरूरी हो जाता है। यही आपके लिए सही होगा ।

रोटावायरस से बचने के लिए बच्चों के अंदर एक तरह से टीका लगाया जाता है जोकि एक साल से कम उम्र के बच्चों के अंदर लगाया जाता है जिससे कि होने वाली समस्या को कुछ हद तक रोक सकता है। यह लक्षणों को गम्भीर होने से बचाने का काम करता है।

‌‌‌दोस्तों यह वायरस मल की मदद से फैल सकता है। और ऐसी स्थिति के अंदर आपको चाहिए कि आप अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। और सही साबुन का भी इस्तेमाल करें। यह बहुत अधिक जरूरी होता है। खास कर जो संक्रमित इंसान है उनको अपने हाथों को सही तरीके से धोने की आवश्यकता है।

‌‌‌बर्तन गिलास और प्लेट आदि को किसी दूसरे इंसान को सांझा करने से बचना होगा । यह जरूरी है क्योंकि इससे वायरस फैल सकता है।

यदि आपके घर के अंदर किसी प्रकार का संक्रमित है तो आपको उससे कुछ दूरी बनाकर रखनी होगी और उसको कुछ समय तक एकांत के अंदर रखें जब तक कि वह ठीक नहीं हो जाता है।

सुनिश्चित करें कि केंद्र में डायपर बदलने और भोजन बनाने या परोसने के लिए अलग-अलग कमरे हैं

और यदि आप सफर के अंदर हैं तो एक तरह से अच्छी सील बंद बोतल का पानी ही पीयें वरना आप पेट के इन्फेक्सन का शिकार हो सकते हैं। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आप मांस को खाने के शौकिन हैं तो आपको अधपका मांस को खाने से बचना होगा । क्योंकि इसकी वजह से भी संक्रमण फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

निर्जलीकरण को नियंत्रित करना इसका मुख्य उदेश्य होता है। यदि यह बीमारी काफी लंबे समय से चल रही है तो इसका उपचार करना बहुत ही अधिक जरूरी हो जाता है। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आपको यह समस्या है तो आप कुछ उपाय को अजमा सकते हैं

आप अधिक से अधिक पानी पीने का प्रयास करें। यदि आप अधिक पी सकते हैं तो अच्छा है नहीं तो आप बर्फ के टुकड़ों को चूस सकते हैं जोकि आपके लिए काफी फायदेमंद होगा ।

‌‌‌आपको इसके अलावा फलों के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए । यह आपके शरीर के अंदर और अधिक दस्त की समस्या को पैदा करने का काम करता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आपको यह समस्या है तो कम मात्रा के अंदर भोजन का सेवन करें और आपको पेट को आराम देना बहुत ही जरूरी हो जाता है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आप अधिक थकान और कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो आपको चाहिए कि आप एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना बहुत अधिक जरूरी हो जाता है।

जिआर्डिएसिस metronidazole tablet uses in hindi

जिआर्डिएसिस  आमतौर पर आंतों का एक प्रकार का इन्फेक्सन होता है जोकि लैम्बलिया  की वजह से होता है।और यह जो जीव होता है वह दुनिया भर के अंदर पाया जाता है यह विशेष तौर पर वहां पर जरूर ही मिलता है जहां पर साफ सफाई सही तरीके से नहीं होती है।

जिआर्डिएसिस के संपर्क मे आने के बाद इसके लक्षण जल्दी ही आमतौर पर 2 से 3 सप्ताह के अंदर शूरू हो जाते हैं।और इसका समय पर ईलाज करना बहुत ही जरूरी हो जाता है। यदि समय पर ईलाज नहीं किया गया तो फिर समस्या काफी अधिक घातक हो सकती है।

  • थकान
  • जी मिचलाना
  • दस्त लगना
  • भूख कम लगना
  • उल्टी आना
  • पेट फूलना
  • पेट में मरोड़ होना
  • शरीर का वजन कम होना
  • अधिक गैस बनना
  • सिरदर्द होना
  • पेट में दर्द होना

जिआर्डिएसिस, जिआर्डिया लैम्बलिया नाम के एक सूक्ष्मजीव के कारण होता है। और यह जो सूक्ष्म जीव होता है वह दूषित भोजन और पानी की मदद से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है और उसके बाद यह आपको परेशान कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

जिआर्डिएसिस की जांच करने से पहले इसका मल लिया जाता है और उसके बाद उस मल की जांच की जाती है। इससे पता चल जाता है कि जिआर्डिएसिस  है या फिर नहीं है ?इसके लिए डॉक्टर एंटिबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।वैसे आपको बतादें कि इसके लक्षण कुछ दिन तक रह सकते हैं और उसके बाद ठीक हो जाते हैं लेकिन यह ‌‌‌काफी लंबे समय तक भी चल सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

दस्त metronidazole tablet uses in hindi

metronidazole tablet uses in hindi एक तरह से दस्त के अंदर भी प्रयोग मे ली जाती है। दस्त एक प्रकार से आम समस्या होती है जोकि किसी भी वजह से हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । दस्त के अंदर आमतौर पर पतला पतला मल आता है। और यह मल कुछ दिनों तक रह ‌‌‌सकता है। और यदि लंबे समय तक दस्त चलती है तो उसके बाद समस्या काफी अधिक घातक हो सकती है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन  और फूड पॉइजनिंग  आदि समस्याओं की वजह से दस्त हो सकती है। हालांकि इनका समय पर ईलाज करना बहुत हद तक संभव हो सकता है।

‌‌‌यदि हम दस्त के लक्षण की बात करें तो दस्त के कई सारे लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप दस्त को बहुत ही अच्छी तरह से पहचान सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • ‌‌‌इसकी वजह से बुखार महसूस हो सकता है।
  • आपको शरीर के अंदर कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • इसके अलावा आपको सिरदर्द हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • इसके अलावा पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
  • इसके अलावा पानी की कमी होने की वजह से होंठ सूख सकते हैं।

‌‌‌दस्त के कारण की बात करें तो दस्त के कई सारे कारण हो सकते हैं जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए तो आइए जानते हैं दस्त के कारणों के बारे मे काफी विस्तार से ।

  • फूड एलर्जी
  • दवा से रिएक्शन
  • वायरल संक्रमण
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • आंत्र संक्रमण
  • परजीवी संक्रमण

‌‌‌यदि हम दस्त से बचने के उपाय के बारे मे बात करते हैं तो इसके कई सारे उपाय हो सकते हैं जिसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

  • जिस भी स्थान पर आप खाना पकाते हैं उस स्थान को आपको साफ सुथरा  रखें तो दस्त की समस्या नहीं होगी ।
  • ‌‌‌दस्त से बचने के लिए पानी को साफ करके पीना चाहिए यह जरूरी भी है।
  • दस्त से बचने के लिए बासी खाने का सेवन ना करें। और खाने को फ्रीज के अंदर रखदें । यही आपके लिए सही होगा ।
  • दस्त से बचने का एक अच्छा तरीका है कि सभी चीजों की साफ सफाई को सही तरीके से रखें।

