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60+ कृष्ण के पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट, जो आपको पता नही

दोस्तो इस लेख मे हम जानेगे की कृष्ण के पर्यायवाची शब्द krishna ka paryayvachi shabd और कृष्ण के समानार्थी शब्द krishna ka samanarthi shabd क्या होते है साथ ही जानेगे की कृष्ण कौन थे और इनका जन्म कैसे हुआ इसके अलावा इस लेख मे ऐसीजानकारी हासिल करेगे जो आपके लिए रोचक जानकारी होगी और आप उसे पढना चाहेगे ‌‌‌तो इस लेख को देखे ।

कृष्ण के पर्यायवाची शब्द और कृष्ण के समानार्थी शब्द krishna ka paryayvachi shabd / krishna ka samanarthi shabd

शब्द {shabd}पर्यायवाची शब्द / समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd}
कृष्णश्याम, विष्णु, घनश्याम, साँवले , सँवलिया , नंदलाल, मोहन, नन्दनन्दन , जनार्दन , गोपाल, यदुनन्दन, देवकीनन्दन, कंसारिं , मुरमर्दन , गोपाल, मुरलीधर, कन्हैया, वंशीधर, गिरिधर, द्वारिकाधीश , माधव, केशव, कमलनाथ, हृषीकेश, मुकुन्द, हरि, मधुसूदन, ब्रजवल्लभ, देवाधिदेव, गोपीनाथ, राधारमण, पुरुषोत्तम, भगवान, चक्रपाणि, यादवेश, गिरधारी, योगीन्द्र , ब्रजभूषण , वासुदेव , बाल गोपाल, द्वारिकाधीश, देवकीनंदन, त्रिविक्रमा, श्यामसुंदर, सुदर्शन, विश्वदक्शिनह, स्वर्गपति, सत्यवचन, वैकुंठनाथ, परमात्मा, मुरलीमनोहर, मनोहर, मनमोहन, नारायननारायन, महेंद्र, नंद्गोपाल, लक्ष्मीकांत, माधव, जगन्नाथ, गोपालप्रिया, गोपाल, देवकीनंदन
krishnaShyam, Vishnu, Ghanshyam, Saanwale, Sanwalia, Nandlal, Mohan, Nandanandan, Janardan, Gopal, Yadunandan, Devkinandan, Kansarin, Murmardan, Gopal, Muralidhar, Kanhaiya, Vansidhar, Giridhar, Dwarikadhish, Madhav, Keshav, Kamalnath, Hrishikesh Hari, Madhusudan, Brajvallabh, Devadhidev, Gopinath, Radharman, Purushottam, Bhagwan, Chakrapani, Yadvesh, Girdhari, Yogindra, Brajbhushan, Vasudev, Bal Gopal, Dwarikadhish, Devkinandan, Trivikrama, Shyamsunder, Sudarshan, Vishwadakshinama, Swargapati, Satyavachan, , Muralimanohar, Manohar, Manmohan, Narayan Narayan, Mahendra, Nandgopal, Laxmikant, Madhav, Jagannath, Gopalpriya, Gopal, Devkinandan
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60+ कृष्ण के पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट, List of 60+ synonyms of Krishna

1.            श्याम (Shyam)

2.            विष्णु (Vishnu)

3.            घनश्याम (Ghanashyam)

4.            साँवले (Saawale)

5.            सँवलिया (Sanvalia)

6.            नंदलाल (Nandalal)

7.            मोहन (Mohan)

8.            नन्दनन्दन (Nandananandan)

9.            जनार्दन (Janardan)

10.          गोपाल (Gopal)

11.          यदुनन्दन (Yadunanandan)

12.          देवकीनन्दन (Devakinandan)

13.          कंसारिं (Kansarin)

14.          मुरमर्दन (Murmardan)

15.          मुरलीधर (Muralidhar)

16.          कन्हैया (Kanhaiya)

17.          वंशीधर (Vanshidhar)

18.          गिरिधार (Giridhar)

19.          द्वारिकाधीश (Dwarikadhish)

