‌‌‌दूसरों का दर्द तभी समझ आता है जब खुद को दर्द का एहसास होता है


राम और स्याम दो भाई थे . वो दोनों
किसान के पुत्र थे . और बहुत ज्यादा गरीब थे .वे खेती बाड़ी से अपना घर चलाते थे और अपने बीवी बच्चो का पेट भरते थे . राम काफी बुदिमान
था व् स्याम कम बुदिमान था . एक बार गांव के अंदर घुड़ सवारी प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसके अंदर राजा ने सो सोने के सीके जितने वाले देने की घोसना की
राम बोला….भाई में इस प्रतियोगिता
में भाग लेता हु यदि में जित गया तो हमारे
घर के हालात अच्छे हो सकते है उसके बाद स्याम
ने कहा ……सोचलो एक बार क्युकी तुम्हे घुड़
सवारी का कोई अनुभव नहीं है और तुम निशिचत रूप से हार जाओगे
…..कोई बात नहीं कोसिस करना जरूरी
है
‌‌‌और कुछ दिनों बाद घूड़सवारी की प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता
के अंदर बड़े बड़े लोग आए थे । इसके अलावा दुनिया भर के घुड़सवार भी आए हुए थे ।

‌‌‌पहली
ही दफा के अंदर राम का मुकाबला एक खूंखार घूड़सवार के साथ हुआ और राम कुछ समय तो उसके
सामने टिक पाय ।


लेकिन बाद मे वह घोड़े से नीचे गिर गया । और जोर से चीखने लगा ।उसका
भाई
और बाकी वैद उसके पास आए फिर उठाकर ले गए । वैदों ने उसका उपचार किया और बोले…………..
श्याम अब तुम्हारे भाई के
‌‌‌दोनों पैर जा चुके हैं। हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
अब यह कमा नहीं सकता है। श्याम को बहुत अधिक दुख हुआ लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था।
उसके बाद श्याम ने अपने भाई को कंधों पर उठाया और घर के अंदर एक खाट पर लाकर पटक दिया।

………..अब यही दिन दिखाने बाकी रह गए थे । मैंने बोला था कि
वहां पर मत जा।
‌‌‌लेकिन तू नहीं माना अब पूरी जिंदगी कौन तुझे कमा
कर निवाला खिलाएगा । और वैसे भी हम कितने गरीब हैं। उसके बाद श्याम सर पकड़ कर बैठ
गया और सोचने लगा कि इस मुश्बित से कैसे छूटकारा पाया जा सकता है?

लेकिन कुछ देर बाद
भी उसे कोई उपाय नहीं सूझा तो घर के अंदर गया और कहीं से दारू का एक पवा उठा कर ‌‌‌ले
आया और उसके बाद पूरा पिया जब चढ गई तो पास मे ही पड़ा लकड़ी का डंडा उठाया और जोर
से अपने भाई को पीटने लगा ।
…………अरे मारे गा क्या आज क्या हो गया तेरे को . राम जोर
से चिल्ला रहा था। लेकिन उसकी सुनने वाला तो जैसे कोई था ही नहीं ।
एक श्याम था जो
उसे मारे जा रहा था।
‌‌‌कुछ समय बाद अधिक मार खाने के बाद राम बेहोश हो गया
और श्याम भी रूक गया । उस दिन तो दोनों ने खाना पीना नहीं किया ।
अगले दिन सुबह श्याम
उठा और अपने भाई को बिस्तर पर पड़ा देख उसे गाली दी और बाहर चला गया । उधर राम उठ भी
नहीं सकता था। किस तरह से उठा और जहर की पुड़िया को लाया उसके बाद उसे निगल ‌‌‌लिया
।वह मरना तो नहीं चाहता था लेकिन इसके अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था।

‌‌‌उधर श्याम ठेके पर बैठा मस्ती कर रहा था। और दारू पीकर टल्ली
हो चुका था। जब वह घर आने के लिए सड़क पार कर रहा था तो उसका भी एक्सीडेंट हो गया ।
इस एक्सीडेंट के बाद वह बेहोश हो गया । पांच दिन बाद होश आया तो पता चला कि उसके दोनो
हाथ और पैर काट दिए गए हैं।
‌‌‌उस वक्त वह खून के आंसू रोया । उसे यह भी खबर
मिली की उसका भाई मर चुका है। अब उसे अस्पताल वालों ने घर पहुंचा दिया। घर के अंदर
कोई नहीं था।

‌‌‌अब उसे वह सब कुछ याद आ रहा था जो उसने अपने भाई के साथ किया
था। बहुत बुरा हुआ वह यही सोच कर रो रहा था।
‌‌‌किसी की कही बात आज उसे समझ मे
आ चुकी थी कि दूसरों के दर्द का एहसास तभी होता है। जब खुद को दर्द होता है। कांटा
चुभने का दर्द वह कभी नहीं जान सकता जिसको कभी कांटा चुभा ही नहीं ।

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