‌‌‌दिमाग के अंदर संक्रमण metronidazole tablet uses in hindi

दिमाग के अंदर संक्रमण मे भी metronidazole tablet का यूज किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।दिमाग के अंदर जो संक्रमण होता है उसकी कई सारी वजह हो सकती हैं जैसे कि मेनिनजाइटिस या दिमागी बुखार, मस्तिष्क में फोड़ा, इन्सेफेलाइटिस आदि।‌‌‌जैसे कि दिमाग के अंदर सूजन होने की वजह से संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा ब्रेन के टिशु के टूटने की वजह से भी यह संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा दिमाग के अंदर संक्रमण वायरस ,फंगस और कवक की वजह से हो सकता है। इसके बारे  मे आपको पता होना चाहिए ।

रीढ़ की हड्डी दिमाग से जुड़ी हुई होती है और यदि इसके अंदर संक्रमण हो जाता है तो यह आपकी जान भी ले सकता है। जोकि आपके लिए काफी घातक साबित हो सकता है।

‌‌‌दिमाग के अंदर संक्रमण के लक्षण के बारे मे हम बात करे तो कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। जिनकी मदद से आप आसानी से पहचान सकते हैं तो आइए जानते हैं दिमाग के अंदर संक्रमण के लक्षणों के बारे मे ।

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • उल्टी आना
  • गर्दन में अकड़न
  • दौरे पड़ना
  • कमजोरी महसूस होना
  • व्यवहार में बदलाव होना

‌‌‌दिमाग के अंदर जो संक्रमण होता है वह कई कारणों से होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । फेफड़ों हर्ट आदि के अंदर होने वाला संक्रमण आमतौर पर खून की मदद से दिमाग तक पहुंच सकता है। और बाद मे यह काफी गम्भीर समस्या को जन्म दे सकता है।

‌‌‌इसके अलावा बीमारी पैदा करने वाले जीव आमतौर पर दिमाग पर लगी चोट की वजह से या फिर सीधे शरीर के किसी हिस्से के अंदर लगी चोट के अंदर से दिमाग के अंदर प्रवेश कर सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स, एंटी-वायरल या एंटी-फंगल दवाइयां की मदद से दिमाग के अंदर होने वाले संक्रमण का ईलाज किया जा सकता है। लेकिन यदि  संक्रमण काफी गम्भीर है तो मरीज की सर्जरी करना बहुत ही जरूरी हो जाता है।

metronidazole tablet uses in hindi त्वचा मे संक्रमण के लिए

आपको बतादें कि आपकी जो त्वचा होती है वह रोगाणुओं से बचाने का काम करती है। लेकिन कई बार क्या होता है कि यह त्वचा ही रोगाणुओं के संपर्क मे आ जाती है और संक्रमित हो जाती है। आपको इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।खैर आमतौर पर ‌‌‌त्वचा के अंदर जो रोगाणू होते हैं वह किसी कट या फिर किसी तरह की खरोच की मदद से बहुत ही आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। आपको इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।

‌‌‌आमतौर पर त्वचा पर धार बनने का कारण हो सकता है जैसे कि किसी का काटना या डंक मार देना या फिर किसी वजह से चोट का लग जाना ।कान बिंधवाना और टैटू बनाना भी इसके अंदर आते हैं।इसकी वजह से त्वचा के अंदर जलन हो सकती है खुजली हो सकती है। और लालिमा हो सकती है।

‌‌‌यदि आप इस स्थिति के अंदर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कई तरह के काम कर सकता है। जैसे कि आपकी पुरानी हिस्ट्री के बारे मे पूछ सकता है। इसके अलावा वह आपका ब्लड टेस्ट कर सकता है।इसके अलावा वह आपको कुछ दवाएं लिखकर दे सकता है जिससे कि समस्या ठीक हो सकती है।

एंटीबायोटिक दवाएं ही आमतौर पर इन्फेक्सन के अंदर काम आती हैं।और इन दवाओं की मदद से ईलाज किया जाता है। लेकिन त्वचा संक्रमण की स्थिति के अंदर एक मल्हम भी दिया जा सकता है जोकि समस्या को सही कर सकता है।

बैक्टीरिया, वायरस या फंगस आदि की वजह से त्वचा के अंदर संक्रमण हो सकता है। और यह शरीर के किसी भी हिस्से के अंदर हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर होती है उनके अंदर संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक हो जाता है।

‌‌‌यदि हम त्वचा संक्रमण के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं। जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपको लक्षण ठीक से पता हैं तो आप आसानी से किसी भी तरह के संक्रमण का ईलाज कर सकते हैं तो आइए जानते हैं त्वचा संक्रमण के बारे मे पूरे विस्तार से ।

‌‌‌यदि त्वचा के अंदर संक्रमण हो जाता है तो कई सारे लक्षण प्रकट हो जाते हैं। और संक्रमण की वजह से फफोले बन जाते हैं। और खुजली हो सकती है। व त्वचा के उपर हाथ रखने  या फिर छूने की वजह से दर्द हो सकता है। आपको यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए ।

‌‌‌यह संक्रमण चेहरा ,बांहे और टांगे आदि के अंदर भी हो सकता है। इसके अलावा कांख गर्दन आदि के अंदर भी यह संक्रमण हो सकता है।

  • त्वचा का रंग बिगड़ जाना
  • त्वचा गर्म महसूस होना
  • त्वचा मे सूजन का होना ।
  • ‌‌‌त्वचा पर पपड़ी बन जाना
  • त्वचा पर दाने बनने
  • छूने पर दर्द का महसूस होना ।

‌‌‌इसकी वजह से त्वचा काफी अधिक कठोर हो जाती है और घाव के अंदर से खून की धारियां भी बन सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ‌‌‌इसकी वजह से आपको बुखार भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।

  • ‌‌‌इसकी वजह से यह भी हो सकता है कि आप त्वचा के अंग को ठीक से नहीं हिला पा रहे होते हैं।
  • घाव बन गया है और उसके अंदर पस निकल रहा है तो भी आपको इसको जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है। वरना काफी बड़ी समस्या हो सकती है।
  • ‌‌‌यदि इस प्रकार का कोई खरोंच या फिर कट हो जोकि अधिक समय तक ठीक नहीं हुआ है तो उसे आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है।
  • ‌‌‌यदि इन्फेक्सन काफी तेजी से फैल रहा है और घाव काफी बदतर होते जा रहे हैं तो समस्या हो सकती है और अपने डॉक्टर को जल्दी से जल्दी दिखाना चाहिए ।
  • बैक्टीरियल स्किन इन्फेक्शन तब होता है जब आपके शरीर की त्वचा पर किसी भी तरह का कट या फिर खरोच का निशान बन गया है। और इसकी मदद से बैक्टीरिया आपकी त्वचा के अंदर चले जाते हैं। हालांकि यदि किसी की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी अधिक कमजोर होती है तो उसकी वजह से भी बैक्टीरियल इन्फेक्सन हो सकता है।
  • बैक्टीरिया आमतौर पर आपके आस पास पाये जाते हैं यह अच्छे और बुरे दोनेा ही प्रकार के होते हैं। और कई बार छोटा मोटा संक्रमण होता है जोकि अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन कई बार यह काफी अधिक गम्भीर हो जाता है जिससे कि समस्या और अधिक बढ़ जाती है।
  • त्वचा से करीबी संपर्क से
  • तौलिया या टूथब्रश जैसी चीजें शेयर करने से
  • यदि कोई इंसान पहले से संक्रमित है तो फिर उससे संक्रमण फैल सकता है। इसलिए उससे दूरी बनाए रखना जरूरी होता है।