20.          माधव (Madhav)

21.          केशव (Keshav)

22.          कमलनाथ (Kamalnath)

23.          हृषीकेश (Hrishikesh)

24.          मुकुन्द (Mukund)

25.          हरि (Hari)

26.          मधुसूदन (Madhusudan)

27.          ब्रजवल्लभ (Brajvallabh)

28.          देवाधिदेव (Devadhidev)

29.          गोपीनाथ (Gopinath)

30.          राधारमण (Radharaman)

31.          पुरुषोत्तम (Purushottam)

32.          भगवान (Bhagwan)

33.          चक्रपाणि (Chakrapani)

34.          यादवेश (Yadavesh)

35.          गिरधारी (Giridhari)

36.          योगीन्द्र (Yogendra)

37.          ब्रजभूषण (Brajbhushan)

38.          वासुदेव (Vasudev)

39.          बाल गोपाल (Bal Gopal)

40.          द्वारिकाधीश (Dwarikadhish)

41.          देवकीनंदन (Devakinandan)

42.          त्रिविक्रमा (Trivikrama)

43.          श्यामसुंदर (Shyam Sundar)

44.          सुदर्शन (Sudarshan)

45.          विश्वदक्शिनह (Vishwadakshinah)

46.          स्वर्गपति (Svargapati)

47.          सत्यवचन (Satyavachan)

48.          वैकुंठनाथ (Vaikunthanath)

49.          परमात्मा (Paramatma)

50.          मुरलीमनोहर (Murali Manohar)

51.          मनोहर (Manohar)

52.          मनमोहन (Manmohan)

53.          नारायननारायन (Narayan Narayan)

54.          महेंद्र (Mahendra)

55.          नंदगोपाल (Nandgopal)

56.          लक्ष्मीकांत (Lakshmikant)

57.          माधव (Madhav)

58.          जगन्नाथ (Jagannath)

59.          गोपालप्रिया (Gopalpriya)

60.          गोपाल (Gopal)

61.          देवकीनंदन (Devakinandan)

कृष्ण कौन थे who was Krishna

श्री कृष्ण त्रिदोवो मे से एक विष्णु का अवतार होते है जिन्होने पृथ्वी पर कंस की हत्थया करनेके लिए जन्म लिया था । साथ ही बताया जाता है की कृष्ण ज्ञानी थे जो अपने ज्ञान के बल पर एक स्थान की बात दूर बैठे ही जान लेते थे । इनके चमतकारो के कारण से इन्हे आज पृथ्वी पर पूजा जाता है और इन्हे ‌‌‌अनेक नामो से बुलाया जाता है ।

‌‌‌कृष्ण का अर्थ हिंदी में Meaning of Krishna in Hindi

  • श्री विष्णु के 8 वे अवतार ।
  • एक निष्काम कर्मयोगी जो पृथ्वी पर योगी के रूप मे पहचाने गए ।
  • जो सुरीली मुरली बजाकर हर किसी को मोहित कर लेते थे यानि मुरली धर ।
  • जीनके शरीर का रंग सावला था यानि सावले ।
  • जिन्हे परम आत्मा के रूप मे जाना ‌‌‌जाता है ।
  • वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान ।
  • कृष्ण का शब्दीक अर्थ काला अंधेरा या गहरा नीला होता है ।
  • आचार्य गर्गाचार्य ने जीसका नाम कृष्ण रखा ।
  • जीसने अपना जन्म नन्द बाबा के घर मे गुजारा यानि नन्दलाल ।
  • देवकी का लाल यानि देवकीनन्दन ।
  • मुरली से सुरीली वाणी निकालने वाला यानि मुरलीधर ।
  • ‌‌‌सृष्टी को पालन करने वाले देव का ही एक ‌‌‌अवतार यानि पालनहारी ।

कृष्ण के पर्यायवाची शब्द के वाक्य में प्रयोग, use of synonyms of krishna in sentence