डायबिटीज के जो मरीज होते हैं उनके अंदर खून का बहाव कम हो जाता है इसकी वजह से उनको संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक हो जाता है और इसकी वजह से भी संक्रमण काफी तेजी से फैलता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।

‌‌‌इसके अलावा उम्र अधिक होने की वजह से संक्रमण भी अधिक फैलने का खतरा होता है। तो जिन लोगों की उम्र अधिक हो गई है उनको यह संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक हो जाता है।

एचआईवी एड्स या हेपेटाइटिस से ग्रस्त लोग इस तरह के संक्रमण के काफी तेजी से शिकार बन जाते हैं आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

‌‌‌जिन लोगों को लकवा होता है वे लोग काफी तेजी से इसके शिकार हो जाते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌इसके अलावा त्वचा का जो हिस्सा सूरज की रोशनी के अंदर क्षतिग्रस्त हुआ है उसकी वजह से यह समस्या हो सकती है।

‌‌‌यदि त्वचा के अंदर संक्रमण हुआ है तो नियमित रूप से घाव और संक्रमण की देखभाल करना जरूरी हो जाता है। और बेहतर यही होगा कि संक्रमण से बचाव करने के लिए आपको साफ सुथरा खुद को रखना चाहिए और यदि आप साफ सुथरा खुद को रखते हैं तो फिर यही आपके लिए सही होगा कि आप संक्रमण से बहुत ही आसानी से बच सकते ‌‌‌ हैं।

metronidazole tablet uses in hindi प्रजनन प्रणाली संक्रमण

प्रजनन प्रणाली संक्रमण के अंदर यौन संचारित रोग और आम संक्रमण को शामिल किया जाता है।गुप्त पार्ट के अंदर रहने वाले बैक्टिरिया और जीवाणू संक्रमण की वजह हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।इसके अलावा असुरक्षित गर्भपात की वजह से भी संक्रमण हो सकता है।

‌‌‌यदि हम प्रजनन प्रणाली के अंदर संक्रमण की बात करें तो इसकी कई सारी वजह हो सकती हैं। लेकिन हम इसके लक्षणों की बात करते हैं जिसकी मदद से हम संक्रमण को आसानी से पहचान सकते हैं।

  • ‌‌‌गुप्त अंग के अंदर असामान्य रक्त का स्त्राव होना ।
  • यौन अंगों के अंदर दर्द होना
  • यौन अंगों के अंदर खुजली का होना ।
  • पेशाब करते समय दर्द होना
  • असमय ही मासिक धर्म का होना ।

‌‌‌प्रजनन प्रणाली के अंदर संक्रमण कई कारणों की वजह से हो सकता है। जैसे कि असुरक्षित यौन बंध यदि आप बनाते हैं तो इसकी वजह से भी प्रजनन प्रणाली की अंदर संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे की वजह से भी प्रजनन प्रणाली के अंदर संक्रमण हो सकता है।

क्लैमाइडिया, गोनोरिया, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हर्पिस, एचपीवी, सिफलिस  आदि की वजह से भी प्रजनन प्रणाली के अंदर संक्रमण हो सकता है। यदि संक्रमण का पता चल जाता है तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर से ईलाज करवाना चाहिए जिससे कि संक्रमण से छूटकारा मिल सकता है।

metronidazole tablet uses in hindi  का उपयोग पेट मे अल्सर

दोस्तों यदि किसी के पेट मे अल्सर की समस्या है तो फिर इस दवा का उपयोग किया जाता है।पेट की अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर के अंदर मौजूद संक्रमित घाव होते हैं।यह पेट के भीतरी हिस्से भोजन नली और छोटी ‌‌‌ आंत के अंदर विकसित हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।इसकी वजह से नाभि और छाती के अंदर तक दर्द महसूस हो सकता है।यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो फिर इसकी वजह से काफी अधिक भयंकर बीमारी हो सकती है।

  • गैस्ट्रिक अल्सर पेट अल्सर का एक प्रकार होता है जिसके अंदर जो घाव होते हैं वह पेट के अंदर होते हैं।
  • एसोफेजल अल्सर के अंदर घाव भोजन नली के अंदर बन जाते हैं।
  • डूआडनल अल्सर आमतौर पर छोटी आंत के अंदर होता है।

‌‌‌पेट अल्सर के लक्षण के बारे मे भी हम आपको बताने वाले हैं पेट अल्सर के कई सारे लक्षण होते हैं उसकी मदद से आप इसको पहचान सकते हैं तो आइए जानते हैं पेट अल्सर के लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।

  • ‌‌‌इसकी वजह से पेट मे दर्द हो सकता है। यह नाभी के आस पास या छाती के अंदर भी दर्द पैदा कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।
  • ‌‌‌पेट अल्सर की वजह से जलन और काटने जैसा दर्द हो सकता है। जिससे कि आप पहचान सकते हैं कि पेट अल्सर की समस्या है।
  • पेट अल्सर मे दर्द तब होता है जब खाना खाने के बाद हमारा पेट खाली रहता है।
  • ‌‌‌पेट का जो दर्द होता है वह सुबह के समय काफी अधिक प्रभावी होता है और रात को भी दर्द करता है।
  • दर्द आमतौर पर कुछ मिनटो से लेकर घंटो तक रह सकता है।
  • अल्सर के दर्द में भोजन, एंटासिड्स, या उल्टी से राहत मिल सकती है।
  • जी मिचलाना
  • उल्टी आना

‌‌‌इन सभी लक्षणों से आप बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं कि पेट के अंदर अल्सर मौजूद है। तो आप उसके बाद इसका उपचार कर सकते हैं।

‌‌‌अल्सर की वजह से पेट के अंदर रक्तस्त्राव होता है। हालांकि पेट मे रक्त स्त्राव कम या अधिक हो सकता है।जैसे कि उल्टी के साथ खून आ सकता है और काला पदार्थ निकल सकता है। यदि ऐसा है तो आपको लापरवाही नहीं करनी चाहिए और जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।

‌‌‌अब आपके दिमाग के अंदर यह भी आता होगा कि पेट के अंदर छाले क्यों होते हैं तो यह आमतौर पर एक प्रकार के बैक्टिरिया के संक्रमण की वजह से हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टिरिया हमारे पेट के अंदर ही रहते हैं। हालांकि यह कुछ लोगों को अधिक प्रभावित करते हैं और बार बार उनको प्रभावित करते हैं। लेकिन कुछ लोगों को यह प्रभावित नहीं कर पाते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं। ‌‌‌लेकिन इनके प्रभावित करने के पीछे क्या कारण होता है ? इसके बारे मे अभी तक कुछ भी समझ नहीं आया है। इसके अलावा कुछ दवाएं भी होती हैं जोकि पेट के अल्सर का कारण बन सकती हैं जैसे कि नॉन-स्टेरायडल एंटी इनफ्लेमेंट्री ड्रग्स (NSAIDs), आइब्यूप्रोफ़न (Ibuprofen), एस्पिरिन (aspirin), नेपरोक्सन (Naproxen)

‌‌‌यदि आप इन दवाओं का काफी लंबे समय से इस्तेमाल करते हैं तो फिर यह आपके लिए काफी नुकसानदायी हो सकती हैं। बेहतर यही होगा कि आप इन दवाओं का इस्तेमाल लंबे समय तक ना करें। वरना आपके लिए नुकसान का सौदा हो सकता है।

‌‌‌इसके अलावा और भी कई सारे कारण होते हैं जोकि पेट के अल्सर को जन्म दे सकते हैं।

  • जैसे कि तंबाखू का अधिक सेवन करने से पेट का अल्सर हो सकता है।
  • तनाव के अंदर रहने की वजह से
  • मसालेदार भोजन की वजह से पेट का अल्सर हो सकता है।
  • लिवर, किडनी, फेफेडों से संबधित बिमारी से ग्रसित होने पर।
  • अधिक मात्रा के अंदर यदि आप शराब का सेवन करते हैं तो यह समस्या हो सकती है।

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैकटीरिया से बचने के लिए दूषित खाना और भोजन का उपयोग ना करें। यह आपके लिए सही नहीं होगा और समस्या पैदा कर सकता है।

इसके अलावा यदि आप दवा की कई सारी खुराक लेते हैं तो उनको नियंत्रित करें। इससे पेट के अंदर अल्सर होने की समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके ‌‌‌ बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि आप पेट मे छाले होने से काफी अधिक परेशान हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आप जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करें और आपके डॉक्टर आपको जो निर्देश देते हैं आपको उसका पालन करना जरूरी है। और समय पर दवा लें। यदि इनका समय पर उपचार किया जाता है तो फिर ‌‌‌यह बहुत ही आसानी से ठीक हो जाते हैं आपको पता होना चाहिए । बाकि आपको यदि इसका संदेह है तो आप एक बार जांच करवा सकते हैं। जिससे समस्या ठीक हो जाएगी । आपको समझना चाहिए ।

metronidazole tablet uses in hindi रोजेशिया मे उपयोग

‌‌‌इस बीमारी को चेहरे लाल होना के नाम से भी जाना जाता है।यह जो रोग होता है वह 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को काफी अधिक प्रभावित करता है।यह आपके नाक, गाल, ठुड्डी और माथे पर लाली करता है। यह रोग आमतौर पर कुछ समय तक रह सकता है। उसके बाद अपने आप भी ठीक हो जाता है।वैसे आपको बतादें कि ‌‌‌इसका कोई भी ईलाज नहीं है लेकिन लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है जोकि लक्षणों को कम करते हैं

  • एरीथेमैटोटेलांगेस्टाटिक रोजेशिया के अंदर चेहरे और गर्दन धड़ की रक्तवाहिनियां दिखती हैं।
  • पॉपुलोपोस्टलर रोजेशिया के अंदर आमतौर पर मुंहासे दिखाई देते हैं और यह देखने मे मुंहासे जैसा लगता है।
  • राइनोफायमा रोजेशिया आमतौपर यह पुरूषों को अधिक प्रभावित करता है और इसकी वजह से नाक की त्वचा मोटी हो जाती है।

चेहरा लाल होने (रोजेशिया) के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप इसको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं।

  • इसकी वजह से आपकी नाक और गाल की जो छोटी रक्तवाहिनियां होती हैं वे फूल जाती हैं जिनको आप अच्छी तरह से देख सकते हैं।
  • रोजेशिया से ग्रस्त बहुत से लोगों को सूजे हुए लाल उभार हो जाते हैं ‌‌‌और इसकी वजह से कभी कभी पस भी निकल सकती है तो डॉक्टर को दिखाना भी काफी अधिक जरूरी हो जाता है।
  • इसकी वजह से आंखों के अंदर सूखापन जलन और लाली का अनुभव भी होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा पुरूषों की नाम मोटी हो सकती है। यह बस दुर्लभ मामलों के अंदर ही होता है।

रोजेशिया होने के कारणों के बारे मे अभी भी पूरी जानकारी नहीं है। यह अनुवांश्कि हो सकता है या फिर किसी पर्यावरणिय कारक की वजह से भी हो सकता है।

  • जैसे कि यदि आप अधिक शराब पीते हैं तो यह समस्या हो सकती है।
  • शरीर के तापमान के अंदर बदलाव की वजह से यह हो सकती है।
  • कॉस्मेटिक सामग्री की वजह से यह हो ‌‌‌ सकता है।
  • ब्लड प्रेसर की दवाओं की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • सूरज की रोशनी मे रेजेशिया होने वाले लोगों को जाने से बचना चाहिए नहीं तो यह समस्या और अधिक बढ़ सकती है। इसलिए सूरज की रोशनी मे जाने से बचना चाहिए ।
  • रोजेशिया  तनाव की वजह से हो सकता है। इसलिए जिन लोगों को पहले से रोजेशिया  की समस्या है उनको तनाव से दूर रहने के बारे मे सलाह दी जाती है।
  • शराब पीना और मसालेदार भोजन करना रोजेशिया का कारण बन सकता है
  • इसके अलावा जिन लोगों को रोजेशिया की समस्या है उनको ठंडे मौसम के अंदर बाहर जाने से बचना चाहिए नहीं तो यह समस्या कम होने की बजाय अधिक हो सकती है।

metronidazole tablet uses in hindi एंडोकार्डिटिस के अंदर

एंडोकार्डिटिस दिल की आतंरिक परत के अंदर होने वाला एक प्रकार का संक्रमण होता है।बैक्टीरिया  आमतौर पर शरीर के किसी हिस्सें जैसे मुंह रक्त आदि की मदद से दिल तक पहुंच जाता है तो फिर यह समस्या हो सकती है।यदि इसका सही समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो यह आपके दिल के वाल्वों को नुकसान पहुंचा ‌‌‌सकता है। जिससे कि भयंकर समस्या का जन्म हो सकता है। इसका ईलाज आमतौर पर सर्जरी और एंटिबायोटिक्स दवाओं की वजह से किया जाता है। ‌‌‌जिन लोगों को दिल के क्षतिग्रस्त हो या फिर कृत्रिम वाल्व लगाए गए हों उनको इस तरह का संक्रमण होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं।

एंडोकार्डिटिस के जो लक्षण होते हैं वह जल्दी से या फिर अचानक से प्रकट हो सकते हैं और इसके प्रकट होने मे कई बार अधिक समय भी लग सकता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।

  • पसलियों के बायीं तरफ निचले हिस्से में एक संक्रमण का होना है  और लिवर की तिल्ली के अंदर दर्द होना ।
  • उंगली के नीचे के हिस्से मे लाल धब्बे पड़ना और उनके अंदर दर्द होना शामिल है।
  • अधिक थकान का होना
  • बुखार होना
  • पेशाब के खून आने की समस्या होना ।
  • ‌‌‌लगातार खांसी आना
  • पेट मे सूजन या पैरों मे सूजन का होना ।
  • जोड़ों और मांसपेशियों के अंदर दर्द होना
  • रात को अधिक पसीना आना आदि ।इसके लक्षण हो सकते हैं।

एंडोकार्डिटिस संक्रमण आमतौर पर जांच का विषय होता है। यदि आपको इसके लक्षण नजर आते हैं तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर जो निर्देश देता है उसका आपको पालन करना होगा यही आपके लिए सही होगा ।

एंडोकार्डिटिस तब होता है जब रोगाणू आपके शरीर के अंदर रक्त की मदद से घूमते हैं और यह दिल के किसी क्षतिग्रस्त हिस्से से जुड़ जाते हैं।और यह जीवाणू आमतौर पर आपके शरीर के अंदर रहने वाले जीवाणू मे से ही एक होते हैं।