  • रामलाल श्री कृष्ण का बडा भग्त है वह दिन रात मुरलीधर की तरह मुरली बजा कर उन्हे याद करते रहता है ।
  • कल मैंने एक छोटे से बालक को देखा तो श्याम की तरह मुरली बजा रहा था जैसे मानो की वे ‌‌‌स्वयं श्याम ही हो ।
  • सुदाम इतना गरीब होने पर भी उसने कृष्ण की भेट को स्विकार नही किया क्योकी वह कृष्ण के प्रेम को पाना चाहता था न की धन दोलत को ।
  • जब सरोज ने बालगोपाल की लिलाओ को जाना तो वह उसकी दिवानी हो गई और दिन रात बालगोपाल का नाम जपने लगी ।
  • ‌‌‌किशोरी तो कृष्ण दिवानी है वह कृष्ण के अलावा किसी को याद तक नही करती है इसे कहते है कृष्ण भग्ति ।
  • जब राजवीर अपने भाई की तरह कृष्ण की भग्ति मे लगा तो उसे पता चला की कृष्ण भग्ति भी आसान नही है ।

‌‌‌कृष्ण के बारे मे रोचक तथ्य या रोचक जानकारी, Interesting facts or interesting information about Krishna

  • ‌‌‌श्रीमद्भगवतगीता एक प्रकार का ग्रंथ है जिसमे श्री कृष्ण से जुडी सभी प्रकार की जानकारी देखने को मिलती है ।
  • द्वारिका नामक स्थान की स्थापना किसी और नही बल्की श्री कृष्ण ने ही की थी और फिर वही कृष्ण जी के निवास स्थान के रूप मे उभरा ।
  • वास्तविक ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप मे कृष्ण को जाना जाता ‌‌‌है । इसके बारे मे एक ग्रंथ मे नही बल्की कई ग्रंथो मे बताया गया है ।
  • देवकी और वासुदेव की जीतनी भी संताने हुई उन्हे सभी को कंस ने मार दिया था मगर जब देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो कृष्ण जी की लिलाओ के कारण से सभी सेनिक सो गए और कृष्ण जन्म के समय ही दुसरे स्थान पर पहुंच गए । ‌‌‌और इस बारे मे कंस को भनक तक नही पडी ।
  • जब कृष्ण से देवकी ने अपने बच्चो के मरने के का कारण पुछा तो कृष्ण जी ने कहा की उन्हे यह श्राप था जिसके कारण से ही उनके जन्म के समय उनकी मृत्यु हो गई थी । मरग मां प्रेम के आगे कृष्ण की ना चल सकी और देवकी के जीद करने पर कृष्ण ने एक बार 6 के 6 बच्चो को ‌‌‌देवकी को दिखाने पडे ।
  • अर्जुन जब युद्ध नही करना चाहते थे तो श्री कृष्ण ने गीता का सार सुनाते हुए अर्जुन से कहा की अगर तुम अब युद्ध नही करोगे तो आने वाले समस मे सृष्टी खतरे मे पड सकती है ।
  • श्री कृष्ण ने न केवल बडे होने के बाद मे चमतकार दिखाए बल्की उन्होने अपने जन्म के समय ही चमतकार ‌‌‌दिखाने शुरू कर दिए थे । क्योकी जब कृष्ण जी को टोकरी मे यमुना नदी मे से लेकर जा रहा था तो नदी भी कृष्ण के दर्शन से व्याकुल हो गई और उसने फिर कृष्ण जी के दर्शन करने के लिए बडी हडबडी मचाई मरग जैसे ही नदी ने कृष्ण जी के ‌‌‌पैरो को छुआ तो वह शांत होने लगी गई । जिसके कारण से वे आसानी से गोकूल ‌‌‌गए ।
  • ‌‌‌कृष्ण को जगतगुरु का समान भी दिया जाता है क्योकी उन्होने अर्जुन को गीता का सार बताया था और इस बारे मे भगवद्गीता मे बताया गया है । इस कारण से भगवद्गीता केवल भारत मे ही नही बल्की यह पूरे विश्व मे प्रसिद्ध हो गई है ।
  • कृष्ण के मामा कंस उसे मारना चाहता था जिसके कारण से जब कंस को पता चला की ‌‌‌की कृष्ण गोकूल मे है तो कंस ने उसे मारने के लिए सबसे पहले पूतना नामक राक्षसी को भेजा मगर कृष्ण की शक्तियो के आगे वह नही ठहर सकी और मारी गई । यह कृष्ण के द्वारा राक्षसो का किया गया प्रथम अंत था ।
  • इसी तरह से जो जो कृष्ण को मारने के लिए गए थे कृष्ण ने उस सभी को मार दिया तब जाकर कंस को ‌‌‌लगने लगा की कृष्ण को साधारण बालक नही है ।
  • कृष्ण की मृत्यु का कारण गांधारी का श्राप था क्योकी जब उसने अपने बेटे के मरे हुए सव को देखा तो वह अपने बेटे के दुख मे इतनी दुखी हो गई थी की वह भूल गई थी की वह भगवान श्री कृष्ण को श्राप दे रही है । मगर एक बार श्राप दे देने के बाद हो क्या था ।
  • आपको जान कर हैरानी होगी की गांधारी ने कृष्ण को 36 वर्षो के बाद मे ‌‌‌मरने का श्राप दिया था और श्राप के अनुसार उनकी मृत्यु भी 36 वर्षो के बाद हुई थी ।
  • ‌‌‌बलराम जो की श्री कृष्ण का भाई था माना जाता है की वह श्री विष्णु जी के शेषनाग का ही अवतार था जो की विष्णु जी के अवतार की रक्षा के लिए जन्म लिया था ।
  • श्री कृष्ण से जुडी गोवर्धन पर्वत की घटना मे भी श्री कृष्ण ने बडा चमतकार दिखाया और पर्वत को अपनी छोटी उगुली पर उठा कर गोकूल के लोगो की ‌‌‌रक्षा की ।