  • ‌‌‌ब्रश करने या फिर चबाने से बैक्टिरिया आपके मुंह के अंदर प्रवेश कर सकते हैं। यदि आपके दांत और मसूडे सही नहीं हैं तो इस तरह के संक्रमण का खतरा अधिक होता है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • बैक्टीरिया आमतौर पर पहले से किसी संक्रमित जगह से आपके दिल तक पहुंच सकते हैं जैसे कि आंतों के घाव या फिर मसूडे रोग की वजह से या फिर किसी अन्य संक्रमित स्थान से वे आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
  • बैक्टीरिया आमतौर पर शरीर के अंदर डाली जाने वाली एक पतली टयूब से भी प्रवेश कर सकता है जोकि आपके शरीर के अंदर मौजूद तरल को जांचने के लिए डाली जाती है। आपको इसके बारे मे पता ही होगा । इसके अलावा आप टैटू वैगरह बनाते हैं तो इसकी वजह से भी बैक्टिरिया आपके शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा दूषित सूई भी एक कारण हो सकती है जोकि आपके शरीर के अंदर बैक्टिरिया को इंजेक्ट कर सकती है।
  • क्षतिग्रस्त हृदय वाल्व होने की वजह से यह बैक्टिरिया वहां पर ठहर जाता है और उसके बाद वहां से संक्रमण फैलाने का काम करता है।

metronidazole tablet uses in hindi ‌‌‌मल मे खून का आना

‌‌‌मल मे खून आना अपने आप मे कोई रोग नहीं होता है। किंतु यह अंदर किसी रोग का लक्षण जरूर ही होता है। मल मे खून के मिल जाने की वजह से मल काले रंग का हो सकता है। और यह आमतौर पर एक तरह से पाचन तंत्र की  समस्या भी हो सकती है।और यदि मल के अंदर खून आ रहा है तो यह अमरजेनसी है। आपको जल्दी से जल्दी ‌‌‌डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌यदि हम मल के अंदर खून आने के लक्षणों की बात करें तो मल आमतौर पर काले रंग का हो जाता है। मल के अंदर जब खून मिल जाता है तो यह चारकोल जैसा दिखाई देने लग जाता है। इसके अलावा अलग से भी खून दिखाई दे सकता है। यदि मल मे खून दिखाई देता है तो डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए । ‌‌‌ ताकि समस्या का सही तरीके से ईलाज किया जा सके वरना यह एक तरह से भयंकर सिरदर्दी बन सकता है। ‌‌‌आइए जानते हैं मल मे खून होने के लक्षणों के बारे मे विस्तार से ताकि आपको भी इसकी जानकारी हो सकें ।

  • पीलापन
  • थकान
  • सांस लेने में तकलीफ
  • लो ब्लड प्रेशर
  • पेट का फूल जाना ।

‌‌‌यदि मल के अंदर खून आ रहा है तो जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए आमतौर पर मल के अंदर थोड़ी मात्रा मे खून आना कब्ज की वजह से भी हो सकता है। डॉक्टर से जांच करवाई जानी चाहिए ।

  • ‌‌‌यदि आप अधिक चॉकलेटी रंग के पदार्थ खाते हैं जिनका रंग काला होता है तो इसकी वजह से भी मल के अंदर खून जैसा दिखाई दे सकता है। यह आमतौर पर खून की वजह से नहीं होता है।
  • पेट रोगों के लिए और सीने मे जलन जैसी समस्या के लिए जो दवाएं उपयोग मे ली जाती हैं उसकी वजह से भी मल का रंग बदल सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा उपरी पाचनतंत्र के अंदर रक्तस्त्राव की वजह से भी मल के अंदर खून आ सकता है।और यह खून आमतौर पर उपरी पाचन तंत्र के अंदर से निचले पाचन तंत्र मे आ जाता है।जब यह खून आंत के पीछले हिस्से के अंदर जमा हो जाता है तो उसके बाद मल काले रंग का आने लग जाता है।
  • ‌‌‌आमतौर पर मल मे खून आने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे कि नाक के खून को आप निगल लेते हैं तो यह मल से होकर आ सकता है। यदि खून अधिक मात्रा मे होता है तो ऐसा हो सकता है।
  • इसके अलावा अधिक उल्टी हो रही हैं तो यह समस्या हो सकती है।
  • पेट मे अल्सर होने की वजह से
  • आंतों मे सही तरीके से रक्त की ‌‌‌आपूर्ति नहीं होने की वजह से ऐसा हो सकता है।
  • इसके अलावा छोटी आंत के कैंसर की वजह से ऐसा हो सकता है।
  • आंत के कीड़े की वजह से यह समस्या हो सकती है।
  • ‌‌‌यदि मल मे कब्ज की वजह से खून आ रहा है तो आपको अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिससे कि मल पतला होता है और मल मे जो खून आने की समस्या होती है वह अपने आप ही कम हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

metronidazole tablet uses in hindi ‌‌‌मसूड़ों के अंदर खून आना

‌‌‌वैसे तो मसूड़ों के अंदर खून आना एक प्रकार की आम समस्या हो सकती है। कई बार अधिक जोर से ब्रश करने की वजह से भी मसूड़ों के अंदर खून आ सकता है।बार बार यदि मसूड़ों के अंदर खून आ रहा है तो यह किसी बड़ी समस्या के संकेत हो सकते हैं और अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए तभी समस्या का हल निकलेगा ।

विटामिन की कमी प्लेटलेट में कमी आदि की वजह से भी मसूडों के अंदर खून निकल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

मसूड़ों के अंदर खून आना कई तरह के लक्षणों को प्रकट करता है। तो आइए जानते हैं ।

  • मसूड़ों का फूल जाना
  • मसूड़ों के छूने पर दर्द होना
  • मसूड़ों पर धब्बे बन जाना ।
  • मुंह के ‌‌‌अंदर बदबू आना
  • दांतों के बीच दूरी बढ़ जाना ।

‌‌‌यदि हम मसूड़ों से खून को निकलने की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से मसूड़ों के अंदर से खून निकल सकता है।

  • विटामिन की कमी की वजह से भी मसूड़ों के अंदर से खून निकल सकता है।विटामिन की कमी से मसूड़ों के अंदर दर्द और सूजन हो सकता है।जिसकी वजह से खून बहने लग जाता है।
  • ‌‌‌लिवर के अंदर यदि किसी तरह की बीमारी होती है तो उसकी वजह से भी मसूड़ों के अंदर खून बह सकता है। अपने लिवर की ठीक तरह से जांच करवानी चाहिए ताकि समस्या सही हो जाए इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌कैंसर की वजह से भी मसूड़ों के अंदर खून बह सकता है। जैसे कि ल्यूकेमिया की वजह से ऐसा हो सकता है।
  • विटामिन K की कमी यदि शरीर के अंदर हो जाती है तो उसकी वजह से भी मसूड़ों के अंदर खून बहने की प्रवृति जो होती है वह काफी अधिक बढ़ जाती है। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • गर्भावस्था आमतौर पर दूसरे महिने से शूरू हो जाता है और इसकी वजह से मसूड़ों के अंदर खून बह सकता है। और इस दौरान लेने वाले प्रोडेक्ट की वजह से भी मसूड़ों के अंदर खून बह सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आप अपने दांतों को सही तरीके से साफ नहीं कर पाते हैं तो इसकी वजह से मसूड़ों के अंदर सूजन और दर्द हो सकता है। और मसूड़ों के अंदर खून बहने लग जाता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए अपने दांतों को साफ सुथरा रखें ।
  • ‌‌‌यदि दांत टेढे होते हैं तो इसकी वजह से भोजन इनके अंदर फंसा रह जाता है जिसकी वजह से मसूड़ों के अंदर खून बह सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा कई बार क्या होता है कि हम दांतों के अंदर कुछ भी ऐसी वैसी चीज फंसे भोजन को निकालने के लिए डाल देते हैं जिससे कि मसूड़ों मे चोट लग सकती है और खून निकल सकता है। अधिक तेजी से ब्रश रगड़ने की वजह से यह हो सकता है। या फिर नीम के दांतू की वजह से चोट लग सकती है।

metronidazole tablet uses in hindi पेचिश

पेचिश एक प्रकार का रोग होता है जिसकी वजह से इंसान के आंतों के अंदर संक्रमण हो जाता है जिसकी वजह से खून वाले दस्त लगते हैं। और बलगम भी आता है।बैक्टीरिया या पैरासाइटिस की वजह से यह हो सकता है। और इससे बचने के लिए साफ सफाई रखना बहुत ही जरूरी होता है।

अमीबा की वजह से भी यह संक्रमण हो सकता है। अमीबा  आमतौर पर दूषित खाने पीने की चीजों की वजह से हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए खाने पीने की जो चीजें होती हैं उनको साफ सुथरा रखने की जरूरत होती है।

  • बैक्टीरियल पेचिश आमतौर पर बैक्टिरिया की वजह से होता है। और यह खास तौर पर दूषित खाने पीने की चीजों की वजह से फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और इसके गम्भीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसलिए खाने पीने की चीजों को साफ सुथरा रखना जरूरी हो जाता है।
  • अमीबी पेचिश आमतौर पर दुषित इलाकों के अंदर काफी लंबे समय से रह सकते हैं। यह मल से फैलते हैं। जिन स्थानों पर साफ सफाई सही तरीके से नहीं होती है वहां पर यह काफी तेजी से आक्रमण करते हैं। और आपके हाथों पर भी यह काफी लंबे समय तक जीवित रह सकता है। इसलिए साफ सफाई समय पर करनी चाहिए । मल त्याग के बाद ‌‌‌साफ सफाई करना बहुत ही जरूरी होता है। इसके बारे मे आपको पता ही होगा । मल त्याग के बाद सही साबुन से हाथ धोना बहुत ही जरूरी होता है।

पेचिश के लक्षण की बात यदि करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आप इनको पहचान सकते हैं।

जैसे कि आप को दस्त हो सकता है

पेट के अंदर दर्द हो सकता है।

पेट मे ऐंठन हो सकती है।

इसके जो लक्षण होते हैं वे आमतौर पर 1 से 2 दिन के अंदर दिखाई देने लग जाते हैं। लेकिन कई बार लक्षण प्रकट ‌‌‌ होने मे काफी अधिक समय लग सकता है।

बैक्टीरियल पेचिस के लक्षण आमतौर पर 1 से 3 दिन के भीतर ही प्रकट हो जाते हैं। इसके अंदर खूनी दस्त और बलगम नहीं होता है। इसके अलावा कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से इसको आसानी से पहचान सकते हैं जैसे कि

  • ‌‌‌बुखार आना
  • पेट मे दर्द होना
  • मतली होना
  • उल्टी होना ।
  • थकान हो सकती है।
  • रूक रूक कर दस्त लग सकता है।

‌‌‌वैसे तो पेचिश अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार क्या होता है कि यह अपने आप ठीक नहीं होता है इस वजह से आपको डॉक्टर के पास जाना होता है। डॉक्टर आपको एंटिबायोटिक दवाएं लिखकर दे सकते हैं जिससे कि यह ठीक हो जाता है। ‌‌‌यदि आपके लक्षण गम्भीर होते जा रहे हैं तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए और इसको दिखाना चाहिए ताकि समस्या ठीक हो जाए।

‌‌‌यदि हम पेचिश की बात करें तो पेचिश आमतौर पर उन जगहों पर अधिक फैलता है जोकि साफ सुथरी नहीं होती हैं। और यदि आप किसी दूषित भोजन को छूते हैं या फिर उसका सेवन करते हैं तो यह पेचिश फैलने का कारण बन सकता है। अमीबी पैचिश मल के द्धारा फैलता है। जो लोग इससे संक्रमित होते हैं वे इसको फैला सकते हैं।

‌‌‌इसलिए मल त्याग के बाद हमेशा हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए । ताकि यदि कोई रोगाणू है तो वह नष्ट हो जाए ।

यदि आप दूषित पदार्थों का सेवन करते हैं

यदि आप दूषित भोजन का सेवन करते हैं

संक्रमित लोग हाथों को ठीक से नहीं धोते हैं तो यह फैल सकता है।

‌‌‌इसके अलावा संक्रमित पूल के अंदर नहाना या फिर तैरने से यह फैल सकता है।

‌‌‌इसके अलावा कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनको पेचिश का खतरा काफी अधिक होता है। उनको पूरी तरह से सावधानी बरतने की जरूरत होती है वरना उनको काफी गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • शराब की लत
  • पोषण में कमी
  • गर्भावस्था
  • कैंसर या ट्यूमर
  • और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर हो चुकी है उनको यह असर कर सकता है।

पेचिश से यदि हम बचने के उपाय पर चर्चा करें तो आप कुछ सावधानियों को अपना सकते हैं जिससे कि आप आसानी से पेचिश के संक्रमण से बच सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं उन सावधानियों के बारे मे ।

  • शौचालय यदि आप जाते हैं तो अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना जरूरी है।
  • यदि आपके अंदर संक्रमण है तो आपको यौन संपर्क को बनाने से बचना चाहिए वरना यह आपके साथी के अंदर भी फैल सकता है।
  • उन खाने योग्य चीजों का सेवन करें जिनको अधिक तापमान पर पकाया गया हो । ठंडे भोजन का सेवन करने से आपको बचना ‌‌‌ होगा ।
  • ‌‌‌इसके अलावा आपको उबले हुए पानी को पीना चाहिए
  • यदि आपको लक्षण मौजूद हैं तो दूसरे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए नहीं तो यह दूसरे लोगों के अंदर भी फैल सकता है।
  • यदि बच्चे छोटे हैं तो उनके हाथों को अच्छी तरह से धोने मे मदद करनी होगी ।
  • जब तक आपके लक्षण हैं आपको दूसरों के साथ खाने से बचना होगा ।
  • ‌‌‌गंदे कपड़े और तौलिया को गर्म पानी से धोने से यह नष्ट हो जाता है।

ट्राइकोमोनिएसिस

ट्राइकोमोनिएसिस आमतौर पर एक प्रकार के एक कोशिका जीव की वजह से होता है। और यह एक तरह से यौन रोग होता है जोकि पुरूष और महिलाओं के यौन संपर्क की वजह से फैलता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

यह आमतौर पर यौन संपर्क से ही फैलता है। बाकि और किसी भी तरीके से यह रोग नहीं फैलता है। ‌‌‌पुरूष और महिलओं को यह अलग अलग तरीके से प्रभावित करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।संबंध बनाने की वजह से यह रोग फैल सकता है।

ट्राइकोमोनिएसिस के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसकी मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपको इस तरह का संक्रमण हुआ है या फिर नहीं हुआ है ?