‌‌‌श्री कृष्ण का जन्म कैसे हुआ, how shri krishna was born

‌‌‌श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग के समय हुआ था । उस समय मथुरा का राजा और कोई नही बल्की कंस था जिसकी एक बहन भी थी ‌‌‌जिसका नाम देवकी था । यह देवकी वही है जिसके गर्भ से कृष्ण ने जन्म लिया था । मगर इससे पहले ही कंस को पता चल गया था की उसकी बहन की 8 वी संतान उसका वध करेगी । इस बात को जान कर कंस अपनी ‌‌‌बहन की हर संतान को मारता गया ।

मगर जब देवकी के गर्भ मे 8 वी संतान के रूप मे श्री कृष्ण थे तो देवकी और वासुदेव जो देवकी का पति था दोनो को ही ‌‌‌बडे डरने लगे थे की कंस इसे भी मार देगा । मगर जैसे ही श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो चारो और बारीस के घने बादल छा गए और तेज वर्षा होने लगी थी ।

साथ ही जो ‌‌‌सेनिक देवकी और वासुदेव को केद कर कर रखे हुए थे वे भी बेहोस हो गए । इसके अलावा कारागार मे ऐसा कोई नही था जिसे होस हो और वह यह जानता हो की देवकी के गर्भ से किसी बच्चे ने जन्म लिया है । माना जाता है की जन्म लेने से पहले ही विष्णु जी ने देवकी और वासुदेव से कहा था की जो बच्चा जन्म लेगा उसे‌‌‌ गोकुल के नन्द जी के घर छोडना है और उसके घर मे भी एक बच्ची का जन्म हुआ है उसे लेकर आना है ।

यह कहते हुए विष्णु जी वहां से चले गए । मगर जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो माता देवकी अपने बच्चे को दूर नही करना चाहती थी । मगर उसे यह भी पता था की अगर उन्होने विष्णु की बात नही मानी तो कंस मेरे ‌‌‌बच्चे को मार देगा । साथ ही वासुदेव ने देवकी को समझाया तब जाकर देवकी समझी और वासुदेव जैसे ही अपने बच्चे को गोकूल के लिए लेकर जाने लगा तो सभी कारागारो के ताले टूटते जा रहे थे ।