70% लोगों में ट्राइकोमोनिएसिस संक्रमण के कोई लक्षण नज़र नहीं आते हैं।और लेकिन यदि यह लक्षण प्रकट होते हैं तो यह अलग अलग तरह से प्रभावित करते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।पहले आमतौर पर गुप्त अंगों के अंदर जलन होती है और बाद मे यह सूजन का रूप ले सकती है। और रक्त स्त्राव भी हो सकता है।

  • ‌‌‌जल्दी ही मूत्र त्याग के लिए जाना
  • पेशाब करने मे दर्द और जलन होना ।
  • संबंध बनाने के दौरान दर्द होना ।
  • अंग के अंदर खुजली होना और जलन होना ।
  • सफ़ेद, ग्रे, पीला या हरा, झागदार और बदबूदार  पदार्थ निकलना आदि ।

निमोनिया

दोस्तों निमोनिया के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे । निमोनिया एक प्रकार का रोग होता है जोकि हमारे फेफड़ों को प्रभावित करने का कार्य करता है। इसकी वजह से फेफड़ों मे मवाद और बलगम जम सकता है। और यदि इसका ईलाज समय पर नहीं करवाया जाता है तो फिर यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके ‌‌‌बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप बात को समझ सकते हैं।यह जो रोग होता है वह कम उम्र और अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।और यह संक्रामक भी होता है जोकि खांसने और छींकने से फैल सकता है।

2016 में विश्व निमोनिया दिवस पर एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया की तुलना मे भारत मे शिशुओं की निमोनिया से अधिक मौते हुई थी।और भारत के अंदर निमोनिया से बचने के लिए टीका भी लगाया जाता है। इसके बारे मे आपको भी अच्छी तरह से पता होगा ।

‌‌‌यदि हम  निमोनिया के प्रकार की बात करें तो यह कई प्रकार का हो सकता है। इसके प्रकार के आधार पर इसका ईलाज अलग अलग होता है तो आइए जानते हैं निमोनिया के प्रकार के बारे मे विस्तार से ।

  • बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia) आमतौर पर किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यह खास कर उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर हो चुकी है और अधिक शराब या धूम्रपान का सेवन करते हैं। और हाल ही मे यदि सर्जरी हुई है तो यह निमोनिया आपको प्रभावित कर सकता है।
  • फंगल निमोनिया (Fungal pneumonia) आमतौर पर किसी तरह के फंगस की वजह से होता है। और यदि फंगस निमोनिया हो जाता है तो उसके बाद इसका निदान करना बहुत ही कठिन हो जाता है।
  • एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration pneumonia) आमतौर पर गैस धूल और भोजन के कणों की वजह से हो सकता है। और कई बार तो इस निमोनिया को ठीक करना काफी अधिक मुश्किल हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumonia) आमतौर पर एक प्रकार के जीवाणु की वजह से होता है। और यह बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करने का काम करता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • वायरल निमोनिया आमतौर पर किसी वायरल की वजह से हो सकता है। यदि इसका समय पर उपचार किया जाता है तो फिर यह ठीक हो सकता है।

‌‌‌दोस्तों यदि हम निमोनिया के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं। लेकिन इसका जो मुख्य लक्षण होता है वह खांसी होता है। आपको बार बार खांसी आती है। और लंबे समय तक भी यह चल सकती है। इसके अलावा खांसी के साथ ही आपको दूसरे लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं जैसे कि

  • सीने में दर्द या बेचैनी
  • भूख कम लगना
  • बुखार
  • सांस लेने मे कठिनाई
  • तेज़ी से सांसें लेना
  • उलझन
  • कम रक्तचाप
  • खाँसी में खून आना
  • धडकन की तेज़ी
  • मतली और उल्टी

‌‌‌दोस्तों यदि हम निमोनिया से बचाव के बारे मे बात करें तो इसके लिए आप कुछ उचित कदम उठा सकते हैं जिससे कि आप निमोनिया से बच सकते हैं तो आइए जानते हैं उन कदमों के बारे मे विस्तार से

  • निमोनिया से बचने के लिए समय समय पर टीका लगवाया जाता है। यदि आप समय पर टीका लगाते हैं तो फिर आपको ‌‌‌ निमोनिया होने के चांस काफी कम हो जाते हैं।
  • डॉक्टर 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अलग-अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं।
  • श्वसन संक्रमण से बचने का प्रयास आपको हमेशा से ही करना चाहिए ।
  • यदि आप नशा करते हैं तो इसको करना बंद करदें । यह आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता ‌‌‌ है।
  • ‌‌‌और सबसे बड़ा काम यह है कि आपको अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता होती है। यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है तो आपका कोई निमोनिया कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

एच पाइलोरी

एच पाइलोरी एक प्रकार का बैक्टिरिया होता है जोकि 60 फीसदी लोगों के पेट मे पाया जाता है। वैसे तो यह किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन कई बार क्या होता है कि यह आंतों के अंदर संक्रमण पैदा कर देता है जिसकी वजह से पेट मे अल्सर होने लग जाते हैं।

  • ‌‌‌वैसे तो इस तरह के संक्रमण से किसी भी तरह के लक्षण विकसित नहीं होते हैं। लेकिन यदि लक्षण विकसित होते भी हैं तो वे कुछ इस प्रकार के होते हैं जिनको आप बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं
  • पेट में दर्द
  • पेट खाली होने पर दर्द और बदतर हो जाना
  • पेट में जलन
  • जी मिचलाना
  • कम भूख लगना
  • पेट फूलना
  • और वजन कम

पाइलोरी इन्फेक्शन के बारे मे अभी भी ठीक से जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि यदि कोई इंसान संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मे आता है जैसे उसके खांसने या छींकने या फिर मल की वजह से यह संक्रमण हो सकता है। हालांकि यह संक्रमण सभी लोगों के अंदर नहीं होता है।

खून टेस्ट

स्टूल (मल) टेस्ट

सांस टेस्ट

एंडोस्कोपी टेस्ट

आदि टेस्ट इस रोग को जांचने के लिए किये जा सकते हैं। और एक बार डॉक्टर को इस संक्रमण के बारे मे पता चल जाता है तो आपका डॉक्टर आपको एंटिबोयोटिक दवाएं दे सकता है। जिससे कि यह संक्रमण ठीक हो जाएगा । ‌‌‌हालांकि आपको संक्रमण से राहत मिलने मे एक से दो सप्ताह का समय लग सकता है। लेकिन आपको दवा को बीच मे ही नहीं छोड़ना चाहिए नहीं तो संक्रमण सही होने की बजाय और अधिक फैल सकता है।

पेट के कीड़े

यह पेट के कीड़े आंतों के अंदर रहते हैं और आंतों से ही भोजन प्राप्त करते हैं। यह खून चूस सकते हैं। और आमतौर पर यह वहां पर प्रजनन नहीं कर सकते हैं। लेकिन कई बार यह संक्रमण का कारण बन सकते हैं।और यह एक तरह से परजीवी होते हैं। परजीवी का मतलब होता है जोकि किसी दूसरे जीव पर आश्रित होता है ‌‌‌और यह किसी तरह के दूषित भोजन या फिर पानी की वजह से फैल सकता है।वैसे बहुत सारे लोगों के पेट मे कीड़े हो सकते हैं। लेकिन कुछ ही लोगों को इनके लक्षण नजर आते हैं। बहुत से लोगों को इनके लक्षण नजर नहीं आते हैं।

 ‌‌‌और यदि लक्षण नजर आते हैं तो यह दवाओं से ठीक भी हो जाते हैं।

                      ‌‌‌यदि हम पेट के कीड़ों के प्रकार की बात करें तो यह कई प्रकार के हो सकते हैं। पेट के कीड़े टेपवर्म या फीता कृमि

फ्लूक

पिनवर्म

हुकवर्म

‌‌‌और यदि हम पेट के कीड़े के लक्षणों की बात करें तो इसके अंदर कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। जिसकी मदद से हम पेट के कीड़ों को आसानी से पहचान सकते हैं तो आइए जानते हैं पेट के कीड़ों के लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।

  • राउंडवॉर्म, फ्लूक या टेपवॉर्म आदि पेट के अंदर हो सकते हैं। और इसकी वजह से पेट ‌‌‌के अंदर रूक रूक कर दर्द होता है। और पेट मे मरोड़ भी आता है।
  • राउंडवॉर्म कीड़े आमतौर पर पेट मे चले जाते हैं तो उसकी वजह से पेट मे दस्त हो सकता है। और यदि बच्चों को दस्त लग रहा है तो हो सकता है कि पेट के अंदर यह कीड़े चले गए हैं।
  • यदि पेट के अंदर कीड़े होते हैं तो बच्चे का समुचित तरह से विकास नहीं हो पाता है। बच्चा शरीरिक रूप से काफी कमजोर होता है। ‌‌‌और उसे अधिक भूख भी नहीं लगती है। यदि आपके बच्चे के साथ ऐसा हो रहा है तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए जिससे कि समस्या हल हो जाएगी ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि पेट के अंदर कीड़े हो जाते हैं तो थकान का अनुभव होने लग जाता है यह कीड़े आमतौर पर आंतों के अंदर मौजूद खून को चूस लेते हैं जिसकी वजह से थकान का अनुभव होने लग जाता है।
  • सूखी खांसी
  • बुखार
  • छाती में दर्द
  • घरघराहट की आवाज आना
  • मल मे कीड़े भी निकल सकते हैं जोकि पेट मे कीड़े होने के लक्षणों के अंदर आते हैं।
  • पेट फूलना या गैस बनना
  • इसके अलावा कीड़ा आंतो या फिर गुदा मार्ग के अंदर खुजली और चक्कते को भी विकसित कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
  • यदि अधिक समय तक  पेट दर्द रहता है तो यह पेट मे कीड़े होने का संकेत हो सकता है।
  • ‌‌‌अधिक वजन का घटना कीड़े होने का संकेत हो सकता है।

दोस्तों पेट मे कीड़े होने के कई सारे कारण हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि आप कारणों पर ठीक से ध्यान देते हैं तो फिर आप पेट मे कीड़े के जाने से बच सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

  • राउंडवॉर्म कीड़े आमतौर पर दूषित मल और पानी के अंदर हो सकते हैं जब आप इनके संपर्क मे आते हैं और बिना साफ सफाई के खाना वैगरह खा लेते हैं तो यह आपकी आंत के अंदर चले जाते हैं और उसके बाद वहां पर वृद्धि करने लग जाते हैं। जोकि आपके लिए काफी परेशानी का सबब बनता है।
  • ‌‌‌जैसे कि यदि आप किसी ऐसी जगह पर छू लेते हैं जहां पर परजीवी के अंडे होते हैं तो फिर यह आपके पेट मे जा सकते हैं।
  • इसके अलावा किसी ऐसी जगह पर नंगे पांव चलना जहां पर परजीवी ने अंडे दे रखें हों ।
  • ऐसी मिट्टी को छूना या निगलना जहां पर परजीवी रहते हैं।
  • ‌‌‌बच्चे पेट के कीड़ों से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं। क्योकि यह दूषित वातावरण के अंदर खेलते हैं और उसके बाद यदि बिना हाथ धोए खाना खाते हैं तो उसके बाद यह कीड़े उनके पेट मे चले जाते हैं।
  • ‌‌‌इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी अधिक कमजोर होती है। उनके उपर कीड़े काफी अधिक तेजी से हमला करते हैं। इसके बारे मे आपको पता ही होगा । इसलिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आपकेा मजबूत करना होगा ।
  • ‌‌‌सही तरीके से साफ सफाई करना बहुत जरूरी होता है। यदि आप सही तरीके से साफ सफाई नहीं करते हैं तो यह कीड़े पनप सकते हैं।
  • यदि आप जानवरों के संपर्क मे आते हैं तो उसकी वजह से भी कीड़े पेट मे जा सकते हैं।

‌‌‌पेट के कीड़ों को रोकने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। जिनके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।

  • यदि आप फल सब्जी आदि का सेवन करते हैं तो आपको चाहिए कि आप उनको अच्छे से धोने के बाद ही सेवन करना चाहिए।
  • इसके अलावा बच्चों को अपने हाथों से मुंह को छूने से रोकना चाहिए । और यदि वे ‌‌‌खुद खाना खाते हैं तो आपको चाहिए कि आप उनके हाथों को अच्छी तरह से धोएं और उसके बाद ही उनको खाना देना चाहिए ।
  • इसके अलावा आपको वहां पर भोजन नहीं करना चाहिए जहां पर स्वस्च्छता के अंदर कमी हो ।
  • यदि आप मांस आदि का सेवन करते हैं तो उनको पूरी तरह से पका कर ही खाएं ।
  • इसके अलावा रसोई के अंदर ‌‌‌प्रयोग की जाने वाली चीजों की नियमित रूप से सफाई करना बहुत ही जरूरी हो जाता है।
  • भोजन खाने या बनाने से पहले और मिट्टी छूने या शौचालय जाने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना
  • और जिन क्षेत्रों के अंदर कीड़े होने की संभावना अधिक हो वहां पर आपको खाना खाने से बचना होगा और यही आपके लिए सही भी होगा ।

                            ‌‌‌अब आपके दिमाग मे यह भी आता होगा की पेट के अंदर यदि कोई कीड़ा है तो उसे मारने के लिए किस तरह की दवा का उपयोग किया जाता है तो आपकी जानकारी के लिए बतादें कि आमतौर पर यह किसी भी तरह की दवा की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि यह कीड़े अपने आप ही खत्म हो जाते हैं। लेकिन यदि काफी अधिक परेशान कर ‌‌‌ रहे हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । वह आपको कुछ दवाएं लिखकर दे सकता है। और उन दवाओं को यदि आप लेते हैं तो यह कीड़ों को अपंग बना देता है। उसके बाद यह मल से बाहर आ जाते हैं।

गियार्डियासिस, अमीबायसिस, साइक्लोस्पोरियासिस और क्रिप्टोस्पोरिडिओसिस  जैसी बीमारियां पेट के कीड़ों की वजह से ही होती है। यदि पेट के अंदर कीड़े चले गए हैं और वे परेशानी पैदा कर रहे हैं तो इसका समय पर ईलाज करवाना जरूरी होता है। वरना यह समस्या पैदा कर सकते हैं। अमीबायसिस जैसी स्थिति के अंदर रोगी की मौत तक हो जाती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यदि आपको पेट के अंदर कीड़े होने का शक है तो अपने डॉक्टर के पास आपको जाना चाहिए ।

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