यानि कृष्ण के नन्द के घर जाने का रास्ता अपने आप बन रहा था । इसी के चलते हुए जब वासुदेव और कृष्ण यमुना नदी के पास ‌‌‌पहुंचे तो वासुदेव यमुना को देख कर हैरान रह गए क्योकी यमुना नदी मे इतनी हडबड मची हुई थी की अगर कोई इसको पार कर कर मथुरा गया तो पक्का नदी मे ही मारा जाएगा । मगर वासुदेव ने अपने प्राणो की फिकर न करते हुए अपने बच्चे को बचाने की चाह मे नदी मे उतर गया और धिरे धिरे नदी को पार करता रहा ।

मरग नदी ‌‌‌का पानी इतना अधिक हडबड मचाए हुआ था की वासुदेव पूरे के पूरे पानी मे डुब गए मगर उन्होने हार नही मानी बल्की वे आगे बढते जा रहे थे । इसके साथ जैसे ही नदी मे श्री कृष्ण के पैरो को छुआ तो नदी एकदम शांत हो गई । यह देख कर वासुदेव को कुछ समझ मे नही आ रहा था । मगर वे अपने बच्चे को लेकर आगे की और बढ ‌‌‌रहे थे ।

इसी के चलते हुए जैसे ही वासुदेव नन्द के घर पहुंचे तो वहा पर भी सभी निन्द्रा अवस्था मे थे किसी को भी कुछ होस नही था । तब वासुदेव ने अपने बेटे को वहा पर रख दिया । मगर अब उनकी बेटी को उठाने से झिझक रहा था । फिर विष्णु की बात याद कर कर उसे वहां से लकर महल आ गया । जब सुबह हुई तो वापस ‌‌‌सभी सेनिक अपने ‌‌‌होस मे थे यहां तक की किसी को यह तक पता नही चला की वासुदेव रात को कारागार से बाहर तक गया था । मगर कंस को जैसे ही पता चला की देवकी के गर्भ से बच्चे का जन्म हो गया है तो वह उसे मारने के लिए आ गया ।

मगर अब कंस लडकी को लडका समझ ‌‌‌कर मारने ही वाला था की नन्द की लडकी अचानक गायब हो गई‌‌‌। यह देख कर कंस को कुछ समझ मे नही आया तभी आकाशवाणी फिर से हुई और हंसते हुए कहा की तुम्हारा अंत निश्चित है तुम्हारा अंत करने वाली मैं नही बल्की वह तो कही और खेल रहा है । यह सुन कर कंस हैरान हो गया ।

मरग उसे समझ मे नही आया की अब मेरा वंध करने वाला कहा है । इस तरह ‌‌‌से रात के भयानक रूप के 12 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ था । जन्म के समय इतने चमतकार थे की वे अपने पूरे जीवन मे चमतकार करते रहे थे । उसी दिन को याद कर कर आज कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है और रात के 12 बजे ही श्री कृष्ण का भोग लगता है ।

‌‌‌कृष्ण ने कंस का वध क्यो किया, Why did Krishna kill Kansa

इसके पिछे सिधा साधा एक ही कारण है की कंस का आतक इतना बढ गया था की उसे मारना पडा । क्योकी यही पोराणिक कथाए बताती है की जब भी पृथ्वी पर किसी का आतक इतना अधिक बढ जाता है या जब ‌‌‌किसी का पाप बहुत अधिक हो जाता है तो उसे नष्ट करने के लिए कोई न कोई को जन्म ‌‌‌लेता है ।

कंस का आतक इतना अधिक हो गया की उसने अपने पिता और अपनी बहन तक को कारागार मे डाल दिया । यहां तक की उसने अपनी बहन के हर बच्चे को मारता गया । इसके साथ ही पृथ्वी के जीवो और गोकूलवासियो पर भी उसका आतक कम नही था । उसने असुरो की मदद से बहुत तबाही मचा रखी थी । यही कारण था की कंस का वध ‌‌‌हुआ ।

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